कामुकता की इन्तेहा-7

जब बिना किसी दर्द के ढिल्लों का पूरा लौड़ा अंदर चला गया तो मुझे ऐसी तसल्ली हुई जो बयान के बाहर है। तभी उसने फिर कमर ऊपर उठाई और पूरा लंड निकाल के फिर जड़ तक पेला और ऐसा 8-10 बार किया।
ये गद्दे बहुत नर्म थे और जब ऊपर से धक्का मारता तो मैं नीचे उनमें समा जाती और जब वो अपनी कमर ऊपर उठाता तो मेरी कमर भी उसके साथ ही लगभग एक-सवा फुट ऊपर चली जाती और जब वो पूरी तरह ऊपर उठती तो ढिल्लों ऊपर से एक और बड़ा झटका मार देता और जब इस तरह होता तो फुद्दी लौड़े की तरफ जाकर इस झटके को और तीखा बना देती थी।

अब वो लंबे लंबे झटके मार रहा था मगर हर झटके के बीच में वो लगभग एक सेकंड जितने समय के लिए रुक जाता और जब फुद्दी ऊपर आ रही होती तो पूरा निकाल के फुद्दी में मारता और उसे नीचे धकेल देता।
जब वो घस्सा मारता तो हर घस्से में साथ मेरे मुंह से निकलता- हाय, मेरी माँ, हाय मेरी माँ!

अब तक उसने मेरी चुदाई इसी पोज़ में की थी, शायद इसलिए कि इस तरह करने से वो मेरे बिल्कुल ऊपर होता था तो और मुझे हिलने का भी मौका नहीं मिलता था और इस पोज़ में बहुत लंबी चुदाई भी की जा सकती थी।
तो दोस्तो, 10-15 मिनट तक वो इसी पोज़ में मुझे उछल उछल कर चोदता रहा और मैं हर घस्से के साथ ‘हाय मेरी माँ …’ मेरे मुंह से निकलता रहा। व्हिस्की के पेग का नशा बहुत ज़्यादा हो गया था और अब कमरा मेरी अधखुली आंखों में घूमने लगे।

तभी उसने अचानक मुझे अपने ऊपर खींच लिया। अब आलम यह था कि हम दोनों ही बैठे हुए थे लेकिन मेरी टाँगें उसकी जांघों के ऊपर थीं और मैं उसके फ़ौलादी लौड़े को अपनी फुद्दी में जड़ तक पेल कर बैठी थी।
दारू के नशे की वजह से मुझ में हिलने की भी हिम्मत नहीं थी।

तभी वो बोला- अपने आप मार घस्से जट्टीये, देखता हूं कितना दम है।
मुझे यह सुन कर थोड़ा जोश चढ़ गया और मैंने उसे कस कर अपनी बांहों में भर कर अपनी कमर को उठा कर 7-8 बार उसके लौड़े पर जोर से मारा।
और लो जी मेरे मुंह से बहुत ऊंची ऊंची ‘हाय मेरी माँ, गई मैं तो …’ निकलते हुए हो गया मेरा काम!

मुझे खुद पर गुस्सा आ रहा था कि मैं इतनी जल्दी क्यों झड़ जाती हूँ, शायद ये उसके लौड़े की चौड़ाई और लंबे के कारण ही था, यह सोच कर मैं उसी तरह उसका लौड़ा जड़ तक फुद्दी के अंदर फंसाये बैठी रही। मुझमें अब इतना दम नहीं था कि खुद चुदाई कर सकूं।

तभी ढिल्लों बोला- बस इतना ही दम था जट्टीये, बातें तो बड़ी बड़ी कर रही थी?
तभी मैंने अपनी बेहद उलझी हुईं सांसें संभाल कर उसे प्यार से कहा- ढिल्लों, बहुत टिका-टिका के मारी है यार तूने, इतना बड़ा भी पहले कभी नहीं लिया था, और दारू भी कितनी पिला दी, लेकिन देख ले फिर भी डटी हुई हूँ, फुद्दी जितनी मर्ज़ी मार ले, मोर्चे से नहीं हटूंगी, पर मारेगा तू ही, मुझमें बिल्कुल दम नहीं बचा है, अभी अभी 1 बार झड़ के हटी हूँ.

“ओह … वाह ठीक है, फिर डटी रहना!” ये कहकर वो मुझे उसी तरह लंड अंदर किए बेड से उतर गया और 1 पल के बाद जब मैंने देखा कि वो मेरी बड़े और बेहद गोल पिछवाड़े को अपने हाथों में भर के खड़ा है तो मेरी हैरानी की कोई हद न रही। मेरे जैसी हैवी गाड़ी को इस तरह उठाना आसान काम नहीं है। हैवी इसलिए कि मैं बेहद भरे हुए बदन की हूँ। कद चाहे थोड़ा छोटा है मगर बड़े बड़े मम्मे और जाँघें हैं मेरी।

रूपिंदर कौर

और उस हब्शी जट्ट ने अब क्या किया था कि लौड़ा अंदर फंसाये ही वो मुझे लेकर के खड़ा हो गया था और इससे भी आगे खड़ा ही नहीं चार पांच कदम चल कर मेरे पिछवाड़े को कैमरे के आगे भी ले गया था। अब मैं उससे इस तरह लिपटी हुई थी जैसे कि कोई बेल हूँ, ऊपर से मैंने उसे जफ्फी डाली हुई थी और नीचे मेरा पिछवाड़ा उसके दो हाथों में था, फुद्दी में लौड़ा और गांड में निप्पल अटकी हुई थी और टाँगें नीचे लटक रही थीं।

इस पोज़ में चुदने की मेरी सदियों से इच्छा थी क्योंकि मैंने बहुत सारी ब्लू फिल्मों में घोड़ियों (मज़बूत लड़कियों को मैं घोड़ियां ही कहती हूँ) को इस तरह चुदते हुए देखा था। मैंने अपनी पति और दो-एक आशिकों को ऐसे चुदने के लिए भी बोला था, लेकिन आशिक तो मुझे उठा ही नहीं पाए और पति ने उठा तो ली लेकिन घस्से 2 ही मार सका और हम गिरते गिरते बचे।

अब वो बोला- आ जा जट्टीये, फिर मैदान में!
और यह कहकर उसने अपने हाथों से मेरे गोल तरबूजी पिछवाड़े को ऊपर उठाया और पूरा लौड़ा टोपे तक बाहर निकाल के जड़ तक पेल दिया। एक बहुत ऊंची ‘फड़ाच’ की आवाज़ आयी और सुनसान कमरे में भर गई, यह आवाज़ मेरे चूतड़ों और उसकी जांघों की ही नहीं थी, मेरी फुद्दी की भी थी।

अब मेरे मुंह से निकला- जान ले ली ढिल्लों, स्वाद आ गया सोंह रब्ब दी।(भगवान की कसम)
वो बोला- तो ले फिर और लूट मज़े जट्टीये!
यह कहकर उसने फिर मेरा पिछवाड़ा उसी उठाया और मेरी फुद्दी को अपने लौड़े पर ज़ोर से दे मारा और फिर रुक गया। फिर वही आवाज़ आयी, फड़ाच और मेरे मुंह से निकला- अज्ज चक्क दित्ते फट्टे जट्टी दे, ओए ढिल्लों।

अब ढिल्लों ने अपनी रफ्तार तेज़ कर दी और मेरी गांड को पीछे लेकर वो और तेज़ी से घस्से मारने लगा। जनाब इसे चुदाई नहीं कहते। ऐसा लग रहा था जैसे वो मेरी फुद्दी से कोई दुश्मनी निकाल रहा हो लेकिन इससे मुझे तकलीफ नहीं हो रही थी बल्कि एक असीम आनंद मिल रहा था।

मेरे जिस्म का सारा भार मेरी फुद्दी पर था और वो एक हल्लबी लौड़े के उपर किसी छल्ले की तरह लिपट गयी थी। ढिल्लों जब दूर ले जा कर लौड़े को फुद्दी के अंदर बेरहमी से मारता तो मेरे मुंह से पता नहीं क्या क्या अनाप शनाप निकल जाता जैसे कि- हाय मर गई … नज़ारा आ गया … चक्क ता कम्म ओए… हाय … मेरे शेरा!
वगैरा वगैरा।

तभी उसके हाथों के साथ मैं खुद कमर हिला के देने लगी और जितने ज़ोर से मेरी फुद्दी उसके लौड़े पर पर बज सकती थी, मारी। तभी एकदम मैं फिर अकड़ गई और मेरी फुद्दी “बूम बूम बूम” करके झड़ी। मेरा काम होते वक़्त मेरे से मुंह से बहुत ऊंची आवाज़ निकली- फिर आ गयी घोड़ी तो, हम्म … हुम्म … हंह हूँ।

अब जी करता था कि ढिल्लों मुझे छोड़ दे … मगर वो कहाँ मानने वाला था। मैंने मैदान में डटी रहने का वादा किया था और मैं वादा नहीं कभी नहीं तोड़ती चाहे दुनिया इधर की उधर हो जाये। जब मैं हिल हिल कर झड़ गई तो उसके बाद ढिल्लों ने मुझ पर थोड़ा रहम करके अपनी गति कम कर दी और धीरे मगर वही लंबे शॉट मरता रहा। मैं उसकी ताकत से बलिहारी जा रही थी क्योंकि इसी पोज़ में चोदते हुए उसे 20-25 मिनट हो चुके थे मगर उसकी घस्सों में कोई कमी नहीं आयी थी।

वैसे आपको बता दूं कि जनाब ये चुदाई नहीं होती जो वो मेरी कर रहा था, ये हार्डकोर ठुकाई होती है और इसके दोनों औरत और मर्द का धडल्लेदार होना ज़रूरी है नहीं तो ये ठुकाई नहीं दर्द बन जाती है।

जैसे कि मैंने बताया कि अब वो मेरी बिल्कुल धीरे धीरे चुदाई कर रहा था। मेरे काम रस की वजह से उसके टट्टे भी भीग गए थे। मेरी फुद्दी के पानी और अंडे ने मिल कर फुद्दी को बिल्कुल ग्रीस कर दिया था और उसमें फंसा हुआ काला बादशाही लौड़ा मेरी बहुत अच्छी सर्विस कर रहा था जिसकी मुझे जन्मों से ज़रूरत थी।

जब मेरी अकड़ी हुई पंजाबी फुद्दी का मिलन उसके भारी भरकम लौड़े से होता तो ‘पड़ाच …’ की आवाज़ कमरे में गूँज जाती। अब मुझे ये तो यकीन हो गया था कि अब मेरी फुद्दी उसके लौड़े के आकार से ढल गई है और मेरी उससे आगे होने वाली ठुकाइयों में दर्द का नामोनिशान तक नहीं होगा और सिर्फ़ मज़ा ही मज़ा होगा।

10-12 मिनट वो इसी तरह मुझे उठाये धीरे धीरे चुदाई करता रहा और इस तरह से घोड़े ने अगले राउंड के लिए थोड़ी ताकत भी जमा कर ली थी। अब उसका थोड़ी सांस चढ़ गई थी। तभी उसने मेरी मेहंदी लगी जांघ को अपनी फ़ौलादी बाहों पर उठाया और मेरी फुद्दी को ज़ोर से अपने लौड़े पर मारा, आवाज़ आयी ‘फड़ाच’ और मेरे मुंह से निकला- हाय, मेरी जान!

मैं अभी गर्म तो नहीं हुई थी लेकिन दर्द न होने की वजह से मैंने उसे कहा- चक्क दे कम्म, ढिल्लों, फुद्दी तेरे हवाले ही है।
ढिल्लों यह सुन कर खुश हुआ और उसने अपनी पूरी ताकत इकठ्ठी कर के मुझे पेलना शुरू कर दिया और मार मार घस्से मेरी गांड लाल कर दी। आवाज़ आ रही थी- थक, थक, थक, थक!
और मेरे मुँह से निकल रहा था- हूं … हूं … हूं …

जब उसने इसी तरह 40-50 तूफानी घस्से मारे तो मैं भी जोश में आ गयी और उसकी ताकत पे पूरा भरोसा करके अपनी नीचे लटकी हुई टाँगें उसकी कमर के गिर्द लपेट दीं और अपनी जफ्फी हटा कर उसके कंधों पर दोनों हाथ धर लिए और उसकी आँखों में अपनी अधखुली आंखें डाल कर टिकटिकी लगाए उसे चैलेंज की तरह उसे देखने लगी।

तभी ढिल्लों बोला- घोड़ीए, थक गया, रुक ज़रा!
यह कहकर उसने मुझे नीचे उतार कर बेड के किनारे लिटा दिया और कपड़े से मेरी फुद्दी और अपना लौड़ा अच्छी तरह से साफ कर लिया।
फिर उसने मेरी गांड में से वो छोटा सा खिलौना निकाल दिया, जो पूरी तरह फिट था।

और जब उसने मुझे दूसरी बार फिर अपनी बाहों में उठाया तो मुझे अपनी गांड खाली ख़ाली लगी। इस बार ढिल्लों से मुझे उठाकर एक झटके से लौड़ा मेरी फुद्दी के अंदर पेल दिया और इतनी जोर से ठुकाई करने लगा कि मेरे जिस्म का रोम रोम हिल गया। घस्से वो मेरी फुद्दी पर मार रहा था लेकिन महसूस मेरा सारा जिस्म कर रहा था। उसका हरेक तूफानी शॉट मेरे जिस्म में करंट की तरह फैल रहा था।

इस घमासान चुदाई के कारण मेरा मुंह पूरी तरह खुल गया और अब आ … आ… आह … आह … की लगातार आवाज़ निकल रही थी। मेरे जोश को देख कर वो पागल हो गया और उसी तरह लगातार मेरी आँखों में आंखें डाल कर मुझे चोदता रहा।

तभी उसने अपनी एक बड़ी उंगली मेरे थूक से गीली करके पीछे ले जाकर कर मेरी गांड में पेल दी तो मुझे जन्नत मिल गयी।
8-10 मिनट की इस जंगी चुदाई में मेरी टाँगें अपने आप उसकी पीठ पर लिपट गईं और हम दोनों एक दूसरर की आंखों में आंखों डाल कर बहुत ज़ोरों शोरों से झड़े। इस पोज़ में भी घोड़े ने अपना माल (जो कि काफी होगा) मेरी फुद्दी के बहुत अंदर निकाला जिसकी गर्मी पाकर आपकी जट्टी धन्य हो गई।

ढिल्लों ने हांफते हुए मुझे बेड पर उतारा और खुद मेरी बगल में लेट कर कहा- कमाल की घोड़ी है यार तू … तुझे अपना पूरा ज़ोर लगा कर पेला, मगर तूने टांग नहीं उठाई, सचमुच मज़ा आ गया। बड़ी करारी फुद्दी है तेरी! और हां तेरी फुद्दी ही नहीं, तेरी गांड भी मेरी है, लेकिन उसका उद्घाटन अगली बार!

अपनी यह तारीफ सुन कर मैं बहुत खुश हुई और उससे कहा- देखता जा ढिल्लों, तेरी इस जवान घोड़ी में बहुत ताकत है, बस तू मोर्चे पर डटे रहना, मैं तो हिल हिल के चुदूँगी तेरे से … मेरी फुद्दी में आग है आग, और वो सिर्फ तू ही बुझा सकता है अब जैसे कि इस बार बुझाई, थैंक्यू यार तेरा, बड़ी टिका के मारी है जट्टी की।

प्रिय दोस्तो, आपकी अपनी रूपिंदर कौर की तरफ से आप सब को नमस्कार। मैं आपसे कुछ दिन के लिए विदा ले रही हूं।
मुझे आपके मेसेज मिले हैं, अधिकतर पाठकों ने मेरी कहानी की तारीफ़ की है. मेरी सेक्सी कहानी को पसंद करने के लिए आप सबका तहे दिल से शुक्रिया। लेकिन कुछ लोग मुझसे मेरे फोन नम्बर वगैरा की माँग करते हैं और कुछ रिश्ते बनाने की! मेरी आप सब से विनती है कि ऐसे मैसेज न करें क्योंकि मेरे लिए यह मुमकिन नहीं है।
आप बस मेरी सेक्स कहानियों का आनंद उठाइए और अगर कहानी में कोई कमी पेशी लगती है तो मुझे ज़रूर बताइए।

आपकी चुदासी घोड़ी रूपिंदर कौर की सेक्स कहानी जारी रहेगी.
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