दीदार हो जाएंगे

रत्नाबाई तो थी ही रंडी उसने कहा-

मटक-मटक कर चलती हूँ, चाल ही ऐसी है,

घर में जाकर अपनी बहन की ले ले मेरी जैसी है।

और याद रख गांडू शायर

सौ कमाती हूँ डेढ़ सौ उड़ाती हूँ,

तेरे जैसे कमीनों को चूत पर बिठाती हूँ।

बदरू मियाँ तो ठहरे पक्के हरामी, उन्होंने तुरंत कहा-

अच्छा? सौ कमाती है और डेढ़ सौ उड़ाती है,

तो बाक़ी के पचास क्या माँ चुदाकर लाती है?

मियाँ बदरू ने अपनी कब्र पहले ही खुदवा रखी थी और उस पर लिखवा रखा था-

आरज़ू है कि वो आएँ हमारी कब्र पर और चली जाएँ मूत के,

चलो इसी बहाने दीदार हो जाएंगे उनकी चूत के !

प्रस्तुति- आर के शर्मा