Tag: दीदी की चुदाई

मेरा गुप्त जीवन- 178

एक बार जब नन्दा भाभी का स्खलन हो गया तो वो अपनी दोनों टांगों को मेरे पेट पर रख कर आराम करने लगी लेकिन गौरी भाभी कहाँ छोड़ने वाली थी, नंदा भाभी के मम्मों को चूसते हुए बोली- क्यों री नंदी, चूत चुसाई से पेट भर गया हो तो कहानी शुरू कर ना साली? हम […]

जिस्मानी रिश्तों की चाह -18

आपी की टाँगों के बीच उनकी सलवार का बहुत सा हिस्सा गीला हो चुका था.. पता नहीं उनको इन बातों में ही इतना मज़ा आ रहा था या मेरी नजरें अपनी टाँगों के दरमियान महसूस करके वो गीली हो गई थीं। ‘अब बता भी दो, बाजी का पहले बताओ..’ आपी की आवाज़ मैं बहुत बेसब्री […]

जिस्मानी रिश्तों की चाह -17

अब आगे.. फ़ौरन ही आपी के हँसने की आवाज़ पर मैं घूमा.. तो आपी बेतहाशा हँस रही थीं और उनके चेहरे पर जीत की खुशी थी। उन्होंने हँसते-हँसते ही कहा- कमीने तुमने बदला ले लिया है.. यह अलग बात है कि इसका नुक़सान मुझे हुआ ही नहीं.. लेकिन हिसाब बराबर हो गया है। अब तुम […]

जिस्मानी रिश्तों की चाह -22

उनके गुलाबी मम्मों पर हरी नीली रगों का जाल था और एक-एक रग साफ देखी और गिनी जा सकती थी। मुकम्मल गोलाई लिए हुए आपी के मम्मे ऐसे लग रहे थे.. जैसे 2 प्याले उल्टे रखे हों.. इतनी मुकम्मल शेप मैंने आज तक किसी फिल्म में भी नहीं देखी थी।थोड़े बहुत तो लटक ही जाते […]

जिस्मानी रिश्तों की चाह -21

मेरी पाकीज़ा बहन ये सब देखते हुए मज़े से अपनी टाँगों के बीच वाली जगह को अपने ही हाथ से मसल रही है और अपने मम्मों को दबा-दबा कर बेहाल हुए जा रही है। आपी को हक़ीक़तन ही ये सब बहुत अच्छा लग रहा था और वो अपने मम्मों को अपने हाथ से मसलती थीं.. […]

जिस्मानी रिश्तों की चाह -23

मैं और फरहान दोनों ही आपी की इस हरकत पर बुत बने खड़े थे और शायद मेरी तरह फरहान भी हमारी बेपनाह हया वाली बहन के इस अंदाज़ के बारे में ही सोच रहा था। मैं अपनी सोचों में आपी के कल और आज का मिलान करने लगा। मैं और फरहान दोनों ही रूही आपी […]

जिस्मानी रिश्तों की चाह-28

मैं यह कह कर आपी के साथ ही सोफे पर बैठ गया। मैं वाकयी ही बहुत दुखी हो गया था, मैं अपनी प्यारी बहन को रोता नहीं देख सकता था। मैंने अपने एक हाथ से उनके सिर को नर्मी से थामते हुए अपने सीने से लगा लिया और अपना दूसरा बाज़ू आपी के पीछे से […]

जिस्मानी रिश्तों की चाह-27

‘सगीर.. फरहान..!’ आपी की आवाज़ पर हम दोनों ने एक साथ ही नज़र उठाईं.. तो आपी ने शरीर सी मुस्कुराहट के साथ अपने सीधे हाथ की दरमियान वाली बड़ी ऊँगली को अपने होंठों में फँसा कर चूसा और हवा में लहरा कर अपनी चूत की तरफ हाथ ले जाने लगीं। हमारी नजरें आपी की हाथ […]

जिस्मानी रिश्तों की चाह -29

अब आगे.. आपी के इशारे को समझते हुए मैंने एक नज़र अम्मी पर डाली, वे टीवी देखने में ही मस्त थीं और फिर आपी को देखते हुए अपने हाथ पर किस किया और किस को आपी की तरफ फेंक दिया। आपी के चेहरे पर बेसाख्ता ही मुस्कुराहट आ गई और उन्होंने अम्मी से नज़र बचा […]

जिस्मानी रिश्तों की चाह -32

मैंने अपना हाथ हटाया और तेजी से आपी के मम्मों को चूसने और दबाने लगा.. कुछ ही देर में आपी की साँसें बहुत तेज हो गईं और जिस्म अकड़ना शुरू हो गया। मैंने दोबारा हाथ उनकी टाँगों के दरमियान रख दिया.. आपी ने कुछ कहने के लिए मुँह खोला ही था कि मैंने अपने होंठ […]