Tag: मामा भांजी

सेक्स की सुगंध, सेक्स के कितने रंग

एक दिन घर में मैं अकेली थी, पति ऑफिस गए थे। मैंने सिर्फ एक पतली सी नाईटी पहनी थी। मुझे पता था कि इस नाईटी से मेरा सारा बदन झलक रहा था, मगर मुझे घर के अंदर किस का डर था तो मैं आराम से नाश्ता करके लेट गई और टीवी देखने लगी। काम वाली […]

मेरी गांड मारने की मामा की ख़्वाहिश पूरी की-1

कुछ पल के बाद हम दोनों एक दूसरे से अलग हो गये, जब अलग हुए तो मेरी नज़र मामा के लंड पर गयी जो एकदम सुकड़ गया था काले खजूर के जैसे. मामा जल्दी से फ्रेश होने बाथरूम चले गये, मैं भी बर्तन धोने लगी. बर्तन धोने के बाद मैं फ्रेश होने बाथरूम चली गयी, […]

मेरी गांड मारने की मामा की ख़्वाहिश पूरी की-2

किस करते हुए मामा जी का हाथ अब मेरी गांड की तरफ बढ़ रहा था, पीछे से मामा मेरी शॉर्ट्स में हाथ घुसने लगे, मामा जी का हाथ मेरी पेंटी की अंदर घुस कर मेरी दोनों कूल्हों को सहलाने लगा, मैं गर्म होने लगी, मेरी चूत में गर्म पानी आने लगा, मैं नहीं चाहती थी […]

सगी भानजी की कोरी गांड मारी

यह कह कर मैं अपना लंड दोनों के गालों में सटाने लगा. सबसे पहले मेरी भांजी पिंकी ने मेरे लंड को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगी. उसकी देखा देखी रेखा ने भी मेरे लंड को उसके मुँह से छीन कर अपने मुँह में ले लिया. इस तरह से दोनों मेरे लंड के […]

मामा ने ढूंढा तिल

मैं अंकल को अपनी गांड दिखाते हुए बैठ गई. मैं साफ़ देख रही थी कि अंकल का लंड खड़ा हो चुका था. हम लोग उस दिन सोफ़े पर बैठ कर नाश्ता कर रहे थे. तभी राज ने कहा कि वो आज दिल्ली से बाहर जा रहा है, कल तक आ पाएगा. कुछ देर बाद राज […]

मेरी भांजी की चूत का मूहूर्त

एक दिन की बात है, मेरी कजिन सिस का मैरिज़ हुआ था। तो हम और रीता अपनी बुआ, कजिन सिस्टर और जीजाजी के साथ अपनी बुआ के गांव जा रहा था। हम गांव ट्रेन से गये। लेकिन गांव स्टेशन से ३ किमी दूर था सो बुआ ने गांव से बैलगाड़ी का इन्तज़ाम किया था। जब […]

मामा जी ने चोदा

एक रोज रात को मामाजी करीब साढ़े गयारह बजे घर पर आये। मैं जॉली को सुला रही थी, सोते वक्त जोली रोने लगी, मुझे बहुत दया आई और अपनी शर्ट को खोलकर जॉली को अपना चुचूक चुसाने लगी। चुसाते-पिलाते कब जाने नींद लग गई। जब मेरी नींद उड़ी तो देखा मामाजी के हाथ मेरे स्तनों […]

पंख निकल आये-2

रति घबराहट भरी आँखों से खुले दरवाजे के पर ताके जा रही थी। सामने गार्डन में पेड़ों का झुरमुट था। कोई प्रांगण में आये भी तो वह वृक्ष-शृंखला पारदर्शी पर्दे का कार्य करती थी। रोहित ने उसकी घबराहट जान कर उसे अपनी ओर घुमा लिया और कहा- इस तरफ मुँह कर ले, कोई आया तो […]

पंख निकल आये-1

जूनियर कालेज में आकर उसने माँ से कहा- मम्मी मेरी सारी फ्रेंड्स के पास पता नहीं कब से ब्लैक-बैरी हैं, कम से कम अब तो मुझे भी एक दिला दो। बस इतनी सी बात पर माँ गुस्सा झाड़ने लगी- अभी से मोबाइल का तू क्या करेगी, तेरा कोई बॉय-फ्रेंड है जो तुझे अब यह खिलौना […]

मामाजी के साथ वो पल

वहाँ दोपहर को सबकी सोने की आदत है, उस दिन भी सब सो रहे थे और मैं और मामा पीछे के कमरे में बिस्तर पर बैठ कर बातें कर रहे थे। बातें करते करते मैं लेट गई, मामा वहीं पीठ टिका कर बैठे थे इसलिए मेरे स्तन उन्हें साफ़ दिखाई दे रहे थे। उनकी आँखे […]