चूत चुदाई की चाहत में चूत फ़टी

फिर अचानक एक दिन जैसे मेरी ज़िन्दगी ही बदल गई।
हुआ यूँ कि एक दिन कुछ लड़के मुझे रास्ते में छेड़ रहे थे.. तभी अमित वहाँ पहुँच गया और उसने उन लड़कों की जम कर पिटाई कर दी और बिना मुझसे कुछ कहे जाने लगा मगर मैंने उसे रोक कर कहा- अमित मैं तुमसे प्यार करती हूँ। तो जैसे उसको ज़िन्दगी मिल गई हो।

इसके बाद हम दोनों एक-दूसरे को बस आँखों से निहारते रहे और फिर हम अपने-अपने घर चले गए। इसके बाद हमारी फ़ोन पर बात होने लगी।

एक दिन मैंने अमित से कहा- मैं तुमसे मिलना चाहती हूँ..
तो उसने तुरंत कहा- ठीक है..

अगले दिन हम एक पार्क में मिले और एक दूसरे को गले लगाया। उसके गले लगते ही जैसे मेरे बदन में सनसनी फ़ैल गई और मैंने उसके होंठों को चूम लिया। उसने भी मेरा साथ देते हुए जवाब में मेरे होंठ चूसने लगा।
अब पता नहीं क्यों.. मुझसे रहा नहीं जा रहा था.. तो मैंने उससे कहा- अमित किसी ऐसी जगह पर चलो.. जहाँ हमारे सिवा और कोई न हो।

तो वो मुझे अपने एक फ्रेंड के घर ले गया। वहाँ पहुँचने पर अमित के दोस्त ने हमें बाहर का एक कमरा दिया और खुद अन्दर चला गया।
अमित को अपने सामने अकेले कमरे में पाकर मैं खुद को रोक नहीं पाई और उसे बेतहाशा चूमने लगी, अमित भी मुझे चूमने लगा।

फिर मैंने अमित से कहा- अमित मैंने तुम्हें बहुत तड़पाया है.. पर अब और नहीं.. तुम्हारी हर्षिता तुम्हारे सामने है.. आज मैं सिर्फ तुम्हारी हो जाना चाहती हूँ।

इतना सुनते ही अमित ने मुझे पास के बिस्तर पर लिटा दिया और मेरे ऊपर आकर मेरे होंठों को चूसने लगा, उसके दोनों हाथ मेरी चूचियों को टी-शर्ट के ऊपर से ही दबा रहे थे।

अब मुझ पर मदहोशी छाने लगी और मैंने अमित से कहा- मुझे कुछ हो रहा है.. अब कुछ करो ना।

तो अमित ने झट से मेरी टी-शर्ट को उतार दिया और मेरी ब्रा से मेरी चूचियों को आजाद करके उनके साथ खेलने लगा।

उस दिन मैं अपने पूरे बदन की वैक्सिंग करके गई थी और चूत के बाल भी एकदम साफ़ कर लिए थे, मेरी चिकनी चूत चमक रही थी!

मैं मदहोशी के आलम में अपना होश खो बैठी और मुझे पता भी नहीं चला कि कब उसने मेरी जीन्स उतारी और मेरी बुर के ऊपर उसकी उँगलियों को महसूस करते हुए ही मुझे होश आया।

अब मैं और बर्दाश्त नहीं कर सकती थी.. मैंने अमित से कहा- जितना मैंने तुमको दो साल में तड़पाया है.. वो सब तो तुमने अभी सूद के साथ वसूल कर लिया है। अब और मत तड़पाओ मुझे..

यह कहते हुए मैंने उसके पैन्ट से उसके लंड को बाहर निकाला और उसके लंड को देख कर मैं गदगद हो गई। कड़क 9 इंच का भीमकाय लंड मेरे सामने लहरा रहा था।
अन्तर्वासना की कहानियाँ पढ़ने से मुझे पता था कि लड़कियाँ लंड चूसती हैं और लड़के चूत चाटते हैं, मेरा मन कर रहा था कि अमित का लंड चूसूं और उसे अपनी चूत चाटने को कहूँ… पर मुझे शर्म आई और मैंने ऐसा कुछ नहीं किया.

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अमित भी मुझे अब चोदना ही चाहता था और उसने मेरी दोनों टांगें फैला कर अपना लंड मेरी बुर पर रखते हुए उसे अन्दर घुसाने लगा। मगर उसका लंड मेरी बुर में नहीं जा सका।
काफी मशक्कत के बाद एक जोर के झटके ने मेरी जान ही निकाल दी, उसका लंड दो इंच तक मेरी बुर में घुस चुका था, मेरी आँखों से आंसू निकल रहे थे, मेरी बुर से रक्तधार निकल पड़ी थी।

मैं भारी दर्द से तड़फते हुए उसको बाहर निकलने का आग्रह करती रही.. मगर वो मुझे पेलता गया। कुछ देर बाद मुझे भी मज़ा आने लगा और लगभग 10 मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों झड़ गए।
अमित मेरी बुर में ही अपना सारा वीर्य डाल चुका था।

इस चुदाई के बाद हम वहाँ से निकले और अमित ने मुझे एक आइपिल खिलाई। इसके बाद हम अपने-अपने घर चले गए और इसके बाद तो अब भी हम दोनों जब भी मौका मिलता है.. चुदाई कर ही लेते हैं।

अमित के साथ अपनी अगली चुदाई के बारे में मैं अगली कहानी में बताऊँगी.. तब तक के लिए गुड बाय।

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