हर हफ्ते एक-आध इस तरह की गैदरिंग हो ही जाती थी। मैं इनमें शमिल होती लेकिन किसी गैर मर्द से जिस्मानी ताल्लुकात से झिझकती थी। शराब पीने, नाच गाने तक और ऊपरी चूमा-चाटी तक भी सब सही था, लेकिन जब बात बिस्तर तक आ जाती तो मैं चुपचाप अपने को उससे दूर कर लेती थी। […]
Category: रिश्तों में चुदाई
इंडियन इन्सेस्ट स्टोरी, चाचा-भतीजी, चाची-भतीजा, मौसी, बुआ सास, ससुर जैसे रिश्तों में, परिवार में, रिश्तेदारी में चुदाई की कहानियाँ जिसे वर्जित माना जाता है.
Indian Incest Sex Stories in Hindi of Bhai-Bahan, Rishton mein chudai, Jija Sali and Devar-Bhabhi
कमाल की हसीना हूँ मैं-13
चारों अपने-अपने लाईफ पार्टनर्स के साथ सैक्स के खेल में लगे हुए थे। मगर चारों ही एक दूसरे के साथी का तस्सवुर करके उत्तेजित हो रहे थे। फिरोज़ ने बेड पर लेटते हुए नसरीन भाभी जान को अपनी टाँगों के बीच खींच लिया और उनके सिर को पकड़ कर अपने लंड पर झुकाया। नसरीन भाभी […]
दीप के स्वप्नदोष का उपचार-2
तब मैंने उसे बताया कि अगर एक बार रस निकाल दो तब नए रस के लिए अगले एक सप्ताह तक के लिए जगह बन जाती है और फिर ना तो वह बाहर निकलेगा ना ही उसका पजामा गीला होगा ! यही स्वप्नदोष का उपचार है। कह कर मैं चुप हो गई और उसकी मुठ मारती […]
कमाल की हसीना हूँ मैं-15
मैंने अपनी टाँगों को मोड़ कर अपनी चूत को उनकी तरफ़ आगे किया और उनके सिर को अपनी दोनों जाँघों के बीच दबा दिया। मैंने दोनों जाँघों से उनके सिर को भींच रखा था, जिससे उनको भागने का कोई रास्ता नहीं मिले। लेकिन दूसरी ओर मेरी हालत उन्होंने खराब कर रखी थी। उनका लंड मेरे […]
कमाल की हसीना हूँ मैं-14
“बहुत प्यासे हो?” मैंने उनके कानों में फुसफुसा कर कहा जिसे हम दोनों के अलावा किसी ने नहीं सुना। “हम्म्म !” उन्होंने सिर्फ इतना कहा और मेरे जिस्म को चूमना जारी रखा। “आज की सारी रात तुम्हारी है। आज जितना जी चाहे मुझे अपने रस से भिगो लो फिर पता नहीं कब मिलना हो। ना […]
कमाल की हसीना हूँ मैं-18
“अब और हिम्मत नहीं है लेकिन मन नहीं भरा, एक बार और मुझे वो सब दे दो। अपने दूध से मुझे भिगो दो।” मैंने उनके कान को अपने दाँतों से काटते हुए कहा। “अब इसका खड़ा होना मुश्किल है। आज शाम से काफी काम करना पड़ा ना, इसलिये बेचारा मुरझा गया है।” फिरोज़ ने अपने […]
कमाल की हसीना हूँ मैं-17
“ये छोटी सी है?” मैंने उस नेकलेस को अपने हाथों में लेकर निहारते हुए कहा, “यह तो बहुत महंगा है, फिरोज़ !” “खूबसूरत जिस्म पर पहनने के लिये गहना भी वैसा ही होना चाहिये। इसकी रौनक तो तुम्हारे गले से लिपट कर बढ़ गई है।” मैंने उन्हें आगे कुछ बोलने नहीं दिया और अपना गिलास […]
कमाल की हसीना हूँ मैं-16
मैंने उनके गले में अपनी बांहें डाल कर उनके कान में धीरे से कहा, “आज मुझे इतना रगड़ो कि जिस्म का एक-एक जोड़ दर्द से तड़पने लगे।” वो अब मेरे दोनों मम्मों को अपनी मुठ्ठी से मसलते हुए मेरी चूत में धक्के मार रहे थे, हर धक्के के साथ उनका लंड एकदम टोपे तक बाहर […]
दीप के स्वप्नदोष का उपचार-1
मेरी वक्ष पर उठी हुई गोल और सख्त चूचियाँ हैं जिन पर गहरे भूरे रंग के चूचुक हैं, पेट सपाट है, नितम्ब थोड़े भारी हैं, टांगें लंबी और जांघें सुडौल हैं तथा नितम्बों तक पहुँचते हुए काले काले बाल हैं। मैं एक मध्यम वर्ग के परिवार की विधवा बहू हूँ जिसके मायके और ससुराल में […]
कमाल की हसीना हूँ मैं-28
“यहाँ मैं अकेला हूँ तो शर्म आ रही है… वहाँ तो सैंकड़ों लोग देखेंगे फिर?” “अब्बू वहाँ तो सारी लड़कियाँ इसी ड्रेस में होंगीं… इसलिये शर्म नहीं लगेगी।” “नहीं-नहीं ! तुम तो उसी तरह आओ ! नहीं तो पता कैसे चलेगा इन कपड़ों में तुम कैसी लगोगी?” उन्होंने कहा तो मैं चुपचाप लौट आई और […]