पड़ोसन भाभी की ननद की चुदने की लालसा

जैसा कि आपने मेरी पहली कहानी
पड़ोसन भाभी की चूत चुदाई जन्नत मजा
में आपने पढ़ा कि किस तरह सीआईएसएफ़ वाले की बीवी और बहन को पेपर दिलाने के लिए ले जाकर भाभी को उसकी ननद के आगे चोदा था.. हाँ मगर भाभी की ननद को हमने नींद की गोली देकर सुलाने के बाद ही सेक्स किया था।

मैं भाभी और और ऋतु (भाभी की ननद) को पेपर दिला कर हम सब वापस अपने घर आ चुके थे। मगर जब हम वापस आ रहे थे तो ऋतु का स्वभाव मेरे प्रति कुछ बदल सा गया था.. जिससे मुझे शक सा हुआ कि इसने भाभी और मेरे बीच जो भी हुआ.. वो देख तो नहीं लिया.. क्योंकि उस रात भाभी और मैंने 3 बार चुदाई की थी और उस चुदाई में यह तक भी भूल गए थे कि बराबर में ऋतु भी है।

अब घर आने के 4 दिन बाद भाभी मेरे पास आई और कहने लगीं- पवन दो दिन बाद तुम्हारे भैया वापस आ रहे हैं और ऋतु को हमारे बीच जो भी हुआ.. वो सब पता है.. उसने कहा है ‘भाभी उस रात तुम और पवन ने जो भी रास रचाया था.. वो मुझे सब पता है.. मगर ये नहीं पता कि मैं कब सो गई थी.. मगर जब मेरी आँखें खुलीं.. तो मेरे कानों में तुम्हारी और पवन की सिसकारियों की आवाज़ आ रही थी.. और ये सब देखकर भी अंजान भी रही।’ पवन तुम ठीक सोचते थे कि ऋतु को जब पता लग गया है।

अब पवन की गाण्ड भी फटने लगी.. क्योंकि एक तो सीआईएसएफ़ वाला आ रहा था ऊपर से उसकी बहन को भी सब पता लग गया था।

‘तो भाभी आपने ऋतु से क्या कहा कि सब तो बहुत पहले से चल रहा है।’
‘अरे पागल जिस तरह तेरी गाण्ड फटे जा रही है.. ठीक उससे भी ज्यादा मेरी उस टाइम फटी थी.. मगर..’
‘मगर क्या भाभी.. जल्दी बताओ मुझे..?’
‘अरे मेरे गोलू.. उसने ये भी बताया था कि वो भी हम दोनों को देखकर झड़ गई थी और उसका भी चुदने का मन कर रहा था।’

बस इतना सुनते ही मेरा लंड तो अब ऋतु के लिए खड़ा हो गया, मैंने भाभी से कहा- भाभी मुझे भी उसकी चूत दिलवा दो.. यार कुछ जुगाड़ बनाओ ना..
यह बात सुनकर भाभी गुस्सा हो गईं.. और जाने लगीं।

मैं भाभी का हाथ पकड़ कर उन्हें समझने लगा मगर वो नहीं समझ रही थी। तो मैंने उनकी चुदाई करनी शुरू कर दी.. जिससे वो मान भी गईं और मुझसे कहने लगीं- देख जुगाड़ तो तेरा करा दूँगी.. मगर उसके बीच में आ जाने से हमारे बीच का ये खेल खत्म नहीं होना चाहिए।

ये जवाब सुनकर तो मेरी आँखों के आगे अभी से ही दो-दो चूतें दिखाई देने लगी थीं।
फिर मैं भाभी की चूत में कुछ इस तरह झड़ा कि मानो जैसे कोई नल खोल दिया हो।
भाभी इस चुदाई से खुश होकर मेरे माथे को चूमकर अपने घर चली गईं।

दो दिन बाद भाई आ गया था और 15 दिन तक उसने भी भाभी को खूब चोदा.. और उसके वापस जाने के कुछ दिन बाद भाभी ने मुझे बताया कि वो अब मेरे साथ सेक्स नहीं कर सकती हैं.. क्योंकि वो पेट से हैं।

बस मेरी चूत मारने की उम्मीद तो लगभग खत्म सी हो चुकी थी और मेरा चेहरा पूरी तरह से मुरझा गया था।
यह देख कर भाभी मेरे पास आकर बोलीं- तू फ़िकर मत कर.. अब मेरी चूत तो नहीं.. मगर तेरे लंड की प्यास में ऋतु की चूत से बुझवा दूँगी।
इस तरह भाभी ने मेरे अरमानों को फिर से जिंदा कर दिया।

अब 20-25 दिन गुजर जाने के बाद मेरी नज़र ऋतु पर पड़ी.. वो कुछ उदास सी लग रही थी।
मेरे पूछने पर उसने बताया- एग्जाम आ रहे हैं और मेरी इंग्लिश बहुत कमजोर है.. कहीं मैं फेल ना हो जाऊँ।

मैंने कहा- तू फिकर मत कर.. मेरे से टयूशन ले ले.. मेरी इंग्लिश अच्छी है।
ऋतु ने इस बारे में घर पर बात की जिससे उसके घरवाले भी मान गए.. और मुझे ऋतु की चुदाई का रास्ता साफ़ नज़र आने लगा।

अब ऋतु मेरे घर आकर पढ़ाई करने लगी। मगर उस टाइम पर हम सिर्फ पढ़ाई ही करते थे.. बाकी कुछ नहीं।
इससे उसकी इंग्लिश भी काफ़ी अच्छी हो गई थी.. और उसके मार्क्स भी अच्छे आए थे।

रिजल्ट के बाद ऋतु मेरे पास आकर बोली- तुम्हारी वजह से मेरे मार्क्स बहुत अच्छे आए हैं जिसके लिए मैं तुम्हें तुम्हारी फीस देना चाहती हूँ।
इतना कहते ही उसने मुझे किस करना शुरू कर दिया.. और मैं भी उसका साथ देने लगा।
करीब 5 मिनट बाद जब हम अलग हुए तो उसने मुझे ‘आई लव यू’ कहते हुए बताया कि वो मुझे बहुत पसंद करती है।

इस बार मैंने उसे पकड़ कर किस करना शुरू कर दिया और वो भी मेरा साथ देने लगी।
फिर 10 मिनट बाद वो अपने घर वापस चली गई। अब हम धीरे-धीरे और भी ज्यादा क्लोज़ आ गए थे और सेक्स की बातें हमारे बीच आम हो गई थी।

दो दिन बाद मैंने उससे घूमने के लिए कहा और अगले दिन वो भी तैयार होकर आ गई। हम दोनों पुराने किले पर जाकर एक दूसरे के साथ एंजाय कर रहे थे और वहाँ हमने खूब चूमा-चाटी की.. जिससे ऋतु दो बार झड़ चुकी थी।

वो कहने लगी- यार अब नहीं रहा जाता.. भाभी की तरह मुझे भी चोद दो.. मैं भी तुम्हारे लंड की प्यासी हूँ.. मुझे भी तुम्हारा लंड चूसना है.. मुझे भी चुदना है।
मगर उस दिन बस इतना ही हुआ।

फिर ऋतु की चुदाई का दिन आ ही गया। क्योंकि कुछ दिन बाद भाभी और ऋतु की मॉम (भाभी की सास) किसी काम से दिल्ली से बाहर जा रही थीं.. तो भाभी ने मुझसे ऋतु का ख्याल रखने को कहा.. जिससे मेरी और ऋतु की आँखों में चमक आ गई थी।

भाभी भी समझते हुए वहाँ से एक सेक्सी मुस्कान देकर चली गईं.. क्योंकि उन्हें भी पता था कि उनके जाने के बाद हम दोनों खाट-कबड्डी जो खेलने वाले हैं।
अगले दिन वो 10 बजे चले गए.. और मैं 12 बजे तैयार होकर ऋतु के पास पहुँच गया।

जैसे ही मैंने ऋतु को देखा.. हाय.. क्या मस्त माल लग रही थी यार.. काली टी-शर्ट और काली कैपरी में बहुत ही झक्कास आइटम लग रही थी।
मैं उसे देखता ही रह गया.. ऋतु ने आवाज़ दी और कहा- कहां खो गए? मैं कब से तुम्हारा इंतज़ार कर रही हूँ।
उसने मेरे पास आकर मुझे किस कर दी और हम दोनों ने किस-लीला शुरू कर दी।

किस करते हुए हम कुछ इस तरह खो गए कि पता ही नहीं चला कि उसने मेरे कपड़े उतारे थे.. या मैंने खुद ही।
अब ना तो मुझे बर्दाश्त हो रहा था और ना ही उससे।
मैं ऋतु से अलग होते ही उसकी चूत पर आ गया.. जो पूरी तरह से गीली हो चुकी थी, पहले मैंने उसकी पैन्टी उतारी और उसी पैन्टी से उसकी चूत का पानी साफ़ किया।

बस मैं लग गया उसकी करारी चूत चूसने.. अब मेरी जीभ उसकी चूत में चल रही थी और उसकी उंगली मेरे सर के बालों में।
वो भी नीचे अपनी गाण्ड को इस तरह हिला रही थी.. जैसे उसका भी कोई लंड हो और वो मेरे मुँह को चोद रही हो।
लगभग 5 मिनट चूसने के बाद वो झड़ गई और मैं उसका सारा नमकीन पानी गटक गया।

उसने मुझे अलग करते हुए कहा- मुझे भी अपना लंड दो.. मुझे भी उसका स्वाद लेना है।
जैसे ही मैंने अपना 6.5″ का लंड बाहर निकाला.. वो एक भूखे कुत्ते की तरह उस पर कूद पड़ी और बुरी तरह से चूसने लगी।

कुछ मिनट बाद मैं भी झड़ गया और उसने मेरा सारा माल पी लिया और कहने लगी- बहुत जल्दी हो गया तुम्हारा.. अभी मैं बहुत प्यासी हूँ.. मुझे और चाहिए।
मैंने ऋतु से पूछा- तुझे लंड देखकर डर नहीं लगा?

तो ऋतु बोली- क्यों आज पहली बार देख रही हूँ क्या.. इसे मैंने भाभी की चूत में जाते हुए कई बार देखा है.. मुझे मालूम है कि तू भाभी को कई महीनों से चोद रहा है।
तो मैंने कहा- तभी तू चुदाई के लिए इतनी पागल हो रही है।

इतने में वो फिर से मेरा लंड चूसने में लग गई.. मेरे लौड़े में फिर से जान आने लगी थी।
ऋतु ने लंड को मुँह में से बाहर निकाला और कहने लगी- बस अब मेरा मुँह दर्द करने लगा है.. अब तू इस लोहे को मेरी चूत में धीरे-धीरे सरका दे..

मैंने भी देर न करते हुए ऋतु को लिटाया और खुद उसके ऊपर आ गया और उसके पैरों को फैलाकर लंड की जमावट उसकी चूत के छेद पर की और लगा दिया पहला झटका.. जिससे अभी बस लंड का टोपा ही चूत में घुसा था और वो चीखते हुए नीचे से उठ कर मेरे गले लग गई.. जिससे लंड बाहर निकल गया।
मैंने उसे फिर से लिटाया और इस बार मैं भी पूरे रंग में आ चुका था।

लंड के टोपे को घुसा कर कुछ छोटे झटके देने के बाद फिर जो मैंने शॉट लगाए तो इस बार लंड उसकी चूत को चीरता हुआ अन्दर चला गया।
मुझे पता था इस बार का झटका ऋतु सह नहीं पाएगी, मैं उसके होंठों को चूसने लगा.. और झटके लगाने लगा।
मगर ऋतु पूरी तरह से ढीली पड़ चुकी थी.. उसको देखा तो वो बेहोश हो गई थी।

मैंने लंड को बाहर खींचा.. जो खून से पूरी तरह लाल हो चुका था। पहले उसे जगाया.. पानी के कुछ छींटें मारे और फिर हुई हम दोनों की असली चुदाई शुरू..
अब मेरे झटके जोरों पर थे और उधर ऋतु की सिसकारियाँ भी गांड फाड़ थीं। हम दोनों की चुदाई को 10 मिनट बीत चुके थे और अब तक ऋतु झड़ चुकी थी।

लगभग 15 मिनट बाद में भी उसकी चूत में ही झड़ गया और ऋतु कई बार झड़ चुकी थी।
मैं बिल्कुल निढाल होकर उसके ऊपर ही लेटा रहा।
ऋतु ने मुझे अलग किया और खुद को साफ करने के लिए बाथरूम में चली गई।

वापस आते ही बोली- तुम्हारा हाल देखकर तो ऐसा लग रहा है कि पहली बार चुदाई मेरी नहीं तुम्हारी हुई है। उसने मेरा हाथ पकड़कर मुझे खड़ा किया और मैं भी फ्रेश हो आया।

मगर हमने अभी तक कपड़े नहीं पहने थे.. क्योंकि हम फिर से एक मस्त भारी चुदाई करना चाहते थे.. दो बार.. तीन बार.. बल्कि बहुत बार.. मगर उस समय दिन में सिर्फ़ दो ही बार चुदाई हो सकी.. क्योंकि रात को फिर से वापस ऋतु के पास जो आना था।

तो दोस्तो, कुछ इस तरह हुई थी पड़ोसन भाभी की ननद की चुदाई।

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