कुछ पुरानी यादें : माँ बेटे की चुदाई की गर्म कहानी

माँ मेरा हाथ पकड़ कर अपने रूम में ले गई और बिस्तर पर बैठ कर बोली- क्या तुम अपनी माँ के साथ भी यही पाप करना चाहोगे?
‘माँ, तुम ये क्या कह रही हो, मैं तुम्हारा बेटा हूँ?’
‘बेटे तुमने मुझे बहुत गर्म कर दिया है, तुम्हारे माल की धार बहुत तेज है. एक काम कर… जब तक तुम्हारा दोस्त आता है… तुम मेरे साथ ये पाप कर ले! बाद में तुम्हारे दोस्त से भी चुदवा लूँगी.’
‘ओह मेरे बेटे, ज़रा अपनी माँ के इन दुद्दुओं को दबाओ और मसलो.’ माँ के आँखों में नशा चढ़ा हुआ था.
‘मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं आपको क्या जवाब दूँ और कैसे ये सब करूँ, माँ मुझे आपके साथ ये सब करने में बहुत झिझक हो रही है. क्या आ आप?’
‘हाँ, मैं तैयार हूँ, तुमने जब अपनी बहन को चोदने का पाप कर लिया है तो फिर इस पाप के लिए भी अपने आप को तैयार कर लो…’

‘मेरे बेटे, क्या मैं तुम्हें सुंदर नहीं लगती?’
‘नहीं माँ तुम ऐसा कभी नहीं सोचना, तुम बहुत सुंदर हो और तुम्हें देख कर मुझे हमेशा काजोल की याद आ जाती है. ओह, माय डार्लिंग माँ!’ कहते हुए मैंने माँ की चूचियों को दोनों मुट्ठियों में भर कर कस कर दबाया और अपने आप को उनके ऊपर झुका कर उनके होंठों पर एक जोरदार चुम्बन लिया.
माँ की चूचियाँ सीमा और चाची की चूचियों की अपेक्षा ज्यादा बड़ी और मुलायम थीं.

माँ के पतले गुलाबी होंठों को चूसते हुए मैंने अपनी जीभ उनके मुँह में घुसा दी और उनकी चूचियों को कस कर दबाने लगा. माँ ने भी मुझे अपने से चिपका लिया और मुझे अपने ऊपर खींच कर मेरे चूतड़ों को दबाने लगी और मेरे जीभ को मुँह में चूसने लगी फिर जीभ से जीभ टकराने लगी.
उनकी नंगी गुदाज चूचियों को मैं अपने हाथों से दबाते हुए उनके होंठों से अपने होंठों को अलग किया.

माँ भी थोड़ा उठ कर बैठ गई अपने ब्लाउज को पूरी तरह से उतार दिया, तभी माँ ने मेरे सिर को अपने हाथों से पकड़ कर मेरे मुँह को अपनी चूचियों पर दबा दिया. मैंने चूचियों को अपने मुँह में भर लिया और निप्पलों को मुँह में भरते हुए ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा. एक चूची को चूसते हुए दूसरी चूची को कस कस कर दबाने लगा.
माँ अब बहुत उत्तेजित हो चुकी थीं और सिसकारते हुए बोलीं- ओह मेरे बेटे, ऐसे ही चूसो अपनी माँ की चूचियों को, उफ़फ्फ़… तुम बहुत मजा दे रहे हो अपनी माँ को.
मैं पूरे जोश के साथ के दोनों चूचियों को बारी-बारी से चूसता रहा.

‘ओह बेटे, तुम तो कमाल की चूचियाँ चूसते हो, इसी तरह से मेरे निप्पलों को चूसो प्यारे. तुम्हारे बाप ने भी कभी इस तरह से नहीं चूसा.’
‘माँ, तुम्हारे चुच्चे ज्यादा रसीले हैं. तुम्हारे आमों को चूसने में मुझे बहुत मजा आ रहा है. तुम्हारे निप्पल भी काफ़ी नुकीले और रसीले हैं. आह पापा सच में बहुत लकी हैं.’
‘तुम भी कम लकी नहीं हो, मैं तुम्हारी सगी माँ हूँ, तुमने इनसे दूध पिया है पर आज इनका रस पीते हुए मजा कर रहे हो और अपना लंड खड़ा कर रहे हो.’

मैंने दोनों चूचियों को चूसते-चूसते लाल कर दिया था. तभी मैंने माँ के हाथ को पकड़ कर अलग किया और अपने चेहरे को उनकी कांख में घुसेड़ दिया.
उनको हल्की सी गुदगुदी का अहसास हुआ तो वो हँस पड़ी और बोलीं- ईईई सस्स्स्ससी सी ये क्या कर रहे हो बेटे, उफ्फ़, क्या चाटते हो, साले शैतान?

मैं उनकी काँखों की मदमाती खुशबू से एकदम मदहोश हो चुका था और, फिर मैंने उनकी दूसरी कांख को भी चाटा और नीचे की तरफ बढ़ता चला गया. अब उनकी नाभि को और पेट खूब अच्छी तरह से चाटा, नाभि के गोलाकार छेद में अपनी जीभ को डाल कर घूमते हुए मैंने उनके पेटीकोट के ऊपर से ही हाथ फिराना शुरू कर दिया.
इस पर माँ का पेट काम्प रहा था और माँ के मुँह से अआहीई इईई उम्म्ह… अहह… हय… याह… ऊउउऊ ईईई ईईई की आवाज निकल रही थी. इधर मैं अपने हाथों को उनकी जाँघों के बीच ले जाकर उनकी चूत के उभार को अपनी हाथों में भर कर मसलने लगा.

माँ की चूत एकदम गीली हो गई थी इसका अहसास मुझे पेटीकोट के ऊपर से भी हो रहा था. मैंने हाथ बढ़ा कर उनकी पेटीकोट ऊपर उठा दिया और उनकी जाँघों को फैला कर उनके बीच आ गया.
उनकी गोरी जाँघों के बीच चूत पर हल्की झांटें थीं और झांटों के झुरमुट के बीच उनकी गोरी चूत चाँद के जैसे झाँक रही थी.
मैं- माँ… हाय मेरी माँ मेरा जन्म स्थली तो जबदस्त है.
माँ- देख ले यही से निकला है.
मैं- हाँ माँ जानता हूँ… और ये पाप कर रहा हूँ.
और मैंने अपना मुँह उनकी चूत की मखमली झांटों पर रख दिया.

माँ ने भी अपने पैरों को फैला दिया और मेरे सिर के बालों पर हाथ फेरते हुए मेरे चेहरे को अपनी चूत पर दबाया. मैंने भी जीभ निकाल कर उनकी चूत को ऊपर से नीचे एक बार चाटा, फिर चूत के गुलाबी होंठों को अपने हाथों से फैला दिया.

मैंने अपनी जीभ को उस क्लिट के ऊपर हल्के से फेरा तो माँ का पूरा बदन कंपकंपा गया. उनकी जाँघें काँपने लगी और वो सिसकारते हुए बोली- ओह बेटे, क्या कर रहे हो? आआआः हह बेटे बहुत अच्छा कर रहे हो… ओह सही जा रहे हो… ऐसे ही अपनी जीभ मेरी चूत पर फिराते रहो और चूसो मेरी चूत को…
फिर मैंने पनियाई हुई माँ की चूत के छेद में अपनी जीभ को नुकीला करके पेल दिया और तेज़ी के साथ अपनी जीभ को नचाने लगा.

चूत में जीभ के नचाने पर माँ के कूल्हे हवा में उछलने लगे और वो सिसकारते हुई बोलीं- ओह बेटा, ऐसे ही, ससुरे ऐसे ही, मेरी चूत में अपने जीभ को घुमाओ, यह मुझे बहुत मजा दे रहा है… चाट मेरे मादरचोद मेरी चूत के राजा, ओह सस्सस्स मेरे लाल, तुम बहुत अच्छी चटाई कर रहे हो.
मैं अपने हाथ को उनके चूतड़ों के नीचे ले गया और अपने हाथों से उनके चूतड़ों को सहलाते हुए मैं अपनी जीभ को कड़ा करके उनकी चूत में तेज़ी के साथ पेल रहा था. माँ भी अपने चूतड़ों को तेज़ी के साथ नचाते हुए अपनी गांड को मेरे जीभ पर धकेल रही थीं और मैं उनकी चूत को जीभ से चोद रहा था.

माँ अब उत्तेजना की सीमा को पार कर चुकी थीं और वो बहुत तेज सिसकारियाँ ले रही थीं- सीईई एयाया ओह बहनचोद बेटे, तुम मुझे पागल बना रहे हो… ओह डार्लिंग हाय ऐसे… हाय ऐसे ही चूसो मेरी चूत को… मेरी चूत की पुत्तियों को अपने मुँह में भर कर ऐसे ही चाटो राजा… बहुत अच्छा कर रहे हो तुम… इसी प्रकार से मेरी चूत की धज्जियाँ उड़ा दे… मादरचोद पेल बहन के लौड़े मेरे भोसड़े में अपने जीभ को पेल, और अपने मुँह से चोद अपनी माँ को. ‘सस्स्सीईई, इसस्स्स, बहुत अच्छे बेटे, बहुत खूब ऐसे ही, ओह सीए… ओह तुझको मादरचोद बना दूँगी आज, हाय मेरे राजा, अब मेरी चूत को चाटना बंद कर दो साले, चाटते ही रहोगे या फिर अपना लौड़ा भी अपनी माँ को दिखाओगे, हरामी, हाय अपनी बहन को चोदने वाले दुष्ट पापी लड़के… अब अपनी माँ को चोद दे, चूत के होंठों को फैला और उनमें अपना मादरचोद लंड जल्दी से पेल.

उन्होंने अपने हाथों से मेरे सिर को धकेलते हुए हटा दिया और मुझे लगभग बिस्तर पर पटकते हुए मेरे ऊपर चढ़ गईं फिर मेरे पाजामा के नाड़े को तेज़ी के साथ खोल दिया और खींचते हुए बाहर निकाल दिया.
मैं अब पूरा नंगा हो गया था. मेरा लंड सीधा खड़ा हो कर छत की ओर देख रहा था. मेरे खड़े लंड को अपने हाथों में पकड़ कर उनके ऊपर की चमड़ी को हटा कर मेरे लाल लाल सुपारे को देखने लगीं.
माँ बोलीं- ओह, कितना बड़ा और मोटा हथियार है तुम्हारा, कितना बड़ा डंडा है! तुम्हारी उम्र के लिहाज से तो बहुत बड़ा है, लेकिन बहुत अच्छा है.
कहते हुए माँ ने मेरे सुपारे को अपने मुँह में कस लिया बहुत ज़ोर से चूसने लगी.

मुझे लग रहा था जैसे कोई मेरे लंड में से कुछ खींचने की कोशिश कर रहा है. मैंने माँ के बालों को पकड़ लिया और उनके सिर को दबाते हुए अपना लंड उनके मुँह में ठेलने की कोशिश करने लगा.
मेरे साँसें फूल गई थीं और टूटे फूटे शब्दों मैं सिसकते हुए मैं बोला- ओह माँ बहुत अच्छा, ओह तुम बहन से भी अच्छा चूस रही हो, मजा आ गया माँ! ये तो बहुत ही मजेदार है. लगता है तुमने चाचा का लंड चूस-चूस कर काफ़ी तजुर्बा प्राप्त कर लिया है. ओह माँ, इसी तरह से चूसो अपने बेटे का लंड!

मेरा लंड को अपने मुँह से बाहर निकाल कर माँ ने फिर मेरे अंडकोषों को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी.
मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था, मैंने सिसकारते हुए कहा- साली राण्ड माँ, इसी तरह चूसो, मेरा पानी निकल जाएगा, ओह ऐसे ही चूसो साली.

माँ की गर्मी भी बहुत बढ़ गई थी और उसने जल्दी से अपना मुँह मेरे लंड पर से हटा दिया, बोली- अब मुझसे भी बर्दाश्त नहीं हो रहा और मेरी चूत तुम्हारे इस मस्त लौड़े को जल्दी से अपने अंदर लेना चाहती है… तुम तैयार हो जाओ, अब चोदो मुझे!
यह कह कर माँ बेड पर पीठ के बल लेट गई- जानू मेरे, ओह अब चढ़ जाओ मेरे ऊपर, उफ्फ़… सस्स्स्सीईईई… अब मेरे लिए… ओह, सनम, मेरे बेटे जल्दी करो, अब मुझ से ये खुजली बर्दाश्त नहीं हो रही है, आज हमारा पहला मिलन होने वाला हैं, देर मत करो बेटा, अपने मोटे फनफनाते हुए लौड़े को जल्दी से मेरी चूत में पेल दो.

मैं भी अब माँ को चोदने की ज़रूरत महसूस कर रहा था और मैंने जल्दी से माँ की जाँघों के बीच आया और एक हाथ से अपने खड़े लंड को पकड़ कर माँ की चूत के गुलाबी छेद पर लगा दिया और एक जोरदार झटका दिया.
मेरा लंड दनदनाता हुआ सीधा माँ की चूत में घुसता चला गया. माँ के मुँह से एक चीख आ ईईईई ऊईईइ ईईई निकल गई. शायद मेरे इतनी तेज़ी के साथ लंड घुसने के कारण उसे दर्द हो गया था मगर उसने अपने आप को संभाल लिया और मुझे कस कर अपनी बाँहों में चिपटा लिया.

मैं लंड को बाहर खींच कर फिर जोर से एक ही बार में जड़ तक पेल दिया, उसकी रस से भरी पनियाई हुई चूत ने मेरे लंड को अपने गर्म आगोश में ले लिया. उसकी मखमली चूत ने मेरे लंड को पूरी तरह से कस लिया.
माँ जोर से बोली- उईई मादरचोद, तेरी माँ हूँ उईईई ईई साले बिल्कुल रांड समझ कर ठोक दिया, उईई मेरी चूत चीर डाला उम्माह तुम्हारा बहुत बड़ा हथियार हैं साले म ममा मादरचोद, मेरी फट जाएगी, कुत्ते जरा धीरे नहीं पेल सकता था हरामी?

मैं हँसते हुए धक्के लगाने लगा कर बोला- चल साली नखरे करती है, अब तुम बच्ची हो क्या?
मेरी प्यारी माँ ने भी अपनी गांड को पीछे की तरफ धकेलते हुए मेरे लंड को अपनी चूत में लेना शुरू कर दिया और बोली- आज चोद ले रंडी की तरह, मादरचोद अपनी माँ को!
और हंसने लगी.

मैंने लंड को बाहर पूरा खींचा और एक ही बार में घुसा दिया, इस तरह चार बार किया. मेरी माँ को पहली बार ऐसा लंड मिला था. उसकी तो साँस ही अटक गई थी वो मुझे ऊपर धकेलने की कोशिश करने के साथ बोली- आह्ह्ह माँ मार डालेगा क्या, उम्म उईई कैसे पेल रहा है उईईई इऊउइ ईउइओईउ ईईई उक्क्क्क उफ़ उफ़ मर जाउंगी रे मादरचोद…

मैं अब लंड को आगे पीछे करने लगा और आगे झुक कर उसकी कांख को चूमने लगा और मस्त चूचियों को दबाने लगा. थोड़ी देर में माँ को भी मस्ती आने लगा. मैं अब तेज़ी से धक्का लगाने लगा था और मेरी रांड माँ के मुँह से सिसकारियाँ फूटने लगी थीं.
वो सिसकते हुए बोल रही थी- ओह बेटा, ऐसे ही, हाँ ऐसे ही चोदो, अपनी माँ को ओह ओह हाँ हाँ और जोर से, बस पूरा पूरा पेल के आह आह हां बेटा उईई ईईई आईई इसी तरह से ज़ोर-ज़ोर से धक्का लगाओ, इसी प्रकार से चोदो मुझे… आह… सीईईई.

मैं भी आनन्द में सिसया रहा था- हाय मेरी माँ… आह ईई ईई ओह ओह… तुम्हारी चूत कितनी टाइट है, ओह माँ ओह ओह मेरी माँ उईई और चूत बहुत गर्म हैं, ओह मेरी प्यारी माँ दुलारी माँ लो अपनी चूत में बेटे के लंड को, ऐसे ही लो, देखो आज उई ईई ये उसी चूत को चोद रहा है जिससे निकला है. ओह्ह्ह ये लो मेरा लंड अपनी चूत में ये लो फिर से लो, ले लो मेरी रानी, मेरी जान उईई आह.
मैं उसकी चूत की चुदाई अब पूरी ताक़त और तेज़ी के साथ कर रहा था.

‘ओह चोद, मेरे हरजाई कुत्ते, मेरे बेटे ओह्ह ह्ह्ह्ह्ह आईई ईई इईई क्या कर रहह हा है और ज़ोर से चोदो, ओह कस कर मारो अह्ह्ह ह्ह्ह ऊऊऊ इईई और ज़ोर लगा कर धक्का मारो, ओह मेरा पेल ले चोद ले आह, सीईईईई, कुत्ते, ओह मेरे कुत्ते ईई हरामी और ज़ोर से चोद मुझे, मेरी चूत को चोदने वाले मादरचोद के लौड़े हरामी, और ज़ोर से मारो, खूब चोदो अपने माँ को माँ ईई ईई उईई मा माँ माँ उई मी माँ चोद न रे कुत्ते आह्ह्ह ऊऊ ईई इईई इईई अमाआया माँ उईई साले मा पूरा पेल के ओह ओह हो हूँ ऊउऊ ईई ईई मा साले आह साले आहा अहा आहा क्या चोद रहा है… हाँ हां हाँ बहुत अच्छा उओ उईई इईई , अपना पूरा लंड मेरी चूत में घुसा कर चोदो कुतिया के पिल्ले… सीई…ईईई मेरा चूत में सुरसुरी हो रही है आह्ह्ह ह्ह्ह बहुत खूब हाँ ऐसे ही बढ़िया.’

मैं अब और ज़ोर-ज़ोर से धक्का मारने लगा. मैं अपने लंड को पूरा बाहर निकाल कर फिर से उसकी गीली चूत में पेल देता. मैं बहुत तेज़ी के साथ उसको चोद रहा था और माँ अपने चूतड़ों को नचा-नचा कर आगे-पीछे की तरफ धकेलते हुए मेरे लंड को अपनी चूत में लेते हुए सिसिया रही थी- ओह चोद मेरे राजा… मेरे लाल उईई क्यों योऊ ऊउउऊ अपने लंड… और ज़ोर से चोद… ओह… मेरे चुदक्कड़ बालम, सीईईई… हरामजादे बेटा… और ज़ोर से पेल मेरी चूत को… ओह ओह… सीईई… बहनचोद… मेरा अब निकल रहा… हाईई…ईईई ओह सीईई.

मैं भी अपनी सिसकारियाँ रोक नहीं पा रहा था- आई माँ ले… मेरी रंडी चोद रहा हूँ माँ को, माँ के चूत में मेरा लंड पी ले मेरे लंड का रस साली रंडी मेरी कुत्तिया, साली हरामी से चुदा ले ओह ओह माँ माँ क्या टाईट चूत है तेरी आह्ह्ह साली कुत्तिया कुत्तिया की तरह ऊईई उईई कर रही ले चोदा ले बेटा से…

फिर मैं रुक गया, माँ बोली- क्या हुआ?
मैं नीचे लेट गया और बोला- तू मेरा सवारी कर!
तभी माँ अपने दोनों पैरों को मेरे कमर के दोनों तरफ करके मेरे ऊपर आ गई फिर माँ ने मेरे लंड को अपनी चूत के छेद के ऊपर लगा कर अपनी कमर को एक जोरदार झटका दिया. मेरे लंड का लगभग आधे से अधिक भाग एक झटके के साथ माँ की चूत के अंदर समा गया.

तेज़ी के साथ लंड के घुसने के कारण माँ के मुँह से दर्द भरी सिसकारी निकली- उईई ईई उई माँ मर गई इईई, फट गई.
मगर उन्होंने इसकी परवाह किए बिना एक और झटका तेज़ी से मारा और मेरा पूरा लंड अपनी चूत के अंदर घुसा लिया, मेरे ऊपर लेट कर अपनी मस्तानी चूचियों को मेरी छाती से रगड़ते हुई वो बोली- बहुत मस्त लंड है तुम्हारा, यह मेरी चूत में अच्छी तरह से फिट होकर बहुत मजा दे रहा है. डियर, बताओ ना कैसा लग रहा है अपनी माँ की चूत में अपना लौड़ा धँसा कर? क्या तुम्हें अच्छा लग रहा है?
‘ओह माँ, बहुत अच्छा लग रहा है, तुमने मेरे लंड को अपनी चूत में बहुत अच्छे तरीके से ले लिया है. माँ तुम्हारी चूत बहुत मजा दे रही है और इसने मेरे लंड को अपने अंदर कस लिया है.’

माँ अब अपने चूतड़ उछाल-उछाल कर धक्का लगा रही थीं, उनकी चूचियाँ हर धक्के के साथ मेरी छाती से रगड़ खा रही थीं. दूसरी तरफ मेरा लौड़ा उनकी चूत की दीवारों को कुचलते हुए उनकी तलहटी तक पहुँच जाता था.
मैं नीचे से अपने चूतड़ उछाल-उछाल कर उनकी चूचियों को दबाते हुए धक्का लगा रहा था. उनकी चूचियाँ एकदम कठोर हो गई थीं और निप्पल एकदम नुकीले!

मेरी माँ के मुँह से सिसकारियाँ फूटने लगी थी, वो सिसकते हुए बोल रही थी- ओह बेटे, ऐसे ही, ऐसे ही चोदो, हाँ हाँ, इसी तरह से ज़ोर-ज़ोर से धक्का लगाओ नीचे से, हाँ इसी तरह नीचे से अपनी माँ की मदद करो चुदने में, इसी तरह से पेलो मादरचोद लंड को, इसी प्रकार से चोदो मुझे!
‘आह, सीईईई, माँ तुम्हारी चूत कितनी गर्म है, ओह माँ, लो अपनी चूत में मेरे लंड को, ऐसे ही लो, देखो ये लो मेरा लंड अपनी चूत में, मेरी सेक्सी माँ, बताओ मेरे लंड से चुदने में तुम्हें कैसा लग रहा है? क्या मेरा लौड़ा मजेदार हैं, पापा से अच्छा है?’

‘ओह, सीईईईई, उस नामर्द का नाम नहीं ले, ओह ओह बेटा तेरा लंड मझे ज्यादा मजा दे रहा है, और शायद मैं अपने ही बेटे के लंड को अपनी चूत में ले रही हूँ. इस बात ने मुझे अधिक उत्तेजित कर दिया है, पर जो भी हो मुझे मजा आ रहा है. साले मादरचोद तुझको भी तो मजा आ रहा होगा? और ज़ोर से पेल अपने लंड से मुझे, साले भड़ुए हरामी, और ज़ोर से मार, अपना पूरा लंड अपनी माँ की चूत में घुसा कर चोद.’

मुझे लगा कि माँ अब थक गई हैं इसलिए मैंने उसे अपनी बाँहों में कस लिया और उसे धक्का लगाने से रोकते हुए पलटने की कोशिश की.
माँ मेरे मन की बात समझ गईं और फिर से माँ नीचे लेट गई और मैं उनके ऊपर चढ़ कर लंड को चूत के मुँह पर रख कर जोर से पूरा पेल दिया, पूरा लंड माँ के चूत में चला गया. मैं और ज़ोर ज़ोर से धक्का मारने लगा.
केवल यह सोचने मात्र से कि मैं अपनी माँ को चोद रहा हूँ मेरे लंड को मोटाई शायद बढ़ गई थी, मैं अपने लंड को पूरा बाहर निकाल कर फिर से उनकी गीली चूत में पेल देता, माँ की चूचियों को दबाते हुए उनके चूतड़ों पर हाथ फेरते और मसलते हुए मैं बहुत तेज़ी के साथ उसे चोद रहा था.

माँ अब नीचे से अपनी पिछाड़ी को हवा में उछालते हुए अपने चूतड़ों को नचा-नचा कर मेरे लंड को अपनी चूत में लेते हुए सिसिया रही थीं- ओह चोद माँ के लौड़े, और ज़ोर से चोद, ओह मेरे चुदक्कड़ बेटे, सीईईई हरामजादे, और ज़ोर से पेल मेरी चूत को, ओह ओह सीईई सी ई हरामी, मादरचोद, ज़ोर-ज़ोर पेल लंड और चोद, मेरा अब निकल रहा हाईईई ओह सीईई भोसड़ी वाले सीईईई’ कहते हुए अपने दांतों को पीसते हुए और चूतड़ों को उचकाते हुए वो झड़ने लगीं.

मैं भी झड़ने वाला ही था इसलिए चिल्ला कर बड़बड़ाया- साली छिनाल कुतिया, लंडखोर, माँ, मैं अपनी माँ को चोदूँ आह सीईईसीईई मेरा भी निकलेगा अब, ज़रा इन्तजारर कार्रररओ स्साली लिइईई’ मगर तभी मेरे लंड ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया.
मेरा निकलते ही माँ भी इईई ईईई कर के मुझे कस कर पकड़ लिया. कुछ देर दोनों एक दूसरे को पकड़े रहे, फिर मैं माँ के ऊपर से लुढ़क कर उनके बगल में लेट गया. माँ भी अपनी आँखों को बंद किए अपनी साँसों को संभालने में लगी हुई थीं.

कुछ ही देर में मैंने उठ कर कपड़े पहन कर आलोक को फोन किया. उसने बोला- बस बीस मिनट में पहुँचने वाला हूँ.

माँ उठ कर बाथरूम में चली गई, फिर माँ चाय बना कर लाई चाय पीकर माँ खाना बनाने चली गई.

माँ बेटे की चुदाई के बाद भी माँ की चुदाई की कहानी जारी रहेगी.
[email protected]