चाची सास की ज़बरदस्त चुदाई

छोटे चाचा की उम्र इतनी ज्यादा नहीं थी, उसकी बीवी यानी मेरी चाची सास बहुत सेक्सी किस्म की औरत है, पहले तो मैंने इतना गौर नहीं किया था, सच पूछो तो मैंने उनको चोदने की कल्पना तक नहीं की थी, ऐसे विचार तक दिमाग में नहीं आये थे पर उनकी खुद की हरकतों ने मेरा उनकी तरफ ध्यान खींचा।

उनके दो बेटे हैं लेकिन चाचा एक एक्सिडेंट में चल बसे थे, उनके दोनों बेटे ऑस्ट्रेलिया में पढ़ने के लिए गये हुये हैं, चाची अकेली सी पड़ गई थी इसलिए मैं और मेरी बीवी मोना काफी ज्यादा उनके घर जाते रहते थे।

एक दिन मैं गर्मी के दिनों में उनके घर के करीब से निकल रहा था, सोचा कि मिलता हुआ जाऊँ, ठण्डा वण्डा पीकर थोड़ा बैठ कर जाता हूँ।जब मैं वहाँ पहुँचा तो गेट भी लॉक नहीं था, लॉबी का दरवाज़ा भी लॉक नहीं था, मैंने आवाजें भी लगाईं लेकिन वो बाथरूम में नहा रही थी, पानी की आवाज़ से मेरी आवाज़ सुनी नहीं उन्होंने, उनका बाथरूम कमरे के साथ था। मैं कुर्सी पर बैठ गया, वो बाहर निकली, चौंक सी गई, मैं खुद भी शर्मिंदा सा होकर रह गया, वो सिर्फ छोटा सा तौलिया लेकर निकली थी, उसका जिस्म देख मेरा लंड खड़ा हो गया। मैं जल्दी से बाहर लॉबी में चला गया !

क्या हुस्न था, क्या कसा हुआ जिस्म था ! दूध से सफ़ेद थी लेकिन मेरा रिश्ता ऐसा था कि मैं शर्मसार हो गया था, लेकिन वह सामान्य होकर कमरे से आई गुलाबी रंग की झीनी सी एक नाईटी पहन कर ! नीचे काले रंग की पैंटी और ब्रा साफ़ दिख रहे थे।

उनके मम्मे बहुत कसे हुए थे।

“माफ़ करना चाची जी, सभी दरवाज़े ऐसे खुले हुए थे, सोचा नहीं था कि आप इस तरह निकल आओगी ! मैंने बहुत आवाजें लगाई थी !’

बोली- पानी की वजह से नहीं मालूम पड़ा, कैसे आना हुआ?

“इधर से निकल रहा था, सोचा गर्मी से थोड़ा रेलक्स होकर जाता हूँ !”

वो उठी, मटकती हुई रसोई में गई, दो ग्लास में कोल्ड ड्रिंक डाल कर ले आई, मुझे देने के लिए वह झुक गई, मुझे उसके मम्मे दिख गए।

“आपका क्या कसूर दामाद जी, मुझे शुरु से आदत है कि कपड़े कमरे में आकर पहनती हूँ। आपको तो ए.सी में पसीने आने लगे?”

“नहीं तो !”

“क्यूँ नहीं ! देखो तो !”

उस दिन मैं कुछ देर बैठ चला आया लेकिन चाची का जिस्म बार बार आँखों के सामने घूमने लगा, क्या मस्त औरत थी छोटी सासू !

मेरी एक मासी सास मुंबई में रहती हैं, उनके बेटे की शादी थी, मुझे बिज़नस से इतने दिन निकालने कठिन थे, वो सब लोग तो पहले चले गए लेकिन मेरी टिकट शादी से एक दिन पहले की फ्लाईट से थी, मोना बोली- आपका खाना वाना कैसे होगा?

तो चाची बोली- मुझमे और अपनी माँ में फर्क रखती है क्या?

“नहीं चाची, ऐसी बात नहीं !”

“फिर खाने के बारे काहे सोचती हो? दामाद जी यहीं से निकलते हैं दोपहर को खाना यहीं होगा इनका, और रात का मैं पैक करके खुद ड्राईवर के साथ देकर आया करुँगी ! पांच दिन ही तो हैं कौन सा दूर रहते हैं !”

चचिया सासू जी बहुत सेक्सी से कपड़े पहनने लग गई थी, उनके बोलचाल हाव भाव सब उस दोपहर के बाद बदल से गए थे।

अगले दिन रात को मैं घर बैठा पैग खींच रहा था, तीन मोटे पैग खींच रखे थे कि वो खाना लेकर आई, बेहद गहरे गले का सफ़ेद जालीदार सूट, लाल ब्रा चड्डी साफ़ दिख रही थी। ब्रा भी ना के बराबर सिर्फ निप्पल ही मुश्किल से ढके हुए थे। मैं देखता रह गया।

“क्या हुआ दामाद जी? आप मुझे ऐसे क्यूँ देख रहे हैं?” मेरे बिल्कुल बगल में बैठ कर मेरी जांघ पर हाथ रखते हुए बोली- लगता है दारु चढ़ने लगी है?

“आपको देख नशा दुगुना होने लगा है !” नशे में सच मेरी जुबां पर आ गया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

“क्यूँ ऐसा क्या हो गया दामाद जी?”

“आप मेरे साथ डिनर करो, ड्राईवर को भेज दो, मैं छोड़ आऊँगा आपको !”

जैसे वो बाहर से लौटी मैंने खींच कर अपनी जांघों पर बिठा लिया, दारु का ग्लास उनके होंठों से लगा दिया, वो पी गई।

“आप हमारे घर के दामाद हो, आपकी सेवा करना हमारा फ़र्ज़ है, आपको अपनी बेटी दी है, बेटी में घर आकर ऐसे बैठ दामाद से सेवा नहीं करवाई जाती दामाद जी !”

“अच्छा तभी मेरे खाने वाने की ज़िम्मेदारी उठाई है आपने?”

“बिल्कुल ! अगला पैग मैं बनाती हूँ ! और ग्लास लेकर उठी।

उसकी सलवार का नाड़ा मैंने पकड़ रखा था, सोच ही रहा था कि जांघों पर तो बिठा लिया, अब इसकी जांघें देखूं करीब से !

वो एकदम से उठी, नाड़े का एक सिरा मेरे हाथ में था, वो खुल गया, सलवार गिर गई।

“हाय ! यह क्या कर दिया आपने? बहुत शरारती हो आप !”

“तो सासू जी, ऐसे चल कर जाओ, मुझे अच्छा लगेगा !”

“हाय मेरे रजा !” उसने कहा- तो मजा ही लेना है तो पूरा मजा लेना चाहिए !

उसने अपनी कमीज़ उतार दी, लाल रंग की ब्रा और चड्डी में उसका हुस्न कहर बिखेर रहा था ! इस उम्र में भी कितना कसा हुआ बदन है !

“दामाद जी, आग तो आपने उसी दिन लगा दी थी जब मैं नहा कर निकली थी !” दो पैग लेकर मेरे करीब आई।

मैं खड़ा हुआ और आगे बढ़कर उसको बाँहों में भर लिया, उसकी गर्दन होंठ गलों को पागलों की तरह चूमने लगा। दोनों हाथ से उसके मम्मे पकड़ रखे थे और दबा दबा कर उसके होंठ चूसने लगा।

“हाय दामाद जी, आप कितने रोमांटिक मर्द हैं ! हमारी मोना कितनी भाग्यशाली है जो उसे ऐसा मर्द मिला है उसको !”

मैंने हाथ पीछे लेजाकर उसकी पीठ को सहलाते सहलाते हुक खोल दी, उसने ब्रा उतार फेंकी।

मैं शर्म एक तरफ़ फेंक कर उसके मम्मे चाटने लगा। उसने अचानक से मेरे लंड को पकड़ते हुए कहा- सब कुछ मेरा देखोगे क्या? हाय यह खड़ा है या अभी सोया हुआ है?”आधा खड़ा है सासु माँ !”

“कितना बड़ा है?”

मैंने उसको बाँहों में उठाया, अपने कमरे में लेजा बिस्तर पर पटका, दरवाज़ा बंद कर उसको दबोच लिया। उसने जल्दी से मेरा लोअर उतारा, फिर मेरा अंडरवीयर उतारा, वो मेरा लंड देख पागल हो गई- इतना बड़ा लंड वरिंदर आपका ! हाय मोना का तो भोसड़ा बना दिया होगा अब तक !

जल्दी से झुकी और पूरा मुँह खोल खोल कर उसको चूसने लगी।

“वाह क्या बात है चाची जी? बहुत आग लगी है क्या जाँघों के बीच में?”

“अब तो और आग लग गई इसको देख कर !”

“इसको भी मेरी तरह अपना समझो, पूरी रात आपको झूले झुलाता रहूँगा रानी !”

उसने दारू खींची, पैग बनाने गई बिल्कुल नंगी ! उसके हिलते चूतड़ देख मेरा लंड हिलने लगता, झटके खाने लगा।

वापस आते ही उसको दबोच लिया।

बोली- लो राजा, अब घुसा दो इसमें !

मैंने उसकी टांगें उठाई और झटके लगते हुए पूरा लंड उतार दिया उसकी चूत में !

काफ़ी कसी हुई फ़ुद्दी थी मेरी चचिया सासू मां की !

बोली- दामाद जी, पूरा घुसा डालो !

मैंने पूरा उतार दिया, उसको चोदने लगा, वो गांड उठा उठा चुदने लगी, बोली- तेज़ तेज ! मैं झड़ने वाली हूँ !

“हाँ अह हाँ हह !” करके उसने मेरा लंड अपनी फ़ुद्दी में जकड़ लिया लेकिन मैं कैसे रुकता, मैं अभी झड़ा नहीं था।

बोली- हाय दामाद जी, थोड़ा रुक कर लेना ! मेरी फ़ुद्दी में टीसें उठ रही हैं। उतनी देर चूस देती हूँ !

वो मेरा लौड़ा चूसने लगी, मैंने उसकी गांड में उंगली घुसा दी।

बोली- लगता है इस पे नियत खराब है दामाद की?

“हाई !” मैंने उसकी गांड पर थूका गीला लंड उसमे उतारने लगा वो चिल्लाने लगी, बोली- हाथ जोड़ती हूँ, चूत में घुसा लो ! इससे तो मर जाऊँगी !

लेकिन मैंने पूरा लंड घुसा डाला तो वो जल्दी ही मेरा साथ देने लगी।

पूरी रात मैंने सासु माँ को चोदा। उसके बाद पूरे पांच रात वो मेरे साथ सोई और अब वो मेरे लंड की गुलाम हो गई है।

ऑफिस से दोपहर को टाइम निकाल उसके पास जा ही आता हूँ अक्सर !