पापा मम्मी की दूसरी सुहागरात -5

पापा ने जैसे ही मम्मी की ब्रा को उनके जिस्म से अलग किया, मम्मी के दोनों पयोधर, अमृत कलश यानि चूचियाँ ब्रा की सख्त कैद से आजाद हो गए।
पापा के हाथ अब मम्मी के उरोजों पर चल रहे थे, वो मम्मी की चूचियों को इस प्रकार से दबा कर छोड़ रहे जैसे कोई डॉक्टर ब्लड प्रेशर नापने की मशीन के पम्प को दबाता और छोड़ता है।

कुछ देर मम्मी के स्तनों को दबाने के बाद पापा ने अपना मुँह मम्मी के उरोजों के ठीक बीच में लगा दिया और अपने होंठ मम्मी के नरम उरोजों पर फिराने लगे जिससे मम्मी के स्तनों के ऊपर की भूरे रंग के स्तनाग्र अकड़ कर तन गए, उन्हें देखकर ऐसा लग रहा था मानो कोई सैनिक किसी खतरे को भाप कर एकदम अलर्ट हो जाता है, वैसे ही मम्मी के चुचूक भी शायद मम्मी को सचेत ही कर रहे थे।
जो चूचियाँ अब तक शिथिल होकर इधर उधर मुँह घुमाए पड़ी हुई थी, पापा के चूमने और बार बार दबाने के कारण वे अब तन कर कड़ी हो चुकी थी।
मम्मी के शरीर में एक अजीब सी सिहरन पैदा हो गई थी उनका शरीर बुरी तरह से कांप रहा था और उनके शरीर में अजब सी कसमसाहट हो रही थी, कभी वो अपने पैरों को आपस में भीच लेती तो कभी पापा के शरीर अपनी बाँहों में जकड़ लेती!

मम्मी के इन शारीरिक संकेतों से मैं यह समझ गया कि मम्मी अब गर्म हो चुकी हैं पर आज तो पापा रुकने का नाम नहीं ले रहे थे, शायद वो अपनी इस दूसरी सुहागरात को भी पहली सुहागरात की तरह यादगार बनाना चाहते थे।

पापा अब भी मम्मी की चूचियों से चिपके हुए थे। अचानक पापा ने मम्मी के बाएं स्तन के चुचूक को मुँह में भर लिया और उसे पहले तो चूसा फिर धीरे से दांतों के बीच लेकर दबा दिया।
मम्मी के मुख से हल्की सी चीख निकल पड़ी।
अब पापा का हाथ मम्मी की कमर से होता हुआ उनके पेटीकोट पर जा टिका, पापा ने एक झटके में ही मम्मी के पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और मम्मी से बोले- सुरभि, थोड़ा कमर उठा ना!

मम्मी ने अपने दोनों हाथों को बिस्तर पर मजबूती से टिकाया और धीरे से अपनी कमर उठा दी।
मम्मी के कमर उठाते ही पापा ने उनका पेटीकोट झट से नीचे खिसका कर उतार दिया।

पापा मम्मी को चूमे जा रहे थे तो मम्मी भी चुम्मों का जवाब चुम्मों से दे रही थी।
वो दोनों इतने उत्तेजित हो चुके थे, इसका पता इस चीज से ही लग रहा था कि पापा मम्मी, दोनों की सांसें खूब तेज़ चल रही थी और वो दोनों हांफ से रहे थे, उनके सांसों की गूंज बगल के कमरे में भी साफ़ सुनी जा सकती थी जहाँ मैं बैठकर मज़े से उनकी चुदाई देख रहा था।

उन दोनों के होंठ आपस में लिपटे हुए थे और हाथ एक दूसरे की पीठ पर चल रहे थे, बीच बीच में आनन्द के कारण मम्मी अपने नाखूनों को पापा की पीठ पर चुभा देती, जिससे पापा के मुंह से सिसकारी सी निकल जाती थी।
पापा भी कभी मम्मी के एक उरोज को मुँह में भर लेते तो कभी दूसरे को धीरे से मसलने लगते, तो कभी मुँह में भरकर चूसने लग जाते थे।
मुझे यह सब देखकर बहुत आनन्द आ रहा था।

मैंने अब देखा कि पापा अब नीचे की ओर सरकने लगे हैं, उन्होंने पहले मम्मी की नाभि को चूमा और फिर पेड़ू को!

मम्मी को देख कर लगा कि जैसे उनके आनन्द की कोई सीमा ही ना रही हो, मम्मी की जांघें जो अब तक आपस में जुड़ी हुई थी, वो अब अपने आप ही खुलने लगी।
पापा ने अब पैंटी के ऊपर से ही मम्मी मुनिया को चूम लिया मुनिया को चूमते ऐसा लगा कि मानो मम्मी के सारे शरीर में करंट सा दौड़ गया।

पापा ने अब अपने हाथ मम्मी की कमर पर बढ़ा कर मम्मी की पैंटी को इतनी जल्दी उतार दिया मानो कि कोई व्यक्ति केले से उसके छिलके को उतार देता है।
मैं झूठ नहीं बोलूँगा, इतनी दूर से मम्मी की मुनिया इतनी साफ़ नहीं दिख रही थी पर यह कह सकता हूँ कि सांवले रंग की थी और उस पर हल्के हल्के बाल थे, जिससे वो और काली लग रही थी।
पापा ने अब अपना मुंह भग-ओष्ठ पर रख दिए और मम्मी की योनि को चाटने लगे।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मम्मी अब तक बहुत उत्तेजित हो गई थी और अब उनसे ये उत्तेजना बर्दाश्त नहीं हो रही थी, शायद इसीलिए जब पापा मम्मी की योनि में अपनी जुबान इधर उधर चला रहे थे तब मम्मी ने कहा अब करो भी! आज तो तुम बहुत परेशांन कर रहे हो।
मम्मी बोली- मुझे तो पूरा नंगा कर दिया है और खुद जनाब जांघिया बनियान पहने हुए है। यहाँ मैं इतनी गर्म हो चुकी हूँ और इनका मुन्ना खड़ा होने ही नहीं आ रहा है।

मम्मी का इतना कहना था कि पापा उठ खड़े हुए और उन्होंने अपनी जांघिया और बनियान उतार दी। पापा जहाँ बिस्तर के बगल में एकदम मादर जात (बिल्कुल निर्वस्त्र) हो खड़े थे, वहीं मम्मी भी एकदम नग्न होकर बिस्तर पर पड़ी थी, दोनों एक दूसरे के नंगे शरीर को अपलक टकटकी बांधे देख रहे थे और देख देख के मुस्कुरा रहे थे।

पापा का साढ़े पाँच इंच का लिंग एकदम टाइट होकर खड़ा था मानो मम्मी के निर्वस्त्र शरीर को देखकर सलामी दे रहा हो।
मम्मी बोली- अब करोगे भी? या मैं सो जाऊँ?
पापा बोले- आज हमारी दूसरी सुहागरात है, जो कुछ हमने अपनी पहली सुहागरात में नहीं किया वो सब करेंगे आज !
मम्मी बोली- अंकित के पापा, आओ न अब ! कह तो रही हूँ जो कहोगे, कर दूँगी।
पापा बोले- देखो जी, वादा कर के मुकर मत जाना।
मम्मी बोली- हाँ बाबा, अब आओ भी!

पापा अब फिर से मम्मी के ऊपर आ गए।
पापा के ऊपर आते ही मम्मी ने अपनी बाँहों का फंदा बनाकर पापा के गले में डाल दिया और बाँहों में जकड़ लिया, फिर धीरे से मुस्कुराते हुए बोली- अभी बहुत नाटक दिखा रहे थे, अब तुम्हें मज़ा चखाऊँगी।
कहानी अभी बाकी है।
मेरी कहानी आप लोगों को कैसी लगी, मुझे जरूर बतायें।
[email protected]