पति के सामने नताशा

यों तो हज़ारों लड़के मुझ पर मरते थे। पड़ोस में रहने वाला और कॉलेज़ में पढ़ने वाला हर जवान लड़का मेरे कमसिन बदन पर नज़रें गड़ाए रहता था, मुझे यह सब अच्छा भी लगता था मगर समाज की मर्यादा और लोक-लाज़ ने मुझे कभी बहकने नहीं दिया।

सुहागरात मे मैं उनको देखकर हैरान रह गई। मेरी उमर उस समय सिर्फ़ 18 बरस थी।

उन्होंने आते ही दरवाज़ा बंद कर लिया और मेरी बगल में बैठ गए। वे मुझे पकड़ कर चूमने लगे।

कुछ इधर उधर की बातें करने के बाद उन्होंने मेरा ब्लाउज खोल दिया। मैंने ब्रा पहन रखी थी। कुछ देर ऊपर से ही सहालाने के बाद ब्रा भी खोल दी और मेरी चूचियाँ चूसने लगे। मुझे अब अच्छा लगने लगा था।

मैंने धीरे से अपनी हाथ उनके लंड की तरफ़ बढ़ाया।
अभी तक कुछ भी नहीं हुआ था, वे और सहलाने के लिए बोलने लगे।

मैं कुछ देर तक हाथ से सहलाती रही। खड़ा नहीं होने पर मुख में लेने के लिए कहने लगे।

क़रीब दस मिनट के बाद भी जब नहीं खड़ा हो पाया तो मैं निराश हो गई। उनके लंड में नाम मात्र का ही कड़ापन आया था।

उन्होंने मुझे पूरी नंगी कर दिया और अपने मुरझाए हुए लंड से मेरी बुर रगड़ने लगे। मैं तो उनके लंड के तैयार होने का इंतज़ार कर रही थी।

वे मेरी बुर को जीभ से चूसने लगे पर अभी भी उनका लंड बहुत नर्म था। मैं मन ही मन इनको कोसती रही।

वे मेरी बुर चूसने मे और मैं उनका लंड चूसने मे मशगूल थी।

झे अब सह पाना मुश्किल था। जैसा था वैसा ही मैंने उनको चोदने के लिए कहने लगी।

वे अपना नर्म लंड मेरी गर्म बुर में प्रवेश करने लगे मगर प्रवेश करने से पहले ही वे गिर गए। मेरी सारी इच्छाएँ धरी की धरी रह गई।

पहली रात ही मुझे अपने पति की असलियत पता चल गई जब उनकी छोटी सी लुल्ली मेरा योनि-आवरण का भेदन भी नहीं कर पाई। मैं तड़पती रह गई। मेरे दुबले पति, एक नन्हे लिंग के मालिक, अब सेक्स से डरते हैं।

कुछ दिन तो जैसे तैसे कट गए लेकिन इस तरह मैं कब तक जी सकती थी। मेरा व्यव्हार मेरे पति के प्रति खराब हो गया, मैं अपने पति को हीन दृष्टि से देखने लगी, बात बात में मैं उसे नपुंसक होने के ताने देने लगी।
मैंने अपने पति को दुत्कार दिया और अब उसे अपने पास फ़टकने भी नहीं देती।

और मैं क्या करती?

मैंने अपने पति के ही एक मित्र नवीन पर डोरे डालने शुरु किए और मैं कामयाब भी हो गई। मैं उससे चुदने लगी।

एक बार मेरे पति ने मुझे नवीन के साथ देख लिया लेकिन कुछ बोला नहीं! बोलता भी कैसे?

उसके बाद से तो मुझे कोई डर ही नहीं रहा, जैसे मुझे खुली छूट मिल गई। मैं अपने पति के सामने ही नवीन से सेक्स की बातें करती और घर बुला कर चुदवाती।

जैसे जैसे मैं चुदती गई मेरी अन्तर्वासना बढ़ती गई। अब मेरा एक मर्द से काम चलना मुश्किल था। तभी अचानक हुआ यों कि मैं नवीन को फ़ोन मिला रही थी कि गलत नम्बर लग गया।

मैं : हेलो नवीन?

उधर से(पुरुष की आवाज) : जी नहीं शायद आपने गलत नम्बर लगा दिया है।

मैं : ओह! माफ़ कीजिएगा।

उधर से : जी, कोई बात नहीं! अक्सर ऐसा हो जाता है।

मुझे उसकी आवाज बहुत अच्छी लगी और मुझे लगा कि यह मेरे काम का हो सकता है।

बात को आगे बढ़ाने की कोशिश में मैं बोली : वैसे आपका नम्बर क्या है?

उसने अपना नम्बर बताया तो मैंने कहा : एक अंक की गलती हो गई। वैसे आप रहते कहाँ हैं? आपका नाम क्या है।

उसने अपना नाम आलोक बताया और बदले में मेरा नाम पूछ लिया। ऐसे ही मैंने उससे जान-पहचान बना ली और धीरे-धीरे खुल कर बातें होने लगी। मुझे फ़ोन पर सेक्स की बातें करने में खूब मज़ा आने लगा।

एक दिन मैंने आलोक को अपने घर बुला लिया।

दिन के गयारह बजे दरवाज़े की घण्टी बजी..

मैंने दरवाज़ा खोला तो एक 28-30 साल की खूबसूरत युवक मेरे सामने खड़ा था…

‘नमस्ते.. नताशा जी?’

‘हाँ! आप आलोक जी? आइए ना..’

‘थैन्क यू!’

आलोक अंदर आया और सोफे पर बैठ गया… मैं सामने के सोफे पर बैठ गई। मैंने जानबूझ कर घुटनों से कुछ ऊँची स्कर्ट और एक ढीला सा टॉप पहना था।

आलोक : आप बहुत सुन्दर हैं!

आप भी कुछ कम नहीं! मैं बोली और मैं खिलखिलाकर हंस पड़ी।

आलोक मुस्कुराते हुए मुझे देख रहे थे…

मैंने पूछा,’आप कोल्ड ड्रिंक लेंगे या कॉफी?’

उसने मेरे उभारों की तरफ देखते हुए कहा,’जो आप प्यार से पिलाना चाहें!’

‘फ़िर भी?’
‘कोल्ड ड्रिंक’
‘बीयर चलेगी?’
नेकी और पूछ-पूछ!’

मैं रसोई से दो ग्लास और फ़्रिज़ से एक बीयर निकाल लाई…
‘यह लीजिए..’
आलोक बीयर गिलास में डालते हुए पूछने लगा,’नताशा जी, आपके पति कहाँ हैं?’
‘अपने काम पर!’

उसने मुझे गौर से देखते हुए कहा…’आपकी हँसी बहुत ही सेक्सी और कातिलाना है!’

मैंने कहा,’अच्छा??’

‘कसम से! नताशा जी… आप किसी फिल्म एक्ट्रेस से कम नहीं हैं..’

मुझे आलोक का स्टाइल अच्छा लगा…

मैंने भी एक सेक्सी स्माइल दी, अपनी एक टांग ऊपर करके दूसरे घुटने पर रख ली और कहा,’ओह.. आप तो बड़े फ्लर्ट हो.. आलोक जी!’

वो धीरे से आगे आया.. और कहा,’एक बात कहूँ?’

मैं भी आगे झुक गई और कहा,’कहो!’

मेरे वक्ष मेरे टॉप के गले से पूरे के पूरे दिख रहे थे और आलोक की निगाहें सीधे वहीं पर थी।

आलोक धीरे से उठ कर मेरे साथ एक ही सोफे पर बैठ गया और मेरे कान के पास फुसफुसाकर कहा- मैंने आज तक तुम जैसी सेक्सी हाउस वाइफ नहीं देखी.. नताशा!’ कहते ही कहते उसने फटाक से मेरी बाएँ गाल पर एक चुम्बन जड़ दिया…

‘आउच!’ मैंने नाटक किया…’तुम बड़े शरारती हो!’ मैं मंद-मंद मुस्कुरा रही थी…

उसी वक़्त आलोक बिल्कुल मेरे बगल पर आ चुका था और उसने मेरे हाथ को अपने हाथों में ले लिया,’नताशा..!’

‘जी?’ मैं मुस्करा रही थी।

उसने मेरी हाथों की ऊँगलियों को सहलाते हुए कहा,’तुम्हारे ये लंबे नाख़ून, ये गहरे लाल रंग का नेल-एनेमल इन गोरी-गोरी ऊँगलियों पर कितनी सेक्सी लग रहा है…’ मुझे आलोक का सहलाना और ऐसी बातें करना बहुत ही अच्छा लग रहा था…

‘नताशा, तुम अपने सौन्दर्य का बहुत ध्यान रखती हो!’..आलोक का हाथ धीरे धीरे अब मेरी पूरे हाथ और कलाई पर रेंग रहा था।

‘हाँ! मैं हफ्ते में दो बार ब्यूटी पार्लर जाती हूँ…’
मुझे अब आलोक का सहलाना और अच्छा लग रहा था..

‘तभी तो तुम इतनी सेक्सी हो… नताशा… तुम्हारे पति बहुत भाग्यशाली हैं…यह सेक्सी फिगर, सेक्सी होंठ… तुम्हारे पति की तो ऐश ही ऐश है…’

‘उसकी किस्मत में यह सब कहाँ? उससे कुछ होता ही नहीं!’ मैं अनायास ही कह उठी।

अब आलोक अपने दायें हाथ से मेरे हाथ को सहलाते हुए अपना बायाँ हाथ मेरे कन्धे के ऊपर से ले गया और मेरी बाईं बाजू को पकड़ लिया,’ नताशा, पता नहीं कैसे ऐसे लोगों को इतनी सेक्सी बीवी मिल जाती है…’

जब आलोक ने देखा कि मैंने कोई ऐतराज़ नहीं किया तो उसने धीरे से अपनी दायाँ हाथ भी मेरे दाएँ मम्मे पर रख दिया और हौले से दबा दिया…
‘आ आ ह ह आलोक…!!’

‘उम्म म म म… कितनी सेक्सी है…!!’

‘कौन? मैं?’

‘हाँ तुम और कौन?’ उसने मुझे खींच कर अपनी बाँहों में भर लिया।

मैं भी किसी बेल की तरह उसके बदन से लिपट गई। आलोक मेरे चहरे को अपने हथेलियों के बीच लेकर चूमने लगा।

मेरा शरीर तो पहले से ही कामाग्नि में तप रहा था, मैं भी उसके चुम्बनों का जवाब देने लगी।
मैं उसके चहरे को बेतहाशा चूमने लगी, एक आदिम भूख जो मेरे पूरे अस्तित्व पर हावी हो चुकी थी।

उसके होंठ मेरे होंठों को मथ रहे थे, मेरे निचले होंठ को उसने अपने दांतों के बीच दबा कर धीरे धीरे काटना शुरू किया।

फ़िर उसने अपनी जीभ मेरे होंठों से बीच से सरका कर मेरे मुँह में डाल दी। मैं उसकी जीभ को ऐसे चूस रही थी जैसे कोई रसीला फल हो। कुछ देर तक हम यूँही एक दूसरे को चूमते रहे।

आलोक का एक हाथ मेरी स्कर्ट के अन्दर जा चुका था और दूसरा मेरे टॉप में से मेरे वक्ष अनावृत करने की कोशिश कर रहा था।

टॉप ऊपर उठा और उसके होंठ फिसलते हुए मेरे एक चूचुक पर आकर रुके और आलोक उसे जोर से चूसने लगा। मेरे सारे बदन में एक सिहरन सी दौड़ने लगी।

आलोक एक स्तन को अपने मुँह में लेकर उससे जैसे दूध पी रहा था। मैं अपने सिर को उत्तेजना में झटकने लगी और उसके सिर को अपनी छाती पर जोर से दबाने लगी।

थोड़ी देर के बाद उसने दूसरे स्तनाग्र को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगा। मैंने देखा कि पहला चूचुक काफ़ी देर तक चूसने के कारण काफ़ी फूल गया है।

मैं उत्तेजनावश अपना हाथ बढ़ा कर उसके लिंग को पैंट के ऊपर से ही टटोलने लगी । उनका लिंग तना हुआ था. काफ़ी बड़ा लग रहा था।

मैंने धीरे धीरे आलोक की पैंट खोल दी और उसने मेरी स्कर्ट उतार कर मुझे नंगी कर दिया।

‘बहुत खूबसूरत हो!’ आलोक ने एक बार फ़िर मेरे बदन की तारीफ़ की तो मैं एकदम किसी कमसिन लड़की की तरह शरमा गई।

फ़िर उसने मुझे कन्धों से पकड़ कर नीचे की ओर झुकाया। मैं उसके सामने घुटनों के बल बैठ गई और मैंने धीरे से आलोक की पैंट खोल कर उसके लिंग को अन्डरवीयर से बाहर निकाला।

मैंने पहली बार उसके लिंग को देखा तो मेरे मुँह से हाय निकल गई।

‘काफ़ी बड़ा है!’

‘अभी से घबरा गई!’

मैं घुटनों के बल बैठ कर कुछ देर तक अपने चेहरे के सामने उनके लिंग को पकड़ कर आगे पीछे करती रही।
जब हाथ को पीछे करती तो लिंग का मोटा सुपाड़ा अपने बिल से बाहर निकाल आता।
उनके लिंग के छेद पर एक बूँद प्री-कम चमक रही थी। मैंने अपनी जीभ निकाल कर लिंगाग्र पर चमकते हुये उस प्री-कम को अपनी जिव्हाग्र पर ले लिया और मुख में लेकर उसका स्वाद लिया जो मुझे बहुत भाया।

फ़िर मैंने अपनी जीभ उनके लिंग के सुपाड़े पर फिरानी शुरू कर दी।

वो आ आआ अह ऊ ओ ह्ह्ह करते हुये मेरे सिर को दोनों हाथों से थाम कर अपने लिंग पर दबाने लगा।

‘इसे पूरा मुँह में ले लो!!’ आलोक ने कहा।

मैंने अपने होंठों को हल्के से अलग किया तो उसका लिंग सरसराता हुआ मेरी जीभ को रगड़ता हुआ अन्दर चला गया।

मैंने उनके लिंग को हाथों से पकड़ कर और अन्दर तक जाने से रोका मगर उन्होंने मेरे हाथों को अपने लिंग पर से हटा कर मेरे मुँह में एक जोर का धक्का दिया, मुझे लगा आज यह लम्बा लिंग मेरे गले को फाड़ता हुआ पेट तक जा कर मानेगा।

मैं दर्द से छटपटा उठी, मेरा दम घुटने लगा था। तभी उन्होंने अपने लिंग को कुछ बाहर निकाला और फ़िर वापस उसे गले तक धकेल दिया। वो मेरे मुँह में अपने लिंग से धक्के लगाने लगा।

कुछ ही देर में मैं उसकी हरकतों की अभ्यस्त हो गई और अब मुझे यह अच्छा लगने लगा। कुछ ही देर में मेरा बदन अकड़ने लगा और मेरे चूचुक एकदम तन गए, आलोक ने मेरी हालत को समझ कर अपने लिंग की रफ़्तार बढ़ा दी।

इधर मेरा रस योनि से बाहर निकलता हुआ जांघों को भिगोता हुआ घुटनों तक जा बहा, उधर आलोक का ढ़ेर सारा गाढ़ा रस मेरे मुँह में भर गया।

मैं इतने वीर्य को एक बार में सम्भाल नहीं पाई और मुँह खोलते ही कुछ वीर्य मेरे होंठों से मेरी छातियों पर और नीचे जमीन पर गिर पड़ा। जितना मुँह में था उतना मैं पी गई।

उसके बाद मेरी जो जोरदार चुदाई हुई! जो जोरदार चुदाई हुई! अगली पिछली सारी कसर निकल गई।

अब मैं इसी तरह मैं फोन पर अपने लिए ऐसे असली मर्द ढूंढती हूँ जिन्हें जोरदार चुदाई पसंद हो और अपने पति के सामने उससे चुदती हूँ। मेरा बेचारा पति देखता रह जाता है और मैं मजे लेती हूँ! आप भी चाहते हैं कि मैं आपको अपने घर बुलाऊँ? मुझे आज रात ही फ़ोन करो!

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