मेरी चालू बीवी-23

से मेरे दिल में एक डर सा होने लगा…
मैंने घबराकर सलोनी की ओर देखा… पर उसका ध्यान आचार के डिब्बे की ओर ही था…
बस मुझे मौका मिल गया… मैंने अच्छी तरह से मधु के छोटे छोटे मुलायम चूतड़ों को… बैलेंस बनाने के बहाने… टटोला…
उसकी फ्रॉक भी ऊपर को खिसक गई… और मेरी उंगलियाँ. उसके चूतड़ों के नग्न मांस में भी धंस सी गई…
मधु ने डिब्बा उतारकर… सलोनी को पकड़ा दिया… जो उसको बराबर निर्देश दे रही थी…
अब सलोनी ने हमको देखा…
मैंने हाथ हटाने की कोशिश की… पर इससे उसका बैलैंस बिगड़ा…
मैंने उसको आगे से संभाला… इत्तेफ़ाक़ से मेरा हाथ उसके पेट के निचले हिस्से पर पड़ा…
मैंने जैसे ही उसको संभाला… मेरे हाथ ने उसके फ्रॉक को ऊपर को समेटते हुए उसके नाभि के नीचे से पकड़ लिया…
मेरी उँगलियाँ उसकी कोमल चूत को छू रही थीं…
ये सब कुछ बस एक पल के लिए हुआ… और मधु मेरी गोद से कूद गई…
मैंने घबराकर सलोनी की ओर देखा…
मगर वो बेशरम केवल मुस्कुरा रही थी…
मैं- बस हो गया तुम्हारा काम अब… ठीक है मैं जाता हूँ…
मैं तुरंत रसोई से बाहर आ गया…
अपने बैडरूम में आने के बाद भी एक मस्त अहसास मेरे को हो रहा था…
यह अहसास केवल इसी बात का नहीं था कि मैंने मधु के मक्खन जैसे चूतड़ों को छुआ था या उसकी कोरी चूत को कच्छी से झांकते देखा था…
बल्कि इस बात का था कि सलोनी को भी इस सबमे मजा आ रहा था और वो भी सहयोग कर रही थी…
मैं यह भी सोच रहा था… कि जैसे जब कोई दूसरा मर्द मेरी सलोनी के साथ मस्ती करता है… और मुझे मजा आ रहा है…
क्या इसी अहसास को सलोनी भी महसूस कर रही है… और वो भी इसी तरह मेरी सहायता कर रही है…
अब यह देखने वाली बात होगी कि क्या सलोनी मेरे सामने ही किसी गैर मर्द से चुदवाती है… या उससे पहले मैं सलोनी के सामने… मधु या किसी और कमसिन लड़की को चोदता हूँ…
इस सब बातों को सोचते हुए मेरा लण्ड तन कर खड़ा हो गया था… और ख़ुशी में उसने पानी कि कुछ बूंदें भी टपका दी थीं…
तभी सलोनी कमरे में आती है…
कहानी जारी रहेगी।
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