मेरी चालू बीवी-99

मैंने पहली बार उसकी आवाज सुनी- ओह गॉड… यह क्या… डैड तो सलोनी भाभी को चोद रहे हैं… घर में इतने मेहमान हैं.. अगर किसी ने देख लिया तो… ओह?

मेरी समझ में एकदम से आ गया… अरे यह तो रिया है, मेहता अंकल की बड़ी बेटी।

उफ्फ्फ मुझे तो पहले ही समझ जाना चाहिए था इसको देखकर, आखिर लंदन से आई है, तभी ऐसी है।

उसने अपना लहंगा अभी तक नहीं छोड़ा था और उसके झुक कर खड़े होने से मुझे वो दिख गया जिसे देखकर मेरे लण्ड ने बगावत कर दी।

अब मैं भी नहीं रुक सकता था, रिया के झुकने से उसके मस्त नंगे चूतड़, कुछ ज्यादा ही उठे हुए थे रिया के चूतड़… क्या मस्त गद्देदार चूतड़ थे, पूरे गोल और आपस में सटे हुए, इतने खूबसूरत लग रहे थे कि मैं सब कुछ भूल गया।

मैंने अपना लण्ड तो पहले ही बाहर निकाला हुआ था, लण्ड उस दृश्य को देख और भी ज्यादा तन चुका था, मैंने पैंट का बटन भी ढीला कर दिया और रिया के ठीक पीछे पहुँच गया।

मैंने चुपके से ही उसके चूतड़ों से अपना लण्ड चिपका दिया !

रिया ने एक दम से पीछे मुड़कर देखा और मुझे देखते ही उसका चेहरा भक्क हो गया।

रिया- अरे भैया आप?

ओह… मैं भले ही उसको ना जानता हूँ पर वो मुझे अच्छी तरह से जानती है, तभी तो उसने सलोनी को भी पहचान लिया।

रिया ने तुरंत मेरा हाथ पकड़ा और मुझे अपने कमरे में ले जाने लगी, वो नहीं चाहती थी कि मैं सलोनी को उस कमरे में मेहता अंकल से चुदते हुए देखूं… उसको शायद डर था कि वहाँ सलोनी को मेहता अंकल के साथ देख मैं हल्ला न कर दूँ।

इसलिए वो मुझे वहाँ से हटाना चाहती थी, मैंने भी इस स्थिति का फ़ायदा उठाने की सोची- क्या हुआ? यहाँ क्या हो रहा है?

मैंने उसके नंगे चूतड़ों पर हाथ फेरते हुए पूछा।

उसने मेरा हाथ झटका- उफ्फ यह क्या कर रहे हो भैया? मैं तो बस पेशाब करने आई थी, और आप यहाँ क्या कर रहे हो???

मैं- मैं भी तो बस सलोनी को ढूंढ रहा था, फिर मुझे भी प्रेशर लगा और यहाँ आ गया।

रिया- वो तो ठीक है, फिर ये सब क्या कर रहे थे? वो लगातार मेरे लण्ड को देख रही थी।

मैं- अरे मेरी हसीना… जब सामने इतना सेक्सी चूतड़ दिखे तो मैंने तो खुद को संभाल लिया… मगर यह नहीं माना… हा हा हा…

मैंने अपने लण्ड को हिलाते हुए कहा- रुको मैं भी फ्रेश हो लेता हूँ।

अब वो डर गई… रिया नहीं चाहती थी कि मैं फिर से बाथरूम में जाऊँ, उसको डर था कि मैं सलोनी को देख लूंगा।

बस यही बात मेरे लिए फायदे का सौदा साबित हुई।

रिया- ओह तो इसको क्या ऐसे ही लेकर जाओगे? ऐसे तो इसकी धार कमोड की बजाए छत पर जायेगी।

उसने मेरे छत की ओर तने हुए लण्ड को देखकर कहा।

मैं भी उसकी बात से मासूम बन गया- हाँ यार रिया… बात तो तेरी सही है… वैसे इसे खड़ा भी तूने किया है तो इसको बैठा भी तू ही।

रिया- हा ह अ हा… कैसे बैठते हैं आपके ये जनाब?

मैं- यार शादीशुदा हो.. अब यह भी क्या मैं बताऊँगा? तुम्हारे पास तो कई जगह है जहाँ यह आराम से बैठ सकता है।

रिया- जी नहीं… वो सभी जगह बुक हैं… वहाँ इसको कहीं जगह नहीं मिलेगी।

मैं- ओह… क्या यार? चलो छोड़ो… कम से कम वो जगह दिखा तो सकती हो… ये जनाब तो देखकर ही काम चला लेंगे।

रिया- अरे नहीं बाबा… अभी आपने देखा तो था… सीधे कब्ज़ा करने ही आ गया था… मैं यह रिस्क नहीं ले सकती।

मैंने फिर से अपना वही हथियार अपनाया- ठीक है.. फिर हम छत पर ही मूत कर आ जाते हैं।

और मैं फिर से बाथरूम की ओर बढ़ा, मेरा आईडिया काम कर गया।

रिया- अरर्रऐ नहींईईईई वहाँ नहीं… उफ़्फ़्फ़ आप भी नहीं मानोगे ना… चलिए ठीक है… पर सिर्फ देखना… ओके… और इसको दूर ही रखना…

मैंने एक ठंडी सांस ली- हाँ हाँ… अब जल्दी करो…

वो लहंगा फिर से ऊपर करने लगी…

मैं- ओह ऐसे नहीं… इसको उतार कर सही से… हमारे साहबजादे को कोई रूकावट पसंद नहीं।

और मैंने खुद ही उसके लहंगे के हुक को निकाल दिया, रिया ने धीरे से अपना लहंगा नीचे को उतार दिया, उसने कोई विरोध नहीं किया, अब रिया केवल एक छोटी सी चोली पहने मेरे सामने खड़ी थी।

मैंने चोली के ऊपर से ही उसने मस्त मम्मो को दबाया, रिया ने तुरंत मेरे हाथ को झटक दिया, वो वहाँ रखी एक आराम कुर्सी पर बैठते हुए बोली- इस सबका समय नहीं है… जल्दी से देखो… मुझे और भी बहुत से काम हैं।

उसकी इस जल्दबाजी पर मुझे मजा आ गया…

रिया ने आराम कुर्सी पर पीछे को लेटते हुए अपने दोनों पैरों को फैलाकर दोनों हथ्थों पर रख लिया।

क्या पोज़ बनाया था उसने… लगता है ये कुर्सी चुदाई के लिए ही बनी है और दोनों बहनें यहीं अपने पिता से चुदवाती होंगी।

मैं रिया के पास गया और अपना मुँह ठीक उसकी चूत पर ले गया। मैं उसके इतना पास था कि मेरी साँसें रिया की चूत के ऊपर जा रही थी।

मैंने फिर से उसके चूत के बाहर निकले हुए होंठों को कांपते हुए महसूस किया।

रिया- बस देख ली ना? जल्दी करो, घर में बहुत मेहमान हैं, कोई भी इधर आ सकता है।

मुझे भी इसी बात का अंदेशा था पर मैं अब उसको छोड़ना नहीं चाहता था, मेरा लण्ड तो पहले से ही तैयार था, सलोनी की चुदाई देखने के बाद तो वो बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था।

मैंने रिया के दोनों पैरों को वहीं हथ्थे पर ही अपने दोनों हाथों से जाम कर दिया, अपनी कमर को हल्का सा नीचे किया और मेरा लण्ड अपने निशाने पर पहुँच गया।

रिया की चूत अभी बिल्कुल सूखी थी, पर फिर भी मुझे पता था कि वो आसानी से मेरे लण्ड को ले लेगी, आखिर वो लंदन से आई थी और मेहता अंकल जैसे बड़े लण्ड लेने की आदी थी।

मैंने लण्ड को रिया की चूत के मुख पर रखा और मेरा सोचना सही साबित हुआ जब एक ही धक्के में मेरा लण्ड रिया की चूत में समा गया।

मेरा लण्ड पूरा का पूरा रिया की चूत के अंदर था, रिया का मुँह खुला का खुला रह गया- अह्ह्हाआआआ ये क्या कर रहे हो भैया?

वो जोर लगाकर निकलने ही वाली थी कि मैंने वहाँ एक और धमाका कर दिया- वही जो वहाँ तेरा बाप मेरी सलोनी के साथ कर रहा है…

बदला… !!!

रिया- ओह अह्ह्हाआआ अह्हा इसका मतलब अपने देख लिया था… अह्हा अह्हा अह्हा अह्हा अर्रे रुको तो… आप कर लेना… पर पहले कंडोम तो लगा लो…

मेरी बात सुनते ही वो शांत हो गई।

मैं- अब इस समय कंडोम कहाँ से लाऊँ?
रिया- अरे यहीं रखा है… वो उस ड्राअर में…

मुझे उसकी बार पर विश्वास करना पड़ा और मेरे लिए भी सही था, आखिर वो विदेश में भी चुदवाती होगी।

मैंने वहाँ से कंडोम निकाला, रिया ने एक और अच्छा काम किया, उसने खुद मेरे हाथ से पैकेट लिया और खोलकर बड़े ही प्यार से मेरे लण्ड पर चढ़ा दिया।

मैंने इस बार और भी अच्छे ढंग से खड़े होकर लण्ड को फिर से उसकी चूत में सरका दिया और अपना काम शुरू कर दिया।

मैं लगातार धक्के पर धक्के लगा रहा था और अब वो आराम से चुदवाने लगी।

अह्ह्ह आह्ह… और मेरी मेहनत सफल हुई, अचानक धक्कों से फच फच की आवाजें आने लगी, रिया की चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था।

मुझे जोश आ गया और मैं अब और भी तेजी से धक्के लगाने लगा। पाँच मिनट तक वहाँ बहुत अच्छा समां बंध गया था, मुझे चोदने में बहुत मजा आ रहा था।

और फिर?
कहानी जारी रहेगी।