मन्त्र-जाल से चाची सास को चोदा-4

वो सिर्फ़ उनके स्तनों तक ही था।

वो बहुत ढीला था.. उसमें भी वो आगे से गहरा खुला हुआ था। सासूजी के 80% मम्मे साफ़-साफ़ दिखाई दे रहे थे और वो बहुत ही सेक्सी लग रही थीं।

मैं खुद को कंट्रोल नहीं कर पा रहा था.. मेरा लण्ड धोती में टाइट खड़ा था.. पर धोती की चुन्नटों के चलते दिखाई नहीं दे रहा था।

उनके ब्लाउज के आस्तीन भी बहुत छोटी और खुली हुई थीं.. जिसमें से उनकी बगलें साफ़ दिख रही थीं।

वहाँ भी एक भी बाल नहीं थे.. मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं खुद को उन्हें चोदने से कैसे रोकूँ।

मुझे लग रहा था कि सासूजी भी शायद चुदासी थीं क्योंकि उनके चूचुक सख़्त हो चुके थे और ब्लाउज के कपड़े से साफ़ दिख रहे थे।

फिर मैंने सासूजी को बैठने को कहा.. जैसे ही वो बैठीं.. मैं उनके सामने घुटनों पर बैठा और उनके चेहरे पर लेप लगाने लगा।

पहले मैंने लेप को उनके माथे पर लगाया और फिर गले पर.. उनकी गर्दन पर जो कि लंबी और सुराहीदार थी।

फिर मैंने उनके गोरे-गोरे कोमल गालों पर लगाया.. उनके गाल मक्खन जैसे मुलायम थे।

फिर थोड़ा हिचकिचाते हुए मैं बोला- सासूजी अगर आप बुरा ना मानो तो एक बात कहूँ..?

तब वो बोलीं- क्या..?

तो मैंने कहा- आपके गाल बहुत मुलायम हैं और आपके चेहरे की त्वचा भी बहुत चिकनी है।

तब वो थोड़ी मुस्कुराईं.. अब मुझे थोड़ा यकीन हुआ कि अब उन्हें भी ये सब अच्छा लग रहा है।

फिर मैं उनके पीछे जाकर बैठ गया.. उनका स्कर्ट इतना छोटा था कि पीछे से उनकी गाण्ड की लकीर साफ़ दिख रही थी।

मेरा लण्ड धोती में इतना बेकाबू हो चला था.. मैंने किसी तरह उसे समझाया कि बैठ जा मादरचोद.. अभी चूत मिलेगी तुझे।

फिर मैंने चंदन का लेप हाथ में लिया और सासूजी का ब्लाउज थोड़ा ऊपर कर दिया।

ढीला होने की वजह से वो आराम से ऊपर हो गया..।

सासूजी ने मुझसे पूछा- क्या कर रहे हो..?

तब मैंने कहा- मुझे आपकी पीठ में और आपके पेट पर स्वास्तिक बनाना है।

वो कहने लगीं- ऐसी विधि भी होती है क्या..?

मुझे मालूम था कि वो ये सब दिखाने के लिए कह रही थीं.. मन ही मन उन्हें भी ये सब अच्छा लग रहा था।

फिर जैसे ही मैंने उनकी नंगी पीठ को छुआ.. मेरे शरीर में बिजली दौड़ गई और खून तेज रफ़्तार से दौड़ने लगा।

उधर सासूजी का भी यही हाल था और फिर वापिस मैं उनकी तारीफ करने लगा।

मैंने कहा- सासूजी आपकी पीठ इतनी चिकनी है कि मुझे बचपन याद आ गया.. जैसे कि फिसल-पट्टी..।

तब वो भी मुझसे थोड़ी और खुलीं और हँसते हुए कहा- ठीक है.. दामाद जी बहुत तारीफ कर ली..।

सासूजी को भी इन सब बातों में मज़ा आ रहा था।

जब मैंने स्वास्तिक बना लिया.. फिर आगे आकर उनके पेट पर भी बनाया।

फिर मैंने उनसे कहा- अब आप लेट जाओ।

वो बोलीं- क्या करना है..?

मैंने कहा- आप लेटो तो सही.. बताता हूँ।

जैसे ही वो लेटीं.. मैं उनकी जाँघों के करीब बैठ गया।

वो मुझे ही देख रही थीं.. फिर मैंने हाथ में लेप लिया और उनकी जाँघों पर लगाने के लिए आगे बढ़ा.. जैसे ही मैंने अपना हाथ उनकी जाँघों पर रखा.. मेरा लण्ड और टाइट हो गया।

उनकी जांघें एकदम गरम थीं।

शायद वो भी मेरी तरह बहुत गरम हो गई थीं। वो अपनी आँखें बंद करके धीरे-धीरे ‘आहें’ भर रही थीं और उनकी साँसें भी तेज हो गई थीं।

फिर मैं उनके पाँव से लेकर जाँघों तक लेप लगाने लगा.. उनकी टाँगें तेल लगाने की वजह से और भी चिकनी हो चुकी थीं।

मैंने लेप लगाते-लगाते सासूजी से हिम्मत करके पूछा- सासूजी आप अपनी टाँगों पर क्या लगाती हो..?

उन्होंने आँखें खोल कर मेरी ओर देखा और पूछा- क्यों?

मैंने कहा- मुझे नहीं पता था कि किसी की इस उम्र में भी त्वचा इतनी मुलायम हो सकती है.. आपकी त्वचा रेशमा से भी अधिक मुलायम है।

तब वो हँसते हुए कहने लगीं- आप तो बिल्कुल पागल हैं..।

मैंने कहा- सच सासूजी.. बताओ ना क्या लगाती हो?

वो शर्मा कर बोलीं- कुछ नहीं..।

फिर सब जगह लेप लगाने के बाद मैंने उन्हें फिर नहाने भेज दिया और कहा- स्वास्तिक न निकल जाए.. इसका ध्यान रखिएगा..।

जब वो आईं तो वापिस मैंने सासूजी को पूजा के स्थान पर बिठाया और आधे घंटे तक मन्त्रों को बोलने का नाटक किया फिर कहा- अब आज की सारी पूजा ख़त्म हुई.. अब कल पूजा करेंगे.. बस स्वास्तिक न निकल जाए.. इसका ध्यान रखिएगा..।

मैं बाहर चला गया.. फिर मैंने ज्योति के पति को फोन करके कहा- अब तुम ज्योति की माँ यानि की तुम्हारी सासूजी को फोन करके उनका हाल-चाल पूछो और ज़्यादा बात मत करना..।

तो ज्योति के पति ने कहा- ठीक है.. मैं अभी फोन करता हूँ..।

जब मैं वापिस आया तो सासूजी बहुत खुश दिख रही थीं.. मैं जानता था कि वो क्यों खुश हैं..।

फिर भी मैंने अंजान बनने का नाटक करते हुए उनसे पूछा- क्या बात है.. आप बहुत खुश दिख रही हो..?

तब वो बोलीं- लगता है.. पूजा का असर हो रहा है.. अभी ज्योति के पति का फोन आया था और मेरा हाल-चाल पूछ रहे थे।

तब मैंने मौके का फायदा उठाते हुए कहा- वाह.. ये तो ठीक है लेकिन हमें ऐसा करना है कि वो खुद यहाँ चल कर आए और ज्योति को अपने साथ ले जाए और इसके लिए आगे की विधि जो कल करनी है.. वो बहुत ही कठिन है।

तब वो कहने लगीं- कितनी भी कठिन विधि क्यों ना हो.. ज्योति के भले के लिए.. मैं वो करके रहूँगी।

मैंने कहा- ठीक है।

तो उन्होंने पूछा- कल कितने बजे विधि करनी है..?

तब मैंने कहा- कल सुबह मुझे बाहर जाना है और विधि भी रात को 10 बजे करनी है और शायद सुबह तक चले.. इसलिए दिन में आप आराम कर लेना।

वो बोलीं- ठीक है..।

जैसे-तैसे करके वो दिन गुजर गया और मैं दूसरे दिन रात का इंतज़ार करने लगा।

जब रात के 9 बजे.. तब मैं विधि की तैयारियां करने लगा और सासूजी को कहा- विधि कैसे करनी है.. ये आपको पता है.. तो आप नहा कर वैसे ही आना।

तब वो थोड़ी हड़बड़ाई.. क्योंकि सिर्फ़ ब्रा और पैन्टी ही पहननी थी।

फिर भी वो अन्दर गईं और जब वो बाहर आई तो इतनी सेक्सी लग रही थीं.. कि मेरा मन चाहा कि उन्हें अपने आगोश में ले लूँ।

लेकिन ऐसा करता तो शायद काम बिगड़ जाता।

अब वो बोलीं- अब आगे क्या करना है..?

मैंने कहा- मुझे भी सिर्फ़ एक ही वस्त्र पहनना है और मैंने अपनी जीन्स निकाल कर अंडरवियर में आ गया और बोला- पहले मुझे अपने शरीर पर लेप लगाना है और फिर उस लेप से आपकी पीठ पर और पेट पर जो स्वास्तिक बनाया है उसे निकालना है.. लेकिन इस विधि में आप अपने हाथ का उपयोग नहीं कर सकती हो.. हाँ अगर आप चाहें तो मेरी मदद ले सकती हो.. लेकिन मैं भी अपने हाथ का उपयोग नहीं कर सकता हूँ।

तब वो बोलीं- ये कैसी विधि है कि हम हाथ का उपयोग किए बिना स्वास्तिक निकालें..?

तब मैंने कहा- ये आपको सोचना है.. मैंने कहा था ना कि आगे की विधि और कठिन है.. फिर भी अगर आपको ठीक नहीं लगता तो ये विधि को छोड़ देते हैं।

ये बात मैंने जान-बूझकर कही थी.. क्योंकि मैं जानना चाहता था कि मैं जो सोच रहा था.. वो सच है या नहीं।

जब मेरे मुँह से विधि छोड़ने की बात सुनी तो सासूजी झट से बोलीं- नहीं.. नहीं.. विधि की वजह से तो कल ज्योति के पति का फोन आया था.. इसलिए कुछ तरकीब सोचते हैं और थोड़ी देर सोचने का नाटक किया और बोलीं- आप तो सब जानते ही होंगे.. तो क्यों ना आप ही कोई तरकीब बताएं।

तब मैं बोला- मुझे पता था इसलिए मैं ये छोटी सी चौकी भी साथ लाया हूँ।

फिर मैंने सासूजी को चौकी पर खड़ा होने के लिए कहा। ये करने का सिर्फ़ एक ही मकसद था कि हमारी ऊँचाई एक सी हो जाए।

फिर वो चौकी पर खड़ी हो गईं और मैंने लेप को अपने कन्धों से लेकर पेट तक लगा दिया और उनके पीछे जाकर खड़ा हो गया और बोला- अब आप अपनी पीठ को मेरे शरीर पर लगे लेप से रगड़िए।

अब वो मुझे पूरा सहयोग दे रही थीं।

सासूजी ने अपनी पीठ को मेरी छाती से लगाया और थोड़ा दूर रह कर पीठ को रगड़ने लगीं।

तब मैं बोला- अगर आप इस तरह दूर से स्वास्तिक निकालने की कोशिश करोगी तो शायद कल सुबह तक भी नहीं निकल पाएगा और विधि को हमें आज ही पूरा करना है।

तब वो बोलीं- आप भी कुछ सहयोग करिए न..।

तो मैंने कहा- आपको बुरा तो नहीं लगेगा ना..?

तो उन्होंने कहा- इसमें बुरा लगने वाली क्या बात है..? आख़िर आप और मैं ये सब ज्योति के लिए ही तो कर रहे हैं।

तब मैं बोला- ठीक है..।

सासूजी को ये सब अच्छा लग रहा था लेकिन मेरे द्वारा सब करवाना चाहती थीं।

जब उनकी तरफ से हरी झंडी मिली तो मैं उनके और करीब आकर उनसे चिपक गया।

आज कहानी को इधर ही विराम दे रहा हूँ। आपकी मदभरी टिप्पणियों के लिए उत्सुक हूँ। मेरी ईमेल पर आपके विचारों का स्वागत है।