जीजा साली और बहन भाई की मस्त चुदाई-3

अब की बारी मैं हारी.. तो सभी बहुत खुश हुए।

‘साली साहिबा.. अब आई हमारी बारी.. मैं भी तेरी शर्ट उतार कर नंगा करता हूँ तुझे.. देखूं तो सही कि… चूचियां पत्नी की अधिक सेक्सी है या साली की?’
अवी के हाथों ने पहले तो मेरी चूचियों को अच्छी तरह टटोला.. मेरी चूचियां पत्थर की तरह कड़ी हो गई थीं।

कसम से अवी का हाथ लगते ही.. मैं पागल हो गई। मेरी शर्ट उतार कर जब उसने मेरी चूचियां को चुम्बन किया.. तो मैं चुदासी हो गई। मैं चाहती थी कि आज मुझे अवी चोद डाले.. मेरी चूचियां गुलाबी हो गईं।

‘ऊऊओह.. अवी मत करो.. प्लीज़ीईईई..’
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अवी ने मुझे होंठों पर चुम्बन किया और बोला- साली साहिबा.. जब आपने हाथ लगा कर मेरे लंड को दीवाना बनाया था.. भूल गईं..? अभी तो आपकी चूत को नंगा करना बाकी है।’

अब सब कुछ खुल्लम-खुल्ला हो चुका था बस लौड़े चूतों में लगने बाकी रहे गए थे।
शराब ने हमारी सारी झिझक को खत्म कर दिया था।

फिर हारा अवी.. और विमल ने मुझसे कहा- बिंदु डार्लिंग.. अब अपने जीजा को कर दो पूरा नंगा.. उतार दो इससकी कमीज़ भी।

मैंने वैसे ही किया.. अवी का सीना काले बालों से ढका हुआ था और जब उसने मुझे अपने सीने से लगाया तो मेरी कड़क चूचियां उसकी छाती के स्पर्श से फटने को आ गईं।

अवी ने एक हाथ मेरे पजामे में डाल कर मेरी चूत को स्पर्श किया.. तो मेरी सिसकारी निकल गई.. मेरी चूत से पानी की धारा बह रही थी।

‘साली साहिबा.. आपकी चूत तो पागल हुई जा रही है.. क्यों ना इसका इलाज मैं अपने लंड से कर दूँ..? विमल यार.. आज मेरी बात मान लो.. प्लीज़.. तुम शशि को चोदो और मुझे बिंदु को चोद लेने दो। इतनी गरम चुदासी चूत मैंने आज तक नहीं देखी.. अगर किसी को एतराज़ है.. तो अभी बोल दे।’

विमल और शशि ने ‘हाँ’ बोल दी.. वो हैरान हुए जब मैंने कहा- मुझे एतराज़ है.. जीजाजी मुझे आज की पार्ट्नर्स बदलने की स्कीम पर एतराज़ है.. अगर करना ही है.. तो फ़ैसला हो जाए कि ये अरेंजमेंट हमेशा के लिए होगा.. हम चारों आपस में किसी के साथ भी.. जब चाहें.. जो करना हो कर सकते हैं। अगर मंज़ूर है.. तो बोलो।

अवी ने मेरी चूचियां को चूमते हुए कहा- साली साहिबा.. आपने तो मेरे मन की बात कर डाली.. लेकिन शायद विमल को रोज़ रोज़ अपनी बहन चोदना पसंद ना आए।

विमल ने शशि को अपनी गोदी में उठाते हुए कहा- अगर तुम्हारा ये प्रोग्राम अच्छा है.. तो फिर इस में कोई एतराज़ क्यों? चलो एक पैग और बनाओ.. हमारे इस नए रिश्ते के लिए.. आज पता चल जाएगा कि घर की चूत कितनी स्वादिष्ट होती है।

शशि उठी और पैग बना कर ले आई.. अवी ने मुझे अपनी गोद में बिठा लिया और शशि विमल की गोद में जा बैठी।

विमल के सिवाय हम सभी नंगे थे.. अवी का लंड मेरी गाण्ड में घुसने की कोशिश कर रहा था।

जब मैंने देखा तो विमल शशि की चूत को हाथों से रगड़ रहा था और जब उसके गिलास से कुछ शराब शशि की चूचियां पर गिरीं.. तो विमल उसको चाटने लगा।

‘ओह्ह.. मेरे बहनचोद भाई.. ये क्या कर रहे हो.. मैं तो कब से जल रही हूँ.. लो चूस लो मेरी चूचियां.. आआहह.. दबा कर चूसो भैया… हाय… मैं मर गई.. मेरी चूत एक शोला बनी हुई है… बस करो भैया.. अब नहीं रहा जाता… पेल डालो अपना पापी लंड अपनी बहन की चूत में.. मैं मरीईईई…. उउउफफ.. भैयाअह… चोद डालो मुझे.. ऊऊओह बहनचोद.. बहन के लण्ड.. आह..’

अवी ने अब शराब अपने लंड के सुपारे पर गिरा डाली.. और मुझे चाटने को बोला।

उसका सुपारा उठक-बैठक कर रहा था और जब मैं उसको चाटने के लिए झुकी.. तो उसने खड़ा लंड मेरे मुँह में डाल दिया।

मैंने आँखें बंद करके उसके लंड को चूसना शुरू कर दिया और उसके अंडकोष हाथों में ले कर मसलने लगी।

अवी मेरे मुख को किसी चूत की तरह चोदने लगा- ओह बहनचोद बिंदु.. बिल्कुल रांड है तू.. मेरी पत्नी जैसी रांड है तू.. जो अपने भाई से चुदवाने को तड़प रही है.. बहन की लौड़ी.. आआअहह…रुक जाओ.. वरना मैं झड़ जाऊँगा.. तेरी माँ की चूत.. साली बस कर।’

मैं भी अवी को झड़ने नहीं देना चाहती थी. इसलिए रुक गई।

‘विमल.. चलो हम सबको.. हमारे किंग साइज़ डबलबेड पर चल कर.. एक साथ चुदाई शुरू करनी चाहिए.. वहाँ मैं तुझे अपनी बहन को चोदते देखना चाहता हूँ.. चाहे वो मेरी बीवी ही है।’

विमल ने शशि का नंगा जिस्म बाँहों में उठा लिया और उसको बिस्तर पर ले गया। अवी ने मुझे उठा लिया और मैं और शशि साथ-साथ नंगी ही बिस्तर पर चित्त लेट गईं।

दोनों मर्द लोगों के लंड रॉड की तरह खड़े थे।

‘साली साहिबा.. मैं तो तुझे घोड़ी बना कर चोदना चाहता हूँ.. क्योंकि तेरी गाण्ड मुझे बहुत सेक्सी लगती है.. मैं अपना लंड पीछे से तुम्हारी मदमस्त चूत में जाता हुआ देखना चाहता हूँ।’

मैं अपने मर्द के हुक्म का पालन करती हुई घोड़ी बन कर हाथों और घुटनों पर झुक गई।

‘हाँ मेरे हरामी पतिदेव.. मैं जानती थी तू यही करेगा.. अब मेरी सहेली की गाण्ड भी चाट ले.. क्योंकि तुझे थोड़ी देर बाद अपना लौड़ा उसकी गाण्ड में भी घुसाना है..’ शशि बोली।

वो विमल की तरफ मुड़ी- मुझे क्या हुक्म है भैया? मुझे भी घोड़ी बनाओगे क्या? अगर घोड़ी बनाओगे.. तो भी ठीक है.. क्योंकि कम से कम बहनचोद बनते वक्त बहन की शक्ल नहीं देख पाओगे..’ शशि बोली।

विमल ने कहा- बहना.. बहनचोद रोज़-रोज़ तो बना नहीं जाता.. कब से तमन्ना थी तुझे चोदने की.. पहली बार तो देखना चाहता हूँ कि मेरी बहना भी चुदाई के लिए तैयार है अपने भैया से? मेरी लाड़ो बहना.. मैं चाहता हूँ कि तुम मेरे ऊपर चढ़ कर मुझे बहनचोद बनाओ.. मैं अपनी बहन की चूत में अपना लंड जाता हुआ देखना चाहता हूँ.. लेकिन पहले एक बार अपनी चूत मेरे मुख से लगा कर अपनी नमकीन चूत का स्वाद तो चखा दो.. मेरी बहना.. अपनी चूत को मेरी ज़ुबान पर रख दो.. प्लीज़!’

विमल लेट गया और शशि उसके ऊपर चढ़ कर उसे अपनी चूत चटवाने लगी।
अवी ने पीछे जाकर एक उंगली शशि की गाण्ड में डाल दी और ऊँगली से उसकी गाण्ड छोड़ने लगा।

‘अवी मादरचोद.. हट जा.. साले तुझे बिंदु जैसी हसीन राण्ड मिली है.. और तू हम भाई-बहन को आराम से चुदाई नहीं करने दे रहे हो.. लगता है.. किसी दिन भैया से तेरी गाण्ड मरवानी पड़ेगी मुझे।’

शशि की गाण्ड तेज़ी से ऊपर-नीचे हो रही थी।

असल चुदाई की स्टेज सज चुकी थी.. अवी मेरे पीछे झुका और अपनी ज़ुबान को मेरी गाण्ड में घुसा कर चाटने लगा।

मेरी गाण्ड आज तक कुँवारी थी.. एक नया आनन्द मेरे बदन को मिल रहा था।

उधर शशि अब उठी और अपनी दोनों जांघों को फैला कर विमल के लंड पर सवार होने लगी। विमल ने अपने हाथ उसकी चूचियां पर कस दिए और शशि ने उसका लंड हाथ में पकड़ कर अपनी चूत पर रख दिया और नीचे बैठने लगी।

अवी ने भी अब गाण्ड चाटना बंद कर दिया और मेरे ऊपर चढ़ गया।

अवी का सुपारा किसी आग के शोले जैसा गरम था.. उसने मेरे नितम्बों को फैलाया और जांघों के बीच से लंड मेरी चूत में ठेल दिया।

‘आआआह.. भैय्आआअ… अन्दर जा रहा है तेरा लंड.. ऊऊओह बहनचोद बन गए तुम विमल भैया.. तेरी बहन तुमसे चुद रही है आज… शाबाश मेरे भाई.. चोद लो मुझे.. आह्ह।’

लगता था कि विमल का लंड शशि की चूत की जड़ तक समा गया था। अवी का सुपारा भी मेरे अन्दर फंस चुका था और मैं आनन्द के सागर में गोते लगा रही थी।

‘उर्र्ररज्ग्घह… डाल दो जीजा.. चोद लो अपनी साली को… मादरचोद एक ही बार में घुसा दो जीजा.. मत रोको.. पूरा पेलो भोसड़ी के मुझे… उउस्स्ईई.. हाय मर गई मेरी माँ… आआआआह.. पेलो जीज्ज़आा..’

अवी ने अब एक ही झटके में पूरा लंड पेल दिया.. उसका लंड मेरी चूत में बुरी तरह फिट हो गया और वो मुझे कुतिया की तरह चोदने लगा।

मैं भी अपनी कमर उचका कर अपनी गाण्ड को उसके लंड पर मारने लगी।

पूरा कमरा ‘फॅक..फॅक..’ की आवाज़ों से गूँज उठा.. एक बिस्तर पर हम चार लोग जन्नत की सैर कर रहे थे।

विमल ने अपनी बहन के कूल्हे जकड़ लिए और नीचे से अपने चूतड़ों को उठा कर उसे चोदने लगा। अवी भी अब एक कुत्ते की तरह हाँफ रहा था।

‘अवी मादरचोद थक गए क्या..? देखो मेरा पति कैसे चोद रहा है तेरी लुगाई को? तुझ में दम नहीं है क्या भोसड़ी के..? साले चोद अपनी साली को.. ज़ोर से.. ज़ोर से… अन्दर तक पेल अपना लंड जीज़्ज़ाअ माँ के लौड़े.. साले.. ले.. आह।’

अवी ने मेरे बाल पकड़ लिए और घोड़े की लगाम की तरह खींच कर मुझे धकापेल चोदने लगा।

अब उसका लंड मेरी कोख से टकराने लगा। बाज़ू में अपनी सहेली और अपने पति को देख कर मेरी उत्तेजना की कोई सीमा ना रही और मैं झड़ने लगी।

‘ओह्ह.. ज़ोर से चोद.. मैं झड़ी.. अवी चोद मुझे.. आआहह… मैं झड़ रही हूँ..ऊऊह.।’

अवी ने भी धक्के तेज़ कर दिए।
मुझे लगा कि वो भी मंज़िल के नज़दीक है। अचानक लंड रस की गरम धारा मेरी चूत में गिरने लगी और मेरा चूत रस.. अवी जीजाजी के लंड रस से मिल गया।

उधर शशि ने एक चीख मारी और विमल पर ढेर हो गई.. हम चारों झड़ चुके थे।

अब चुदाई की कथा पढ़ लिए हों.. तो पाठकों अपना लण्ड छोड़ो और पाठिकाओं अपनी चूत से ऊँगली निकाल लो और कंमेंट देना मत भूलिएगा.. प्लीज़.. दो ना.. कमेन्ट।
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