वो लहंगा पहने हुई थी और बला की खूबसूरत दिख रही थी।
मैंने कहा- आप बहुत खूबसूरत लग रही हो.. ऐसा लग रहा है कि आपकी ही शादी हो।
वो मेरी तरफ देख कर तनिक मुस्कुराई।
मैंने कहा- एक बात तो हो सकती है कि शादी तो आपकी नहीं है, लेकिन सुहागरात तो हो सकती है।
नेहा बोली- बड़े शरारती हो..
मैं बोला- इतनी खूबसूरत लड़की को देख कर तो कोई भी शरारती बन सकता है।
इस पर वो फिर मुस्कुरा दी।
नेहा बोली- चलो अब देर हो रही है।
मैंने कहा- मुझे एक बार क्रीम का कमाल देखना है।
नेहा बोली- नहीं.. अभी नहीं।
मेरे बार बार कहने पर वो फिर चुप हो गई।
उसकी चुप्पी को मैंने रजामंदी समझा।
वो खड़ी थी और मैं नीचे बैठ गया और धीरे-धीरे उसके लहंगे को उठाने लगा।
नेहा ने अपना लहंगा पकड़ लिया और बोली- अभी छोड़ दो.. बाद में देख लेना।
मैंने सोचा कि यह मौका हाथ से नहीं जाने देना है… और मैंने उसके हाथों से लहंगा छुड़ाया और धीरे-धीरे उसे ऊपर उठा दिया।
वो गुलाबी रंग की पैंटी पहने थी।
मैंने धीरे से उसकी पैंटी नीचे खिसका दिया और मेरे आँखों के सामने हेयर रिमूवर क्रीम का कमाल था।
बिल्कुल चिकनी चूत… एकदम गोरी और गुलाबी। मैंने उसकी चूत को चुम्बन किया और थोड़ा सा फैला कर उसकी चूत के बीच में अपनी जीभ डाल दी।
नेहा की आँखें बंद थीं.. शायद उसे अच्छा लग रहा था या शर्मवश उसकी आँखें बंद हो गई थीं।
थोड़ी देर के बाद वो बोली- अब चलो.. देर हो रही है।
मैंने उसकी आँखों में याचना का भाव देखा और उसे छोड़ दिया।
फिर हम वहाँ आ गए.. जहाँ शादी होनी थी।
मेरा ध्यान तो बार-बार नेहा की तरफ जा रहा था।
इस तरह कुछ समय बीता और फिर बारात आ गई।
बैंड बज रहे थे.. लोग नाच रहे थे।
नेहा भी खड़ी थी और उसके पीछे मैं खड़ा था और मेरे पीछे एक दीवार थी।
जैसे-जैसे बैंड तेज हो रहा था.. लोग उतनी ही जोश से नाच रहे थे।
भीड़ बढ़ती जा रही थी.. अब नेहा आगे खड़ी थी और मैं उसके ठीक पीछे खड़ा हुआ था।
उसके चूतड़ मेरे लंड से सट रहे थे… मैं रह-रह कर उसके चूतड़ों को सहला देता।
उसे भी मजा आ रहा था, जैसे भीड़ बढ़ती वो मेरे थोड़ा और करीब आ जाती।
मेरा लण्ड एकदम खड़ा था और उसकी गाण्ड में सट रहा था।
मुझे लग रहा था कि बस यहीं उसे आगे की तरफ झुका कर चुदाई कर दूँ।
इस तरह जब तक लोग नाचते रहे.. मेरा लंड नेहा की गाण्ड से सटा रहा।
फिर नेहा बाकी लोगों के साथ चली गई और मैं भी दूसरे कामों में लग गया।
इस तरह रात के एक बजे कार्यक्रम ख़त्म हुआ और फिर लोगों को होटल पहुँचाने में मैं व्यस्त हो गया।
कुछ लोग होटल जाकर वहाँ से अपने घरों को लौटने लगे।
सबसे आखिर में मैं नेहा को लेकर होटल वापस आया और उसको उसके कमरे तक छोड़ा।
कमरे से निकलते समय मैंने उसे चुम्बन किया और बोला- आज की रात मैं तुम्हारे साथ रहूँगा।
वो बोली- जल्दी आना.. मैं इन्तजार कर रही हूँ।
अब नेहा की चूत चुदाई का वक्त पास ही था।
मैं बाहर आया, काफी लोग जा चुके थे।
नेहा के कमरे के दो कमरे बाद एक कमरा खाली था।
मैंने उस कमरे में आकर कपड़े बदले।
करीब 2 बजे जब सारे लोग सो चुके थे तो मैंने नेहा को कॉल किया और बोला- दरवाजा खोल दो।
उसने दरवाजा खोल दिया, थोड़ी देर में मैं उसके कमरे में था।
इससे आगे की कहानी, मैं अगले भाग में आपको बताऊँगा।
मुझे आपकी प्रतिक्रियाओं का इन्तजार रहेगा।
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