दोस्तों ने की मेरी मॉम की चुदाई

अब दूसरे दिन हम 4 लोग मैं, नदीम, राकेश, अंकित सब शहर के बाहर एक ढाबे पर गए जहां उस रंडी को चोदने का इंतजाम किया हुआ था.

मैंने कहा- पहले तुम सब कर आओ, फिर मैं जाऊंगा।
सबने हाँ भर दी।

अब सबसे पहले खुद राकेश गया और बाहर आकर उस रंडी की, उसकी चूत की, उसके बदन की तारीफ करने लगा।

फिर नदीम और फिर अंकित सब चुदाई करके आ चुके थे.

अब मेरी बारी थी, मैं जाना नहीं चाहता था पर मेरे तीनों दोस्त मेरे साथ जबरदस्ती करने लगे कि जा तू भी चोद के आ इस रंडी को, बड़ी मस्त रंडी है.

मैं जानता था कि अंदर जाकर मेरा क्या हाल होगा. पर दोस्तों के सामने इज्जत बचाने को मैं बेमन से अंदर गया और वहाँ हल्की सी रोशनी थी।

मैंने जाते ही उस रंडी को कहा दिया- देखो मैं तुम्हें नहीं चोद सकता, मैं हिजड़ा हूँ, मेरा खड़ा नहीं होता.

मेरी आवाज सुन कर उस रंडी ने लाइट जलाई. और जैसे ही उसने मुझे और मैंने उसका चेहरा देखा तो मेरे होश उड़ गए।
वो और कोई नहीं… मेरी मॉम थी।

अब मॉम मुझे समझाने लगी कि वो ये सब क्यों करती है.
मैंने कहा- ये कब से कर रही हो?
मॉम- जब मैं 18 साल की थी।
मैं- मतलब पापा को भी बेवकूफ बनाया?
मॉम- तेरा बाप था ही हिजड़ा… पहली रात ही उसका राज खुल गया था और उसने मुझे पूरी आजादी दे दी थी।

मैं- फिर मैं कैसे पैदा हुआ?
मॉम- तू मेरे बॉयफ्रेंड का बेटा है।

अब मैं रोने लगा.
मॉम ने चुप कराया और बोली- तू भी गांडू ही है और मैं रंडी… हम दोनों के राज एक दूसरे को मालूम हैं, इसलिए राज को राज रहने दे बेटा!
मैं मान गया और मुस्कराता हुआ बाहर आया।

सब बोले- कैसा माल था? मजा आया चोद के?
मैं- मस्त धांसू माल था यार… क्या चूत थी! मजा आ गया साली को चोद के!

यह कह कर हम सब हँस पड़े और घर को आ गए।

शाम को 8 बजे राकेश का काल आया- कैसी थी रांड?
मैं- कहा तो था कि मस्त थी.
राकेश- तो अभी तक घर पहुंची या नहीं?
मैं- क्या मतलब?
और राकेश ने काल काट दिया।

मैं समझ गया कि राकेश ही जान बूझ कर ही मुझे वहाँ मेरी मॉम के पास ले गया था।

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