पापा मम्मी की दूसरी सुहागरात -1

मैं समझ गया कि अब कुछ होने वाला है। पापा, मम्मी के ब्लाउज के ऊपर अपने हाथ धीरे धीरे चलाने लगे।
मम्मी जो कि मज़े से सो रही थी, पापा की इस हरकत से उनकी नींद हल्की टूट गई।
मम्मी हल्की नींद में थी, उन्होंने पापा का हाथ अपने ब्लाउज से हटाया।
मम्मी थोड़ा गुस्से से बोली- अरे जाओ अंकित के पापा ! तुम तो कुछ समझते ही नहीं, बस जब तुम्हारी आँख खुल जाये तब तुम्हारी बन्दूक खड़ी हो जाती है फायर करने के लिए ! जैसे जैसे तुम्हारी उम्र बढ़ रही है तुम्हारी भूख और बढ़ती जा रही है। अभी परसों ही तुमने मुझे 3:30 बजे तक सोने नहीं दिया। पूरे दिन सारा बदन दर्द हुआ मेरा और दिन में नींद की झपकियाँ आती रही वो अलग!
बच्चा जवान हो रहा है, और तुम बस जब भी उठ जाओ तुम्हे अपना शिकार करना है। अब मुझे ये सब करने बहुत शर्म आती है अगर तुम्हे इतना ही शौक है तो अलग चल कर करो न ! मैं अब इतने बड़े लड़के के बगल में लेटकर नहीं करूंगी।

पापा बोले- ए जी, तुम इतनी खूबसूरत हो कि जब भी तुम्हारे शरीर का कोई भी अंग खुला दिख जाता है तब बस मेरी नियत ख़राब हो जाती है।
पापा बोले- आज यहीं कर लेते हैं, सुहागरात तो अकेले ही मनायेंगे कल !
मम्मी बोली- कंडोम लाये हो?
पापा बोले- नहीं!
मम्मी बोली- तो आज कुछ भी नहीं।
पापा बोले- करने दो न!
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मम्मी बोली- आज कोई बहाना नहीं। मुझे पिल्स से अलरजी है मेरा जी मतलाता है, नहीं तो मैं पिल्स ही ले लूं, और तुम कंडोम लगाते नहीं, तुम्हें मज़ा नहीं आता, अगर झड़ते वक़्त निकालने को कहती हूँ, तो तुम निकालते नहीं, कहते हो कि अगर झड़ते वक़्त निकाला तो इतनी देर जो सेक्स किया उसका सारा मज़ा किरकिरा हो जायेगा और तुम्हारे मज़े के चक्कर में मैं फंस जाती हूँ। अभी दो महीने पहले बच्चा ठहर गया था तो एबॉर्शन कराना पड़ा।
अभी जब पिछले महीने मासिक होने में देरी हुई तो मैं तो डर ही गई, मैंने सोचा कहीं फिर तो पेट से नहीं हो गई, पर भला हो भगवान का जो मासिक दो दिन बाद आ ही गया और मेरा डर खत्म हुआ।

पापा बोले- तो क्या हुआ अगर प्रेग्नेंट हो गई थी? अंकित का एक और भाई या बहन आ जाते और अंकित का भी मन लग जाता।
मम्मी बोली- हाँ ! अब इतने बड़े बच्चे के सामने मैं माँ बनूँगी। उसके सामने पेट फूला कर घूमूँगी इधर उधर! क्या सोचेगा वो अपनी माँ के बारे में!
पापा बोले- अभी अंकित बच्चा है। क्या बारह तेरह साल के बच्चों की माँ कभी दुबारा माँ नहीं बन सकती।
पापा बोले- करने दो न ऐसे ही, चलो अंकित की एक बहन ले आयें अबकी बार!
मम्मी बोली- न बाबा ! अब इस उम्र में दुबारा माँ बनूंगी! मुझे शर्म आती है।

पापा बोले- करने दो न!
मम्मी बोली- नहीं, अब जब कंडोम लाओगे, तभी कुछ करने की सोचना।
मम्मी ने करवट ली, पापा उन्हें मनाते रहे पर वो पापा को तड़पता छोड़ चुपचाप सो गई।
पापा भी उनसे नाराज हो गये और सो गए।
अब मैं जाग कर क्या करता, मैं भी मायूस होकर सो गया।

सुबह हुई तो मैंने ध्यान दिया कि पापा मम्मी से बात नहीं कर रहे थे, उनकी बोल चाल बंद थी। मम्मी कुछ बोलती भी तो केवल हाँ या नहीं में उत्तर देते बस!
मुझे मम्मी पापा की उस रात की बात याद थी कि वो दोनों इस बार अकेले और सुहागरात वाली रात की तरह सेक्स करना चाहते हैं।
मैं पापा मम्मी को उनकी दूसरी सुहागरात मानाने और उन लोगो को उसका पूरा आनंन्द लेने का मौका देना चाहता था और उन्हें सुहागरात मनाते देखना चाहता था।
पर अब सुहागरात तो क्या, रोज़ की चुदाई के आसार नहीं दिख रहे थे, पापा मम्मी से बेहद नाराज़ थे।

सच्ची घटना पर आधारित कहानी जारी है…
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