मेरा कामुक बदन और अतृप्त यौवन- 1

एक बार मैं अपनी सहेली मनीषा के साथ शॉपिंग करने मार्किट गई थी। उस वक्त अन्नू स्कूल गई हुई थी और रोहन भी अपने कोलेज गया था, दोनों को वहाँ से आने में पांच बज जाते हैं और मेरे पति रवि को भी ऑफिस से आने में आठ बज जाते हैं।

अब रोहन के साथ भी मुझे मुश्किल से टाइम मिल पाता था क्योंकि वो सुबह कॉलेज चला जाता था और शाम को ही आता था।
तो दोपहर का समय मुझे अकेले ही काटना पड़ता है इसलिए मैं टाइम पास करने के लिए मनीषा के साथ मार्किट चली गई।

मनीषा मेरे घर के नजदीक ही रहती थी तो हमारी आपस में बहुत अच्छी बनती थी।
मनीषा दिखने में सुन्दर है, उसकी उम्र कुछ 35 साल है और एक अच्छे फिगर की मालकिन है।

हम लोग आपस में बहुत खुले हुए है और हम दोनों के बीच हर तरह की बातें होती हैं।

शॉपिंग करने के लिए हम लोग एक अच्छी साड़ी की शॉप पर गये थे। वो शॉप मनीषा के किसी दोस्त की ही थी। मैंने काली साड़ी पहनी हुई थी जो कमर से बहुत नीचे बंधी हुई थी और स्लीवलेस ब्लाउज पहना था जो लो कट था।

दुकान पर सब मुझे ही घूर रहे थे। मेरे मम्मों और नंगी कमर पर सबकी निगाहें अटकी हुई थी जिसे मैं बार बार नोटिस कर रही थी।कुछ लोग तो मेरे पास से गुजरने के बहाने मेरी कमर और गांड को छू लेते थे।
मैं भी मूड में आ गई थी और जान बूझकर और उन्हें उकसा रही थी।

देवेश जो दुकान का मालिक और मनीषा का दोस्त था हमें साड़ी दिखा रहा था और सबसे ज्यादा वही मुझे घूर रहा था।
मैं भी उसे अपनी और कुछ ज्यादा ही आकर्षित कर रही थी, साड़ी दिखाते टाइम मैं अपना पल्लू उठाकर ठीक करने लगी जिससे देवेश को मेरे अधनंगे मम्मों के दर्शन हो गए।

मैंने देखा की उसका लंड उसके पैंट में तना जा रहा है और वो उसे अपने हाथों से मसल कर बार बार अंदर दबा रहा था।
मैं उसे बार बार ऐसा करते हुए देख रही थी।
एक बार तो हम दोनों की नज़रे भी आपस में टकरा गई तो हम दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा दिए और फिर से वही सिलसिला शुरू हो गया।

मनीषा ने अपने लिए साड़ियाँ खरीद ली थी पर मुझे अपने लिए कोई पसंद नहीं आई। तो देवेश मुझसे बोला अगर आपको और साड़ियाँ देखनी हो तो आप एक बार गोदाम में चल कर देख लीजिये, शायद आपको पसंद आ जाये।

मैंने मनीषा को भी साथ चलने का बोला पर वो और सामान खरीदने लगी तो मुझे देवेश के साथ अकेले ही गोदाम में जाना पड़ा जो दुकान के तीसरे माले पर था।

गोदाम में जाते ही उसने मुझे बैठने का बोला और फिर साड़ियाँ दिखाने लगा।

वो मेरे बगल में ही खड़ा था जिससे मुझे उसका खड़ा लंड मेरे मुंह के पास ही महसूस हो रहा था। जब मैंने नज़र उठा कर उसकी तरफ देखा तो वो मेरे मम्मों को घूर रहा था।

मैं उससे बोली- क्या हुआ जनाब? ऐसा क्या देख रहे हो आप मुझको?
वो मुस्कुरा कर बोला- आप इस साड़ी में बहुत सुन्दर दिख रही हैं।
मैं भी उसको छेड़ते हुए बोली- हाँ, वो तो आपकी पैंट देख कर ही पता लग रहा है।

मेरी इस बात से वो पहले तो चुप रहा और फिर बोला- भाभी जी, आप का ब्लाउज तो बहुत ही लो कट का है। आप बहुत सेक्सी लग रही हो इसमें!
मैंने हंसते हुए उसे धन्यवाद बोला।

मुझे एक साड़ी पसंद आ गई थी और मैंने उसे पैक करवा ली थी तभी देवेश बोला- अगर आपको स्टाइलिश मैचिंग अंडर गारमेंट्स भी लेने है तो वो भी मिल जाएंगे।
तो मैं अपने लिए अंडर गारमेंट्स देखने लगी।

उनमें से कुछ मुझे पसंद आये तो मैं देवेश से बोली- मैं इन्हें ट्राय करना चाहती हूँ।
तो देवेश बोला- ट्रायल रूम तो नहीं है, अगर आपको ट्राय करना है तो यहीं कर सकती हैं।

मैं उससे बोली- मैं क्या तुम्हारे सामने चेंज करुँगी?
तो देवेश बोला- आप फ़िक्र न करें, यह तो मेरे रोज का काम है।

मैं देवेश के मन की भड़ास को समझ चुकी थी और अब मैं भी इसका मजा लेना चाहती थी तो मैं भी उसके सामने ट्राय करने के लिए तैयार थी।

मैंने देवेश की तरफ पीठ की और फिर अपने पल्लू को नीचे गिराकर अपने ब्लाउज के हुक को खोल दिया और ब्लाउज उतार कर साइड में रख दिया।
फिर मैंने अपनी ब्रा को भी उतार दिया।

अब मैं ऊपर से बिल्कुल नंगी और कमर से साड़ी में थी।
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मैंने अब नई ब्रा को उठाया और पहनने लगी, मैंने उसे ठीक से अपने मम्मो पर सेट किया और फिर हुक लगाने लगी।
ब्रा का हुक मुझसे नहीं लग रहा था तो मैंने देवेश की तरफ सर घुमा कर उसे इशारा किया।
वो समझ गया और आकार ब्रा का हुक लगाने लगा।

वो मुझसे सटकर खड़ा था जिससे उसका लंड मेरी गांड में झटके दे रहा था।
मैं भी अपनी गांड को पीछे की ओर उसके लंड पर दबा रही थी और शायद इसका एहसास उसको हो गया था तो उसने ब्रा के ऊपर से ही अपने हाथों को मेरे मम्मों पर रख दिया।
और फिर धीरे धीरे उन्हें सहलाने लगा।

अब उसने मुझे अपनी और घुमाया और मेरे होंठों को चूमने लगा। उसने ब्रा भी उतार कर फेंक दी और अब वो मेरे नंगे मम्मों को मसल रहा था।

उसने ज्यादा देर ना करते हुए मेरी साड़ी, पेटिकोट को उतार दिया।
अब मैं केवल पैंटी में उससे लिपटी हुई खड़ी थी।

देवेश ने मुझे उठाकर काउंटर पर बैठा दिया और मेरी टाँगें उठाकर पैंटी उतार दी। अब वो मेरी चूत पर थूक कर उसे अपनी उंगलियों से मलने लगा।
उसने मेरी चूत के दाने को सहलाना शुरू कर दिया और फिर एक उंगली मेरी चूत में डालकर अंदर बाहर करने लगा।

मेरी चूत गीली होने लगी थी तो उसने उंगली निकाल कर अपने पैंट को उतार दिया और लंड बाहर निकाल कर मेरे हाथों में थमा दिया।

मैंने थोड़ी देर तक लंड को सहलाने के बाद लंड पर ढेर सारा थूक लगा लिया और फिर उसने अपने लंड को मेरी चूत पर लगा कर धीरे धीरे धक्के लगाने लगा।
दो तीन धक्कों में उसका पूरा लंड मेरी चूत में समा चुका था और मैं मस्ती में सिसकारियाँ ले रही थी।

मैं वही काउंटर पर टाँगें फैलाये बैठी थी और देवेश अपने लंड को चूत में अंदर बाहर किये जा रहा था।
अब देवेश ने जोरों के धक्के देना शुरू कर दिए उसका लंड मेरी चूत में अंदर तक जा रहा था जो मुझे मीठा सा दर्द दे रहा था।

मैंने अपने दोनों हाथों से देवेश की कमर को पकड़ लिया था जिससे मेरे नाखून उसकी कमर पर चुभ रहे थे।
मेरे मुंह से आआहह हहहहह आआआ ओऊऊहहह ऊऊऊऊहह हहहह की आवाज़ें निकल रही थी जिसे बंद करने के लिए देवेश ने मेरे मुंह में अपनी तीन उंगलियाँ डाल दी।

उसके धक्कों की रफ़्तार लगातार बढ़ती जा रही थी।
थोड़ी देर उसी तरह चोदने के बाद उसने मुझे काउंटर से नीचे उतारा और मुझे काउंटर की तरफ झुकने को बोला।

मैंने अपने दोनों हाथों को काउंटर पर रखा और देवेश की तरफ पीठ करते हुए झुक गई।
मेरे इस आसन में खड़े होने के कारण मेरी बड़ी गोल गांड देवेश के सामने थी।

देवेश ने अब अपने लंड को पीछे से मेरी चूत पर लगाया और एक ही धक्के के साथ पूरे लंड को मेरी चूत में उतार दिया।
मैं दर्द से कराह उठी इस आसान में मेरी चूत कुछ ज्यादा ही कसी हुई लग रही थी।

देवेश के लगातार धक्कों की वजह से मेरी गीली चूत से पानी निकलने लगा और मैं झड़ने लगी।
झड़ते वक्त मैं अपने एक हाथ से दाने को रगड़ने लगी जिससे मैं और जोर जोर से झड़ने लगी।

देवेश भी अपने चरम पर था और मेरी चूत से निकले हुए पानी के कारण उसका लंड पूरा गीला हो चुका था।
तभी देवेश ने पीछे से ही अपने हाथों से मेरे मम्मों को जकड़ लिया और फिर जोरदार धक्कों के ही साथ मेरी चूत में झड़ने लगा।
उसके वीर्य की लगातार धार मेरी चूत को अंदर तक गीला कर रही थी।

मैं इतनी मदहोश थी कि मुझे इस बात की भी याद नहीं थी कि मनीषा मेरा इंतजार कर रही होगी।

मैं उठी और अपनी पैंटी उठाकर अपनी चूत को साफ करने लगी जिसमें से अभी भी मेरा और देवेश का वीर्य निकल रहा था।
मैंने वो पेंटी उठाकर अपने पर्स में रख ली।

देवेश ने अपने कपड़े पहन लिए थे और मैं उसके सामने अभी तक नंगी थी।
मैंने नई पैंटी पहन कर साड़ी पहनी और फिर जल्दी से खुद को तैयार किया और सीढ़ियों की तरफ जाने लगी।

जाते वक्त देवेश ने मुझे एक अच्छे और स्टाइलिश ब्रा पैंटी गिफ्ट किया और बोला की आप पर ये बहुत अच्छे लगगे।

नीचे दुकान में मनीषा मेरा बहुत देर से इंतजार कर रही थी।

फिर हम लोग वहाँ से कार में बैठकर घर की तरफ आने लगे।
रास्ते में मनीषा मुझसे बोली- तुझे शॉपिंग करने में इतनी देर क्यों लग गई थी?
मैंने कहा- तेरे दोस्त की नज़र मुझसे हटती, तभी तो कुछ शॉपिंग हो पाती।

मनीषा बोली- मुझे सब पता है अंदर क्या हुआ था। जब तुम लोग अपनी चुदाई में व्यस्त थे, तब मैं ऊपर देखने आई थी पर फिर तुम्हारी चुदाई देखकर चली गई थी।

मनीषा के मुँह से यह सब सुनकर मैं घबरा गई पर मुझे पता था कि वो ये बात किसी को नहीं बोलेगी।
तभी मनीषा बोली- दी कोई बात नहीं, आपकी लाइफ है आप चाहे जैसे भी एन्जॉय करो! और वैसे भी देवेश मेरा अच्छा दोस्त है वो भी ये बात किसी को नहीं बताएगा।

मनीषा की बात सुनकर मैं थोड़ा सामान्य हुई और उससे बोली- थैंक यू मनीषा!
और उसके गाल पर एक चुम्मी दी तो वो बोली- बस बस, अब क्या मेरे साथ भी एन्जॉय करना है?

तो मैंने हंसते हुए कहा- इसमें बुराई क्या है?
और फिर हम दोनों हंसने लगे।

थोड़ी देर बाद हम दोनों घर आ गए।
मैंने मनीषा को रूम में बिठाया और फिर उसे अपनी नई ब्रा और पैंटी दिखाने लगी।

मनीषा को उनमें से एक जोड़ी बहुत ही अच्छी लगी तो मैंने उससे ट्राय करने का बोला।
पर उसे घर जाना था तो वो बोली दी मैं कल आऊँगी तब ट्राय कर लूँगी।
मैंने कहा- ठीक है।
और फिर वो चली गई।

शाम के पांच बज चुके थे, बच्चों के आने का टाइम भी हो गया था और अन्नू आ भी चुकी थी।
थोड़ी देर बाद रोहन आया और दरवाजे पर पहुँचते ही उसने मुझे गले लगा लिया और बोला- मम्मी, आज मैं बहुत थक गया हूँ!

तो मैंने उसके होठों पर एक चुम्मी दी और बोली- थोड़ी देर आराम कर ले!
फिर वो अपने रूम में चला गया।

शाम को रवि भी आ गए, फिर हम सब लोगों ने खाना खाया और सब अपने रूम में चले गए।

रूम में पहुँचकर मैंने अपने कपड़े उतार कर गाउन पहन लिया।
मैं गाउन के अंदर केवल पैंटी ही पहने हुई थी और फिर जाकर रवि को अपनी बाहों में भर लिया और उन्हें चूमने लगी।

रवि ने मुझे अपने नीचे लेटाया और मेरे गाउन को उतार दिया और फिर मेरे गोल मम्मों को दबाने और चूमने लगे।
मैंने उनके लंड को अपने हाथों में लिया जो बिल्कुल खड़ा हो चुका था, मैं उनके लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।

थोड़ी देर बाद उन्होंने लंड को मुख से निकाला और फिर मुझे घोड़ी बनाकर लंड को मेरी चूत पर लगाकर एक जोरदार धक्के के साथ पूरा लंड मेरी चूत में उतार दिया।

मेरी हल्की हल्की सिसकारियाँ पूरे रूम में गूंजने लगी- ऊफ्फ्फ आआहह.. ओओहह.. रवि ओऊहहह.. चोददो ममुझझे.. आहहह ओहहह माआ.. और जोरर से चोदद दो फक्क मीईई रवि..

मेरी आवाज़ें रवि को और ज्यादा उत्तेजित कर रही थी, रवि भी जोरदार झटकों के साथ मुझे चोदे जा रहे थे।
मैं अब झड़ने वाली थी तो मेरा शरीर अकड़ने लगा और मैं रवि के लंड पर दबाव बनाते हुए झड़ने लगी।

झड़ते वक्त रवि ने अपना लंड बिलकुल अंदर तक डाल कर झटके देना चालू रखा। मेरे पानी से रवि का लंड गीला हो चुका था और बेड पर गिर रहा था।

गीलेपन की वजह से अब लंड आसानी से चूत के अंदर बाहर हो रहा था और फच फच की आवाज़ों के साथ रवि मेरी चुदाई कर रहे थे। अब रवि भी झड़ने वाले थे तो उन्होंने मेरी कमर को पकड़कर अपनी ओर खींचा और जोरो के अपना लंड मेरी चूत में डालने लगे।

कुछ ही धक्कों के बाद वो मेरी चूत में झड़ने लगे और फिर अपना लंड बाहर निकालकर बाथरूम को जाने लगे।
मैं भी उठी और अपने पर्स से सुबह वाली पैंटी निकाली जो अभी तक गीली थी।
मैंने उससे फिर से अपनी चूत को साफ किया और उसे वहीं ड्रेसिंग टेबल पर रख दिया।
फिर हम दोनों सो गए।

इससे आगे की स्टोरी अगली बार में!
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