मेरी नाभि और उसकी जवानी

मेरी एक बेटी है और एक बेटा है.. जो अभी एक साल का है।

यह मेरी पहली कहानी है जो मैं यहाँ पोस्ट कर रही हूँ।

मेरी जिन्दगी की यह सच्ची घटना है।

मेरी हिन्दी अच्छी नहीं है तो आप मेरी लिखने की गलती को माफ करना प्लीज़।

मैं घर पर अकेली रहती हूँ। अपने घर से दूर रहने के कारण मैं बहुत अकेली हो जाती हूँ।

हमारे घर के बाजू में हमारे पड़ोसी रहते हैं.. उनके साथ हमारा अच्छा रिश्ता है।
उनका एक लड़का है जो 18 साल का है, वो हमारी बेटी के साथ खेलने घर पर आता है।
दोनों एक साथ एक ही स्कूल में पढ़ते हैं।

वो बहुत अच्छा लड़का है.. पर है तो मर्द ही ना..

एक बार उसके माता-पिता उसे हमारे घर पर छोड़ कर गए.. उन्हें कहीं बाहर जाना था।

उसे खाना खाने के लिए हमारे घर आना था, मैं उस लड़के को अपने साथ रखने के लिए मान गई।

मेरे पति भी घर पर नहीं थे तो मैंने सोचा अच्छा है.. वो और मेरी बेटी एक साथ स्कूल जाएंगे.. उन दोनों को और मुझे भी थोड़ी कम्पनी मिल जाएगी।

वो हमारे यहाँ तीन दिन के लिए आया।

मैंने उसे अपनी बेटी के बगल वाला कमरा दे दिया, पर वो बहुत डरपोक निकला।

पहले दिन ही रात में उसने मुझे जगा दिया और कहने लगा- मुझे डर लग रहा है।

तो मैंने उससे कहा- तुम मेरे कमरे में सो जाओ।

एक तरफ वो लेट गया और दूसरी तरफ मेरा बच्चा.. और मैं बीच में सो गई।

रात में मुझे कुछ महसूस हुआ.. मैंने ध्यान दिया कि उसका हाथ मेरी कमर पर था.. लेकिन मैंने कुछ नहीं कहा।

मैंने सोचा शायद डर कर उसने पकड़ा होगा.. मैं सो गई।

रात में मेरी नींद फिर से खुली.. इस बार कुछ गड़बड़ लगा।

उसने मेरी साड़ी को हटा कर मेरे पेट पर हाथ रखा था..

मैंने फिर ज्यादा ध्यान ना देने की सोची और सो गई, सोचा कि शायद गलती से रखा हो।

कुछ देर बाद मुझे लगा जैसे कोई मेरी नाभि में कुछ कर रहा है।

मैंने सोचा कि कोई कीड़ा या पतंगा होगा.. पर जब मैंने ध्यान दिया तो पता चला कि वो उसकी उंगली थी।

उसने अपनी पूरी उंगली मेरी नाभि में डाली हुई थी और घुमा रहा था।

उसने शायद सोचा होगा.. मैं सो गई हूँ और गहरी नींद में हूँ।

उस वक्त मुझे झटका लगा.. मुझे याद आया कि वो हमेशा मुझे देखा क्यों करता था.. खास कर जब मैं साड़ी पहनती थी।

वो अकसर मेरे पेट की तरफ देखता था और साड़ी में नाभि को देखता था।

वैसे उसकी नज़र तो और भी जगह होती थी.. पर नाभि पर ज्यादा होती थी और उसका अगला निशाना मेरा पेट और ब्लाउज से झांकते मेरे चूचों पर गड़ा रहता था।

तो आज मैंने सोचा कि उसे छोड़ दूँ और देखूँ.. वो क्या करता है।

मैं सोने का नाटक करने लगी और वो मेरी नाभि में अपनी उंगली डाल कर बहुत देर तक घुमाता रहा।

मुझे थोड़ी गुदगुदी भी हुई.. पर अच्छा भी लगा.. मुझे अपने पति की याद आ गई.. वो भी ऐसा करते हैं।

थोड़ी देर बाद उसने ऊँगली निकाली और उसका हाथ मेरे ब्लाउज पर पहुँच गया.. मैं चुपचाप लेटी रही।

वो ब्लाउज के ऊपर से ही मेरे स्तनों को सहलाने लगा।

वो शायद पहली बार किसी औरत के इतना करीब आया था.. बहुत डर-डर कर बहुत धीरे-धीरे कर रहा था।

शायद वो सोच रहा हो कि कहीं मैं उठ ना जाऊँ।

बहुत देर तक मेरे चूचे सहलाने के बाद उसकी हिम्मत आगे बढ़ने की हुई।

उसने मेरी छाती को धीरे-धीरे हल्के से दबाया.. मुझे बहुत अच्छा लगा, पर मैं शांत रही और मजा लेती रही।

थोड़ी देर बाद वो मेरे बोबों को जोर से दबाने लगा.. मैं उत्तेजना से पागल हो रही थी पर क्या करती.. वो मेरी बेटी का दोस्त है इसलिए चुप रही।

तभी मेरे स्तनों से दूध निकलने लगा और मेरा ब्लाउज गीला हो गया।

उसके हाथ में भी थोड़ा दूध लग गया.. तो वो डर गया और उसने अपना हाथ हटा लिया।

उसे लगा कि मुझे कुछ हो गया है।

मुझे थोड़ी हँसी आ गई.. तब तक सुबह हो चुकी थी.. मैं सो गई और वो भी।

अगले तीन दिन तक रोज रात में यही सब वो मेरे साथ करता और शायद वो भी महसूस करने लगा था कि मैं वो सब जानती हूँ पर हमने कभी इस बारे में बात नहीं की।

उसके बाद अगले दिन मैंने उससे पूरा मजा लेने की सोची और एक सामने से खुलने वाली नाईटी पहन कर सो गई आज मैंने अन्दर ब्रा-पैन्टी भी नहीं पहनी थी।
रात में जब उसका हाथ मेरे चूचों पर आया तो वो एकदम से चौंक गया.. मैंने अपनी नाईटी खोल रखी थी और उसका हाथ सीधा मेरी गोलाइयों पर आ गया था।

कुछ देर चुप रहने के बाद उसने अपने होंठ मेरे चूचुक पर लगा दिए और मेरी चूची को पीने लगा।
उसके मुँह में मेरा दूध जा रहा था.. मुझे चूत में सुरसुरी होने लगी।

तभी मैंने उसके मुँह से अपना दुद्धू निकाला लिया और दूसरा उसके होंठों की तरफ बढ़ा दिया।

उसने मेरी तरफ देखा और फिर अपने होंठों में चूचुक दबा लिया।

मैंने उसको अपनी बाँहों में भर लिया और एक हाथ से उसके लौड़े को सहला दिया।

वो एकदम से मेरे ऊपर चढ़ गया और कुछ ही पलों में हम दोनों चुदाई की स्थिति में आ गए और बिल्कुल नंगे हो गए।

उसका तन्नाया हुआ 6” का लौड़ा मेरी चूत में एक ही झटके में घुस गया।

चुदाई का घमासान होने लगा और दस मिनट की दौड़ के बाद हम दोनों झड़ गए।

वो मेरी चूत में अपना लौड़ा डाले हुए निढाल हो गया।

अब वो मेरा बिस्तर का पड़ोसी भी बन चुका था।

इसके बाद हमने कई बार चुदाई का आनन्द लिया।

मेरी कहानी अच्छी लगी तो अपने कमेंट्स जरूर लिखिएगा।