हुआ यूं था कि मेरे वो मामू बहुत जहीन हैं, तो मैं अकसर उनसे पढ़ने जाया करती थी और उस नासमझ उम्र में उनकी काबलियत पर मर मिट कर मैंने अपना सब कुछ मन-तन उन्हें तब दे दिया था जब मुझे उस सब के मायने भी सही से नहीं पता थे।
हम आज भी एक दूसरे को चाहते हैं, आपस में निकाह करना चाहते हैं, लेकिन डरते हैं क्योंकि मेरे अब्बू बहुत कड़क किस्म के इंसान हैं,
यह जान लेने पर कि मैं अपने मामू के लिए और मेरे मामू मेरे लिए क्या चाहते हैं, वे हमें मरवा ही देंगे. मेरी अम्मी भी मेरे अब्बू के सामने थर थर कांपती हैं, ऐसा कोई नहीं जिससे हम अपना जाहिर कर सकें।
मुझ में इतनी हिम्मत नहीं कि मैं खुद से घर वालों के बिना कुछ कर सकूँ.
मेरी एक सहेली रुखसाना मेरी राजदार है, उसी ने मुझे अन्तर्वासना पर अपनी समस्या भेजने को कहा, उसने बताया कि पिछले काफी दिन से इसी तरह की समस्यायें इस प्यारी साईट पर प्रकाशित की जा रही हैं तो हम दोनों ने अपनी अपनी समस्या अन्तर्वासना पर भेजने का फैसला किया।
शायद आप में से कोई मेरी समस्या का हल बता सके…