चूत एक पहेली -24

टोनी- भाई बुरा ना मानना.. यह बहुत घुमा कर आप नहीं बता रहे मुझे.. इससे अच्छा तो एक काम है.. आप उसको पहचानते हो.. कल यहाँ मेरे साथ आ जाना.. बस एक इशारा कर देना.. मैं समझ जाऊँगा यह वही है..
भाई- जितनी तेरी सोच.. उतना ही बोलेगा साले.. उसकी पिक मेरे पास है चाहूँ तो वो दिखा कर भी बता सकता हूँ.. मगर तू नहीं समझेगा.. तुझे उसका नाम तो याद है ना?

टोनी- अरे हाँ.. भाई याद है.. मगर उसका नाम पूछ कर उससे बात करके क्या हासिल होगा हमें? हम ऐसे भी जान सकते हैं उसको?
भाई- तू पागल है एकदम.. अब सुन उसका नाम जानकर उससे बातें कर.. उसके भाई के बारे में.. घर के बारे में.. सब कुछ पता कर… हाँ.. चुप पता है तू यही कहेगा न.. मैं सब जानता हूँ.. मगर उसको यह अहसास मत दिला। जब वो अपने भाई का नाम ले.. तब तू कहना.. वो तो मेरा दोस्त है और बस किसी बहाने उसके घर तक जा। मैं उस कुत्ते की आँखों में डर देखना चाहता हूँ और वो डर तब पैदा होगा.. जब तू उसकी बहन के साथ उसके घर तक चला जाएगा। उसका प्लान धरा का धरा रह जाएगा.. हा हा हा..

टोनी- वाह भाई असली बात तो अब बताई आपने.. मगर अब भी एक सवाल है.. आप कल वहाँ होंगे तो कॉल करने की क्या जरूरत है.. साथ में रहकर बता देना।
भाई- नहीं जैसा मैंने कहा.. वैसा कर.. बस तेरा उसके साथ उनके घर तक जाना जरूरी है। मैं साथ रहूँ.. यह जरूरी नहीं.. समझा..
टोनी- क्या जरूरी है और क्या नहीं.. मेरी समझ के बाहर है भाई.. मुझे तो आप जाने दो।

भाई- हाँ.. एक बात सुन.. कल बाइक नहीं.. कार लेकर जाना.. समझे..
टोनी- अब ये क्या पंगा है?
भाई- यह बात तुझे कल अपने आप पता लग जाएगी.. तू मेरे दिमाग़ को नहीं जानता.. जहाँ सारी दुनिया सोचना बन्द करती है.. मैं वहाँ से सोचना शुरू करता हूँ.. समझा अब जा..
टोनी- भाई आपका दिमाग़ तो दोधारी तलवार है.. दोनों तरफ़ से चलता है.. ओके कल आपका काम हो जाएगा।

भाई- सुन.. पहले वाला प्लान भी याद रखना.. शायद वो आ भी जाए। हर हाल में तुझे कल ये कम करना ही है.. समझा ना तू?

टोनी- हाँ.. पता है.. अगर वो आए तो उनके सामने पहुँच जाऊँगा और बातों में फँसा कर उनके मुँह से उगलवा लूँगा कि यह हमारी बहन है.. नहीं तो ये दूसरा प्लान तो है ही ना..
भाई- गुड अब की ना तूने समझदारी वाली बात.. चल अब जा..

टोनी- भाई एक बात है.. कल वो लड़के लाऊँगा.. तो थोड़ा रोकड़ा दे देते..
भाई- अरे इतनी जल्दी पैसे माँगने लगा.. वो जो दिए थे उनका क्या हुआ?

टोनी- व्व..वो तो भाई ख़त्म हो गए.. अब आपने इतने काम बता दिए.. गेस्ट हाउस बुक किया.. कोमल को दिए.. उन दोनों को दिए.. फार्म पर आया.. अब आप बताओ इतने सब काम तो कर दिए..

भाई हँसने लगा और अपना पर्स निकाला उसमें से हजार के कुछ नोट टोनी को दिए और कहा- अभी इनसे काम चलाओ बाद में और दे दूँगा..
जब भाई पर्स से पैसे निकाल रहा था.. तब टोनी की नज़र उसके पर्स पर थी और उसमें एक तस्वीर देख कर वो चौंक गया.. क्योंकि वो तस्वीर जिसकी थी उसको टोनी अच्छी तरह से जानता था। मगर उस वक़्त उसने चुप रहना ठीक समझा और भाई से पैसे लेकर वहाँ से निकल गया।

दोस्तो, उम्मीद है.. सस्पेंस के साथ मज़ा भी आपको बराबर मिल रहा होगा।
टेन्शन नॉट… अब धीरे-धीरे सब राज़ पर से परदा उठेगा और नए-नए ट्विस्ट सामने आएँगे।

वहाँ से टोनी वापस सुनील और विवेक के पास चला गया। उनको भाई से हुई बात बताई और कल के लिए कुछ लड़कों से फ़ोन पर बात भी कर ली। उसके बाद उनके पीने का दौर शुरू हुआ।

विवेक- बॉस मानना पड़ेगा.. यह भाई साला जो भी है.. बहुत माइंड वाला है.. कैसे आइडिया लाता है कि दिमाग़ घूम जाता है।
सुनील- तू ठीक बोलता है यार.. मगर ये है कौन.. और अपना चेहरा क्यों छुपा कर रखता है।
विवेक- अपने को क्या है यार? होगा कोई भी.. अपने को तो बस पैसे और कुँवारी चूत से मतलब है..

टोनी- चुप सालों क्या उसकी तारीफ कर रहे हो.. साला वो बहुत बड़ा हरामी है.. आज मैंने उसको पहचान लिया है। साला अपने आप को बहुत माइंडेड समझता है ना… मगर आज उसने मेरे सामने पर्स निकाल कर ग़लती कर दी। साला भूल गया कि उसमें जो फोटो लगी है.. टोनी उसको देखते ही पहचान जाएगा कि वो किसकी है। उसके बाद भी साले ने मेरे सामने पैसे निकाले।

विवेक- क्या बात कर रहे हो बॉस किसकी फोटो देख ली और कौन है ये भाई.. हमको भी बताओ ना..?

टोनी- नहीं.. अभी नहीं सालों.. तुम खेल को बिगाड़ दोगे.. अब मैं उसके नकाब हटने का इंतजार करूँगा.. देखता हूँ साला कितना बड़ा गैम्बलर है.. अब मैं उसके साथ डबल गेम खेलूँगा। तुम दोनों बस देखते जाओ।

वो तीनों काफ़ी देर पीते रहे और बस ऐसे ही बातें करते रहे। उसके बाद इधर-उधर लेट गए और नींद की गहराइयों में कहीं गुम हो गए।

दोस्तो, सुबह के 9 बजे मुनिया की जब आँख खुली.. तो उसका पूरा बदन दर्द से दु:ख रहा था और उसकी चूत भी दर्द कर रही थी.. मगर उसके होंठों पर एक मुस्कान थी.. जो साफ ब्यान कर रही थी कि एक कली अब फूल बन गई है।
रात की चुदाई की याद उसको तड़पा रही थी।

वो उठी और बाथरूम में चली गई.. अच्छे से नहा कर उसने कपड़े पहने और सीधी अपने प्रेमियों के कमरे की तरफ़ गई। मगर अन्दर से रॉनी की आवाज़ सुनकर वो वहीं रुक गई।

रॉनी- जी जी बड़े पापा.. नहीं.. नहीं.. हम ठीक हैं हाँ हाँ.. बस निकल ही रहे हैं समय से आ जाएँगे.. आप चिंता मत करो..
पुनीत- अरे यार, यह पापा को क्या हो गया सुबह सुबह क्यों फ़ोन किया?
रॉनी- अरे यार पता नहीं.. बहुत गुस्सा थे.. बोल रहे थे कि जल्द से जल्द घर आ जाओ..
पुनीत- अरे यार उनको बता कर आए थे ना कि हम एक हफ़्ता फार्म पर रहेंगे। यह तो गेम की वजह से आज जाना पड़ रहा है.. वैसे हुआ क्या?

रॉनी- अरे यार आने के पहले तुमको कोई पेपर साइन करने को कहा था.. तू जल्दी में भूल गया.. उसी के लिए गुस्सा हैं और हमसे क्या काम होगा?
पुनीत- ओह.. शिट.. अब तो पापा और चिल्लाएँगे.. मुझे भी यहाँ आने के चक्कर में याद नहीं रहा..
रॉनी- अब बातें बन्द कर.. जल्दी रेडी हो जा.. नहीं तो और सुनना पड़ेगा। मैं मुनिया को उठा कर रेडी करवाता हूँ।

रॉनी दरवाजे के पास गया.. तभी मुनिया ने दरवाजा खोल दिया।
रॉनी- अरे उठ गई मुनिया रानी.. मैं अभी तुम्हारे पास ही आ रहा था.. अच्छा हुआ तू खुद आ गई और कमाल की बात है तू तो रेडी हो गई..
मुनिया- हाँ.. रॉनी जी.. मैं तैयार हूँ और आपको जगाने आई.. तो आपकी बात भी मैंने सुन ली थी। आप तो तैयार हो पुनीत जी भी तैयार हो जाएं.. तो हम निकल जाएँगे.. मगर मुझे गाँव नहीं जाना.. आप मुझे अपने साथ ही ले चलो ना.. मैं आपके बिना नहीं रह सकती.. कुछ भी करो.. मुझे ले चलो..

रॉनी- अरे पगली.. ऐसे डायरेक्ट घर नहीं ले जा सकते.. तू बात को समझ .. जल्दी हम वापस आएँगे.. यहाँ एक खेल होने वाला है.. उसके बाद तुमको शहर साथ ले जाएँगे।

मुनिया ने बहुत ज़िद की.. मगर रॉनी ने उसको समझा कर मना लिया कि वो अगली बार उसको साथ ले जाएँगे और उसको 5000 रुपये भी दिए.. जिससे मुनिया खुश हो गई।
तब तक पुनीत भी तैयार हो गया था, सबने जल्दी से नाश्ता किया और वहाँ से निकल गए।

दोस्तो, मेरे पास कुछ दोस्तों के ईमेल आए कि यहाँ के नौकरों का कोई नाम और जिक्र मैंने नहीं किया.. तो आपको बता दूँ.. उनका ऐसा कोई खास रोल ही नहीं है.. तो नाम जानकर क्या करोगे? ओके आगे का हाल देखो..

गाड़ी रॉनी चला रहा था और पुनीत पीछे मुनिया के साथ बैठा हुआ उसके होंठों पर उंगली घुमा रहा था.. उसके मम्मों को दबा रहा था।
मुनिया- क्या हुआ पुनीत जी.. आप तो बड़े बेसबरे हो रहे हो.. रात को मन नहीं भरा क्या आपका?
पुनीत- अरे रात को तूने पूरा मज़ा लेने कहाँ दिया था..
रॉनी- हाँ.. भाई दो बार में ही थक गई थी ये.. अब अगली बार इसको बराबर चोद कर मज़ा लेंगे।

मुनिया- अरे आप लोगों के लिए 2 बार हुआ होगा.. मेरे लिए तो 4 बार हो गया था। आप दोनों अलग-अलग क्यों नहीं करते… जैसे एक रात पुनीत जी और और एक रात आप.. तब ज़्यादा मज़ा आएगा.. आप दोनों को और मुझे भी..

पुनीत- मेरी जान तेरी गाण्ड की सील खुल जाने दे.. उसके बाद तू खुद दोनों को एक साथ बुलाएगी.. क्योंकि तुझे आगे और पीछे एक साथ मज़ा मिलेगा और हो सकता है तीसरा भी माँग ले.. मुँह के लिए हा हा हा हा..
मुनिया- जाओ.. आप बहुत बदमाश हो कुछ भी बोल देते हो..

दोस्तो, उम्मीद है कि आपको कहानी पसंद आ रही होगी.. तो आप तो बस जल्दी से मुझे अपनी प्यारी-प्यारी ईमेल लिखो और मुझे बताओ कि आपको मेरी कहानी कैसी लग रही है।
कहानी जारी है।
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