मेरी दीदी का सत्ताईसवां लण्ड-1

अब से करीब 4 साल पहले संयोग से कुछ ऐसा हुआ कि मेरी जिन्दगी ही बदल गई. मेरा अपनी बहन के प्रति नज़रिया बदल गया. जबकि उससे पहले हम साथ-साथ सो भी जाते थे, लेकिन मेरे मन में बहन के प्रति कोई गलत ख्याल नहीं था.

एक बार दीदी घर आई हुई थी, तब शादीशुदा सगी बहन को देखा कि वो स्नानघर में नहा रही थी और स्नानघर अन्दर से बन्द नहीं था. मुझे पेशाब करने जाना था और मुझे नहीं पता था कि बहन अन्दर है.

मैं जल्दी से स्नानघर के अन्दर गया, लेकिन अन्दर जाते ही मेरे होश उड़ गए, अन्दर बहन बिल्कुल नंगी नहा रही थी. मैंने दीदी को ऊपर से नीचे तक एक ही झटके में देख लिया और ‘सॉरी’ बोल कर बाहर निकल गया.

लेकिन मैंने जब से बहन को नंगी देखा था, तब से उसको देखने का नज़रिया बदल गया और अब वो मुझे बहन नहीं बल्कि एक माल नज़र आती थी.

एक दिन माँ और दीदी बाजार गई हुई थीं. तब मैंने सोचा कि क्यों ना दीदी को रोज नंगी देखा जाए. यह सोच कर मैंने स्नानघर की पिछली दीवार में एक सुराख बना दिया.

अब मैं दीदी को रोज नहाते देखता और दीदी की कातिल जवानी को याद करके मुठ मारता, यह मेरा रोज का काम हो गया.

फिर दीदी ससुराल चली गई तो मेरी तो जैसे दुनिया ही उजड़ गई, हर वक़्त नंगी बहन की याद आती. मेरा लौड़ा उदास रहने लगा, खड़ा ही नहीं होता था.

फिर एक माह बाद मेरी छुट्टियाँ शुरू हुईं तो मैंने माँ को बोला- मुझे बहन के पास जाना है.

तो माँ ने तुरंत ‘हाँ’ बोल दिया.

मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा, मैंने बहन को भी कॉल करके बोल दिया कि मैं कल आ रहा हूँ. यह सुनकर दीदी भी बहुत खुश हुई. अगले दिन दोपहर को मैं बहन के यहाँ पहुँच गया. दीदी मुझे देख कर बहुत खुश हुई और जैसे पहले मुझसे पहले गले मिलती थी वैसे ही मुझसे लिपट गई. लेकिन मेरा नज़रिया अब बदल गया था, जैसे ही बहन मुझसे लिपटी मैंने अपना हाथ नीचे ले जाकर उसकी गाण्ड पर रख दबा दिया.

फिर हम अलग हो गए. बहन ने मेरी खूब खातिरदारी की, मैं बहन से मिलकर बहुत खुश था.

मेरे मन में बहन को नंगी देखने की ख्वाहिश जोरों से उठ रही थी लेकिन इधर सब असंभव था.

शाम को जीजू घर आए, मुझे देख कर वो भी बहुत खुश थे. सब ने मिलकर रात का भोजन किया और मैं अपने भांजे को लेकर अपने कमरे में सोने चला गया. मेरा एक ही भांजा है. उसकी उम्र 5 साल है.

रात को लगभग 11 बजे मैं पानी पीने को उठा तो जीजू के कमरे में लाइट जल रही थी. मैंने ये सोच कर कि अब तक क्या कर रहे हैं, देखूँ तो ज़रा.

यह सोचकर मैंने ‘की-होल’ से अन्दर देखा तो दंग रह गया अन्दर टीवी पर ब्लू-फिल्म चल रही थी बिस्तर पर जीजू और बहन बिल्कुल नंगे थे.

जीजू बहन की टांगों के बीच में बैठे थे और बहन की चूत चाट रहे थे. ये देख कर मैं अपने आप पर कंट्रोल करके देखता रहा. फिर बहन जीजू के ऊपर लेट गई और जीजू को चुम्बन करने लगी और धीरे-धीरे अपना हाथ नीचे ले जाती रही.

अब बहन के हाथ में जीजू का लंड था, जिसे बहन ऊपर से नीचे तक हाथ से सहला रही थी. अब बहन ने अपना मुँह खोला और जीजू ने थोड़ा ऊपर को झटका मारा, आधा लंड बहन के मुँह में था.

दीदी लंड को लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी. ये सब देख कर मैं रोमांच से भर रहा था और मेरा लंड कड़ा हो गया था. मैंने अपना लंड हाथ में पकड़ रखा था.

अब जीजू सीधा लेट गए और मेरी बहन ने जीजा जी के लंड को पकड़ कर धीरे-धीरे अपनी गाण्ड को लंड पर ला रही थी. मेरे देखते ही देखते पूरा लंड बहन की चूत में समा गया.

अब दीदी जल्दी-जल्दी ऊपर-नीचे होने लगी.

मेरी बहन किरण के मुँह से ‘उह.. आह जानू आ..’ की आवाज़ आ रही थी. कुछ देर बाद बहन कुतिया जैसे खड़ी हो गई और जीजा ने पीछे से मेरी बहन की चूत में अपना लंड डाल दिया.

अब जीजू ने अपनी चुदाई की धकापेल बढ़ा दी और दीदी ‘आह.. उहह.. मुझे और चोदो राजा.. चोदो.. फाड़ डालो मेरी चूत को आह उहह.. डार्लिंग मजा आ गया.. उई मैं गई..’

यह बोलते हुए बहन चुद कर बिल्कुल शांत हो गई.

अब जीजू ने 3-4 जोरदार धक्के और मारे और दीदी के ऊपर निढाल हो गए. मैंने भी लंड पर तेज-तेज हाथ चला कर अपने लौड़े की गर्मी को शांत किया. और बिस्तर पर आकर बहन की चुदाई के ख्यालों में डूब गया, पता नहीं कब सो गया.

जब सुबह उठा तो 9 बज रहे थे. जीजू ऑफिस जा चुके थे और मुन्ना स्कूल चला गया था. मैंने उठ कर देखा तो बहन किचन में थी. मैंने बहन को ‘गुड-मॉर्निंग’ बोला, तो देखा कि बहन काफ़ी खुश है. मैंने सोचा कि बहन रात की चुदाई से खुश होगी.

फिर बहन ने मुझे कहा- राजू, तुम नहा लो तब तक नाश्ता बन जाएगा, फिर दोनों साथ ही करेंगे.

मैंने ‘ओके’ बोला और स्नानघर में चला गया. नहा कर मैंने और बहन ने मिल कर नाश्ता किया और मैं लालकिला देखने की बोल कर घर से निकल गया. दोपहर को जब वापिस आया तो मुन्ना स्कूल से आ चुका था. हम तीनों ने लंच किया और सो गए.

जब मैं उठा तो 6 बज चुके थे. बहन ने चाय बनाई और फिर हम छत पर जाकर बात करने लगे. रात 8 बजे जीजू आए, हम सबने साथ ही डिनर किया और कमरे में टीवी देखने लगे.

जीजू ने मुझसे पूछा- राजू, तुम्हारा दिल तो लग गया है ना..

मैंने बोला- लगेगा क्यों नहीं.. जब यहाँ मुझे आप लोगों का इतना प्यार मिल रहा है.

ऐसे ही कुछ देर बातें की, फिर बहन और जीजू सोने चले गए. मैं आज फिर बहन की चुदाई देखना चाहता था. कुछ देर बाद मैं उठा और ‘की-होल’ से देखने लगा.

बहन किरण जीजू के शरीर पर चुम्मी कर रही थी लेकिन जीजू बोल रहे थे- जानू.. आज ऑफिस में बहुत काम था.. सो मैं थका हुआ हूँ.. आज सोने दो.. कल करेंगे..

यह सुन कर बहन नाराज़ सी हो गई और बोली- तुम तो हर रोज यही बोलते हो और हफ्ते में 2-3 दिन ही मुझे खुश करते हो. अब पहले की तरह मुझे प्यार नहीं करते.

यह बोल कर बहन दूसरी तरफ मुँह करके सो गई.

यह देख कर मुझे बहुत दु:ख हुआ कि मेरी बहन खुश नहीं है.

अगले दिन जब मैं उठा तो देखा कि जीजू ऑफिस चले गए थे और बहन स्नानघर में थी. जब बहन बाहर आई तो देखा कि आज बहन खुश नहीं है.

जब मैंने पूछा- क्या बात है दीदी, मूड क्यों ऑफ है?
तो बोली- नहीं.. ऐसी कोई बात नहीं..

मैं फिर फ्रेश हो कर कहीं घूमने की बोल कर बाहर चला गया और दोपहर को आकर लंच किया और सो गया.

लगभग 4 बजे जीजू की कॉल आई- मुझे अभी ऑफिस के किसी आवश्यक काम से कानपुर जाना है, मैं घर पहुँच रहा हूँ, तब तक मेरी अटैची तैयार कर दो.

बहन उनकी अटैची लगाने में लग गई और मैं सोच रहा था कि अब बहन का दिल कैसे लगेगा.

जीजू आए और फ्रेश होकर मुझसे बोले- राजू, मुझे गाड़ी से रेलवे-स्टेशन छोड़ दो.
मैंने कार निकाली और जीजू को लेकर स्टेशन पर पहुँच गया.
जीजू ने मुझे बोला- तुम घर का ध्यान रखना, मैं 3 दिन बाद लौटूँगा.
मैंने जीजू को बोला- आप चिंता ना करें.

अब मैं घर आ गया.

कहानी जारी रहेगी.
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