मेरी प्यारी भाभी की गान्ड चुदाई

तो जब भी मौका मिलता मैं बाथरूम में जाकर उनके नाम की मुठ मारा करता था।
वो बहुत ही सेक्सी लगती हैं.. और मुझे उनके शरीर में सबसे मस्त उनकी उठी हुई गांड ही लगती है, मेरा तो हमेशा मन करता है कि उनकी गांड में अपना लंड डालकर उनकी गांड फाड़ दूँ।

मैं हर बार.. जब कभी भी मुझे कोई अच्छा मौका मिलता.. उनके मम्मों तो कभी उनकी गांड को धीरे से छू लेता लेकिन वो मुझे कुछ नहीं कहती थीं।
बस वो मुस्कुरा कर अपने घर के कामों में लगी रहती थीं। मैं उनके खूबसूरत जिस्म के दर्शन करता रहता था।

एक रात को मैं जल्दी ही भाभी के नाम की मुठ मार कर सो गया.. मैं अचानक से उठा और बाहर बाथरूम में जाने के लिए अपने कमरे से बाहर निकला.. मैंने बाथरूम के पास जाकर देखा तो वहाँ पर पहले से ही लाईट जल रही थी।

फिर मैंने उधर टंगे हुए भाभी के कपड़े पहचान लिए और एक क़दम पीछे हट गया और उनके निकलने का इंतज़ार करने लगा।
उन दिनों बहुत गरमी थी.. तो भाभी रात को नहाकर सोती थीं.. और वो उस रात भी वही कर रही थीं।

तभी थोड़ी देर के बाद मुझे भाभी की चूड़ियों की आवाजें सुनाई दीं और मैं समझ गया कि वो अब कपड़े पहन रही हैं।
जब उन्होंने कपड़े पहन लिए और बाहर आईं.. तो मैं उन्हें देखता ही रह गया.. वो केवल पेटीकोट.. ब्लाउज में एकदम सेक्सी लग रही थीं और उनके बड़े-बड़े मम्मे मुझे उनको छूने को मजबूर कर रहे थे।

मैं थोड़ा डरते हुए उनके नज़दीक गया और उनसे कहा- मुझे एक बार अपने मम्मों को हाथ लगा लेने दो..
तो उन्होंने कहा- नहीं.. मैं तुम्हारी भाभी हूँ और तुम मेरे साथ यह सब नहीं कर सकते हो।
मैंने उनसे बहुत ज़िद की तो भाभी ने कहा- मैं शोर मचा दूँगी।

मैं बहुत डर गया और चुपचाप बाथरूम में जाकर फिर से मुठ मारने लगा और कुछ देर बाद मैं अपने कमरे में पहुंचा और सोने लगा.. लेकिन अब मुझे नींद कहाँ आने वाली थी, मैं पूरी रात उनके बारे में ही सोचता रहा और किसी अच्छे मौके की तलाश में था।

एक दिन भाभी मेरे कमरे में आईं और मैंने सही मौका समझते हुए उनको 500 रुपये दिए और उन्होंने मुझसे वो पैसे ले लिए और चुपचाप अपने कमरे में चली गईं।
वो मुझसे चुदने को राजी सी हो चुकी थीं।

फिर उसी दिन मैं भी थोड़ी हिम्मत करके उनके कमरे में गया और उनकी अलमारी में से उनकी ब्रा निकालकर उनके ही सामने उसे चूमने लगा।

तो भाभी ने मुझसे कहा- तुम यह क्या कर रहे हो.. कोई देख लेगा..
मैंने कहा- मैं मजबूर हूँ.. तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो..
तो भाभी ने कहा- यह सब अच्छी बात नहीं है।
फिर मैंने भाभी से कहा- दुनिया में हम अकेले नहीं हैं.. सभी लोग यह सब करते हैं।
दोस्तो, मैं इतना कहते हुए भाभी के ऊपर गिर गया..

भाभी ने कहा- चलो उठो.. ठीक है लेकिन इस बात का पता किसी को नहीं चलना चाहिए।
तो मैंने कहा- मैं कभी भी किसी को कुछ नहीं बताऊँगा और यह बात तुम्हारे और हमारे बीच में ही रहेगी.. तुम चिंता मत करो।
मैंने भाभी के मम्मों को धीरे से हाथ लगाया और दबाने लगा। मेरे ऐसा करने से उनको बहुत अच्छा लग रहा था और वो मुझे बस देखती रहीं।

फिर कुछ देर बाद भाभी ने कहा- कल 12 बजे मैं जब बाथरूम में नहाने जाऊँगी.. तब तुम टॉयलेट में आ जाना और मैं तुम्हारे लिए बाथरूम का दरवाज़ा खुला रखूंगी।

फिर मैंने कुछ देर और उनके जिस्म के मज़े लिए और उठकर अपने कमरे में आकर उनके नाम की मुठ मारकर सो गया।

फिर दूसरे दिन ठीक 12 बजे भाभी बाथरूम में घुस गईं और मैं थोड़ी देर बाद टॉयलेट में चला गया। मेरे दिल की धड़कनें तेज़ हो रही थीं.. मैंने टॉयलेट का दरवाज़ा बंद किया और बाथरूम में घुस गया।

वहाँ पर मेरी भाभी मेरा इंतज़ार कर रही थीं.. उसने दरवाज़ा पीछे से बंद कर दिया।
मैंने भाभी को पीछे से पकड़ लिया और अपना आधा लंड उसकी गांड से लगा दिया.. भाभी ने एक सिसकी ली और मुझसे कहा- मेरे मम्मों को चूसो न..

मैंने भाभी के दोनों मम्मों को पकड़ लिया और थोड़ी देर के बाद भाभी सीधी हो गईं और उन्होंने मुझसे कहा- अपना लंड तो दिखा..
तो मैंने अपनी पैन्ट को उतार दिया और भाभी को अपना मोटा, लम्बा लंड दिखाया।
फिर भाभी ने उसको धीरे से चूमा और मुझसे कहा- क्या मैं इसको चूस सकती हूँ?
तो मैंने कहा- जैसी तुम्हारी मर्ज़ी जानू..

भाभी ने मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया और फिर थोड़ी देर के बाद जब मेरा पानी निकलने वाला था.. तो मैंने भाभी के मुँह में से लंड को बाहर निकाल कर उसके मम्मों पर सारा वीर्य गिरा दिया।
फिर भाभी ने सारा वीर्य चाट लिया और उसे पी गई। फिर मैं नीचे बैठकर भाभी की चूत को चाटने लगा और कुछ ही पलों में मैं बहुत ज़ोर-ज़ोर से उनकी चूत चाटने लगा था।
वो सिसकारियाँ ले रही थीं- उहह अह्ह्ह..

फिर मैं अपनी जीभ को उनकी चूत में अन्दर तक डालकर ज़ोर-ज़ोर से हिलाने लगा और वो एकदम मस्त हो गई।
कुछ देर के बाद भाभी ने कहा- मेरा पानी निकलने वाला है।
तो मैं और ज़ोर-ज़ोर से चूत को चाटने, चूसने लगा और फिर कुछ देर बाद उनका पानी निकल गया।

मैंने पूरा पानी पी लिया.. तो भाभी ने कहा- मुझे ऐसा मज़ा तुम्हारे भैया ने आज तक कभी नहीं दिया है।
फिर भाभी मेरा लंड दोबारा चूसने लगीं और थोड़ी देर के बाद फिर से मेरा लंड गरम हो गया.. तो भाभी ने कहा- इसको जल्दी से मेरी चूत में डाल दो।
तो मैंने कहा- नहीं भाभी यह बहुत गलत है.. इस चूत पर मेरे भाई का हक़ है..
भाभी ने कहा- फिर क्या करोगे?

फिर मैंने कहा- मैं तुम्हारी गांड मार सकता हूँ।
भाभी ने कहा- नहीं.. मुझे बहुत दर्द होगा..

तो मैंने कहा- नहीं भाभी.. मैं पहले उस पर बहुत सारा तेल लगा देता हूँ.. जिससे लंड को अन्दर जाने में आसानी होगी और उससे दर्द भी बहुत कम होगा.. लंड फिसलकर एकदम अपनी जगह पर सैट हो जाएगा।

भाभी मेरे कहने पर मान गईं और मैंने उनकी गांड पर बहुत सारा तेल लगा दिया और फिर अपने लंड पर भी तेल लगा लिया। मैंने भाभी को घोड़ी बनाया और फिर अपने लंड को उसकी गांड के क़रीब ले गया.. भाभी ने गांड को अपने दोनों हाथों से पकड़ रखा था..
तो मैंने अपने लंड को धीरे से भाभी की गांड पर रख दिया और एक जोरदार धक्का देकर लंड को गांड में पूरा का पूरा उतार दिया और उसके मम्मों को पकड़ कर ज़ोर-ज़ोर से लंड को उसकी गांड में झटके मारने लगा।

भाभी बहुत ज़ोर से चिल्लाने लगीं और बोलीं- धीरे-धीरे कर.. मेरी गांड फट जाएगी..

लेकिन मैं कहाँ सुनने वाला था.. मैं और जोश में आकर और ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा और वो ‘उह्ह्ह्ह.. आहाहह.. उहह.. माँ.. ऊऊईमाँ..’ करने लगीं।

कुछ देर बाद भाभी ने कहा- हाँ.. और ज़ोर से.. फाड़ डाल मेरी गांड को उफफ्फ़.. तूने तो मुझे मार ही डाला और अन्दर कर.. हाँ.. और मम्मों को दबा..
तो मैं थोड़ी देर तक भाभी को इसी अंदाज़ में चोदता रहा।
फिर मैं जब झड़ने लगा तो मैंने लंड को उसकी गांड में से बाहर निकाल कर उसके मुँह में दे दिया और भाभी ने मेरा सारा वीर्य पी लिया।

इसके बाद मैंने उसकी चूत चाटनी शुरू कर दी और उसको भी झड़ने का मौका दिया और उसके बाद मैंने उसको किस किया और दरवाज़ा खोलकर वापस टॉयलेट में चला गया।

दोस्तो, इसके बाद तो मेरी क़िस्मत का दरवाज़ा खुल गया और अब मैं भाभी को जब भी जी करता है.. खूब चोदता हूँ और उनकी चुदाई के मज़े लेता हूँ..
मैंने बहुत बार उनकी चुदाई की और अपना लंड उनके मुँह में डालकर उनके मुँह को भी चोदा।

आपको मेरी यह सच्ची कहानी कैसी लगी मुझे मेल कर के जरूर बताइयेगा।
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