Tag: दीदी की चुदाई

जिस्मानी रिश्तों की चाह -31

‘मेरा बस चले तो मैं तो आपको सात पर्दों में छुपा कर रखूँ जहाँ मेरे अलावा आपको कोई देख भी ना सके!’ मैं ये कह कर आपी के कमरे की तरफ चल दिया। आपी बोलीं- नहीं सगीर यहाँ नहीं.. ऊपर ही ले चलो मुझे.. अपने कमरे में.. अम्मी अगर उठ भी गईं तो ऊपर नहीं […]

जिस्मानी रिश्तों की चाह -30

आपी ने मेरी गोद में गिरते ही अपने जिस्म को सिकोड़ लिया था और अपने दोनों बाजुओं में सीने के उभारों को छुपा लिया था। मैंने आपी को अपने बाजुओं में भींचते हुए कहा- बोलो बसंती.. अब तुम्हें कौन बचाएगा? मैं यह कहते हुए सिर झुका करके आपी के गाल चूमने की कोशिश करने लगा। […]

मेरी आप-बीती : भैया ने भी मुझे चोद दिया -1

दोस्तो.. मेरे और महेश जी के सम्बंध के बारे में तो आप पढ़ ही चुके हैं.. कुछ दिन के बाद भैया की छुट्टियाँ खत्म हो गईं.. और भैया चले गए। भैया के जाने के बाद भाभी और मम्मी-पापा के दबाव के कारण मैं ऊपर भाभी के कमरे में सोने लगी और इसका फायदा महेश जी […]

जिस्मानी रिश्तों की चाह-33

अब वे मेरे क़रीब ही बैठ कर बोलीं- अब उठ जाओ सगीर.. अम्मी भी उठने वाली हैं और कुछ देर में अब्बू भी घर आ जाएंगे। मैं चाय बनाती हूँ जल्दी सी नीचे आ जाओ। आपी ने ये कह कर मेरे सिर पर हाथ फेरा और माथे को चूम कर बाहर निकाल गईं। मुझे वाकयी […]

मेरी आप-बीती : भैया ने भी मुझे चोद दिया -2

मगर भैया ने मेरी बात को अनसुना कर दिया.. वो मेरे सर को पकड़ कर मेरे गालों पर चुम्बन करने लगे और फिर से मुझे अपने ऊपर खींच लिया। मैं कुछ और बोल पाती इससे पहले भैया ने मेरे दोनों होंठों को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगे.. जिससे मेरे बदन में भी […]

जिस्मानी रिश्तों की चाह -34

मैंने फरहान की बात का कोई जवाब नहीं दिया और नीचे कामन बाथरूम के लिए चल दिया। मैं बाथरूम के पास पहुँचा ही था कि आपी के कमरे का दरवाज़ा थोड़ा खुला देखकर रुक गया और अन्दर देखा तो आपी चादर.. स्कार्फ से बेनियाज़.. उलझे बालों और सिलवटजदा कपड़ों में नज़र आईं.. शायद वो अभी […]

जिस्मानी रिश्तों की चाह -35

तौलिये में हनी के सीने के उभार काफ़ी बड़े दिख रहे थे और जब वो वापस जाने के लिए मुड़ी थी.. तो उसके चूतड़ों की शेप भी वज़या हो रही थी और वो 3-4 क़दम ही भागी थी.. लेकिन मैंने हनी के कूल्हों का मटकना पहली बार गौर से देखा था.. जो बहुत दिलकश मंज़र […]

जिस्मानी रिश्तों की चाह -39

मैं कुछ देर ऐसे ही बैठा रहा और आपी भी अपने हाथ फैलाए मुझे मुहब्बत और हवस भरी नजरों से देखती रहीं। कुछ देर बाद उन्होंने फिर इशारा किया और अपने होंठों को किस करने के अंदाज़ में सिकोड़ कर मुस्कुरा दीं। मैंने भी आपी को मुस्कुरा कर देखा और सिर झटकते हुए खड़ा होकर […]

जिस्मानी रिश्तों की चाह-38

फरहान ने बेसाख्ता अपने सिर पर हाथ फेरा तो उसके हाथ पर भी मेरे लण्ड का जूस लग गया। फरहान ने अपने हाथ को देखा और फिर आपी की आँखों में देखते हुए ज़ुबान निकाल कर चाटते हुए बोला- उम्म्म.. आपी आप भी चख कर तो देखतीं.. इतना बुरा नहीं है.. ‘आहह…. डिज़्गस्टिंग फरहान.. तुम […]

जिस्मानी रिश्तों की चाह -37

फरहान हम दोनों से बेखबर आपी के जिस्म में खोया था, कभी आपी के उभारों से खेलता तो कभी उनके पेट और नफ़ पर ज़ुबान फेरने लगता। जब फरहान को आपी की चूत खाली दिखी तो वो अपनी जगह से उठा और आपी की टाँगों के दरमियान बैठते हुए उनकी चूत को चाटने लगा। अब […]