मेरी चालू बीवी-92

अब मुझे उसकी वो सारी ग़लतफहमी दूर करनी थी और उसका दृष्टिकोण बदलना था।

रोज़ी- ओह सर ये आपकी वाईफ थी न… मुझे नीलू ने बताया था… उनका नाम सलोनी ही है ना?

अब फिर से मेरा माथा ठनका, नीलू ने इसको क्या क्या बताया होगा?

मैं- हाँ यार मेरी प्यारी बीवी ही है… क्या बताया नीलू ने तुमको इसके बारे में?
रोज़ी- बस इतना ही कि उनका नाम सलोनी है और बहुत मॉर्डर्न हैं।
मैं- हाँ यार बहुत मॉडर्न है वो.. अब तो तुम समझ ही गई होगी।
रोज़ी- छिइइ…इइइइइ कितनी गन्दी हैं वो… ये सब भी कोई करता है क्या?

मैं- हा हा हा… वाह यार… तुम भी क्या बात करती हो? अरे इसमें क्या हुआ?
रोज़ी- क्यों आपको बुरा नहीं लगा वो… ये सब…?
मैं- कमाल करती हो… इसमें बुरा क्या लगेगा… अरे यार, उसका जीवन है… और जो उसको अच्छा लगता है.. उसको करने का पूरा हक़ है।

रोज़ी- मगर ऐसे.. ये तो गलत है न… उनको आप जैसा इतना अच्छा पति मिला है… फिर तो कुछ और नहीं !!!

मैं- अरे यार किस पिछड़ी दुनिया में जी रही हो? आजकल सब कुछ चलता है। अभी कुछ देर पहले हमने जो कुछ किया, क्या वो सही था? अरे हम दोनों को अच्छा लगा तो किया ना…!

रोज़ी- ह्म्म्म्म… पर मुझे अगर आप जैसा पति मिलता तो फिर तो कभी कुछ और नहीं सोचती।

मैं- क्यों अभी क्या खराब मिला है… अरे यार ये पति सिर्फ 1-2 साल तक ही अच्छे लगते हैं फिर सब कुछ पुराना जैसा हो जाता है…

रोज़ी- जी नहीं मेरे साथ ऐसा नहीं है… वो तो… मेरे लिए सेक्स ही सब कुछ नहीं है… मुझे तो बस दिल से प्यार करने वाला और मुझे समझने वाला ही अच्छा लगता है।

मैं- अरे तो क्या इसीलिए तुम मेरे साथ वो सब?

रोज़ी- जी हाँ मुझे आप बहुत अच्छे लगे… तभी तो मैंने सलोनी जी के बारे में वो सब कहा।

मैं- अरे मेरी जान ऐसा कुछ नहीं है, वो बहुत अच्छी है, मुझे बहुत प्यार करती है और मैं भी उसको बहुत प्यार करता हूँ।

रोज़ी- फिर ये सब.. क्या आपको बिल्कुल भी बुरा नहीं लगा?

मैं- बिल्कुल नहीं… मैं ये सब केवल थोड़ा सा शारीरिक सुकून ही मानता हूँ। क्या किसी के साथ थोड़ा बहुत मस्ती करने से इंसान का कुछ घिस जाता है… नहीं ना? तो फिर काहे का हल्ला?

रोज़ी- हाँ मगर हमारा यह समाज… इसी को सब कुछ समझता है।

मैं- अरे छोड़ो यार ये सब फ़ालतू की बातें… कुछ नहीं रखा इनमें ! सच बताओ, हमने जो अभी किया… मुझे पता है वो तुम्हारी नजरों में गलत है… पर सच बताना तुमको अच्छा लगा या नहीं?

उसने बहुत ही शरमाते हुए हाँ में जवाब दिया।

मैं- फिर सब बात बेकार हैं… अगर किसी बात से हमको ख़ुशी मिलती है… और कुछ नुक्सान नहीं होता… तो वो बात गलत हो ही नहीं सकती। मुझे नहीं लगता कि किसी भी मर्द को अगर कोई लड़की सेक्स का ऑफर दे तो वो मना कर दे… वो एक बार भी तुम्हारी तरह नहीं सोचेगा… जब उसका कुछ नहीं घिसता तो फिर यार तुम लड़कियों को क्यों चिंता होती है?

इस बात पर हम दोनों बहुत जोर से हंसने लगे।

रोज़ी- आप सच बहुत मजेदार बात करते हो… आप बहुत अच्छे हैं।

मैं- अच्छा रोज़ी सच बताओ… क्या तुम्हारे पति तुमको परेशान करते हैं?
रोज़ी- ना ऐसी कोई बात नहीं… पर वो अच्छे इंसान नहीं हैं।

वो अभी ज्यादा कुछ नहीं बताना चाह रही थी इसलिए मैंने उसको ज्यादा परेशान करना सही नहीं समझा- ह्म्म्म्म ठीक है।

रोज़ी- अच्छा सर, आप दोनों फिर ऐसे ही किसी के भी साथ मजे करते हो… आप दोनों.. किसी को कोई ऐतराज नहीं होता?
मैं- हाँ यार… वैसे हम दोनों ही एक दूसरे के बारे में काफी कुछ जानते हैं परन्तु कोई कुछ नहीं कहता… ना ही हम एक दूसरे को डिस्टर्ब करते हैं।

रोज़ी- आप जब ये सब जानकर सलोनी जी के साथ कैसे वो सब कर पाते हैं?

मैं- हा हा हा… कितना शर्माती हो यार तुम… अभी जब मैं तुम्हारी बुर चाट रहा था… तब तो खुल गई थी… पर अब फिर ऐसे ही… सच बताओ अगर उस समय मैं तुम्हारी बुर में अपना लिंग डाल देता तो क्या तुम मना करती?

रोज़ी- हाय राम.. आप कैसी बात करते हो?

मैं- देखो, हम दोनों अब पक्के दोस्त हैं… मैं तुमको बहुत पसंद करता हूँ… और तुम मुझको… यह तुमने अभी अभी कहा भी है… फिर इतना सब शरमाना वरमाना छोड़ो… अब तो बस हम आपस में खुलकर बात करेंगे। और अब तो तुम मेरे बारे में सब कुछ जान गई हो… वो सब भी जो कोई नहीं जानता।

रोज़ी चुपचाप मेरी बात सुनती रही।

मैं- अगर अब हमारे बीच आंतरिक दोस्ती भी हो जाए तो इसमें कोई बुराई नहीं होनी चाहिए। अगर हम दोनों को ही पसंद है… तो अपने दिल की ख़ुशी के लिए हम वो सब भी कर सकते हैं… जो इंसान की सबसे बड़ी जरूरत है। अच्छा सच बताओ रोज़ी तुमने अपने पति के साथ आखिरी बार कब सेक्स किया था… और तुम संतुष्ट हुई या नहीं?

रोज़ी ने केवल ना में सर हिलाया।

मेरे बहुत जोर देने पर उसने केवल इतना बताया- मुझे याद नहीं…

मतलब उनकी सेक्स लाइफ बहुत बोर चल रही थी, फिर भी मैंने उस दिन रोज़ी के साथ कुछ भी करना ठीक नहीं समझा।

उस दिन रोज़ी मेरे साथ ही ऑफिस से निकली, मैंने उसको उसके घर के पास वाले स्टॉप तक छोड़ा।

फिर मुझे गुड्डू की याद आ गई, मैंने उसको फोन मिलाया, कुछ देर में ही उसने कॉल रिसीव कर लिया।

मैं- हाँ जी गुड्डू जी… क्या हो रहा है… आपके ये कपड़े… इनका क्या करना है?

गुड्डू- ओहो जीजू… व्व्वो ववो… अह्हा…

वहाँ से बड़ी ही खतरनाक आवाजें आ रही थी।

मैं- अरे क्या हुआ… लगता है बहुत जरूरी काम चल रहा है… हा हा…

मैं जानबूझ कर हंसा।

गुड्डू- अह्हा हा हाँ जीजू… वो कुछ खुदाई का काम चल रहा है… ऐसा करो… अभी तो मैं कपड़े पहन ही नहीं सकती… आप उनको अपने पास ही रखो… फिर कभी ले लूँगी।

ओह यह गुड्डू तो शैतान की नानी निकली, उसको कोई शरम नहीं, वो बड़ी आसानी से सब बात बोल जाती है।

मैंने भी उससे ज्यादा कुछ नहीं कहा- ठीक है डियर, फिर तुम खुदाई करवाओ… मैं बाद में चैक कर लूँगा कि सही से हुई है या नहीं…

गुड्डू- और अगर नहीं हुई होगी तो क्या फिर आप भी सही से करोगे… हा हा… आःह्हाआआ…

मैं- वो तो देखने के बाद ही पता चलेगा… ओके बाय..
और उसने भी फोन रख दिया।

मैं काफी थक गया था इसलिए जल्दी से घर पहुँचा।
वहाँ सलोनी और मधु रसोई में काम करने में व्यस्त थे…

कहानी जारी रहेगी !