मेरे आशियाने में सहेली की पहली चुदाई

अब उन दोनों की रोज रात-रात भर लंबी बातें होती रहीं। रिचा मुझको भी रोज सब बताती थी कि आज हम लोगों ने इतनी बात की.. क्या क्या बात की.. मतलब वो मुझे सब बता देती थी।

एक दिन रिचा ने पूछा- यार पूर्वा.. यदि मैंने अभी उससे सेक्स किया तो कुछ होगा तो नहीं?
मैं उसको देखती रह गई कि इसको क्या हो गया।
खैर.. ये तो होना ही था.. मैंने बोला- नहीं पगली, कुछ नहीं होता।

उसने बोला- तो कल मैं उसके साथ तेरे रूम पर आऊँगी।
मैंने ‘हाँ’ बोल दिया।

अगले दिन करीब 10 बजे दोनों कमरे पर आए।
मैंने उन दोनों को अन्दर बुलाया और चाय पिलाई।
इतने में मेरा ब्वॉयफ्रेण्ड भी आ गया.. जिसको मैंने पहले से बुला किया था।

रिचा बोली- ये भी आ गया?
तो मैंने बोला- जब तुम लोग करोगे.. तो मैं क्या करूँगी.. तो मैंने अपना टाइम पास करने की लिए दीपक को बुला लिया।

अब रिचा और उसका ब्वॉयफ्रेण्ड जो पहली बार कुछ करने जा रहे थे.. वो दोनों बगल के कमरे में चले गए।
मेरी प्लानिंग के अनुसार सब सही चल रहा था।
फिर दीपक बोला- चलो देखते हैं दोनों को.. क्या कर रहे हैं।

मैंने जाकर खिड़की में से देखा तो दोनों एक-दूसरे से चिपके थे और एक-दूसरे को किस करने में लगे थे।
थोड़ी देर देखने के बाद मेरा मन भी चुदाई करने का होने लगा, मैंने भी दीपक को किस करना शुरू कर दिया।

फिर से अन्दर देखा तो दोनों एक-दूसरे के कपड़े उतार चुके थे.. लेकिन कुछ कर नहीं पा रहे थे.. शायद पहली बार था।

सेक्स की आग से कौन बच पाया है.. सो धीरे-धीरे रिचा ने उसको अपने ऊपर ले लिया और उसका ब्वॉय फ्रेंड भी उसके ऊपर चढ़कर उसके मम्मों को चूसने लगा। हमारी तो हालत खराब हो रही थी तो यहाँ हम भी स्टार्ट हो गए।

मैंने अन्दर देखा कि रिचा की आवाज़ आई- उह्ह.. मर गई.. निकाल लो इसको..
मैं समझ गई थी.. उसकी चूत में लंड चला गया है।
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मैंने अन्दर देखा तो रिचा तड़फ़ रही थी चिल्ला रही थी- ओह्ह.. बहनचोद राहुल, मर गई मैं.. ये क्या किया तूने.. निकाल बाहर अपने लंड को..
राहुल का भी फर्स्ट टाइम था तो उसने भी निकाल लिया।

मैं और दीपक देख कर हँस रहे थे।
उसके बाद राहुल ने हिम्मत करके फिर उसकी चूत में अपना लंड पेला.. इस बार शायद उतना दर्द नहीं हुआ रिचा को.. और इस बार पहले से कम दर्द फील कर रही थी।

इस बार राहुल ने अपनी पूरी ताक़त से झटका लगाया.. जिससे उसका लंड रिचा की चूत में पूरा समा गया।
अब रिचा एक बार फिर ज़ोर से चिल्लाई- राहुल.. ओह्ह.. निकाल ले..
पर इस बार राहुल ने उस की बात को नहीं सुना.. और अपना लौड़ा बाहर नहीं निकाला.. बस यूँ ही रुक गया।

जब उसने देखा कि दर्द कम हुआ है.. तो फिर से स्टार्ट हो गया। अब शायद रिचा को भी मज़ा आने लगा था। वो भी अपनी गाण्ड हिला-हिला कर साथ दे रही थी।

थोड़ी देर के बाद दोनों अकड़ कर एक-दूसरे से चिपक गए।
दीपक ने बोला- अब समझो इसका हो गया..
बस उसके बाद मैंने देखा तो दोनों एक-दूसरे के ऊपर पड़े हुए थे।

इधर दीपक मेरी चूचियों पर लगा हुआ था.. उसने जोश में आकर मेरे मम्मों को इतनी ज़ोर से दबाया.. कि मेरी चीख निकल गई और शायद आवाज़ अन्दर तक चली गई।
रिचा और राहुल की नजर हम लोगों पर पड़ गई.. इसलिए उन लोगों ने जल्दी से कपड़े पहन लिए और बाहर को आने हो हुए।

फिर अन्दर से दरवाजे से आवाज़ लगाई- दवाजा खोल दो..
क्योंकि मैंने बाहर से बंद कर दिया था।
फिर क्या था.. मैंने और दीपक ने अपने कपड़े पहन लिए और दरवाजा खोल दिया।

दोनों के चहरे पर थकान साफ समझ आ रही थी।

फिर हम लोग वहाँ से मार्केट गए.. जहाँ हम लोगों ने खाना खाया और बाद में रिचा और राहुल को उनके घर छोड़ दिया।
इसके बाद दीपक और मैं अपने कमरे पर आ गए।

अगली कहानी में आपको बताऊँगी कि कमरे पर आने के बाद दीपक और मैंने क्या किया..
आप लोगों को मेरी फ्रेंड रिचा की स्टोरी कैसी लगी.. मुझे मेल करें।
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