Tag: अंग प्रदर्शन

बॉडी मसाज और चूत की चुदास

एक दिन सुबह ही मेरे पास एक कॉल आई. मैं उस वक्त पार्लर के लिए नहीं निकला था. वो कहने लगी कि उसको बॉडी मसाज होम सर्विस चाहिए. वह अपना नाम माही (बदला हुआ) बता रही थी. मैंने उससे मेरे बारे में पूछा तो वो कहने लगी कि उसको मेरा नम्बर मेरी एक दोस्त से […]

मम्मी की दमदार चुदाई

मेरी जवानी शुरु हुई थी और उनकी जवानी के शोले भड़कते थे। मेरी मम्मी बहुत सेक्सी और सुन्दर है। शी हेज गोट ए ब्यूटीफुल बॉडी शेप 36-28-36! शी हेज गॉड मेड बूब्स एज वेल एज बटक्स! उनका सुडौल गोरा बदन बहुत हसीन है। वैसे वो मेरी रियल मम्मी नहीं हैं वह मेरे डैड की सेक्रेटरी […]

धोबी घाट पर माँ और मैं-5

कह कर माँ ने मेरे लंड को कस के दबाया, उसके कोमल हाथों का स्पर्श पा के मेरा लंड तो लोहा हो गया था और गरम भी काफी हो गया था- हाय माँ छोड़ो, क्या कर रही हो? माँ उसी तरह से मुस्कुराती हुई बोली- क्यों प्यारे, तूने मेरा दबाया तब, तो मैंने नहीं बोला […]

धोबी घाट पर माँ और मैं-4

माँ ने मेरा हाथ नहीं छोड़ा और बोली- सच सच बोल, शरमाता क्यों है? मेरे मुंह से निकल गया- हाँ, अच्छा लगा था। इस पर माँ ने मेरे हाथ को पकड़ के सीधे अपनी छाती पर रख दिया और बोली- फिर से देखेगा माँ को नंगी? बोल देखेगा?’ मेरे मुख से आवाज नहीं निकल पा […]

धोबी घाट पर माँ और मैं-3

मैं भी बगल में बैठा उसको निहारते हुए नहाता रहा। बेख्याली में एक दो बार तो मेरी लुंगी भी मेरे बदन पर से हट गई थी पर अब तो ये बहुत बार हो चुका था इसलिये मैंने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। हर बार की तरह माँ ने भी अपने हाथों को पेटिकोट के […]

धोबी घाट पर माँ और मैं -2

मैं क्या बोलता, चुपचाप सिर झुका कर इस्तरी करते हुए धीरे से बोलता- अरे, देखता कौन है, नजर चली जाती है बस। इस्तरी करते-करते मेरा पूरा बदन पसीने से नहा जाता था। मैं केवल लुंगी पहने इस्तरी कर रहा होता था, माँ मुझे पसीने से नहाये हुए देख कर बोलती- छोड़ अब तू कुछ आराम […]

धोबी घाट पर माँ और मैं -1

कुल मिला कर हम बहुत सुखी-संपन्न थे और किसी चीज की दिक्कत नहीं थी। मेरे से पहले कपड़े धोने में, माँ का हाथ मेरी बहन बटाती थी। मगर अब मैं यह काम करता था हम दोनों माँ-बेटे हफ्ते में दो बार नदी पर जाते थे और धुलाई करते थे। फिर घर आकर उन कपड़ों की […]

धोबी घाट पर माँ और मैं -9

माँ मेरी इस हरकत पर मुस्कुराने लगी पर बोली कुछ नहीं। वो चूँकि घुटने मोड़ कर बैठी थी, इसलिये उसने पेटिकोट को उठा कर घुटनों तक कर दिया और आराम से खाने लगी। उसकी गोरी पिन्डलियों और घुटनों का नज़ारा करते हुए मैं भी खाना खाने लगा। लण्ड की तो यह हालत थी अभी कि […]

धोबी घाट पर माँ और मैं -12

तभी माँ ने अपनी आँखें खोल दी और मुझे अपनी जांघों के बीच झांकते हुए देख कर बोली- हाय दैया, उठ भी गया तू? मैं तो सोच रही थी, अभी कम से कम आधा घंटा शांत पड़ा रहेगा, और मेरी जांघों के बीच क्या कर रहा है? देखो इस लड़के को, बुर देखने के लिये […]

धोबी घाट पर माँ और मैं -11

मैंने माँ के बैठने पर उसका हाथ पकड़ लिया और प्यार से सहलाते हुए बोला- हाय माँ, बस एक बार दिखा दो ना, फिर कभी नहीं बोलूँगा दिखाने के लिये। ‘एक बार ना कह दिया तो तुझको समझ में नहीं आता है क्या?’ ‘आता तो है, मगर बस एक बार में क्या हो जाएगा?’ ‘देख, […]