चूत एक पहेली -63

बिहारी- बहुत मजेदार चूत है तोहार.. मज़ा आ गया… हम तुमको घोड़ी बनाया ओ वक्त गाण्ड पर गौर किया.. तोहार गाण्ड भी गजब है.. इसको ठोकने में भी दुगुना मज़ा आएगा.. साली इस बार हम गाण्ड ही मारूँगा।
भाभी- उफ.. तुम्हारे जैसा हट्टा-कट्टा मर्द बोले.. तो ना कहने का सवाल ही नहीं होता। मेरी चूत की आग तो मिट गई है अबकी बार गाण्ड की खुजली भी मिटा देना।

दोनों काफ़ी देर तक बातें करते रहे, इस दौरान बिहारी कभी भाभी के होंठ चूमता.. तो कभी उसके मम्मों का मज़ा लेता रहा।
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अन्दर निधि बहुत ज़्यादा गर्म हो गई थी उसका बड़ा मन किया कि उंगली डालकर अपनी आग शान्त कर ले.. मगर फिर उसने सोचा कि ये आग और भड़कने देती हूँ.. ताकि रात को अर्जुन से चुदाई का मज़ा आ जाए।
निधि ने बड़ी मुश्किल से अपने आपको कंट्रोल किया। उसको एक आइडिया आया वो अन्दर के बाथरूम में गई.. और पेशाब करने बैठ गई ताकि उसकी तड़प कुछ तो कम हो जाए।

उधर अर्जुन को वो आदमी एक गाड़ी में किसी सुनसान जगह ले गया… जहाँ पहले से एक गाड़ी खड़ी हुई थी। उसमें से कुछ लकड़ी के बॉक्स अर्जुन और इस आदमी ने अपनी गाड़ी में रखे और वापस घर की तरफ़ चल दिए।

इधर बिहारी का लौड़ा अब दोबारा खड़ा होने लगा था।
बिहारी- हमार आदमी के साथ तोहार अर्जुन आता ही होगा। जल्दी से तोहार नर्म होंठ में हमार लौड़ा ले लो.. ताकि ये पूरा खड़ा हो जाए और हम तोहार गाण्ड का सवाद भी चख लें..

भाभी अब पूरी मस्ती में आ गई थीं। ऐसे तो उसका मन वो काला लंड चूसने का नहीं था मगर उसकी ऐसी मस्त चुदाई करने वाला लौड़ा अब उसको पसंद आ गया था, उसने जल्दी से लौड़े को चूसना शुरू कर दिया और बिहारी मज़े में आँख बन्द करके लेट गया।

कुछ ही देर में उसका लौड़ा एकदम लोहे जैसा सख़्त हो गया.. तो बिहारी ने भाभी को घोड़ी बनाया और ‘घप’ से लौड़ा उसकी गाण्ड में घुसा दिया।
वो बस सिसक कर रह गई।

करीब 20 मिनट तक बिहारी एक सांस उसको चोदता रहा। उसको पता था अर्जुन किसी भी पल आ सकता है इसलिए वो जल्दी अपना माल निकाल देना चाहता था और उसने ऐसा ही किया, अपनी उतेजना बढ़ा कर वो भाभी की गाण्ड में झड़ गया।

पानी निकलने के बाद बिहारी ने जल्दी से कपड़े पहने और भाभी को कहा- तुम भी कपड़े पहन लो.. वो बस आते ही होंगे।
साथ-साथ ये भी कह दिया कि अगली बार फ़ुर्सत में आएगा.. तो भाभी के साथ पूरी रात मज़ा करेगा।

भाभी ने भी कपड़े पहन लिए और दोनों बातें करने लगे।
लगभग 5 मिनट बाद अर्जुन उस आदमी के साथ वहाँ लकड़ी के बॉक्स लेकर आ गया।
भाभी- अरे आ गए तुम.. ये सामान किसका है.. इसमें क्या है?

बिहारी- हमने बताया था ना.. ये हमार कुछ जरूरी सामान है.. इसको छेड़ना भी मत.. उस कमरे में आराम से रख दो। हम कल आकर ले जाऊँगा इसको..

निधि ने भाभी की गाण्ड मराई भी देख ली थी। अब वो बहुत ज़्यादा उत्तेजित हो गई थी। उसकी आँखें एकदम लाल सुर्ख हो गई थीं। अर्जुन के आने के बाद वो बिस्तर पर जाकर बैठ गई। उसको पता था अब ये सामान इस कमरे में लेकर आएँगे, उसने सारी बात सुन ली थी।

जैसे ही अर्जुन और वो आदमी उस कमरे में सामान लेकर आए.. उनके पीछे बिहारी भी अन्दर आ गया और सामान को एक कोने में रखवाने लगा।
तभी बिहारी की नज़र निधि पर गई, उसने बड़े गौर से उसको देखा और मुस्कुरा के वहाँ से निकल गया।

कुछ देर वो अर्जुन को समझाता रहा कि इस सामान को छेड़ना मत.. कल वो आकर इसे ले जाएगा और अपने आदमी के साथ वहाँ से निकल गया।

उन लोगों के जाते ही निधि भी बाहर आ गई और भाभी के पास बैठ गई। वो ऐसे बर्ताव कर रही थी कि जैसे अर्जुन के आने के बाद अभी नींद से जागी हो।
भाभी- अरे निधि तू सो गई थी क्या?
निधि- हाँ भाभी आँख लग गई थी। जब अर्जुन कमरे में आया तो आँख खुल गई। ये आदमी बहुत अच्छा है अपना सामान भी कोने में रखा.. ताकि हमको कोई परेशानी ना हो।

भाभी- हाँ सही कहा तूने.. अच्छा अर्जुन अब मेरी बाहर जाने की हिम्मत नहीं है। थोड़ा बुखार सा लग रहा है.. तुम खाना यहीं ले आओ ना.. बहुत जोरों की भूख लगी है।
अर्जुन- अरे हाँ क्यों नहीं भाभी.. आप कब से ‘मेहनत’ जो कर रही हो।

अर्जुन ने यह बात भाभी की तरफ़ आँख मारते हुए कही थी।
निधि- कैसी मेहनत भाभी..?
भाभी- अरे कुछ नहीं.. इसकी तो आदत है.. कुछ भी बोल देता है..

निधि मन ही मन मुस्कुराई कि आप कितना भी बहाना बनाओ.. मैंने सब देख लिया है कि कैसे बिहारी ने आपको उलट-पुलट करके चोदा है। अब भूख तो लगेगी ही।
अर्जुन भी मुस्कुराता हुआ वहाँ से बाहर निकल गया।

निधि कुछ कहना चाहती थी.. मगर उसको पता था इस वक्त अर्जुन उसकी वासना नहीं मिटा पाएगा.. क्योंकि भाभी को खाना खिलाने के बाद ही कुछ हो पाएगा। तो वो अपने मन की बात मन में लेकर वहीं बैठी रही।

दोस्तो, अर्जुन वापस आए.. तब तक पायल के पास चलते हैं। अब तक तो उनका घूमना-फिरना हो गया होगा।

वहाँ उन लोगों ने बहुत मस्ती की.. पायल को थोड़ी घबराहट हुई तो रॉनी ने उसको नींबू पानी पिला दिया.. जिससे उसका नशा उतर गया। दरअसल उस दवा की काट यही है। अब इत्तफाक से ही सही.. मगर पायल का नशा उतर गया था। वो ज़्यादा खुल कर मज़े लेने लगी थी।
वहाँ चाट खाना.. डांसिंग कार में बैठना.. सब कुछ एंजाय किया उसने और शाम को थक हार कर वो तीनों घर आ गए..

काका ने बताया कि अनुराधा जी दो दिन तक घर नहीं आएंगी। कोई बहुत बड़े बाबाजी आए हैं.. तो त्यागी जी के घर सत्संग में रहेगीं। वहीं सबके खाने-पीने और रहने का बंदोबस्त किया है।

पुनीत ने यह सुनकर मन ही मन कहा कि पायल अब घर में बड़ा कोई नहीं है, अब मैं तेरी गाण्ड को बड़े आराम से मारूँगा। मैं बहुत चोदूंगा तेरे को.. आह्ह.. मज़ा आ जाएगा..

रॉनी- काका मैं बहुत थक गया हूँ प्लीज़ मुझे परेशान मत करना.. रात को खाने के लिए अगर मैं ना आऊँ तो बुलाना मत… मैं अपने आप आ जाऊँगा। अभी थोड़ा सोना चाहता हूँ मैं.. सर भी दर्द कर रहा है।
काका- आप कहो तो कोई दवा ले आऊँ.. आपके लिए बेटा जी?
रॉनी- अरे नहीं नहीं काका.. सुबह से घूमना-फिरना कुछ ज्यादा हो गया ना.. तो थकान सी हो गई है। आराम करूँगा तो अपने आप ठीक हो जाऊँगा।

काका- बेटा वो एसी वाला भी आया था.. लगाकर चला गया है। उसने कहा है कि कल उसकी माँ बीमार हो गई थी.. इसलिए नहीं आ पाया.. उसने माफी भी माँगी है।
पुनीत- तभी मैं सोचूँ कि वो ऐसा तो नहीं कर सकता.. कुछ ना कुछ बात तो जरूर हुई होगी। चलो अब अच्छा है.. पायल तुम आज रात आराम से अपने कमरे में सो पाओगी।

पायल- हाँ भाई.. सही कहा आपने आज अकेली सुकून से सोऊँगी और आप भी मेरी वजह से परेशान नहीं होंगे।
पुनीत- अरे मुझे क्या परेशानी हुई है.. तुम भी कैसी बात करती हो। चलो तुम जाकर चेंज कर लो.. मैं भी चेंज करके थोड़ी देर में तुम्हारे कमरे में आता हूँ।
पायल- क्यों.. आप मेरे कमरे में क्यों आ रहे हो?
पुनीत- अरे एसी चैक करने आऊँगा ना.. बराबर काम कर रहा है या नहीं..
पायल मुस्कुराती हुई बोली- अब चैक क्या करना.. उसने ठीक किया है तभी लगा कर गया है.. हाँ.. आपको देखना है तो आ जाना.. मुझे आपके आने से कोई दिक्कत नहीं है..

इतना कहकर पायल अपने कमरे में चली गई और पुनीत अपने कमरे में घुस गया।

दोस्तो, उम्मीद है कि आपको कहानी पसंद आ रही होगी.. तो आप तो बस जल्दी से मुझे अपनी प्यारी-प्यारी ईमेल लिखो और मुझे बताओ कि आपको मेरी कहानी कैसी लग रही है।

कहानी जारी है।
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