खुले जंगल में जंगली हनीमून-1

मेरी शादी 12 मई को हुई थी और 7 जून को मैं और मेरे पति हनीमून मनाने के लिए मनाली चले गए।

उस वक़्त मनाली में बहुत भीड़ थी तो हमने मनाली से भी काफी आगे जाकर होटल लिया।

होटल आबादी से करीब डेढ़ दो किलोमीटर दूर था और होटल से इतनी दूर पर ही जंगल शुरू हो जाता था।

खैर हम तो गए ही मौज मस्ती करने थे तो रूम में जाने पर सबसे पहला काम जो हमने किया वो था एक फटाफट सेक्स।

रात का इंतज़ार कौन करे।

सेक्स करके हम थोड़ी देर लेटे रहे और उसके बाद नहा धोकर तैयार हो कर मनाली चले गए।

पहले एक बार में गए, हम दोनों ने थोड़ी थोड़ी ब्रांडी पी, उसके बाद घूम फिर के खाना खाकर पैदल ही टहलते हुये वापिस होटल में आ गए।

रास्ता खाली सुनसान था तो रास्ते में भी हमारी चुहलबाजी चलती रही।

यह पहली बार था कि जब मैंने एक हाइवे पर बीच सड़क बैठ कर पेशाब किया हो।

कुछ नशा था कुछ जवानी।

अभिषेक तो अपना लौड़ा निकाल कर हिलाते हुए आए।

जब होटल पास आ गया तो हम ठीकठाक से होकर अपने कमरे में चले गए।

अंदर जाते ही एकदम से कपड़े उतार उतार कर इधर उधर फेंके और बस फिर ‘ऊह आःह’ शुरू।

एक तो मेरे पति का कसरती बदन और ऊपर यह बड़ा सारा लौड़ा…
बाई गॉड, सच कहती हूँ, ताकत और जवानी का भरपूर संगम हैं वो…
जिस कारण मेरी तो हाय तौबा ही नहीं खत्म होती थी।
एक बार में ही मेरे बदन को तोड़ कर रख देते हैं…
ऊपर से उन्हें वाइल्ड सेक्स पसंद है, सेक्स के दौरान मारना पीटना, काटना खरोचना उन्हे बहुत पसंद है।

पहले पहल तो मुझे कुछ अजीब लगा, पर बाद में मुझे भी इसी में आनन्द आने लगा।

सुहागरात को उन्होने मेरे जीवन का पहला संभोग मुझसे किया, अगले दिन मुख मैथुन और तीसरे दिन गुदा मैथुन।

अभी मेरी योनि का दर्द भी ठीक नहीं हुआ था कि उन्होंने गुदा को भेद दिया।

तीन दिन तक मेरी टट्टी उतरने में तकलीफ़ होती रही।

मगर उन्होंने मुझसे कोई हमदर्दी नहीं की।

उसके बाद तो रोज़ रात को मेरे तीनों छेद उनके लिंग की चोट सहते।

खैर हनीमून तक तो मैं बिल्कुल नार्मल हो गई थी।

अब तो मुझे भी अगर तीनों जगह न चोदा जाए तो मुझे तसल्ली नहीं होती।

खैर बात करते हैं हनीमून की…

हनीमून क्या बस हर वक़्त चोदा-पट्टी ही चलती थी।

सुबह को उठते ही, दोपहर को, शाम को रात को, अगर रात को कभी नींद खुल गई तो तब भी।

एक और बात जो हम दोनों में कॉमन है, वो है खुलापन।

हम दोनों ने अपने शादी से पहले के सारे किस्से एक दूसरे को बता दिये।

चूमा चाटी तो मैंने भी की थी और 1-2 बार में बॉयफ्रेंड ने मेरे बूब्स भी चूसे थे, पर मैं उससे चुदी नहीं थी।

हाँ, मेरे पति ने तो बहुत सी लड़कियों की मिट्टी पलीत की हुई थी।

ये चाहते हैं कि मैं हर वक़्त रेडी और हॉट दिखूँ।

मेरी साड़ी या सूट में से मेरा क्लीवेज हमेशा दिखना चाहिए।

लोग अगर मुझे देखें तो यह सोचें कि अगर यह ऊपर से इतनी हॉट है तो नंगी होकर कितनी हॉट लगती होगी।

मुझे कई बार अपने पति की इस आदत पर गुस्सा आता पर फिर भी मैं इसे नज़र अंदाज़ कर देती।

एक दिन घूमते घूमते हम जंगल की तरफ गए और पहाड़ पर चढ़ते चढ़ते काफी दूर निकल आए।

जहाँ हम खड़े थे वहाँ से आबादी का कोई नाम निशान नहीं दिख रहा था।

एक अंदाजे से हम करीब 3-4 किलोमीटर जंगल के अंदर आ गए थे।
वहाँ पर एक पत्थर पे बैठ के हमने नाश्ता किया।

हम थोड़ा थक गए थे, तो ये लेट गए तो मैं भी इनके सीने पे सर रख कर लेट गई।
इन्होंने मेरे बालों में उँगलियाँ फेरते हुये पूछा- सुन, चुदेगी क्या?

‘क्या? यहाँ?’ मैंने हैरानी से पूछा।

‘क्यों? यहाँ क्या बुराई है, सिर्फ हम दोनों और यह शांत जंगल, कोई आस पास नहीं, ठंडा और रोमांटिक माहौल, सेक्स के लिए पर्फेक्ट है।’ इन्होंने अपनी बातों का जाल फेंका।
मैं कब ना करने वाली थी- मुझे तो कोई ऐतराज नहीं… पर सोच लो, अगर कोई और आ गया तो?

‘तो क्या, अगर आ गया तो तुम उससे भी चुद लेना और अगर आ गई तो मैं उसे चोद दूँगा, बोलो क्या कहती हो?’ इन्होंने मेरी इच्छा जाननी चाही।

मैं कुछ नहीं बोली तो ये एकदम से उठे, मुझे नीचे करके खुद मेरे ऊपर आ लेटे और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिये।

मैंने भी चुम्बन का जवाब चुम्बन से दिया।

बस चूमते चूमते इन्होंने अपने और मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिये्।

दो मिनट बाद ही हम दोनों एक सुनसान अंजान जगह पर बिल्कुल नंगे खड़े थे।

इनका लण्ड पूरा तना हुआ था।
मैंने इनका लण्ड पकड़ के अपनी चूत पर सेट किया तो ये बोले- नहीं… अभी नहीं।

‘क्यों क्या हुआ?’ मैंने पूछा।

‘रुको कुछ और करते हैं पहले…’

ये उठे और बैग से कैमरा निकाल लाये और उसके बाद हम दोनों ने एक दूसरे की बिल्कुल नंगी तस्वीरें खींची।

जब फोटो शूट पूरा हो गया तब इन्होंने मुझे फिर से आ पकड़ा- अब आ मदरचोद, आज तेरी माँ चोदूँगा साली…

ये सेक्स के दौरान हमेशा मुझसे ऐसे ही बोलते थे और मैं भी बुरा नहीं मानती थी।

मुझे बाहों में भरा, मेरे होंठों को अपने होंठों में पकड़ा और इन्होंने मुझे ऊपर को खींचा तो मैंने भी अपनी दोनों टाँगें उठा कर इनकी कमर के गिर्द लिपटा ली।

अब ये खड़े थे और मैं इनके ऊपरी बदन से बेल की तरह चिपटी हुई थी।

इन्होंने अपना लण्ड सेट किया और घप्प से मेरी फ़ुदी में घुसा दिया।

कुछ देर इन्होंने मुझे ऐसे ही चोदा, जब थोड़ा थक गए तो मुझे नीचे उतार दिया और घोड़ी बना कर पीछे से डाला, पीछे से अंदर बाहर कर रहे थे और साथ की साथ मेरे स्तनों को ऐसे निचोड़ रहे थे जैसे उनमें से रस निकालना हो।

मगर अब मैं इस दर्द की आदी हो चुकी थी सो मैं भी मज़े कर रही थी।

कुछ देर ऐसे ही चोदने के बाद ये नीचे लेट गए और मैं ऊपर आ गई।

मैंने ऊपर आकर इनका लण्ड अपने हाथ में पकड़ा और अपनी चूत पे सेट किया और अभी आधा ही अंदर लिया था कि हमारी बगल से दो पहाड़ी लड़के जिनकी उम्र करीब 20-21 साल होगी, हमारे सामने आ गए।
कहानी जारी रहेगी…
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