बहन की सहेली के साथ पहला सेक्स

तो मेरे प्यारे दोस्तो, और हुस्न की देवियो, यह कहानी तब की है जब मैं जवानी की दहलीज में कदम रख रहा था।
मैं एक छोटे से परिवार में पला बढ़ा, एक बहुत ही शर्मीला और सभ्य लड़का हूँ, पढ़ने लिखने में भी साधारण था।

हमारे घर से कुछ ही दूरी पर मेरी मौसी का घर है जहाँ अक्सर मैं आता जाता रहता हूँ और कभी कभी रात में वहीं सो जाता हूँ। मेरी मौसी की तीन लड़कियाँ हैं निधि, वर्षा और रानी।
रानी सबसे बड़ी है जो अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद एक नौकरी करती है।
जबकि वर्षा कालेज में फाइनल ईयर की छात्रा है
और सबसे छोटी निधि फर्स्ट ईयर की छात्रा है।

तीनों बहनें घर के सभी कामों में निपुण है। वर्षा और निधि बहुत चंचल हैं। तीनों बहनों से मेरी अच्छी पटती है खास करके निधि से।

निधि को जहाँ भी जाना होता है, मुझे साथ लेकर जाती है। मैं अक्सर उनकी सहेलियों (सुमन, सरिता, मधु) के घर भी साथ में जाता हूँ। उनकी सहेलियाँ भी मुझे बहुत पसंद करती हैं। चूंकि मैं उनसे छोटा हूँ इसलिए सभी मेरे साथ फ्रेन्डली रहती हैं।
मधु और सुमन को कई बार बाइक से घर छोड़ने जाते समय जानबूझ कर ब्रेक मारता था, ऐसा करने पर दोनों खूब हँसती थी। पर शायद उन्हें भी इसमें मजा आता था इसलिए मेरी भी हिम्मत बढ़ती गई और इसके साथ ही लड़कियों को देखने का नजरिया भी बदला।

अब मुझे ज्यादा से ज्यादा समय मौसी के घर में ही रहना अच्छा लगता था। मैं कभी निधि दीदी तो कभी वर्षा दीदी के साथ रहता।
रात में सब एक साथ बिस्तर लगा कर सोते थे.
आज तक कभी भी मैंने अपने बहनों को गलत नजर से नहीं देखा।

दोस्तो, आप सब यह कहानी अन्तर्वासना की साइट में पढ़ रहे हैं और जितनी भी कहानी अभी तक आप लोगों ने पढ़ी होगी, उससे यह स्पष्ट हो गया होगा कि यह कहानी सच्ची है। मैं आप लोगों को यह विश्वास दिलाता हूँ कि मेरी इस कहानी को पढ़ कर आपके चूत और लंड की भूख इतनी बढ़ जायेगी कि आप सभी बिना चुदाई किये नहीं रह पायेंगे।

वैसे मैं आप सभी से यह कहना चाहता हूँ कि कहानियों का मजा अकेले में उतना नहीं आता जितना कि किसी के साथ में आता है। यह मेरा खुद का अनुभव है आप सब भी कोशिश करके देख सकते हैं, किसी लड़की का साथ हो तो बात ही क्या… पर आप अपने दोस्तों या सहेलियों के साथ कहानी पढ़ कर देखिए, आपको चार गुना मजा ना आए तो कहिएगा।
पर यदि मजा आए या आप लोगों को अच्छा लगे तो आप मुझे मेल करके अपनी राय जरूर शेयर कीजिएगा।

हम अपनी कहानी पर वापस आते हैं।

एक दिन सुबह जब मैं उठा तो जोर की सुसु लगी थी जिसके कारण पैन्ट में तम्बू बन गया और मैं उठ कर सीधे बाथरूम की ओर भागा। घर में सिर्फ एक ही बाथरूम है, वो भी थोड़ा दूर है। बाथरूम में निधि दीदी नहाने की तैयारी में थी, मैंने उनसे कहा कि जोर की लगी है, पहले मुझे सुसु करने दो, फिर बाद में आराम से नहाते रहना; और मैंने उन्हें जल्द से जल्द दरवाजा खोलने के लिए कहा।

उन्होंने दरवाजा खोला तो मैं उन्हें देखता रह गया क्योंकि निधि दीदी ब्रा पैन्टी में थी; मैं उन्हें ऊपर से नीचे देख रहा था तो उन्होंने चिमटी काटते हुए कहा- अब जा भी कर जल्दी… नहीं तो कोई आ जाएगा यहाँ।
मैं फटाफट अपने खड़े लंड को निकाल कर मूतने लगा। काफी देर मूतने के बाद मुझे संपूर्ण तृप्ति की अनुभूति हुई और जैसे ही मैं पलटा तो देखा कि निधि दीदी मेरे लंड को देख रही थी और उनकी हाथ पैन्टी को रगड़ रही है।

जल्दी में मैने दरवाजा बंद नहीं किया और निधि दीदी ने इस मौके का फायदा उठा कर मेरे लंड के दर्शन कर लिए। उसके बाद उन्होंने मुझे खींच के बाहर कर दिया और खुद बाथरूम के अंदर घुस गयी।
मुझे लगता है जरूर बाथरूम में अपनी मुनिया को उंगली डाल कर शांत किया होगा।

उसके बाद दोपहर में मधु और सुमन आ गयी थी; मैंने देखा मधु और सुमन दोनों मुझे देख देख कर मुस्करा रही हैं, शायद निधि दीदी ने सुबह वाली बात बताई हो।

फिर हम सभी दोपहर में टीवी में पिक्चर देखने लगे, जब टीवी में रोमांटिक सीन चल रहा तब मैंने देखा कि निधि दीदी और सुमन दोनों कुछ कुछ बातें कर रही थी और मधु दीदी सुन कर खिलखिला रही थी. पर उन्होंने मुझे बताने से मना कर दिया.

कुछ देर बाद टीवी में हीरो हीरोइन किस करने लगे उसको देख कर सब हँसने लगी; मुझे भी बहुत मजा आ रहा था। फिर कुछ देर बाद सुमन और निधि दीदी चाय बनाने चली गयी तो मैंने मधु दीदी से पूछा- आप लोग क्यों हंस रही थी?
तो उन्होंने मुझे बताया कि निधि दीदी ने उन्हें मेरी सुबह वाली घटना बताई है, फिर मैं और मधु दीदी खूब जोर जोर से हँसने लगे।

मैंने मधु दीदी से कहा- दीदी, ये किस करने से कैसा लगता है?
तो उन्होंने मुझसे पूछा- क्या तुमने कभी किस नहीं किया है?
मैंने कहा- नहीं।
मधु दीदी- चलो आओ, मैं बताती हूँ कैसे लगता है।

मैं धीरे से उनके पास गया और आँखें बंद करके एक बार उनके होंठों पर किस किया।
दोस्तों मैं उस सुखद अनुभव को शब्दों में बयान नहीं कर सकता, फूल जैसे नाजुक होंठों के स्पर्श मात्र से मेरे रोम रोम खड़े हो गये और उनके बदन की महक ने मुझे अंदर तक हिला दिया।

यह अहसास मेरे लिए बेहद अनोखा था, मैंने कहा- दीदी, क्या मैं आपको एक बार फिर चूम सकता हूँ?
मधु दीदी- हाँ, क्यों नहीं… आओ!
इस बार मुझे उनके आँखों की वासना साफ महसूस हुई। मैंने तुरंत उनके पास पहुँच कर अपने होंठों को उनके नर्म मुलायम गुलाब की पंखुड़ी समान सुर्ख होंठों पर रख दिया।

फिर न जाने कौन सी ऊर्जा ने मुझे भर दिया, मेरे हाथ बढ़ते गए और उनको अपनी बांहों में पकड़ कर चुम्बन करता रहा। न जाने कितने समय तक मैंने उस यौवना के अधरों से कामपूरित सोमरस का रसास्वादन किया।

कुछ समय बाद जब हम सामान्य हुए; तब मैंने कहा- दीदी, इतना अच्छा लगा किस करके कि मैं बता नहीं सकता।

शायद इस चुम्बन ने दीदी को भी अंदर तक झकझोर दिया और जरूर उनकी चूत से नदी की धार निकल पड़ी होगी।

दोस्तो, मैं आपसे भी कहना चाहूँगा कि आप भी याद करें अपने उस हसीन यादगार पल को जब आपने पहली बार किसी लड़की को, उसके लबों को चूमा होगा, ऐसा ही लगता है ना कि जैसे ये पल यही ठहर जाता और मैं उनको बस चूमता रहूँ, बस चूमता रहूँ।

सिर्फ चूमने मात्र से रोम रोम में एक ऐसे ऊर्जा का संचार होता है जिसके सामने और सब कुछ फेल है।

बहन की सहेली की की जबरदस्त चुदाई

उसके बाद तो मेरी हिम्मत और बढ़ती गयी।

मैं आप सबको मधु के बारे में बताता हूँ।
मधु उन्नीस साल की बहुत ही नमकीन हसीं लड़की है, उसके बाल उसके कूल्हों तक हैं, पतली दुबली है पर उसके स्तन गोल गोल और सख्त हैं जैसे कि हर उन्नीस साल की लड़की के होते हैं।
इसके बाद से मेरे और मधु दीदी की अच्छी पटने लगी।
पर पता नहीं क्यों… इस बात से निधि दीदी बहुत चिढ़ने लगी थी।

कुछ दिनों के बाद मधु दीदी के मम्मी पापा को किसी काम से दो दिनों के लिए पुणे जाना पड़ा, तो मधु दीदी अपनी सहेली के घर यानि मेरी मौसी के घर आ गयी।
रात में खाना खाने के बाद सबका बिस्तर एक ही कमरे में लगाया गया।

बातें करते करते रात के बारह बज गए थे। कमरे में केवल नाम मात्र की रोशनी थी, मौसी, रानी वर्षा और निधि दीदी सो गए थे, मौसी तो जोर जोर से खर्राटे भी लगाने लगी। मुझे तो नींद नहीं आ रही थी। मैं और मधु दीदी दोनों बहुत पास पास थे और बहुत धीरे धीरे बात कर रहे थे।

मेरी जांघ उनकी जांघ से छूने के कारण मुझे नशा चढ़ रहा था पर कुछ करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था क्योंकि मेरी छोटी सी गलती नुकसानदायक हो सकती थी।
मधु दीदी ने केपरी और टी शर्ट पहनी हुई थी।

बातों बातों में उन्होंने बताया कि कॉलेज में निधि दीदी का एक बॉयफ्रेन्ड है जिसके साथ वो बहुत मस्ती करती रहती है। पर मधु दीदी का कोई बॉयफ्रेन्ड नहीं है. यह भी उन्होंने बताया।
फिर मैंने पूछा- क्या मैं आपका बॉयफ्रेन्ड नहीं बन सकता?
तो उन्होंने कहा- तुम तो मेरे से उम्र में काफी छोटे हो।
मैंने कहा- हाँ, पर मैं भी हट्टा कट्टा हूँ और बड़ा हो गया हूँ।

इतना कहने के बाद मैंने मधु दीदी के हाथों के ऊपर अपना हाथ रख दिया, उन्होंने कुछ भी नहीं कहा।
फिर मैंने कहा- दीदी, क्या मैं आपको एक बार फिर चूम सकता हूँ?

मधु दीदी मौन रही।
मैंने इसे उनकी मौन स्वीकृति मान कर तुरंत अपने होंठ उनके होंठों पर रख दिया।

गहरा सन्नाटा छाया हुआ था और मैं और मधु दीदी एक दूसरे को बड़े प्यार से चूम रहे थे। धीरे से मेरे हाथ उनके गोलाकार स्तन को छूने लगे। वो भी लगातार मेरा साथ दे रही थी। अब मैं उनके बूब्स को दबाने लगा, इससे उनको कुछ दर्द सा हुआ पर उन्होंने मुझे रोका नहीं।
फिर वो अपने पैरों को मेरे पैरों को मसलने लगी।

एक तो मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था और पैन्ट के अंदर मेरा लंड बेचैन हुए जा रहा था। टीशर्ट के ऊपर से बूब दबाने के बाद हाथ अंदर घुसा कर बूब को दबाने लगा, जिससे उनके मुंह से आह निकल पड़ी।
मैं तत्काल उनको किस करने लगा ताकि कोई जाग ना जाएँ।

मेरा लंड अब पूरी तरह से तनतना कर खड़ा हो गया था, वह पैन्ट फाड़ कर बाहर आने को आतुर था। अब मैं उनके पेट में हाथ फेरने लगा। मेरा लंड इतना बड़ा हो गया कि मधु दीदी को भी चुभने लगा, वो मेरे लंड को प्यार से छूने लगी, जिसके कारण मेरा लंड और बड़ा हो गया।

मैंने कस कर उनकी कमर की पकड़ा और अपनी तरफ घुमाया; फिर मैंने उनकी ब्रा को धीरे से निकाला। उनकी आँखें बंद थी और वो एक एक पल का मजा ले रही थी।
मधु दीदी की चुची और उनके निप्पल देख मेरी लार टपक पड़ी और मैं गोल गोल बूब्स को चूसने लगा।

मैंने देखा कि उनका चेहरा लाल हो गया था और साँस तेजी से चल रही थी। मधु दीदी मेरे लंड को आगे पीछे कर रही थी।
धीरे से मैं अपना हाथ उनके कोमल मुलायम चूत की ओर ले गया। उफ़… क्या बताऊँ मैं उस अहसास को… उनकी चूत सोमरस से भी भीग चुकी थी। मैं उनकी मखमली चूत को सहला रहा था और बूब्स को अपने मुँह में लेकर चूस रहा था।

अब मैंने दीदी की चूत में अपनी एक उंगली घुसाई और धीरे धीरे हिलाने लगा जिससे मधु दीदी चरम पर पहुंच चुकी थी पर मैं इस मौके का पूरा फायदा उठाना चाहता था इसलिए उनको पलटा कर साइड में आ गया, मधु दीदी मेरा पूरा सहयोग कर रही थी।

मैंने उनकी केपरी और पैन्टी धीरे से नीचे कर दिया और अपने सनसनाते फनफनाते लंड को उसके पहले मधुर मिलन के लिए सोमरस में भीगी चूत के पास ले गया।
फिर मैंने इधर उधर देख कर तसल्ली कर ली कि सभी सो रहे हैं; उसके बाद मैं अपने लंड को मधु दीदी की गीली चूत में रगड़ने लगा, ऐसा करने से उनकी काम ज्वाला और भड़कने लगी और वो चूत में लंड डलवाने के लिए तड़पने लगी।

ऐसा करने से उसकी चूत भट्टी की तरह गर्म हो गयी और चूत लंड खाने को तैयार भी।
अगले ही पल मैंने लंड का कुछ हिस्सा चूत में डाल दिया और इसके पहले मधु दीदी के मुँह से कोई आवाज निकले, मैंने अपने हाथों से उनका मुँह बंद कर दिया।

मेरा लंड पहली बार किसी चूत के अंदर गया था उस अनुभूति को शब्दों में बयान करना मुश्किल है।
आप सभी भी अपने प्रथम मिलन को याद करके उस अहसास में शामिल हो सकते हैं।

मैंने मधु दीदी से पूछा- दर्द हो रहा है क्या?
उन्होंने इशारे में कहा- नहीं।
और फिर अपनी आँखें बंद कर ली।

कुछ देर बाद मैं धीरे धीरे लंड को अंदर बाहर करने लगा; ऐसे ताकि कोई जाग ना जाएँ।
फिर बहुत देर तक मधु दीदी को चोदने के बाद उनकी चूत में ही अपना माल निकाल दिया। बहुत देर तक मधु दीदी को पकड़ कर वैसे ही सोया रहा। मुझे इस बात का डर था कि कहीं कोई जाग ना जाए इसलिए थोड़ी देर बाद अपना लंड बाहर निकल लिया और कपड़े पहन लिए।

मधु दीदी उठ कर सीधे बाथरूम चली गई और 15 मिनट बाद आकर मेरे बगल में चुपचाप लेट गई। रात भर मुझे मधु दीदी के साथ किए गए अविस्मरणीय पलों को याद करते करते कब नींद आ गई पता ही नहीं चला।

मधु दीदी की चुदाई करने के बाद मैं सो गया। सुबह उठा तब तक मधु दीदी अपने घर जा चुकी थी।

मैं सोचने पर मजबूर हो गया कि कही मधु दीदी मुझसे नाराज तो नहीं हो गयी। दोपहर के दो बज रहे थे और मैं परेशान था.
तभी मौसी ने मुझसे कहा- तू मधु के घर जाकर उसे यहाँ ले आना, वो घर पर अकेली है।

मैं मधु दीदी के घर जाने लगा और सोच रहा था कि जाते ही पहले रात में हुई गलती के लिए माफी माँग लूंगा क्योंकि अगर उन्होंने किसी से शिकायत कर दी तो मैं कहीं का नहीं रह जाऊँगा, डाँट और मार पड़ेगी सो अलग।

सोचते सोचते मधु दीदी का घर आ गया, मैंने घंटी बजाई, मधु दीदी ने दरवाजा खोला।
वो पिंक सलवार में क्या मस्त माल लग रही थी।
मैंने कहा- मौसी ने आपको लेकर आने के लिए भेजा है।
मधु दीदी- अंदर आओ।

उन्होंने अंदर आने के लिए इस तरह मुस्कराते हुए कहा कि मैं चकित रह गया; मुझे उनकी मुस्कान कुछ समझ नहीं आई।
मैं अंदर आकर बैठ गया, मधु दीदी पास ही थी।

मैंने कहा- दीदी, कल रात मुझसे गलती हो गई, आप प्लीज बुरा मत मानना और इसके बारे में निधि दीदी को कुछ मत कहना।
मधु दीदी मुझे परेशान देखकर मेरे पास आकर बोली- घबराओ नहीं, मैं किसी से कुछ नहीं कहने वाली; और ना ही मैं तुम पर गुस्सा हूँ।
यह सुनकर मेरे जान में जान आई।

मधु दीदी ने पूछा- कुछ लोगे खाने पीने के लिए?
तो मैंने कहा- चाय पी लूँगा।

वो तुरंत ही चाय बना लाई, हम दोनों चाय पीने लगे।
मधु दीदी मेरे एकदम पास आकर बैठी थी और कमरे में टीवी में हनी सिंह के गाने चल रहे थे।
मधु दीदी मेरे कान में धीरे से फुसफुसायी- कल रात मुझे बहुत अच्छा लगा और तुम मेरे बॉयफ्रेन्ड बन सकते हो।

यह मेरे उस प्रश्न का उत्तर था जिसे मैंने कल रात उनसे पूछा था। यह सुनकर मैं बहुत खुश हुआ और खुशी से मैंने उनको पकड़ कर चूम लिया।
मधु दीदी ने कहा- तुम मुझे बहुत अच्छे लगते हो।
उसके जवाब में मैंने अपने होंठ उनके होंठों पर फिराने लगा, हम करीब 5 मिनट तक एक दूसरे को चूमते रहे।

मधु दीदी के होंठों का रसपान करते करते उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर अपने बूब्स पे रख दिया, मैं उनका इशारा समझ गया और उनके मम्मों को जोर जोर से दबाने लगा।
उन्होंने जोर से सीत्कार भर कर कहा- जरा धीरे!

मधु दीदी के हाथ मेरे लंड से खेलते खेलते पैन्ट से बाहर निकाल लिया था। मधु दीदी ने मेरी पैन्ट भी उतार दी और लंड पर एक पप्पी किया। इससे मेरा लंड और बड़ा हो गया।
मधु दीदी ने तत्काल लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी, इसके लिए मैं तैयार नहीं था, लेकिन मैं इस समय कुछ भी कहने या बोलने की स्थिति में नहीं था।
मेरे मुँह से बस आह निकल कर रह गई।

5 मिनट तक लंड चूसने के बाद मैंने मधु दीदी की सलवार निकाल दी और उन्हें सोफे में लिटा दिया, उनकी ब्रा और पैन्टी को भी मैंने तुरंत निकाल दिया।
उनकी चूत देख कर मेरे मुँह में पानी आ गया, फिर मैं उनकी चूत पर किस करके चाटने लगा।

मधु दीदी एकदम भट्टी की तरह गर्म हो गयी और अपने चूतड़ उठा उठाकर चूत चुसवा रही थी; उनके दोनों हाथ मेरे सिर को सहला कर चूत चूसने के लिए प्रेरित कर रहे थे।

थोड़ी देर बाद उन्होंने मुझे खींच कर अपने ऊपर ले लिया और मेरे लंड को पकड़ कर चूत पर रख कर बोली- बस अब अपनी मधु की चूत को चोद कर प्यार करो।

उनकी चूत बहुत गीली हो चुकी थी, हल्के से जोर लगाने पर मेरा लंड चूत में घुस गया; धीरे धीरे मेरा पूरा लंड अंदर घुसता चला गया।
मुझे एक अजीब सा दर्द हुआ पर बहुत मजा आ रहा था।

मैं कुछ देर रुका रहा, तभी मधु दीदी ने कहा- धक्का मारो ना, चोद डालो, फाड़ डालो आज।
और अपनी चूत को हिलाने लगी।

मैं दमादम धक्के लगाने लगा, मेरा कड़क लंड उनकी नरम और मुलायम चूत में आगे पीछे हो रहा था। मधु दीदी मेरा पूरा सहयोग कर रही थी और उछल उछल कर सिसकारी लेकर चूत में लंड को रगड़ रही थी।
15 मिनट तक जबरदस्त चुदाई करने के बाद मैंने धक्के लगाने की स्पीड बढ़ा दी और अपना सारा वीर्य उनकी चूत पर ही निकाल दिया।
मधु दीदी भी झड़ गई थी और प्यार से मुझे चूमने लगी।

उसके बाद हमने अपने अपने कपड़े पहने और मधु दीदी को मौसी के घर ले आया।

दोस्तो, आप सबको मेरी सेक्सी कहानी पसंद आई या नहीं? अपने मेल करके मुझे जरूर बतायें।
धन्यवाद
सोना अग्रवाल
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