मेरी सेक्सी बिंदास भाभी ने मेरे लंड की सील तोड़ी-4

भाभी ने लंड को अपनी चूत के अन्दर ले लिया और उसके बाद दोनों एक दूसरे से चिपक गये। भाई का एक हाथ भाभी की चुची को मसलने लगा, भाभी भी अपने हाथ भाई के सीने में रखकर रगड़ रही थी और उंगलियों से भाई के निप्पल को कस कर मसल रही थी।
दोनों एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे। दोनों की सांसें बहुत तेज चल रही थी, भाभी भाई के ऊपर उछल रही थी।उछलते उछलते भाभी ने अपने दोनों हाथों से भाई के सर को कस कर पकड़ लिया ‘आह हो… आह हो’

भाई भी सिसकारी लिये जा रहा था और बोले जा रहा था- कामिनी और तेज, मजा आ रहा है… हम्म…
भाभी की स्पीड और तेज हो गई थी।

मैं उन दोनों के बीच हो रही चुदाई को भी थोड़ा-थोड़ा फारवर्ड करके देख रहा था।
दोनों शायद ही झड़ चुके थे क्योंकि दोनों एक बार फिर से एक दूसरे से चिपके हुए थे और फिर थोड़ा फारवर्ड किया तो अब भाभी भाई के ऊपर से उतर चुकी थी और भाई का लंड मुरझा चुका था।

इधर मेरा हाथ भी लंड को मल चुका था क्योंकि उस चुदाई को देखने के बाद मेरे लंड ने भी पानी छोड़ दिया था, मेरा पूरा माल बिस्तर पर गिर चुका था। इसी बीच भाभी ने भाई के लंड को मुंह में लेकर साफ किया और उसके बाद भाभी भाई की जांघों पर खड़ी हो गई। अब भाभी की चूत भाई के सामने थी, जिस पर भाई ने अपनी जीभ लगा दी।

ये दौर दोनों के बीच का खत्म हो चुका था। मुझे भी थकान चढ़ रही थी और बार-बार मेरी पलकें झपकी जा रही थी। मैं चाह रहा था कि मैं उस मूवी को और देखूं, पर मेरी आंखे खुलने का नाम नहीं ले रही थी।
पता नहीं कब मेरे सर के नीचे से मेरा हाथ निकल गया और कब मुझे नींद आ गई।

एक चटाक से मेरे पिछवाड़े पर आवाज आई, जिससे मेरी नींद खुल गई।
मैं आँख मलते हुए उठा तो सामने भाभी को खड़े देखा, जो बहुत ही गुस्से में दिख रही थी- यह क्या कर रहा है तू हरामजादे?

मैंने तुरन्त ही पास पड़ी हुई चादर को अपने ऊपर लिया- क्या हुआ भाभी?

सामने अभी भी लैपटॉप खुला हुआ था और ‘भाई भाभी की गांड मार रहा था’ वो सीन चल रहा था।
मेरा सर झुक गया।

भाभी और जोर से चीखी- बोल हरामी, ये तू क्या कर रहा था?
‘कुछ नहीं भाभी, बस आपका लैपटॉप दिखा तो मैंने उसे ऑन किया और थोड़ा सर्च करने पर ये मूवी दिखी तो देखने लगा।’
‘मुझसे बिना पूछे तेरी हिम्मत कैसे हुई? ठहर मैं तेरे भाई को फोन करती हूँ और तेरी ये कमीनी हरकत को बता रही हूँ और अब तू अपना सूटकेस वापस तैयार कर… अब तू यहाँ नहीं रूकेगा।’

बस इतना सुनना था कि मेरे हाथ पांव फूल गये, मैंने तुरन्त अपने ऊपर से चादर हटाई और भाभी के हाथ से मोबाईल लिया और उनके पैरो पर गिर पड़ा और माफी मांगने लगा।
मैं काफी गिड़गिड़ा रहा था और बिना भाभी की तरफ देखे उनसे मिन्नत करने लगा, उनसे बोले जा रहा था- भाभी, आप मुझे जो सजा देना चाहो दे दो। पर ये बात किसी से मत बताना।
काफी देर तक उनसे यही बात दोहराये जा रहा था और मेरे आंखो से लगभग आंसू सूख ही गये थे।

कि भाभी बोली- चल खड़ा हो जा!
मैं उसी नंगी अवस्था में खड़ा हो गया।
भाभी मेरे निकल आये आंसू को साफ करते हुए बोली- हट! कैसा मर्द है तू कि रोने लगा?

मैं भाभी के ये शब्द सुनकर आवाक रह गया। पर उनके इस शब्द पर ध्यान न देते हुए उनसे बोला- भाभी आप जो सजा देना चाहो दे दो, पर प्लीज किसी को मत बताना।
‘नहीं मैं किसी को नहीं बताने जा रही… पर सजा तो मैं तुमको दूंगी और सजा यही है कि जब तक तुम यहाँ रहोगे, नंगे ही रहोगे, बस जब हम लोग बाहर घूमने चलेंगे तब ही तुम कपड़े पहनोगे। लेकिन हाँ नीचे चड्डी बिल्कुल नहीं पहनोगे।’
‘तो ठीक है। अब बताओ अपनी भाभी को इस लैपटॉप पर नंगी देखोगे कि अपने सामने नंगी देखोगे?’

मेरी आँखें फटी रह गई और मैं उन्हें एकटक देखता ही रह गया।

उन्होंने मेरे लंड को कस कर पकड़ लिया और बोली- अमित, लैपटॉप तो बन्द कर लो! और अभी तुम कपड़े पहन लो। चलो पहले मैं तुम्हें यहाँ के बीच का आनन्द करवाती हूँ और उसके बाद घर में तुमको और आनन्द करवाऊँगी।
इतना कहकर भाभी अलमारी की तरफ घूमी और अलमारी से स्कर्ट और टी-शर्ट निकाल कर मेरे सामने ही अपने ऑफिस के कपड़े को चेंज करके स्कर्ट और टीशर्ट पहन लिया।

इधर मैंने भी भाभी के आदेश को ध्यान में रखते हुए केवल जींस और टी-शर्ट पहन लिया।

उसके बाद भाभी और मैं घर के बाहर आ गये। भाभी ने अपनी स्कूटी स्टार्ट की और मैं उनके पीछे बैठ गया। मैं भाभी के साथ थोड़ा चिपक कर बैठा हुआ था। जैसा कि अक्सर आप लोगों ने देखा होगा कि जिस तरह गाड़ी के पीछे बैठने के बाद लड़कियाँ लड़कों की कमर में अपनी बाँहें डाल देती हैं, उसी तरह मैंने भाभी की कमर में हाथ डाल दिया।
पर मुझे ऐसा लगा कि भाभी को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ा।

घूमते टहलते हम लोग गोवा बीच में पहुँच गये।
वास्तव में बहुत ही हसीन जगह थी।

एक जगह पर स्कूटी रोक कर भाभी ने मुझे टी-शर्ट उतारने को कहा और खुद भी उन्होने अपनी स्कर्ट और टी-शर्ट उतार दी और स्कूटी के अन्दर रख दिया।
मैं केवल जींस में था जबकि भाभी ब्रा-पेंटी में थी।

फिर उन्होंने मेरे हाथ को पकड़ा और समुद्र की ओर किनारे पर आ गई और एक जगह पर बैठ गई, मैं भी उनकी बगल में बैठ गया।
मेरे बैठते ही भाभी बोली, अपनी जिप खोल लो।
मैंने उनके आदेश का पालन करते हुए जिप खोल दी।

आस-पास का नजारा काफी हसीन लग रहा था। गोवा बीच पर हसीन लड़कियाँ जो कम कपड़ों में थी, अपने साथ आये हुए बॉयफ्रेंड के साथ पानी में कुछ मजा ले रही थी तो कुछ वहीं बीच पर बैठी हुई थी।
मैं उन सब को देखने में मस्त था कि भाभी मेरे लंड को दबाते हुए बोली- अमित देख उधर!

मेरी नजर उधर दौड़ गई, जिधर भाभी देखने का इशारा कर रही थी।
देखा तो एक लड़की अपने बॉयफ्रेंड के आगे बैठी हुई थी, उसके दोनों गोले उसके दोस्त के हाथ में कैद थे। लड़की की ब्रा उपर थी और उसकी चुची नंगी थी जिन्हें उसका दोस्त काफी कस कस कर दबा रहा था।

इधर भाभी का हाथ भी मेरे लंड को दबा रहा था। उनके नुकीले नाखून मेरे सुपारे के कटे हुए हिस्से को खरोंच रहा था, इससे मेरे लंड के नसो में बहने वाला खून और तेजी से दौड़ने लगा और उत्तेजित होते हुए लंड टाईट होने लगा।

मेरी भी हाथ उंगली बिना किसी संकोच के भाभी के कटि प्रदेश पर पहुंच गई और उस कटि प्रदेश का भ्रमण करने लगी। मेरी सहूलियत को बढ़ाते हुए भाभी ने अपनी टांगों को और फैला दिया। इस तरह से अब हम दोनों ही एक दूसरे के नाजुक अंगों से खेल रहे थे और साथ ही साथ हमारे सामने बैठे हुए जोड़े को मस्ती करते हुए भी देख रहे थे।

अब दोनों के हाथ एक दूसरे के अंगो को तेज-तेज रगड़ने लगे, जिसके फलस्वरूप हम दोनों के हाथ एक दूसरे के रस से गीले हो चुके थे।
पहले भाभी ने मेरे लंड से अपना हाथ हटाया और फिर उस हाथ को चाटने लगी, उनकी देखा देखी मैं भी अपने हाथ में लगी हुई भाभी की मलाई को चाटने लगा।

मुझे पेशाब बहुत तेज लगी थी, मैं उठ कर खड़ा हो गया और बोला- भाभी, पेशाब बहुत तेज लगी है, मैं करके आ रहा हूँ।
‘रूको।’
‘क्या हुआ?’ मैं वापिस बैठते हुए बोला।
तो मुझसे बोली- देखो अंधेरा हो रहा है। अपनी पैन्ट को नीचे कर लो और यही मूत लो।

इतना कहकर भाभी ने अपनी उंगली से पेंटी को एक तरफ किया और आहिस्ते से मूतने लगी।

मैंने भी अपनी पैन्ट उतारी और धीरे-धीरे मूतने लगा। मूतने के बाद दोनों खड़े हुए और समुद्र की तरफ दौड़ने लगे और उसके बाद पानी में अटखेलियाँ करने लगे। काफी देर तक हम लोग पानी में थे।

अंधेरा भी काफी हो गया था लेकिन चहल-पहल अभी भी बरकरार थी।

हम दोनों स्कूटी के पास आये। भाभी और मैंने अपने गीले कपड़ों के ऊपर बचे हुए कपड़े पहने और उसके बाद घर की तरफ चल दिये।
रास्ते में भाभी मेरी पसंद और नापसंद पूछ रही थी और मैं उसकी पसंद और नापसंद पूछ रहा था।
फिर इधर-उधर की बात करते हुए हम लोग घर पहुंचे।

कहानी जारी रहेगी।
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