पति को हिंसक सेक्स से खुश करने की कोशिश -1

अपनी एक सहेली से मैंने इस बारे में बात की.. तो उसने कहा- तू उन्हें वॉच कर.. शायद उनका किसी और के साथ चक्कर न हो।
मैं अब उन पर निगाह रखने लगी, उन्हें बहला कर सब कुछ जानने की कोशिश करने लगी।

मैंने देखा कि वो हमेशा उदास रहते हैं और खाली टाइम में ब्रूटल यानि हिंसक सेक्स ब्लू-फिल्म देखते रहते हैं और स्टोरीज पढ़ते रहते हैं।
काफ़ी दिनों तक वॉच करने के बाद भी मुझे ऐसा नहीं लगा कि उनका किसी और से चक्कर है..

मुझे ऐसा लगने लगा कि शायद मैं ही कहीं ना कहीं ग़लत हूँ, मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ। अंत में काफ़ी सोचने के बाद एक दिन मैंने उनके मोबाइल से सारा डेटा अपने मोबाइल में कॉपी कर लिया और उनके मोबाइल में लोड की हुई सारी ब्लू-फिल्म एक-एक करके बड़े ध्यान से देखना शुरू किया।

मुझे सारी मूवीज देखने और स्टोरी पढ़ने में एक हफ्ता लग गया क्योंकि मैं बहुत ज़्यादा ध्यान देकर और समझ कर सारी कहानियों पढ़ रही थी और ब्लू-फिल्म देख रही थी। अंत में यह सब देख कर और पढ़कर में एकदम शॉक्ड हो गई। मेरे दिमाग़ और हाथ-पैरों ने काम करना बंद कर दिया। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ.. क्योंकि जो कुछ मैंने पढ़ा और देखा वो करना मेरे लिए नामुमकिन था। दो-तीन दिन तो इसी सोच में पार हो गए.. क्योंकि इस तरह का ब्रूटल सेक्स मेरे लिए करना तो दूर.. सोचना भी मुश्किल था।

मैं वापस अपने घर आ गई.. लेकिन यह सब कुछ मेरे दिमाग़ से निकल ही नहीं रहा था। मैं अब हर पल परेशान रहने लगी और अकेले में रोती रहती। घर में सभी मुझसे इसका कारण पूछते.. अब में क्या बताती।

अंत में मेरी सहेली को मैंने सब कुछ बतैया.. उसने मुझे समझाया और कहा- देख तू चाहे तो सब कुछ कर सकती है। एक बार कोशिश तो करके देख.. हर मर्द एक जैसे नहीं होते.. सभी की जरूरतें अलग-अलग होती हैं। तू वापस अपने पति के पास जा और वही कर.. जो वो चाहते हैं। इसी से तू और तेरा पूरा परिवार खुश हो सकते हैं।
फिर मैंने उससे पूछा- रोहित ऐसे क्यों हो गए हैं इसका रीज़न क्या हो सकता है?

तो वो मुझे एक बड़ी डॉक्टर (साइकिट्रिक) के पास ले गई। उस डॉक्टर ने मुझे बताया कि ब्रूटल सेक्स की चाहत किसी भी व्यक्ति को 3 कारणों से होती है।

पहला.. अगर कोई आदमी ज़रूरत से ज़्यादा परेशानी और उत्पीड़न सह रहा हो और उसके बाद भी अपनी चाहत पूरी ना कर पा रहा हो.. मतलब अपनी ज़िंदगी से बिल्कुल निराश हो गया हो.. ऐसा व्यक्ति इस टाइप का सेक्स चाहने लगता है क्योंकि वो अपने आपको बेहद दर्द और तक़लीफ़ देना चाहता है। अगर फिज़िकल दर्द बहुत ज़्यादा होगा तो शायद वो मेंटली दर्द भूल जाएगा।

दूसरा.. ऐसे व्यक्ति जिन्हें बहुत कोशिश करने के बाद भी अपनी मर्ज़ी के मुताबिक अपने पार्ट्नर से सेक्सुअल संतुष्टि ना मिले.. तो ऐसे लोग ब्रूटल सेक्स अपने उसी पार्ट्नर से चाहते हैं क्योंकि ये लोग यह सोच लेते है कि चलो अब दर्द सह कर ही जी लेंगे।

तीसरा.. ऐसे लोग जो बिल्कुल ज़िंदगी से हार जाते हैं और जो अपनी ज़िंदगी में अपनी कोई भी इच्छा पूरी नहीं कर पाते। ऐसे लोग भी ऐसा सेक्स चाहते हैं। वैसे ब्रूटल सेक्स की बहुत ज़्यादा ब्लू-फिल्म देखना भी एक कारण है।

फिर उसने कहा- अब तू खुद सोच कि तेरे पति के साथ कौन-कौन सा रीज़न है जितने ज़्यादा रीज़न होंगे.. वो उतना ही ज़्यादा ब्रूटल डिमाँड करेगा।
फिर मैंने उससे पूछा- यह प्राब्लम ठीक कैसे होगी?
तो उसने कहा- कुछ ही दिनों में यह ठीक हो जाएगा.. अगर मैं बहुत ज़्यादा ब्रूटली सेक्स करते रहूँ और उसे सेक्सुअली सॅटिस्फाइड कर दूँ तो..।

काफ़ी सोचने के बाद मैंने फ़ैसला किया कि अब मैं वही करूँगी.. जो मेरा पति चाहता है। अब मैं उन्हें हर वो चीज़ दूँगी.. जो वो चाहते हैं और इतनी ज़्यादा ब्रूटल बनूँगी.. जितना किसी भी ब्लू-फिल्म में भी आज तक ना दिखाया गया हो।

बस मैं मन में ठान कर उनके पास पहुँच गई। पहले दिन मैंने उन्हें काफ़ी प्यार दिया और एक बहुत ही रोमांटिक सेक्स करने की कोशिश की.. लेकिन उन्होंने मेरा ज़रा सा भी साथ नहीं दिया.. क्योंकि उन्हें तो सिर्फ़ ब्रूटल ही चाहिए था।

वैसे भी अकेलेपन ने उन्हें काफ़ी बदल दिया था और वो बहुत चिड़चिड़े हो गए थे।
मैं मायूस हो गई.. फिर मेरी आत्मा ने मुझसे कहा कि तू यहाँ जो करने आई है वो कर..

रोमांटिक सेक्स और प्यार तो मैं काफ़ी दे चुकी हूँ.. लेकिन इन्हें अब यह पसंद नहीं है.. पता नहीं क्यूँ मैं चाह कर भी उस टाइप का सेक्स नहीं कर पा रही थी। एक अनजाना सा डर लग रहा था या यूँ समझ लीजिए कि मैं ब्लू-फिल्म की तरह नहीं बन पा रही थी।

खैर.. मैंने अपने आपसे वादा किया कि अब मैं ब्लू-फिल्म में दिखाई जाने वाली औरत की तरह ही ब्रूटल और वहसी बन कर ही रहूंगी.. चाहे जो भी हो..

में तीन दिनों तक दोबारा से ब्लू-फिल्म देखती रही और स्टोरी पढ़ती रही और उसमें दिखाए जाने वाले हर एक एक्ट और बातों को अपने दिमाग़ में सैट करती रही.. ताकि कुछ भी छूट ना जाए।
अंत में एक दिन मैंने हर तरह से सारी तैयारी कर ली।

जब मेरे पति शाम को घर आए तो मैंने बहुत बढ़िया से सज-संवर कर एक बहुत ही मॉडर्न ड्रेस पहन कर उनका स्वागत किया। फिर उनके फ्रेश होने के बाद मैंने उन्हें अपने हाथों से खाना खिलाया और उन्हें बहुत प्यार किया और कहा- जान.. आज मैं तुम्हें हर तरह से खुश करूँगी.. चाहे इसके लिए मुझे कुछ भी क्यों ना करना पड़े।

उन्होंने मुझे अपने से दूर कर दिया और बड़ी बेरूख़ी से कहा- तुम इस लायक नहीं हो।
मुझे बहुत दु:ख हुआ.. मगर मैंने उनसे कहा- आज बस तुम देखते जाओ।

फिर मैं व्हिस्की की बॉटल लेकर बाल्कनी में आ गई और अकेले बैठ कर पीने लगी और फिर उन्हें भी पीने को कहा। वो तो मेरे इस रूप को देख कर जैसे शॉक्ड हो गए.. और मेरे चेहरे पर एक कातिलाना स्माइल आ गई।

क्योंकि आज मैं पहली बार पी रही थी इसलिए मैंने बहुत थोड़ी सी ही पी और उन्हें भी थोड़ी सी ही पिलाई ताकि मेरा सारा प्लान बर्बाद ना हो।
वो बहुत खुश लग रहे थे।
उसके बाद मैं उन्हें कमरे में ले गई और उन्हें कपड़े खोलने को कहा। वो यह नहीं जानते थे कि मैं आज क्या करने वाली हूँ.. इसलिए उन्होंने मना कर दिया और कहा- मेरा मूड नहीं है।

अब मुझे यह साबित करना था कि मैं आज सच में उन्हें खुश करना चाहती हूँ। मैंने एक बार अपने मन में दोबारा से ब्लू-फिल्म में देखे गए सीन्स को याद किया और अपने आपको आने वाले पल के लिए तैयार किया। मैंने दोबारा उन्हें थोड़ा गुस्से से कपड़े खोलने को कहा मगर उन्होंने मना कर दिया।

तभी मैंने खींच कर एक थप्पड़ उनके गाल पर मारा और कहा- खोल मादरचोद.. नहीं तो फाड़ दूँगी।

वो एकदम से शॉक्ड हो गए और अपने गाल सहलाने लगे। इससे पहले कि मैं दूसरा थप्पड़ मारती.. उन्होंने तुरंत अपने कपड़े खोल दिए और नंगे हो गए। फिर मैंने अपनी टी-शर्ट उतारी और कस कर उनके बालों को पकड़ कर मेरे मम्मों को उनके मुँह में ठूंस दिए और बोली- चूस कुत्ते.. जी भर के चूस..

मैंने उनके बाल इतने ज़ोर से पकड़े कि उनकी आँखों से आँसू निकल आए।
मैंने पकड़ थोड़ी ढीली की और ज़ोर-ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी।
मेरे मुँह से निकलती सिसकारियों को सुनकर वो खुश हो गए और ज़ोर-ज़ोर से मेरे मम्मों को चूसने लगे.. मुझे भी मज़ा आने लगा।

मैं बीच-बीच में उनके गालों पर धीरे-धीरे थप्पड़ मारती जा रही थी और मम्मों को चुसवाए जा रही थी। साथ ही मैं गालियाँ भी देती जा रही थी।
उनके चेहरे पर बरसों की दबी हुई चाहत पूरी होने की खुशी और दर्द का मिला-जुला असर था। मुझे काफ़ी मज़ा आ रहा था। फिर मैंने अपनी स्कर्ट खोल दी.. जैसे ही मैंने स्कर्ट खोली उनका दिमाग़ घूम गया..

साथियो.. हो सकता है कि आपको मेरे इस इलाज के तरीके पर कुछ कहना हो.. आपका स्वागत है.. पर जो भी लिखिएगा.. उसमें भाषा की सौम्यता बनाए रखिएगा।
घटनाक्रम जारी है।
[email protected]