मेरी मदमस्त रंगीली बीवी-2

अपने सामान की पैकिंग करते समय मैंने एक प्यार भरी नज़र से अपनी जाने जाना सलोनी को देखा… वो किसी दृष्टि से विवाहिता लगती ही नहीं…

शादी तो दूर की बात, जब मैं सलोनी को पूरी नंगी देखता हूँ तो मुझे लगता है कि जैसे वह अभी तक अक्षतयौवना अनछुई कच्ची कली हो… सच में ही मेरी सलोनी कुँवारी कमसिन बाला से भी ज्यादा जवान और नाजुक नज़र आती है, मुझे तो ऐसा लगता है जैसे इन्द्र देव के दरबार की सबसे सुंदर अप्सरा नीचे धरती पर उतर आई हो मुझे जैसे भाग्यशाली की बीवी बन कर…

हमेशा यही पढ़ा सुना है और देखा है कि ज्यादा सेक्स या फिर ज्यादा लोगों के संग सेक्स करने से नारी की सुन्दरता जल्दी क्षीण हो जाती है, वह बेडौल हो जाती है या फिर उसका प्रेम अपने पति के लिए कम हो जाता है।

संसार के इस विश्वास को मेरी सलोनी ने असत्य करार दिया था… वो जितना ज्यादा सेक्स करती, पहले से ज्यादा प्यारी होती जाती, मेरे प्रति उसका प्रेम बढ़ ही रहा था। हमारी आपसी अंडरस्टैंडिंग लाज़वाब थी, हम दोनों एक जैसे ही सोचते.. मेरे कहने से पहले ही वो मेरे मन की बात स्वयं समझ लेती।

योग, नृत्य कला और उसका सौन्दर्य ज्ञान ही उसकी सुन्दरता को बनाये रखता था और सलोनी दिन पर दिन निखरती जा रही थी, कई गुणा ज्यादा सुन्दर होती जा रही थी।

उसके संग बिस्तर पर संसर्ग करते वक्त मेरे मन में रहता है कि मैं अपनी जान को कभी कोई तकलीफ़ नहीं होने दूँगा, मैं अपनी सलोनी को हर तरह का सांसारिक और आत्मिक आनन्द दूँगा।

मेरी सलोनी सामान की पैकिंग करते हुए बहुत ही प्यारी लग रही थी… उसने नीली जीन्स शॉर्ट्स और ऊपर से धानी रंग का बारीक़ नेट वाला टॉप पहना हुआ था जिसमें से उसकी मैरून रंग की ब्रा नुमाया हो रही थी।

पैकिंग करते हुए वो उठती… बैठती… झुकती… हर आसन में वो लाजवाब लग रही थी।

प्यार भरी नजर से उसको देखते हुए मेरे मन में यही आता… कि अभी तक यहाँ हमारी जिन्दगी कितनी हसीन और रंग-बिरंगी चल रही थी… जो भी हम दोनों के मन में आता, वही करते… और वो सब कुछ करने के बाद भी.. कितना ज्यादा समझने लगे थे हम दोनों आपस में एक दूसरे को… और एक दूसरे के प्रति पहले से ज्यादा आदर, समर्पण, प्यार..

लेकिन अब लोग हमारे सामने ही वो सब बोलने लगे थे जो असहनीय होने लगा था… इस कारण हमने यहाँ से कहीं दूर जाने का फ़ैसला किया था।

पर अब सोचने वाली बात यह थी कि नए शहर में जाकर हमारा जीने का तरीका क्या बदल जाएगा? सलोनी और मेरे तौर तरीकों में कुछ बदलाव आयेगा?

यही सब सोचते हुये मैं अपनी जानम को देखकर खुश हो रहा था, रोमांचित भी था कि पता नहीं उसने आगे के लिये क्या सोचा होगा या सोच रही है… जिस जगह हम जा रहे हैं, वहाँ कोई रिश्तेदार, मित्र प्यारा, दोस्त या कोई जानने वाला भी नहीं है… हम दोनों उस जगह से पूरी तरह से अनभिज्ञ हैं।

मैंने पैकिंग को बन्द करते हुए सलोनी से कहा- सलोनी माई स्वीटहार्ट… यार, अब तुम थक गई होगी, अब रहने दो, हम बाद में कर लेंगे।

सलोनी- नहीं यार… मैं तो बहुत रोमांचित हो रही हूँ… वो नई जगह कैसी होगी… वहां के लोग कैसे होंगे… सच में मैं बहुत खुश हूँ… जल्दी से जल्दी पैकिंग का काम खत्म कर देना चाहती हूँ।

मुझे ख़ुशी हुई सुन कर कि मेरी सलोनी को कोई दुख नहीं है यहाँ से जाने का… उसने यहाँ के किसी भी सम्बन्ध को गम्भीरता से नहीं लिया था… ओनली फन… सिर्फ़ मज़ा और कुछ नहीं!
बिल्कुल ऐसा ही मेरे साथ था!

मैंने सलोनी से कहा- अच्छा तुमने अपनी किसी सहेली वगैरा को मेरे तबादले के बारे में कुछ बताया तो नहीं ना? या तुम्हें किसी के बिछुड़ने का कोई दुख तो नहीं है?

सलोनी एकदम मेरे पास आकर मेरे गले से लिपट गई- जानू… सच में मैं इस बात से बहुत खुश हूँ… मैं तो स्वयम् यहाँ से कहीं और जाने की सोच रही थी… और आपने मेरी तमन्ना पूरी कर दी… यू आर सच अ माई स्वीट जानू… और मैंने किसी को भी अभी इस बारे में कुछ नहीं बताया… बस यही कहा कि कुछ दिनों के लिए अपने घर जा रहे हैं।

आगे बोली- वैसे भी अभी हमें ही पता नहीं कि आप किस ब्रांच में जाएँगे… मैं तो यही सोच कर खुश हूँ कि साउथ इण्डिया घूमने की इच्छा अब पूरी हो रही है, अब तो वहाँ रहने का मौका मिल रहा है।

मैंने सलोनी को अपनी बाहों में कस लिया और उसको चूमते हुये ‘आई लव यू’ कहा- हाँ सलोनी, यहाँ वैसे भी लम्बा वक्त हो गया था.. इस जगह से अब बोरियत होने लगी था। देखो हमें नया शहर, नया रोमांच मिल गया… वहाँ हम फिर से अपनी नई लाइफ़ शुरू करेंगे!
कहानी जारी रहेगी।