सेक्सी प्रेमिका की मचलती चूत की चुदाई

मार्च में मेरा जन्म दिवस आता है.. तो उसमे मुझे विश किया और मुझसे पार्टी मांगी.. तो मैंने बोल दिया- मैं तुम्हें मूवी दिखाने ले जाऊँगा।
शुरुआत में तो उसने मना किया.. पर मेरा जन्मदिवस था.. सो मान गई।

मैंने ‘साहब बीवी और गैंगस्टर’ की टिकट बुक करवाई और हम दोनों साथ में सिनेमा हॉल में पहुँच गए। यूँ तो कहानियों में बहुत पढ़ा था.. पर अब कुछ भी करने को मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी।

मैंने इंटरवल में उसे मैसेज कर दिया क्या मैं तुझे चुम्बन कर सकता हूँ। पर उसका कुछ जवाब नहीं आया.. तो डर लगा कि गुस्सा न हो जाए।
जब मैं अन्दर जा कर उसके पास बैठा तो वो मुस्कुराई और कहा- जिनको करना होता है.. वो बस कर लेते हैं।
मैं खुश हो गया था।

फिर जैसे ही रोशनी बंद हुई.. मैंने उसके गाल पर चुम्मा लिया और फिर उसके होंठों पर अपने होंठ जड़ दिए।
उस दिन उसे मैंने बेतहाशा चूमा। उसके होंठ चूसे और मम्मों को सहलाता रहा। जब मूवी ख़त्म हुई.. तो एक-दूसरे से नज़र नहीं मिला पा रहे थे। फिर वो अपने घर चली गई..

यहाँ मुझे घर आ कर भी चैन नहीं था.. बस जी कर रहा था कि उसे कैसे भी कर के चोद दूँ।
अब मैं इस जुगाड़ में लग गया और रात को मैंने उससे ढेर सारी कामुक बातें की और उसे मिलने के लिए मना ही लिया।

दूसरे दिन हम ‘थोर सरोवर’ घूमने गए.. जो कि शहर से बहुत ही दूर है और लोग वहाँ पर यही सब करने के लिए जाते हैं।
वहाँ जाकर हमने सुरक्षित जगह ढूंढी जहाँ कोई जल्दी से आ न जाए और वो बातें करने लगी।

मैंने धीरे से उसे चूमना शुरू किया.. तो वो भी साथ देने लगी।
फर मैंने अपने हाथ उसके टॉप में डाल दिए और उसके मम्मों को मसलने लगा।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

करीब ऐसे ही 15 मिनट गुजरे होंगे और मैं उसकी पैन्ट के ऊपर से ही उसकी मुनिया को सहलाने लगा।

मैंने महसूस किया कि वो इससे ज्यादा कामुक हो रही है.. तो मैं उसकी पैन्ट उतारने लगा, फिर उसकी चूत में उंगली डाल दी।
इससे वो और भी मचलने लगी और मेरा पैन्ट खींचने लगी।

जैसे ही मैंने अपना पैन्ट नीचे किया उसने मेरा लंड हाथ में लिया और प्यार से सहलाने लगी।
मैंने उसको लिटा कर उसकी दोनों टाँगें ऊपर कीं.. और धीरे से उसकी चूत में लंड डाल दिया जिससे उसने थोड़ी आवाज की- आह्ह..

कुछ देर की जद्दोजहद के बाद सब कुछ सैट हो गया और अब मैं उसे धीरे-धीरे धक्के मार रहा था और वो उसका मज़ा ले रही थी। तभी उसने अपने नाख़ून मेरे कूल्हों पर गड़ा दिए.. तो मैंने भी अपनी गति बढ़ाई और लौड़े को जोर से पेलने लगा।
कुछ 5 मिनट के बाद हम दोनों झड़ गए और वासना का सैलाब बह गया।

मुझे महसूस हुआ कि वो खूब खाई खेली थी क्योंकि ना तो उसे कुछ ख़ास दर्द हुआ और ना ही कोई खून निकला और उसने कोई ना नुकुर भी नहीं की अपनी चूत चुदवाने में !

इसके बाद उसके साथ मैंने कई बार चुदाई की और अभी भी मेरा लौड़ा उसकी चूत की गर्म चाहत को ठण्डा करता रहता है।
तो यह थी मेरी और गीत की चुदाई गाथा।

अगली कहानी में मैं बताऊँगा कि मैंने कैसे उसकी गांड मारने का जुगाड़ बनाया।
आपके मेल का इन्तजार है जैसे भी कमेंट्स हों.. स्वीकार्य हैं..
[email protected]