रैगिंग ने रंडी बना दिया-46

गुलशन- क्या सोच रही है मेरी लाड़ली? घर आ गया है, चलो उतरो.. ये सब बैग उठाओ.. अन्दर लेकर जाना है।
सुमन- अन्दर क्यों पापा.. ये उनको देना है ना.. तो आप अपने साथ ले जाओ?
गुलशन- अरे नहीं अभी नहीं.. वो खुद आ जाएँगे लेने.. चलो अब।
हेमा- आ गए आप लोग, बहुत टाइम लगा दिया आपने.. कहाँ गए थे?
गुलशन- अपनी बेटी से पूछो, इतना टाइम कैसे लग गया। मैं तो थक गया हूँ अब तो मैं चेंज करके थोड़ा आराम ही करूँगा। अब दुकान जाने की हिम्मत नहीं है, मैं गोपी को फ़ोन कर देता हूँ.. वो देख लेगा।

इतना कहकर गुलशन जी अपने कमरे में चले गए और कपड़े बदलने लगे। इधर सुमन का मूड ऑफ था, उसने सामान वहीं हॉल में रखा और जाने लगी।
हेमा- अरे सुमन.. ये सब यहाँ क्यों रख दिया तूने? ये सब अन्दर ले जा।
सुमन- अन्दर क्यों.. कौन सा मेरा सामान है, पापा के दोस्त की बेटी का है आप रख दो कहीं भी.. वो आकर ले जाएँगे।

हेमा समझ गई कि गुलशन जी ने उसे उल्लू बनाया है, वो अनजान बनकर बोली- कौन दोस्त? मुझे नहीं पता तू ही बता मुझे?
सुमन ने सारी बात अपनी माँ को बताई तो हेमा मुस्कुराने लगी।

सुमन- आप क्यों खुश हो रही हो? पापा ने मुझे कुछ भी नहीं दिलवाया इसलिए ना?
हेमा- पागल है तू एकदम.. हा हा हा… छोटे बच्चे की तरह बिहेव कर रही है। अरे मेरी बेटी कोई दोस्त नहीं है, ये सब तेरे ही लिए है.. तेरे पापा कल की बात से शरमिंदा थे.. तुझ पर गुस्सा जो किया था। ये सब तेरे लिए किया सरप्राइज है बेटा हा हा हा हा तू उल्लू बन गई।

हेमा की बात सुनकर सुमन के तो पैरों तले ज़मीन ही निकल गई, उसको यकीन ही नहीं हुआ कि इतने मॉर्डन ड्रेस वो पहनेगी और भी इतने सारे।

सुमन- सीसी क्या सच माँ.. प्लीज़ आप सही बताओ.. ये सब मेरे लिए है?
हेमा- हाँ सुमन सब तेरा है, यकीन नहीं तो अपने पापा से पूछ लो।

सुमन भागती हुई अपने पापा के पास गई। उससे पूछा भी नहीं गया वो बस बोलने की कोशिश कर रही थी, मगर अल्फ़ाज़ है कि निकलने का नाम ही नहीं ले रहे थे।

सुमन- पापा ये सब एम्म मेरे व्व..वो माँ क्क्क..कह रही हैं.. सस्स सब एमेम..!
गुलशन- हा हा हा.. अरे कंट्रोल कर.. हाँ सब तेरे लिए ही लिया है, मेरी लाड़ली को पसंद आए वही सब मैंने दिलवाया.. अब तो खुश ना!

सुमन की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वो भाग कर अपने पापा से चिपक गई और गाल पर एक जोरदार किस कर दिया।

सुमन- ओह पापा.. आप कितने अच्छे हो.. आप दुनिया के सबसे अच्छे पापा हो।

सुमन ने गुलशन जी को इतना कस कर पकड़ा हुआ था कि उसके चूचे वो अपने सीने में धंसते हुए साफ महसूस कर रहे थे। फिर इस वक्त उन्होंने सिर्फ़ बनियान और लुंगी ही पहनी हुई थी, जिससे जवान जिस्म की गर्मी उनको पागल बना रही थी। उनका लंड तन गया था और सुमन की नाभि को चुत समझ कर उसमें घुसने की कोशिश कर रहा था।

सुमन को इस बात का अहसास हुआ या नहीं.. ये तो पता नहीं, मगर गुलशन जी को ज़रूर पता लग गया कि उनकी बेटी जवान हो गई है और अगर ज़्यादा देर वो उससे चिपके रहे तो गड़बड़ हो जाएगी। बस यही सोचकर उन्होंने सुमन को अपने से अलग किया।

सुमन जब अलग हुई, तो अचानक उसकी नज़र लुंगी में बने टेंट पर गई और उसको समझने में देर नहीं लगी कि वो क्या चीज है। इधर गुलशन जी भी अपनी हालत समझ रहे थे। वो जल्दी से बेड पे बैठ गए और लुंगी को इस तरह समेट लिया, जिससे उनका खड़ा लंड सुमन को ना दिखे। मगर उनको क्या पता था कि सुमन तो कबकी उस फुंफकारते लंड को देख चुकी है।

गुलशन- क्यों कैसा लगा पापा का सरप्राइज?
सुमन- बहुत अच्छा पापा.. मैं बता नहीं सकती, मुझे कितनी खुशी हुई है।
गुलशन- बस मेरी बेटी ऐसे ही खुश रहा कर.. और दोबारा ऐसा कभी ना करना कि तुम मुझसे बिना बात किए चली जाओ।
सुमन- सॉरी पापा.. मुझसे ग़लती हो गई, अब मैं कभी ऐसा नहीं करूँगी।

सुमन के चेहरे की खुशी देख कर गुलशन जी भी बहुत खुश थे।

गुलशन- अच्छा ठीक है अब तुम भी आराम कर लो बेटा.. थक गई होगी।
सुमन- पापा एक बात कहनी थी आपसे।
गुलशन- हाँ कहो बेटी क्या बात है?
सुमन- पापा वो सब ड्रेस तो मैंने आपके दोस्त की बेटी के हिसाब से लिए है, वो लन्दन से आई है ये सोच कर मैंने इसमें कुछ ज़्यादा ही मॉर्डन ड्रेस ले लिए हैं।
गुलशन- अरे तो क्या हुआ.. तू किसी अँग्रेज़ी मेम से कम है क्या.. तेरे सामने वो भी फीकी लगें.. मेरी प्यारी बेटी सब तुझे पसंद है ना.. तो बस पहन के एंजाय कर। तेरे पापा के पास पैसों की कमी है क्या.. सब तेरे ही लिए है। समझी.. अब जा किसी बात को दिल पे मत लेना।

सुमन ने एक बार फिर पापा को हग किया और खुशी-खुशी वहाँ से चली गई और गुलशन जी अपने लंड को एड्जस्ट करने लगे.. वो फिर खड़ा हो गया था।

गुलशन- ये आज इसे क्या हो रहा है.. क्यों बार-बार खड़ा हो रहा है। कहीं मेरे दिल में सुमन के लिए तो कुछ.. छी: छी: मैं भी क्या सोचने लगा, वो मेरी बेटी है।
काफ़ी देर तक गुलशन जी कसमकस में रहे, उनका दिमाग़ कुछ कहता और दिल कुछ कहता। आख़िर एक बाप की जीत हुई.. सारे बुरे ख्याल दिल से निकल गए और वे सो गए।

दोस्तो दोपहर को इनकी शॉपिंग तो देख ली.. मगर संजय ने भी कुछ किया तो उसको भी देख लेते हैं।

कॉलेज के बाद संजय घर चला गया और हमेशा की तरह लंच के बाद पूजा उसके कमरे में आ गई। पूजा ने ग्रे कलर की जींस की हाफ पेंट और ब्लैक टी-शर्ट पहनी हुई थी। उसके बाल खुले हुए थे.. आज तो वो बहुत ही सुन्दर लग रही थी।
संजय- क्या बात है मेरी पूजा रानी.. आज तो बड़ी चमक रही है.. क्या इरादा है?
पूजा- आपको तो पता ही है मेरे मामू जान.. आपके लंड के बिना मुझे सुकून कहाँ मिलता है, अब तो मैं उसकी आदी हो गई हूँ।
संजय- अच्छा ये बात है.. तो आजा मेरी जान तेरे लिए तो लंड हमेशा तैयार है।
पूजा- मामू आज हम कुछ नया करेंगे।
संजय- अच्छा ये बात है.. तो बता तेरा आज क्या करने का इरादा है?
पूजा- पहले अपने कपड़े तो निकाल दो मामू.. फिर बताती हूँ कि क्या करना है।

संजय ने अपने कपड़े निकाल दिए, तब तक पूजा भी एकदम नंगी हो गई थी।

संजय- ले मेरी जान हो गया नंगा.. अब बता तूने आज करने को क्या सोच रखा है?
पूजा- मामू बिस्तर पर तो रोज ही करते हैं.. आज हम कुत्ता और कुतिया बनेंगे.. उसमें मज़ा आएगा, आप सब वैसे ही करना।
संजय- हा हा हा ये तुझे क्या हो गया.. आज कुछ भी हा हा हा इसमें क्या नया है.. जैसे तुझे घोड़ी बनाता हूँ वैसे ही तू कुतिया बन जाएगी.. तो इसमें नया क्या हुआ?
पूजा- नहीं ऐसे डायरेक्ट नहीं.. जैसे कुत्ता अपनी कुतिया को पटाता है.. वैसे पहले मुझे आप पटाओ।
संजय- ठीक है डार्लिंग.. जैसी तेरी इच्छा.. चल बन जा कुतिया अभी तुझे पटा कर चोद देता हूँ।

पूजा घुटनों पर होकर कमरे में चलने लगी और संजय उसके पीछे-पीछे घुटनों पे चलने लगा। साथ ही वो पूजा की चुत को सूंघने लगा और थोड़ा जीभ से चाट भी लेता।

पूजा- उहूँ हू हूँ.. जाओ यहाँ से कुत्ते कहीं के.. क्यों मुझे परेशान कर रहे हो.. हूँ हू हूँ।
संजय- गुर्र गुर्र गुर उहूँ हू.. साली ऐसे चुत खुली लेकर घूमेगी तो मेरे जैसे कुत्ते का लंड खड़ा होगा ही ना उहूँ हू हूँ।
पूजा- अच्छा दिखा तो तेरा लंड कितना बड़ा है और कितना मोटा है?

पूजा चलकर संजय के पास आई और उसी पोज़िशन में झुक कर लंड को चूसने लगी।

संजय- हा हा हा कुतिया.. कब से कुत्ते का लंड चूसने लगी हा हा हा..
पूजा- चुप रहो आप.. मज़ा आ रहा है..

संजय ने सोचा चलो इसकी इच्छा पूरी कर ही देता हूँ। बस वो दोनों काफ़ी देर तक ये कुत्ते वाला गेम खेलते रहे। फिर संजय ने पूजा को बेड पे घोड़ी बनाया और लंड उसकी चुत में पेल दिया।

पूजा- आह आ मामू.. रोज चोदते हो आह फिर भी ये दर्द क्यों होता है.. आह आह..
संजय- तेरी उम्र के हिसाब से ये लंड थोड़ा बड़ा है.. इसलिए दर्द होता है, ले अब संभाल स्पीड बढ़ा रहा हूँ।
संजय ने पूजा की कमर को कस कर पकड़ लिया और स्पीड से लंड अन्दर-बाहर करने लगा। पूजा भी गांड हिला-हिला कर चुदने लगी थी और साथ में जोर-जोर से संजय को बोल कर उकसा रही थी।
पूजा- आह आ मामू आह.. लगता है आपका जोश ठंडा हो गया है आह.. जोर से करो ना.. नहीं आह और जोर से आह आह..

पूजा की बात से संजय भी जोश में आ गया और उसने पूजा की चुत रेल बना दी। अब चुदाई का तूफान जोरों पर था। पूरे कमरे में बस दोनों की मिली-जुली आवाजें और ठप-ठप की मिक्स आवाज़ गूँजने लगी थीं।

पूजा- आह गुड मामू.. आह ऐसे ही चोदो आह आपकी भांजी आह आपकी दीवानी है आह चोद दो.. आह फाड़ दो मेरी चुत को.. अह..

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कहानी जारी है।