मन्त्र-जाल से चाची सास को चोदा-3

सासूजी को बहुत शर्म सी लग रही थी.. पर मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था। मैं पाँव के ऊपरी हिस्से में घुटने तक तेल लगाने लगा।

अब मैं अपने हाथ उनके पूरे पैर पर घुमा रहा था.. सासूजी ने अपनी आँखें बंद कर रखी थीं। वो ये सब बर्दाश्त कर रही थीं और मुझे अपने मन मर्ज़ी करने का मौका मिल रहा था

फिर मैंने सासूजी की साड़ी को घुटनों तक ऊँची उठाई.. तो उन्होंने अपनी आँखें खोलीं और नाटक करके कहने लगीं- ये सब करना ज़रूरी है?

तब मैंने भी कहा- अगर आपको ठीक नहीं लगता.. तो नहीं करते हैं।

तब उन्होंने मन ही मन कुछ सोचने का नाटक किया और बोलीं- आप वायदा करो कि ये विधि वाली बात किसी को नहीं कहोगे।
तब मैंने उन्हें प्रोमिस किया कि ये बात हम दोनों के बीच ही रहेगी।
तब वो शान्त होने का नाटक करते हुए बोलीं- ठीक है.. आपको जो ठीक लगे करो।

अब मेरा रास्ता पूरी तरह साफ़ था। अब फिर से मैंने उनकी साड़ी घुटनों तक ऊँची उठाई और उन्होंने अपनी आँखें बन्द कर लीं। मैं उनके पाँव पर घुटनों तक धीरे-धीरे तेल लगाने लगा।

अब धीरे-धीरे सासूजी के चेहरे का रंग भी बदल रहा था.. उनका चेहरा थोड़ा सा लाल होता जा रहा था.. शायद वो भी मेरे हाथ का मज़ा ले रही थीं। फिर मैंने तेल अपने हाथ में लिया और साड़ी के अन्दर हाथ डालकर उनकी जाँघों पर तेल लगाने लगा।

ओह्ह.. क्या बताऊँ दोस्तों.. सासूजी की जांघें इतनी कोमल और मुलायम थीं.. ऐसा लग रहा था.. जैसे फूलों पर हाथ फेर रहा होऊँ।
अब मुझे इसमें और भी ज़्यादा मज़ा आने लगा था।

उनके मुँह से आवाजें निकल रही थीं.. वो अपने दाँतों के बीच होंठ दबा रही थीं।

फिर मैंने सासूजी को खड़े होने को कहा तब वो खड़ी हो गईं और मैं अपने घुटनों पर बैठ गया और तेल हाथ में लेकर साड़ी में हाथ घुसा कर पाँव के पिछले हिस्से में ऊपर से नीचे तक तेल लगाने लगा।

मुझे ऐसा करके बहुत मज़ा आ रहा था और मेरा दिल कर रहा था कि ये पल यहीं रुक जाए।

मैं अपना हाथ उनकी गाण्ड तक ले जाता था और नीचे ले आता था। मैंने कई बार उनकी अंडरवियर की लाइन को टच किया। जब भी मेरा हाथ उनकी गाण्ड के करीब आता.. वो सहम जाया करती थीं..

फिर मैं खड़ा हो गया और सासू का हाथ अपने हाथों में ले लिया और तेल लगाने लगा.. पर ब्लाउज के चलते पूरे हाथ में लगाना मुश्किल था।

मैंने उनसे कहा- ऐसे कपड़ों के साथ मैं तेल लगा नहीं पाऊँगा.. और वैसे भी नीचे का हिस्सा अभी बाकी रह गया है।

तब वो समझ गईं और अन्दर के कमरे में जाकर सिर्फ़ पेटीकोट और ब्रा पहन कर और अपने बालों को खोल कर आ गईं।
जब वो आईं.. तो ऐसा लग रहा था कि जैसे स्वर्ग से कोई अप्सरा उतर आई हो।
लेकिन वो बहुत शर्मा रही थीं.. फिर भी वो आकर चौकी पर बैठ गईं..

फिर मैंने उनके बालों में तेल लगाया और कुछ तेल अपने हाथ पर लिया और उनके कन्धों पर लगाने लगा।

उनके कंधे की त्वचा एकदम मखमली रज़ाई जैसी थी और कंधे पर तेल लगाते-लगाते.. मैं उनके मम्मों के ऊपरी हिस्सों में तेल लगाने लगा। उनके मम्मे ब्रा में समा नहीं पा रहे थे और उभर कर बाहर आने को बेताब थे।

फिर मैं तेल हाथ में लेकर उनकी पीठ पर लगाने लगा।
ओह.. उनकी त्वचा का स्पर्श एकदम सुखदायी था।

सासू भी अब मेरे हाथ के स्पर्श का आनन्द ले रही थीं। वो कुछ बोल तो नहीं रही थीं.. पर उनका चेहरा लाल हो चुका था।

अब बारी थी उनके गुप्त अंगों की.. और मुझे समझ नहीं आ रहा था कि कैसे आगे बढूं।

तब मैंने उन्हें कहा- आपको अगर शर्म आ रही हो.. तो अपनी आँखों पर पट्टी लगा दीजिए.. क्योंकि मैंने आपके पूरे शरीर को तो तेल लगा दिया है अब सिर्फ़ आपके गुप्त अंग ही बाकी हैं।

मेरे मुँह से ये सुनते ही उनका चेहरा और लाल हो गया और उन्होंने अपनी आँखों पर पट्टी लगा ली।

फिर मैंने अपने दोनों हाथों में तेल लिया और उनके पीछे जाकर मेरे लण्ड को उनकी गाण्ड से सटा कर उनकी ब्रा में ऊपर से हाथ डाला.. जैसे ही मेरे हाथ ने उनके मम्मों को छुआ.. हम दोनों के शरीर कँपने लगे।

फिर मैंने अपना हाथ उनके मम्मों पर रखा.. मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था, मैं अपने दोनों हाथों को उनके दोनों मम्मों पर धीरे-धीरे घुमाने लगा.. उनके निप्पल सख़्त हो गए थे।

उनको भी मेरे हाथों का स्पर्श अच्छा लग रहा था.. इसलिए उन्होंने अपनी गाण्ड को थोड़ा और पीछे किया जिसकी वजह से मेरा लण्ड उनकी गाण्ड के और पास आ गया और उनकी दरार से चिपक गया।

फिर थोड़ी देर बाद मैंने तेल लगा कर अपने हाथ को बाहर खींच लिए.. फिर वापिस मैंने तेल लिया और उनके पेटीकोट के अन्दर हाथ डाल कर सीधा उनकी गाण्ड पर रख दिया।

मेरा हाथ गाण्ड पर लगते ही वो थोड़ी सहम सी गईं.. और शायद उन्हें भी ये सबसे अच्छा लग रहा था और वे आनन्द ले रही थीं।

फिर मैंने हाथ में और तेल लिया और उनके दोनों चूतड़ों पर बारी-बारी से तेल लगाया। मेरे मन में एक अजीब सी हलचल हो रही थी और लण्ड एकदम तन्नाया हुआ था। फिर मैंने गाण्ड की दरार में तेल लगाया और वहाँ से हाथ हटा लिया।

अब उन्होंने एक बड़ी सी साँस ली क्योंकि वो जान चुकी थीं कि अब तेल कौन सी जगह पर लगना है।

मेरा लण्ड अन्दर ही अन्दर फड़फड़ा रहा था।

फिर जैसे ही मैं अपना हाथ उनकी चूत के करीब लाया तो मुझे अपने हाथों में गर्मी सी महसूस हुई।

शायद वो भी इस सबसे उत्तेजित हो गई थीं और जैसे ही मैंने उनकी चूत पर हाथ रखा.. तो वो एकदम से चिहुंक गईं और मेरे हाथ को अपनी टाँग से हल्का सा दबा लिया।
उनकी चूत पर एक भी बाल नहीं था। शायद उन्होंने निकाल दिए थे और मैंने उनकी चूत पर तेल लगा कर हाथ हटा लिया।

यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

अब सासूजी भी होश में आईं और मैंने उनकी पट्टी खोल दी और उन्हें नहाने के लिए बोला।

जब वो नहा कर आईं तो मैंने उन्हें पूजा के स्थान पर बिठाया और एक किताब खोल कर मन्त्रों का जाप करने लगा।

करीबन आधे घंटे तक मैं मन्त्रों का जाप करने का नाटक करता रहा और मैंने सासूजी से कहा- मुझे लगता है कि जिस निष्ठा से आप ये पूजा कर रही हो.. उससे लगता है कि ज्योति के यहाँ आने से पहले ही उनके ससुराल वाले.. सामने से उसे लेने यहाँ आ जाएंगे।

मेरे मुँह से यह सुन कर सासूजी बहुत खुश हुईं और कहने लगीं- दामाद जी.. आप जो भी विधि है.. वो पूरी कर लो.. अगर ज्योति का घर बस जाए तो मैं समझूँगी कि भगवान हम पर सच में प्रसन्न हो गए हैं।

तब मैंने कहा- आगे की विधि तो और भी कठिन है.. आप कर पाओगी ना?

तब उन्होंने कहा- क्या करना होगा?

तब मैंने उन्हें चंदन का लेप और एक चोला निकाल कर दिया और अपने लिए धोती निकाली.. फिर उनसे कहा- आपको अपने सारे कपड़े उतार कर यह चोला पहनना होगा।

वो बोलीं- करना क्या है?

मैंने कहा- ये लेप है.. इसे आपके शरीर पर लगाना है.. तब वो बाथरूम में जाकर कपड़े बदलने लगीं.. और मैंने भी तब तक अपनी पैन्ट-शर्ट खोल कर वो धोती पहन ली।

जब वो वापस आईं.. तो मेरा ध्यान उनके कपड़ों पर पड़ा तो मैं दंग रह गया।

दरअसल मैं जान-बूझकर वो चोला बहुत छोटा लाया था और वो 2 पीस में था उसके नीचे का हिस्सा एक ढीले स्कर्ट जैसा था और वो सासूजी की जाँघों तक ही था।

उनकी गोरी जांघें मुझे साफ़ दिख रही थीं और ऊपर का ब्लाउज भी बहुत छोटा था, वो सिर्फ़ उनके स्तनों तक ही था, वो बहुत ढीला था.. उसमें भी वो आगे से गहरा खुला हुआ था। सासूजी के 80% मम्मे साफ़-साफ़ दिखाई दे रहे थे और वो बहुत ही सेक्सी लग रही थीं। उनके ब्लाउज के आस्तीन भी बहुत छोटी और खुली हुई थीं.. जिसमें से उनकी बगलें साफ़ दिख रही थीं। वहाँ भी एक भी बाल नहीं थे.. मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं खुद को उन्हें चोदने से कैसे रोकूँ।

मैं खुद को कंट्रोल नहीं कर पा रहा था.. मेरा लण्ड धोती में टाइट खड़ा था.. पर धोती की चुन्नटों के चलते दिखाई नहीं दे रहा था।

मुझे लग रहा था कि सासूजी भी शायद चुदासी थीं क्योंकि उनके चूचुक सख़्त हो चुके थे और ब्लाउज के कपड़े से साफ़ दिख रहे थे।

आज कहानी को इधर ही विराम दे रहा हूँ। आपकी मदभरी टिप्पणियों के लिए उत्सुक हूँ। मेरी ईमेल पर आपके विचारों का स्वागत है।