मेरी चालू बीवी-106

मैं भी उसकी बात को समझ गया पर क्या कहता?

मैं- हाँ मेरी जान, सही से दूध अपने बर्तन में लिया करो, ऐसे बेकार मत किया करो।

और मुस्कुरा दिया, वो भी मुस्कुरा रही थी।

मैं- अच्छा कितने बजे निकलना होगा?

सलोनी- शायद दोपहर के बाद ही… ऐसा करते हैं हम अपनी गाड़ी लेकर ही निकलते हैं।

मैं- ठीक है, देख लेना, और कोई आना चाहे तो ! मैं ऐसा करता हूँ ऑफिस जाकर सब काम सेट करके आ जाता हूँ।

सलोनी- ठीक है.. पर जल्दी आ जाना।

और मैं जल्दी से तैयार होकर ऑफिस के लिए निकल गया यह सोचता हुआ कि बहुत मजा आने वाला था शादी में!!

ऑफिस में कुछ जरुरी काम निबटाकर और नीलू को सारे काम समझाकर मैं जल्दी ही वापस आ गया।

यहाँ भी सलोनी ने सभी तैयारी कर ली थी, हम लोग जल्दी ही जाने के लिए तैयार हो गए।

अरविन्द अंकल और नलिनी भाभी भी हमारे साथ ही जा रहे थे।

सलोनी ने लाइट ब्लू जीन के कपडे का फैंसी शॉर्ट और लाल सेंडो टॉप पहना था जबकि नलिनी भाभी ने एक टाइट केप्री और टी शर्ट डाला हुआ था।
दोनों ही बहुत सेक्सी दिख रही थी।

मैं और अंकल आगे बैठ गए जबकि वो दोनों पीछे बैठ गई।

तभी मेहता अंकल हमारे पास आये, उन्होंने सलोनी और नलिनी भाभी दोनों की तारीफ की- क्या बात है मेरे बच्चों !! दोनों बहुत सुन्दर लग रही हो… अरे अंकुर बेटा, तुम्हारी गाड़ी में तो एक और भी आ सकता है ना?

मैं सोच ही रहा था कि क्या ये खुद हमारे साथ आने वाले हैं या अपनी किसी बेटी को भेजेंगे।
मैं- हाँ अंकल कोई पतला दुबला सा हो तो भेज दो… हा हा…

मेहता अंकल- अरे बेटा, वो रिया के ससुराल से है, वो तुम लोगों के साथ एडजस्ट भी हो जायेगा।

मैंने बस हाँ कहा, पता नहीं कौन है यह।

तभी अंकल एक 40-42 साल के आदमी को लेकर आये, नेकर और टी शर्ट में वो कोई एन आर आई ही लग रहा था।

अंकल ने उसको सबसे मिलवाया- ये हैं मि जॉन…

वो लंदन से ही आया था।

अरे ये तो रिया के ससुर निकले, शायद रिया के हस्बैंड नहीं आ पाये थे… या फिर बाद में आएंगे।
रिया इन्हीं के साथ आई थी।

इसका मतलब इनकी उम्र तो ज्यादा होगी पर इन्होंने खुद को काफी मेन्टेन कर रखा है।
वो खुद ही सलोनी की ओर वाला दरवाजा खोल अंदर बैठ गए।

वो लम्बे चौड़े थे इसलिए सलोनी बीच में पिचक सी गई।

मैंने एक ही बार पीछे घूमकर देखा… सलोनी और उनकी नंगी जांघें आपस में टकरा रही थी।

पर मैंने एक बात नोटिस की, सलोनी अपने पैरों को सिकोड़ रही थी, जबकि वहीं वो उससे चिपकने की कोशिश कर रहे थे।

मगर वो अंकल काफी हंसमुख थे.. कुछ समय में ही वो हमसे घुलमिल गए।

अब सलोनी उनके साथ कम्फर्ट से बैठी थी, उसका संकोच काफी हद तक समाप्त हो गया था।
अब दोनों एक दूसरे से हाथ मारकर भी बात कर रहे थे।

बीच में एक जगह जॉन अंकल बहुत ही फॉरमल होकर बोले- अंकुर, इधर कहीं टॉयलेट नहीं है क्या?

हम सभी हंस पड़े…

मैं- अरे अंकल यह इंडिया है… यहाँ आप कहीं भी एक किनारे कर सकते हैं… वैसे भी दोनों ओर जंगल ही है।

जॉन अंकल- अरे हाँ… तो फिर कहीं रोको यार… यहाँ तो बहुत प्रेशर लगा है भाई।

मैंने एक जगह चौड़ी जगह देख साइड में गाड़ी लगा दी, जॉन अंकल उतरकर टॉयलेट करने की जगह देखने लगे।

मैंने ध्यान दिया कि उनका नेकर में लण्ड तना खड़ा है, उभार साफ़ महसूस हो रहा था।
मतलब सलोनी की रगड़ से उनका यह हाल हुआ है।

तभी नलिनी भाभी बोली- अंकुर किसी ऐसी जगह रोकते जहाँ हम भी फ्रेश हो लेते, हमको भी काफी देर हो गई है।

सलोनी- हाँ भाभी कह तो आप सही रही हो।

अरविन्द अंकल- अरे तो इसमें इतना सोचना क्या है? यहाँ भी कौन आ रहा है, जाओ और कर लो ना कहीं एक तरफ।

नलिनी भाभी- पर किसी ने देख लिया तो?

अरविन्द अंकल- पागल है तू तो, अरे कौन देखता है किसी को मूतते हुए… और देख भी लिया तो तेरा क्या चला जायेगा? उधर देख वो कितने मस्त होकर कर रहा है।

सभी ने सामने देखा… गाड़ी से कुछ आगे सामने ही जॉन अंकल मूतने के बाद तेजी से अपने लण्ड को हिला रहे थे, लण्ड अभी भी खड़ा था… इसलिए वहाँ से भी दिख रहा था।

तभी बाइक से एक लड़का वहाँ से गुजरा, उसके पीछे एक लड़की बैठी थी, वो मुस्कुराते हुए जॉन अंकल को देख रही थी।

अरविन्द अंकल- लो देख लो… हम मर्दों का नाम वैसे ही ख़राब कर रखा है। अब ये कैसे मस्ती ले रही है… हा हा हा…

सभी हंस पड़े।

सलोनी- चलो भाभी उतरो नीचे… हम भी देखें कोई जगह…!

नलिनी भाभी- अरे पगला गई है क्या… यहाँ खुले में कैसे?

सलोनी- अरे आप उतरो तो… वो पीछे शायद जगह है… वहाँ झाड़ियों में देखते हैं। पहले आप कर लेना, मैं बाहर देखती रहूंगी, फिर मैं कर लूंगी… चलो तो!

और दोनों नीचे उतर कर गाड़ी के पीछे की ओर चले गए।

अरविन्द अंकल- चल अंकुर, हम भी कर लेते हैं।

फिर हम दोनों भी बाहर आ गए।

तब तक जॉन अंकल हमारी ओर ही आ रहे थे, बोले- अच्छा हुआ… तुम दोनों भी कर लो, जाओ।

हम दोनों भी एक ओर मूतने लगे…

मैंने देखा जॉन अंकल गाड़ी से पानी की बोतल निकाल, पानी पीते हुए उधर ही देख रहे हैं जिधर वो दोनों शू शू करने गई थी।

तभी मुझे उस ओर नलिनी भाभी दिखाई दी, वो पेशाब करने के बाद उठ रही थी, मुझे दूर से साफ़ साफ़ तो नहीं… पर इतना पक्का था कि जॉन अंकल ने उनके मस्त गदराये चूतड़ जरूर देख लिए होंगे।

नलिनी भाभी ने भी अपने चूतड़ों को कई बार इधर उधर मटकाकर ही अपनी कैप्री को ऊपर किया।

फिर मैंने देखा कि सलोनी भी उधर ही चली गई और अपने शॉर्ट्स को नीचे करते हुए बैठ गई।

तभी जॉन अंकल पानी की बोतल लिए उधर ही चले गए, नलिनी भाभी हाथ से उनको मना कर रही थी, मगर वो उनके पास ही चले गए, मेरा भी हो गया था तो मैं भी जल्दी से उनके पास पहुँच गया।
मुझे उनकी बात सुननी थी।

जॉन अंकल- अरे बेटा.. मैं ये पानी लाया हूँ… लो अपनी उस जगह को अच्छी तरह साफ़ कर लो।

जब भी ऐसे बाहर टॉयलेट करते हैं तो जर्म्स लग जाते हैं, उसको धोना बहुत जरूरी होता है।

और नलिनी भाभी ने बोतल ले ली- ठीक है, अब आप तो जाइये, हम कर लेंगे।

जॉन अंकल भी ढीठता से हँसते हुए वहीं खड़े रहे।

मैंने देखा तभी सलोनी भी उन झाड़ियों से उठ खड़ी हुई, उसके तो चूतड़ बिल्कुल ही साफ दिख रहे थे।

उसने अपने हाथ में किसी कपड़े से ही अपनी चूत को साफ किया और फिर झुककर अपने शॉर्ट्स को ऊपर किया।

मैंने देखा जॉन अंकल घूर कर वहीं देख रहे थे। हो सकता है कि उनको सलोनी की चूतड़ों से झांकती चूत भी दिख गई हो क्योंकि वापस आते हुए उनका नेकर उनके लण्ड के उभार को अच्छी तरह दिखा रहा था और उनका चेहरा भी पूरा लाल था।

फिर ऐसे ही मस्ती करते हुए हम शादी वाली जगह पहुँच गए।
यहाँ तो चारों ओर मस्ती ही मस्ती नजर आ रही थी, बहुत ही शानदार होटल था, सभी कमरे ए सी थे और 3-4 लोगों के लिये एक कमरा सेट था।

हम चारों ने अपना सामान एक कमरे में सेट कर लिया था, अरविन्द अंकल और हम..!!
कहानी जारी रहेगी।