डॉगी स्टाइल में डॉगी से चूत मरवाई

मेरा नाम निलेश है और वाइफ का नाम मृनाली है। मैं 30 साल का हूँ और मृनाली की उम्र 27 साल है। मेरी वाइफ एक बहुत ही खूबसूरत (३६-२५-३८) और सैक्सी औरत है। मेरा घर एक झील के किनारे एकाँत में है। यह बात उन दिनों की है जब मेरे चाचा का लड़का छुट्टी में घर जा रहा था। मेरा कज़िन जब छुट्टी में घर जा रहा था तो अपने कुत्ते, मोन्टी, को मेरे घर में देख-भाल के लिये छोड़ गया। मोन्टी एक एलसेशियन कुत्ता था और बहुत ही बड़ा था। हमने उस कुत्ते को अपने आउट-हाऊज़ में रख दिया। अगले दिन सुबह जब हम दोनों उस कुत्ते से मिलने गये तो वो अपनी पूँछ हिलाते हुए हमसे मिला और हम लोगों से उसकी दोस्ती हो गयी। रात को हम लोग खाना खा कर व्हिस्की क एक-एक पैगे लेके अपने बेडरूम में कुत्ते को ले कर बैठ गये। उस दिन शनिवार था और हम लोगों का प्रोग्राम जम कर चुदाई करने का था।

मैंने अपनी एक टी-शर्ट और मृनाली ने एक हल्के गुलाबी रंग की नाईटी पहन रखी थी। मोन्टी हमारे पास ही घूम रहा था और बार-बार हमारे पास दुम हिलाते हुए आ रहा था। मृनाली उसके सर पर अपने हाथ फिरा रही थी। कुछ समय के बाद मोन्टी अपना सर मृनाली के गोद में रख कर लेट गया। कुछ समय के बाद मोन्टी अपने नथुने मृनाली की जाँघों के बीच रगड़ने लगा। शायद उसको मृनाली की चूत की खुशबू आ रही थी। मोन्टी धीरे-धीरे अपने नथुने मृनाली की चूत के पास ला रहा था और धीरे-धीरे उसका लंड खड़ा हो रहा था।

मैं ने मृनाली को उसका लंड दिखाया तो वो हँस पड़ी और बोली, “शायद यह भी हमारी तरह चुदास है।” करीब दस मिनट के बाद मृनाली ने मोन्टी को कमरे से बाहर निकालना चाहा क्योंकि वो बार-बार मृनाली की चूत के पास अपने नथुने रगड़ रहा था। मृनाली और मैंने एक-एक पैग और व्हिस्की पीया। मृनाली ने अपने पैर उठा कर अपनी नाईटी के अंदर कर लिये थे। मोन्टी अब भी कमरे में घूम रहा था। हमारे पलंग और मृनाली के पैर के दरमियान कुछ जगह छूट गयी होगी और मोन्टी जल्दी से आया और मृनाली की चूत को चाटने लगा। मृनाली इस अचानक मोन्टी से चूत चुसवाने के लिये तैयार नहीं थी और वो उछल पड़ी। मोन्टी का लंड अब बिल्कुल खड़ा हो गया था और अंदर से बाहर निकल आया था।

हम लोग अब बिल्कुल गरम हो गये थे और चुदाई के लिए तैयार हो चुके थे। मुझे बहुत जोर से पेशाब लगी थी और मैं बाथरूम में मूतने चला गया। तभी मृनाली को पता लगा कि उसके कान के बूँदे निकल गये हैं और वोह पलंग के नीचे घुटने के बल अपने कान के बूँदे ढूँढने के लिए घुस गयी। मैं अभी मूत रहा था कि मुझे मृनाली की चींख सुनाई दी। मैं दौड़ कर कमरे में आया और देखा कि मृनाली का कमर से ऊपर का शरीर पलंग के अंदर है और मोन्टी उसके पीछे से कमर के ऊपर चढ़ कर मृनाली की चूत अपने लंड से चोदने की कोशिश कर रहा है। यह देख कर मेरी हँसी छूट गयी और मैं हँसने लगा। तभी मृनाली बोली कि “हँसना बाद में पहले मोन्टी को मेरे ऊपर से अलग करो।”

मैं जब मोन्टी को अलग करने गया तो मोन्टी गुर्राने लगा। मैं पीछे हट गया और देखने लगा कि उसका लंड जो अब करीब ९” (लम्बा) और ४” (मोटा) हो चला था मृनाली की चूत के अंदर घुसने की कोशिश कर रहा था। मृनाली ने चिल्ला कर पूछा कि “क्या देख रहे हो अब कुछ करो भी।” मैंने कहा, “रुको!” और मैं दौड़ कर एक शीशा ले आया और मृनाली को मोन्टी के मोटे लंड से उसकी चूत की चुदाई का नज़ारा दिखाया।

मृनाली यह देख कर चौंक गयी और चिल्लाई कि, “मोन्टी को मेरी चूत से हटाओ!” मोन्टी अब तक मृनाली की चूत के अंदर अपना लंड डालने में सफ़ल हो गया था और उसकी चूत चोद-चोद कर उसका भुर्ता बना रहा था। अब तो मृनाली की नाईटी भी उसकी कमर तक उठ गयी थी और गोरे-गोरे चुत्तड़ और खूबसूरत गाँड साफ़-साफ़ दिख रही थी।

मैंने मृनाली से कहा, “रुको… मैं अभी एक डँडा लेकर आता हूँ और मोन्टी को भगाता हूँ। बिना डँडे के मोन्टी तुम्हारी चूत को नहीं छोड़ेगा!” मैं बाहर गया और बाहर जाकर मुझे एहसास हुआ कि मृनाली और मोन्टी की चुदाई देख कर मेरा लंड भी खड़ा हो गया है। मैं बाहर जाकर डँडा ढूँढने लगा पर डँडा नहीं मिला तो मैं खिड़की से अंदर का नज़ारा देखने लगा। खिड़की पलंग के पास ही थी और मुझको अंदर का नज़ारा साफ़-साफ़ दिख रहा था। थोड़ी देर के बाद मैं कमरे में घुसा तो देखा कि मृनाली का पूरा मुँह लाल हो गया है और वो अपनी चूत की चुदाई से बहुत खुश लग रही है।

मैंने मृनाली से कहा कि, “बाहर कोई डँडा नहीं मिल रहा है!” मृनाली बोली कि, “कुत्ता मुझे खूब रगड़- रगड़ के चोद रहा है और मेरी चूत की चटनी बना रहा है।” मैंने मृनाली से पूछा, “क्या तुम्हारी चूत में दर्द हो रहा है?” तो वो बोली, “जैसे ही मोन्टी का लंड मेरी चूत में पहली बार घुसा तो मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया था और इस कारण अब मुझे मजा आ रहा है और चूत बहुत चुदासी हो गयी है और खूब पानी छोड़ रही है।” मैं उससे बोला कि, “मोन्टी का लंड मेरे लंड से बहुत बड़ा है और तेरी चूत उससे चुदवाने से और फैल जायेगी और उसका लंड और अंदर तक चला जायेगा। मोन्टी को जल्दी हटाना पड़ेगा, क्योंकि अगर उसका लंड तेरी चूत में फूल कर फँस गया तो तू उसके लंड से फँसी रह जायेगी।” मृनाली बोली, “इसका क्या मतलब?”
यह कहानी भी पढ़े : अपनी बहन की चूत में डाल दिया

मैं बोला कि, “मैंने सुना है कि कुत्ता जब कुत्तिया को चोदता है तब कुछ देर के बाद उसका लंड नीचे से फूल जाता है और वो कुत्तिया की चूत में फँस जाता है। क्यों तूने रास्ते में कुत्ता और कुत्तिया गाँड से गाँड मिला कर चिपके हुए नहीं देखे हैं?”

मृनाली हंसते हुए बोली, “हाय जल्दी कुछ करो नहीं तो तुम्हरी वाइफ भी मोन्टी की गाँड से गाँड मिला कर फँसी रह जायेगी और तुम अपना लंड थामे देखते रह जाओगे और मुठ मारोगे।” मैं फिर से बाहर गया और खिड़की से देखने लगा। मुझे हैरानी हुई यह देख कर कि मृनाली अब अपनी गाँड को पीछे को धकेल रही है और बड़ी मस्ती से मोन्टी के लंड का धक्का अपनी चूत में बड़े आराम के लगवा रही है। धीरे-धीरे मोन्टी ने अपना पूरा ९ इन्च लम्बा लंड मृनाली की चूत के अंदर पेल दिया। मुझे खिड़की से साफ़-साफ़ दिख रहा था कि मृनाली की चूत से सफ़ेद-सफ़ेद पानी निकल कर जमीन पर टपक रहा था और उसकी गाँड का छेद खुल और बँद हो रहा था।

मुझे अपनी और मृनाली की चुदाई के अनुभव से लग रहा था मृनाली की चूत फिर से पानी छोड़ रही है। थोड़ी देर के बाद मोन्टी अपनी कमर को खूब जोर से हिलाने लगा और अपना ९ इन्च का लंड मृनाली की चूत के अंदर-बाहर बड़ी ज़ोरों से करने लगा। मृनाली के मुँह से सिसकरी निकल रही थी और वो अनाप-शनाप बोले जा रही थी, जैसे कि, “हाय मेरी माँ, मेरी चूत फट गयी है… कोई आकर देखे एक कुत्ता कैसे मेरी चूत की चुदाई कर रहा है… हाय और जोर से चोदो… फाड़ दो मेरी चूत… हाय मेरी चूत की खाल निकाल दो। हाय निलेश… देखो कैसे एक कुत्ता तुम्हारे ही सामने तुम्हारी वाइफ को अपने मोटे लंड से चोद रहा है… हाय बड़ा मज़ा आ रहा है। हाय मोन्टी… और जोर से चोद मुझे… आज फाड़ दे मेरी चूत को… बुझा दे मेरी चूत की गरमी को!” मोन्टी ने थोड़ी देर मृनाली की चूत को खूब जोर-जोर से चोदा और फिर झड़ कर सुस्त हो गया।

इतने समय तक मृनाली की चूत की चुदाई देखते-देखते मैं भी अपना लंड हाथ में थामे-थामे झड़ गया। मैं जल्दी से कमरे के अंदर भाग कर गया तो देखा कि मृनाली की चूत अब बहुत फैल चुकी है और उसमें से मोन्टी के लंड की झड़न निकल रही है। मृनाली मोन्टी की चुदाई से थक गयी थी और हाँफ़ रही थी। मैं उसके पास गया और बोला कि, “मैं अब मोन्टी को लात मार कर भगा देता हूँ।” मृनाली बोली, “नहीं अभी वो भी सुस्त हो गया है और थोड़ी देर के बाद जब उसका लंड मेरी चूत से छुटेगा तो वो अपने आप ही चला जायेगा!” करीब दस मिनट के बाद मोन्टी का लंड मुरझा गया। मृनाली की चूत का छेद अब काफ़ी बड़ा हो गया था और काफ़ी सूज सा गया था। उसकी चूत से अब भी मोन्टी का माल बूँद-बूँद कर के निकल रहा था। मैंने धीरे से मृनाली को पकड़ कर खड़ा किया।

मृनाली मुझे शरमाई आँखों से देखने लगी और शरमा के बोली, “आज तक मेरी चूत इस कदर कभी नहीं चुदी, मोन्टी के लंड से मेरी चूत बिल्कुल भर सी गयी थी। मोन्टी के लंड ने मेरी चूत की खूब चुदाई करी और मैं पाँच बार झड़ी!” उसके बाद मृनाली अपनी नाईटी और सैण्डल उतार कर बाथरूम में गयी और अच्छी तरह से रगड़-रगड़ कर नहाई। मृनाली बाहर आकर नंगी ही बिस्तर पे बैठ गयी और मुझसे बोली, “आओ निलेश अब तुम मुझे चोदो… मेरी चूत तुम्हारा लंड खाने के लिए प्यासी है… आओ जल्दी से अपना मोटा लंड मेरी चूत में पेल दो और जोर-जोर से धक्के मार-मार कर खूब अच्छी तरह से चोदो।” इतना बोल कर मृनाली मेरे हाथों को अपनी चूची पर ले गयी और मेरा खड़ा लंड अपने मुँह में ले कर जोर-जोर से चूसने लगी। मैंने अपनी एक उँगली मृनाली की चूत के अंदर पेल दी और अंदर-बाहर करने लगा।

मृनाली बोली, “क्यों टाइम बर्बाद कर रहे हो, जल्दी से उँगली हटा कर अपना लंड मेरी चूत में पेलो।” मैंने भी उठ कर अपने लंड का सुपाड़ा मृनाली की चूत के छेद पर लगाया और एक ज़ोरदार धक्का मार कर पूरा का पूरा लंड एक झटके के साथ मृनाली की चूत में घुसेड़ दिया। मृनाली की चूत थोड़ी देर पहले मोन्टी के ९ इन्च लम्बा और ४ इन्च मोटा लंड खा चुकी थी और इसी लिए उसकी चूत अब तक फैली हुई थी जिससे कि मुझे मृनाली को चोदने में मज़ा नहीं आ रहा था। फिर भी मैंने मृनाली की चूत को चोदा और उसकी चूत को अपनी झड़न से भर दिया और फिर मैं और मृनाली सो गये।

अगले दिन संडे था और सुबह मोन्टी हमारे कमरे के अंदर आया तो मृनाली ने प्यार से उसके सर पर हाथ फिराया और मुझे आँख मरती हुई धीरे से बोली, “आज क्या करना है।” हम दोनों ने नाश्ता किया और झील के किनारे एकाँत में पिकनिक मनाने के लिए तैयार हो रहे थे। हम लोग जब कपड़े बदल रहे थे तो मृनाली ने कहा, “देखो, यह क्या है?” मैं झुक कर मृनाली की मोन्टी के लंड से चुदी चूत की तरफ़ देखने लगा। मैंने देखा कि मृनाली की चूत से अब भी मोन्टी के लंड की झड़न रिस-रिस कर निकल रही है। मृनाली ने धीरे से अपनी चूत को पोंछ डाला और बोली कि, “मैंने कल रात करीब चार-पाँच बार उठ कर अपनी चूत को साफ़ किया है। मोन्टी ने कल रात की एक चुदाई से अपने लौड़े का माल तुम्हारे माल से करीब तीन-चार गुना ज्यादा मेरी चूत में डाला है और वो अभी तक निकल रहा है।”

हम लोग सुबह-सुबह झील के किनारे गये और एक दरी बिछा के उसपे लेट गये। मोन्टी हमारे बीच घूम फिर रहा था और बार-बार मृनाली की तरफ़ घूर रहा था। मृनाली मोन्टी के सिर पर हाथ फिरा कर बोली, “हाय, तूने कल बहुत मज़ा दिया!” मोन्टी ने जल्दी से अपने नथुने मृनाली की चूत पर रख दिये लेकिन मृनाली ने अपने चुत्तड़ हिला कर अपनी चूत मोन्टी के नथुने से अलग कर दी। मृनाली ने अपने सारे कपड़े उतार दिये थे लेकिन अपनी पैंटी पहन रखी थी और मैंने सिर्फ़ एक जाँघिया पहन रखा था। मैं मृनाली से बोला, “क्यों ना हम अपने सारे कपड़े उतार दें क्योंकि यह सुनसान प्राइवेट-सी जगह है और आस पास कभी कोई आता-जाता भी नहीं है।” कल मोन्टी से चुदाई के बाद मुझे मृनाली का रिएक्शन देखना था। मृनाली मेरा कहना मान गयी और पूरी तरह नंगी हो गयी। मृनाली को नंगी देख कर मोन्टी के कान खड़े हो गये और वो मृनाली की चूत की तरफ़ देखने लगा। मैंने मृनाली से पूछा, “क्या मोन्टी को भगा दिया जाये?” तो मृनाली बोली, “नहीं कल रात मोन्टी ने मुझे ना तो काटा और ना ही कोई नुकसान पहुँचाया, बस मेरी चूत को जम कर चोदा!”

मैं मज़ाक में मृनाली से बोला, “काश मेरा भी लंड मोन्टी के जैसा मोटा और लम्बा होता!”

मृनाली बोली, “नहीं तुम्हारा लंड बहुत बड़ा है लेकिन कुत्ते का लंड तो कुत्ते का ही है!”

मैं मृनाली से बोला, “शायद तुम पहली या आखरी औरत नहीं हो जिसकी चूत कुत्ते के लंड से चुदी हो।“

मृनाली बोली, “मैं मैगज़ीन और किताबों में पढ़ चुकी हूँ कि औरतें कुत्ते से चुदवाना पसंद करती हैं!”

मुझे मृनाली की बात सुन कर बहुत ताज्जुब हुआ और सोचने लगा कि मृनाली ऐसा क्यों कह रही है। हम लोग लेटे हुए बात कर रहे थे। मोन्टी बार-बार मृनाली के पास आ रहा था और अपना नथुना मृनाली की चूत के पास ला रहा था, लेकिन मृनाली बार-बार उसको हटा रही थी। मोन्टी का लंड अब खड़ा होने लगा था और वो फूल कर लटक रहा था। मोन्टी का मोटा खड़ा लंड देख कर मृनाली अपने होंठ चाट रही थी। अब तक धूप काफ़ी निकल आयी थी और मुझको गरमी लग रही थी। इसलिए मैं मृनाली से बोला कि, “मैं घर के अंदर जाता हूँ, क्या तुम भी आना चाहती हो?”

मृनाली बोली, “नहीं मैं बाहर ही रहुँगी!”

मैंने फिर पूछा, “क्या मैं मोन्टी के लेकर जाऊँ?”

तो मृनाली बोली, “नहीं रहने दो। इसको बाहर ही रहने दो।”

मैं एक पेड़ के पीछे जाकर छाँव में बैठ गया और सोने की तैयारी करने लगा। मृनाली मुझको मुड़-मुड़ कर देख रही थी। मैं समझ गया वो मुझको सोते देखना चाहती है। इसलिए मैं आँख बँद करके सो गया। करीब पाँच मिनट के बाद उसने मेरा नाम पुकारा लेकिन मैं चुप रहा और सोने का बहाना करता रहा। फिर मृनाली भी एक पेड़ के नीचे जाकर लेट गयी और अपने सैंडल से मोन्टी का लंड, जो कि अभी तक पूरा खड़ा नहीं हुआ था, छूने लगी। मोन्टी अब मृनाली के और पास गया। मृनाली ने तब मोन्टी को और पास खींच लिया और उसका लंड अपने हाथ से पकड़ कर हिलाने लगी। सिर्फ़ दो मिनट के बाद मोन्टी का लंड खड़ा हो गया और चूत में घुसने के लिए तैयार हो गया।

मोन्टी जल्दी से मृनाली के ऊपर चढ़ गया। मृनाली चित्त लेटी हुई थी। मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मृनाली कैसे चित्त लेट कर मोन्टी से चुदवायेगी। मृनाली ने मोन्टी को अपने और ऊपर खींच लिया। अब मोन्टी का खड़ा लंड मृनाली की चूंची के ऊपर था। मृनाली ने मोन्टी को और ऊपर खींचा। अब मोन्टी का लंड ठीक मृनाली के मुँह के उपर था। मृनाली ने अपनी जीभ निकाल कर धीरे से मोन्टी के मोटे खड़े लंड को चाटा। अब मृनाली ने धीरे से मोन्टी का लंड अपने मुँह के अंदर लिया और उसको जोर-जोर बड़े मज़े से चूसने लगी और साथ-साथ अपने एक हाथ से अपनी चूत में उँगली डाल कर अंदर बाहर कर रही थी।

थोड़ी देर बाद मृनाली ने अपने मुँह से मोन्टी का लंड निकाला और मोन्टी का लंड अपनी चूची पर रगड़ने लगी और दूसरे हाथ से उसके गोल-गोल गोटे सहलाने लगी। मोन्टी ने बड़ी जोर से एक बार अपनी कमर हिलायी और मृनाली की चूची, मुँह और चेहरे पे झड़ने लगा। मृनाली धीरे से अपनी जीभ निकाल कर अपने मुँह और चेहरे पर गिरा मोन्टी का माल चाटने लगी। मुझे यह देख कर बड़ी हैरानी हुई क्योंकी आज तक मृनाली ने इतने जोश और इच्छा से कभी मेरा लंड मुँह में ले कर नहीं चूसा था, लेकिन आज वो मोन्टी का लंड बड़े मजे से चूस रही थी।

अब मृनाली धीरे से नीचे सरक कर अपनी चिकनी चूत मोन्टी के मुँह के पास ले गयी। मोन्टी अब मृनाली की गाँड से लेकर उसकी चूत की घुँडी तक चाटने लगा। मोन्टी के चूत चाटने से मृनाली झड़ गयी और बड़ी हसरत भरी निगाहों से मोन्टी के लंड की तरफ़ देखने लगी। सिर्फ़ दो-तीन मिनट के बाद ही मोन्टी का लंड फिर से खड़ा होने लगा और अब मुझको समझ में आने लगा कि मृनाली मोन्टी को एक बार झड़ लेना चाहती थी जिससे कि मोन्टी खूब देर तक मृनाली की चूत की अपने लंड से चुदाई कर सके।

अब मृनाली अपने हाथ-पैर के बल झुक कर कुतिया जैसी हो गयी। अब कुत्ता पीछे से आकर मृनाली कि चूत सूँघ कर फिर से चाटने लगा और फिर मृनाली के ऊपर चढ़ गया। अब मोन्टी का लंड मृनाली के चूत के छेद के सामने था और मृनाली ने अपना हाथ पीछे ले जाकर मोन्टी का लंड अपनी चूत के छेद से मिला दिया।
यह कहानी भी पढ़े : इंस्टिट्यूट में काव्या के साथ सेक्स

अब मोन्टी अपनी कमर को धीरे-धीरे से चला कर अपना लंड धीरे-धीरे मृनाली की चूत के अंदर डालने लगा और धीरे-धीरे मृनाली की चूत को चोदने लगा। कुत्ते का लंड मृनाली के चूत-रस से भीग कर बहुत चमक रहा था। मोन्टी के मोटे लंड से मृनाली की चूत का छेद बहुत फैल गया था और मुझ को लग रहा था कि कल रात की चुदाई से मृनाली का छेद मोन्टी का लंड आसानी से भीतर ले लेगा। मोन्टी अब अपने मोटे लंड को करीब ५ इन्च बाहर निकाल रहा था और पूरे जोर से अंदर पेल रहा था। मुझे अब साफ़-साफ़ मृनाली की चूत से चुदाई की आवाज सुनाई पड़ रही थी। मोन्टी ने करीब १५ मिनट तक मृनाली की चूत का मंथन किया और इतने समय में मृनाली करीब ५ बार झड़ी क्योंकि मृनाली हर बार झड़ने के साथ बहुत बड़बड़ा रही थी।

आखिरकार मोन्टी अब ठंडा पड़ चुका था पर उसक लंड मृनाली के चूत में फँस गया था। मोन्टी मृनाली की पीठ से अपने आगे के पैर हटा कर मुड़ गया और अब दोनों की गाँड से गाँड चिपकी हुई थी और दोनों हाँफ रहे थे। जब मृनाली की साँसें सामान्य हुई और वो गर्दन घुमा कर देखी तो मुझसे नजरें टकरा गयी। वो हँस कर बोली कि, “मोन्टी का लंड बहुत मोटा और लम्बा है और कल रात की चुदाई से मेरी चूत लंड की ठोकर खाने के लिए तड़प रही थी। फिर यह कुत्ता तो कल चला ही जयेगा इसलिए मैंने इसके लंड से फिर एक बार अपनी चूत मरवा ली। क्या बताऊँ बहुत ही मज़ा आया। जब मोन्टी धक्के मारता है तो लगता है उसका लंड मेरे मुँह से निकल कर बाहर आ जायेगा । मैं तो अब इससे गाँड भी मरवाना चाहती हूँ।”

इतनी देर में कुत्ते का लंड ‘प्लॉप’ की आवाज के साथ मृनाली की चूत से निकाल आया। मुझे मृनाली के चूत का फ़ैला हुअ छेद अब साफ़-साफ़ दिख रहा था और उसमें से मोन्टी का माल टपक रहा था। मृनाली की चूत का मटर दाना (क्लिट) और चूत की पपड़ी बिल्कुल फूल कर लाल पड़ चुकी थी। मैं जब मृनाली से झील में जाकर नहाने के लिए बोला तो वो मेरा लौड़ा पकड़ कर बोली कि, “चलो तुम भी नहा लो क्योंकि तुम मेरी चुदाई देख कर गरम हो गये हो और अब तो तुमहारे कज़न का भी आने का समय हो गया है।”

मैं बोला, “जब तुम मोन्टी से इतनी अच्छी तरह से चुदवा सकती हो तो मैं आज रात को तुमसे अपना लंड चुसवाऊँगा और तुम्हारी गाँड भी मारूँगा।”

मृनाली बोली, “ठीक है, पहले मैं तुम्हारा लौड़ा चूसूँगी और फिर तुम मेरी गाँड में अपना लंड पेल कर मेरी गाँड फाड़ देना। बस अब चलो नंगे होकर झील में नहाते हैं।”

मेरा चचेरा भाई शाम को हमारे घर आया और हमसे बोला कि, मैं ६ महीने के लिए विदेश जा रहा हूँ और मोन्टी को किसी के हाथ बेच कर जाऊँगा। मृनाली मेरी तरफ़ तीरछी नज़रों से देखने लगी लेकिन कुछ बोली नहीं। मैं मृनाली के तरफ़ देखते हुए भाई से बोला, “अगर सिर्फ़ ६ महीने की बात है तो हम लोग मोन्टी को अपने पास रख लेंगे क्योंकि हमारा घर भी बड़ा है और हम लोग बिल्कुल अकेले रहते हैं।” मृनाली मेरी तरफ़ देख कर मुस्कुराई और धन्यवाद दिया।