उधर से आवाज आई नील की- वाह सोनम ! बहुत अच्छे ! कितना अन्दर गया? ‘ऊओह… नील ! अभी तो बास आगे का मोटा सा नॉब ही अन्दर घुसा है… उफ़्फ़्… कितना मोटा है यह ! तुम्हारे लण्ड से तो डेढ़ गुना मोटा और शायद डेढ़ गुना ही ज्यादा लम्बा है यह !’ सोनम मेरी […]
Tag: बेचारा पति
मेरी चालू बीवी-5
पारस- उधर देखो भाभी, वो कैसे देख रहा है। सलोनी- हट मैं नहीं देखती… देखने दे उसको, जो देख रहा है। पारस- बहुत देर से पीछे चल रहा है। सलोनी- मुझे पता है मेरे चूतड़ देखकर पहले इशारा भी कर रहा था। पारस- अच्छा कौन सा? सलोनी- फ़क यानि चुदाई का, और कौन सा, मैं […]
मेरी चालू बीवी-2
मैं उनकी ये सब हरकतें देख चुपचाप बाहर आ गया और सोचने लगा कि क्या करूँ। मैं कुछ देर के लिए बाहर आकर अपना सर पकड़कर बैठ गया। एक पल तो मुझे लगा कि मेरी दुनिया पूरी लुट गई है, मैं लगभग चेतनाहीन हो गया था पर जब अंदर से कुछ आवाजें आईं तब मैं […]
बदलते रिश्ते -2
सास, ननद, जेठ, देवर के नाम पर उसने किसी को नहीं देखा। वह अपने अनाड़ी पति के वारे में सोचती तो उसे अपने भाग्य पर बहुत ही क्रोध आता। किन्तु अब हो भी क्या सकता था। फिर वह सब्र कर लेती कि चलो बस औरतों के मामले में ही तो अनमोल शर्मीला है। बाकी न […]
बदलते रिश्ते -4
रामलाल बोला- बहू, तेरी तो वाकयी बहुत ही चुस्त है। कुदरत ने बड़ी ही फुर्सत में गढ़ी होगी तेरी योनि। अनीता बोली- आपका हथियार कौन सा कम गजब का है। पिता जी, सच बताइए, सासू जी के अलावा और कितनी औरतों की फाड़ी है आपके इस मोटे लट्ठे ने? रामलाल अनीता की योनि में लगातार […]
बदलते रिश्ते -3
अनीता को अब यह सब बर्दाश्त के बाहर होता जा रहा था, जब रामलाल ने भांपा कि अब अनीता उसका बिल्कुल विरोध करने की स्थिति में नहीं है तो बोला- आ बहू, बैठ कर बात करते हैं। तुझे अभी बहुत कुछ समझाना बाकी है। अच्छा एक बात बता, मेरा प्यार से तेरे ऊपर हाथ फिराना […]
बदलते रिश्ते -10
अनीता ने पूछा- तू बता इतनी जल्दी कैसे वापस आ गई? क्या मौसा जी की याद खींच लाई। सुनीता ने सर हिलाकर हामी भरी और बोली- दीदी, तुमने वह सीडी दिखाकर मेरे तन-बदन में जो आग लगाई है न, वो अब बुझाये नहीं बुझ रही है। मन में आया कि चलकर मौसा जी से ही […]
बहू-ससुर की मौजाँ ही मौजाँ-4
मेरी चालू बीवी-116
मामाजी- हा हा… वैसे बेटी, बुरा मत मानो तो एक बात पूछूँ? सलोनी- जी हाँ, क्या? मामाजी- क्या अंकुर के अलावा तुमने आज मुझसे ही चुदवाया है या फिर किसी और से भी? देखो सच-सच बताना? उनकी बातचीत का विषय देख मेरे कान भी खड़े हो गए, मेरी चुदाई की गति कम हो गई क्योंकि […]
मेरी काम वासना के रंगीन सपने -1
पिताजी के तीन और भाई थे.. सब अच्छी पढ़ाई और तरक्की की वजह से अच्छे दिन देख रहे थे। पिताजी पढ़ाई में उतने होशियार और तेज नहीं थे.. ऊपर से बचपन से ही उनमें आत्मविश्वास और खुद्दारी की कमी थी.. धीरज और कर्मठता कम थी। उनकी एक ही खूबी यदि कोई थी.. तो वो कि […]