मेरी चालू बीवी-7

पारस- वाओ भाभी… मूतते हुए पीछे से आपकी गांड कितनी प्यारी लग रही है…
सलोनी- तू अब इसे ही देखता रहेगा या इधर-उधर का भी ध्यान रखेगा…?
पारस- आप तो फालतू में नाराज हो रही हो… केवल अकेला मैं ही कौन सा देख रहा हूँ…
सलोनी- उउउफ्फ्फ्फ्फ़… तो और कौन देख रहा है…
पारस- हाहा वो देखो बेंच पर…वो जो अंकल बैठे हैं इधर ही देख रहे हैं…
सलोनी- देख कितना बेशरम है… लगातार घूर रहा है…
पारस- वाह भाभी… आपको करने में शर्म नहीं… मैं और वो देख रहे हैं तो बेशरम…
सलोनी- अब आज तो तू पक्का पिटने वाला है…
अब जल्दी से चल यहाँ से…
पारस- एक मिनट न भाभी जी…जरा मुझे भी तो फ्रेश होने दो…
सलोनी- हाँ हाँ जल्दी कर…

सलोनी- देख अब कैसे चला गया…जब मैंने उसको घूरा… शर्म नहीं आती इन बुड्ढों को… राख में भी चिंगारी ढूँढ़ते रहते हैं…
पारस- हा हा भाभी क्या बात की है… वैसे आज तो उसको मजा आ गया होगा..इतनी चिकनी गांड देखकर…पता नहीं घर जाकर दादी का क्या हाल करेंगे… हा हा…
सलोनी- हाहा… तू भी ना…
पारस- भाभी…प्लीज जरा इसको सही तो कर दो… देखो जीन्स में जा ही नहीं रहा…
लेखक : इमरान
पारस- एक मिनट न भाभी जी…जरा मुझे भी तो फ्रेश होने दो…
सलोनी- हाँ हाँ जल्दी कर…

सलोनी- देख अब कैसे चला गया…जब मैंने उसको घूरा… शर्म नहीं आती इन बुड्ढों को… राख में भी चिंगारी ढूँढ़ते रहते हैं…
पारस- हा हा भाभी क्या बात की है… वैसे आज तो उसको मजा आ गया होगा..इतनी चिकनी गांड देखकर…पता नहीं घर जाकर दादी का क्या हाल करेंगे… हा हा…
सलोनी- हाहा… तू भी ना…
पारस- भाभी…प्लीज जरा इसको सही तो कर दो… देखो जीन्स में जा ही नहीं रहा…
सलोनी- यहाँ… हाए क्या कर रहा है… कितना गरम हो रहा है ये…
पारस- भाभी, खुले में चुदाई करने का मजा ही अलग है…
सलोनी- नहीं… यहाँ तो बिल्कुल नहीं… मैं ये रिस्क नहीं लेने वाली…तू इसको अंदर कर जल्दी…
पारस- अरे वही तो कर रहा हूँ भाभी… कोई नहीं है यहाँ बस इस पेड़ को पकड़ कर थोड़ा झुको… केवल 5 मिनट लगेंगे…
सलोनी- आआह्ह्ह्ह्ह… ह्ह्ह्हाआ… क्या करता है… मुझे दर्द हो रहा है… ओह मान जा ना प्लीज… नहीईईई… आआअह्ह्हह्ह… मान जा… नहीं…
ना… यहाँ कोई भी आ सकता है…
पारस- श्ह्ह्ह्ह्ह्ह… कोई नहीं आएगा… बस्स्स्स जरा सा… आज तो नहीं मानूंगा…
सलोनी- अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह… नहीं ना… क्या करता है… हट ना… ओह…
सलोनी- ओहूऊऊऊऊऊ…
पारस- ज्यादा आवाज मत करो ना… वरना… सबको पता चल जायेगा…
सलोनी- आआअह्हह्ह… अह्ह्ह्हह्ह… उउउउउ… ओह्ह्ह्ह… आह्हआ… नहीईईईई… तू पागल है… आअह्ह्ह कितना… अंदर… तक्क… नहीईईईइ…
आआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हा… आआआ…
…कमीने दर्द हो रहा है…
…अह्ह्ह्ह्ह्हा…आआआआअ…
पारस- बास्स्स्स्स्स्स्स्स्स…
सलोनी- ऊऊ… औ ओ ओ ओ… तू तो बहुत कमीना है… आज के बाद मुझसे बात नहीं करना…
पारस- क्यों क्या हुआ भाभी… प्लीज ऐसा न बोलो… आई लव यू… सो मच…
सलोनी- लव होता तो इतना दुःख नहीं देता…न समय देखता है और न जगह…
पारस- क्या भाभी आप भी, अब आपकी यह मस्त गांड देख मेरा पप्पू नहीं माना तो इसमें मेरी क्या गलती…
सलोनी- उन उउउउम… जा भाग यहाँ से…
पारस- प्लीज मान जाओ न भाभी…
सलोनी- चल अब जल्दी से घर चल… देर हो रही है।


पारस- भाभी प्लीज माफ़ कर दो न… अच्छा अब कभी ऐसी गलती नहीं करूँगा…प्रोमिस…
सलोनी- अच्छा ठीक है… पर कुछ समय दूर रह… मेरा मूड बहुत ख़राब है…
पारस- ओके मेरी प्यारी भाभी… पुचच च च च…

पारस- भाभी, मैं अभी आता हूँ… जरा कुछ सामान लेना है बाजार से… भूल गया था…


कहानी जारी रहेगी।