मेरा चोदू यार-1

मगर इस घर में जाकर जब उसने घंटी बजाई तो अंदर से एक आंटी आई हाथ में बर्तन लेकर, करीब 45-50 की उम्र, गोरा साफ रंग मगर बेडोल थुलथुला जिस्म, एक पतली सी नाईटी पहनी हुई।
अब निर्मल ज़मीन पर बैठा, उसको देख रहा था।

जब वो आंटी आई और दूध डलवाने के लिए झुकी तो उसके अंदर कर सारा सामान उसकी नाईटी के खुले गले से निर्मल के सामने आ गया।
अब निर्मल तो उसी को देख कर हिल गया, इतने बड़े बड़े बोबे… इसकी तो टिकटिकी बंध गई।
इसकी नज़रों को ताड़ कर आंटी भी नीचे बैठ गई, जब वो बैठी तो घुटने साथ लगने से आंटी के बोबे और भी ज़्यादा उभर कर निर्मल के सामने आ गए।
निर्मल खड़ा हो गया और पाजामे में खड़ा उसका जवान लंड भी आंटी के सामने प्रकट हो गया।

अब यह आंटी के बोबे घूर रहा था और आंटी इसका खड़ा लंड… दोनों के दिलों में न जाने क्या तूफान चल रहा था।
इसने बड़े आराम से टाइम लगा कर दूध डाला।
आंटी तो तजुर्बेकार थी, वो भाँप गई, के लोंडा उसके अधेड़ यौवन पर रीझ गया है। अब ये ऐसा मौका था, जब कुछ भी हो सकता था, घर में सब सो रहे थे, किसी को कानो कान खबर नहीं होनी थी, अगर आंटी आज इस कच्चे केले को खा जाए, और न ही किसी को पता चलना था, अगर निर्मल इस आंटी को चबा डाले।
बिना कहे दोनों मे अंदर अंदर ही बात कर ली।

आंटी बोली- मुझे लगता है आज तूने दूध पूरा नहीं डाला है, मुझे इसको नापना पड़ेगा।
‘नहीं आंटी जी, दूध पूरा, जैसे मर्ज़ी नाप लो!’ निर्मल बोला। आंटी बोली, ‘चल ऐसा कर मेरे साथ किचन में आ, वहाँ पे पौना रखा है नापने का।’
आंटी दूध लेकर किचन में चली गई और निर्मल पीछे पीछे।

ड्राइंग रूम की बत्ती जल रही थी, बाकी सारे घर की बत्तियाँ बंद थी। आंटी किचन में गई, निर्मल भी पीछे पीछे किचन में गया, मगर आंटी ने किचन की बत्ती नहीं जलाई।
जब निर्मल किचन में आंटी के पीछे खड़ा था तो आंटी ने दूध वाला बर्तन रखा और पाजामे के ऊपर से ही निर्मल का लंड पकड़ कर बोली- इसे क्या हुआ है?
निर्मल चुप।
आंटी ने किचन के बाहर देखा और अपनी नाईटी उठाई और किचन में ही घोड़ी बन गई।
‘जल्दी कर, चल आ’ आंटी बोली।
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निर्मल खड़ा सोचे कि यह क्या हो रहा है!?

आंटी ने फिर कहा- क्या सोच रहा है, पजामा उतार और जल्दी कर!’
निर्मल ने एक बार सोचा, अगर पकड़ा गया तो बहुत मार पड़ेगी, पर देखने वाली बात यह भी है कि आंटी खुद दे रही है, एक न एक दिन तो लंड का इस्तेमाल करना ही है, ये कौन सा सिर्फ मूतने के लिए लटकाया है, बस निर्मल ने एक सेकंड में अपना पाजामा और चड्डी उतार दी।
आंटी उसे देख रही थी।

जब निर्मल ने अपनी कमर आंटी की कमर के साथ लगाई, तो आंटी ने खुद ही उसका लंड पकड़ कर अपनी चूत से लगाया और बोली- चल डाल।
निर्मल के एक हल्के से धक्के से उसका लंड आंटी की चूत में घुस गया।
बस फिर क्या था, पठ्ठे ने आंटी को निहाल कर दिया, उसके जोश और ताकत के आगे आंटी 5 मिनट नहीं टिक पाई। जब आंटी का हो गया तो वो सीधी होकर फ़र्श पर लेट गई, अब निर्मल उसके ऊपर सामने से आकर उसे चोदने लगा।

निर्मल की पहली चुदाई बड़ी मस्त रही, करीब 6-7 मिनट की चुदाई के बाद निर्मल आंटी की अधेड़ चूत में ही झड़ गया।
उसके झड़ते ही आंटी उठ खड़ी हुई, उसको जल्दी से कपड़े पहनने को कहा और दूसरे मिनट उसको घर से चलता किया।

बेशक पहली चुदाई से निर्मल बहुत खुश था, मगर पत्थर के फर्श पे रगड़ लगने से उसके दोनों घुटने छिल गए थे।

उसके बाद तो उसने हर उस आंटी, दीदी, भाभी पर लाईन मारी जिस जिस के घर भी वो दूध देने जाता था।
नतीजा ये निकला के छोटी सी उम्र में ही वो तगड़ा चुदक्कड़ बन गया।

धीरे धीरे उसने और शौक भी ग्रहण कर लिए, अब वो औरतों के साथ साथ, मर्दों में भी रुचि रखने लगा। जिस वजह से कई सारे लौंडे उसके धारदार लंड के दीवाने हो गए।
कॉलेज तक पहुँचते पहुँचते वो औरत, मर्द और हिजड़ा हर किसी को चोद चुका था। कच्ची कली को, पके फल को, सभी को चख चुका था वो। किशोरियों से लेकर 65 साल तक की वृद्धायें उसके लंड का मज़ा ले चुकी थी।
उसकी रेंज की कोई सीमा नहीं थी।

खैर कॉलेज के बाद उसने हमारा ऑफिस जॉइन कर लिया। नौकरी के दौरान भी उसने कई कारनामे किए, जिसका ज़िक्र फिर कभी करूंगा, फिलहाल उसके एक खास कारनामे का ज़िक्र करता हूँ।
कहानी जारी रहेगी।
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