चुम्बन से शुरू गांड पे खत्म-4

फिर मैंने अंकिता की निक्कर को खोला और उसे सरका के निकाल दिया। अब वो लाल पैन्टी में थी। इतने में फिर उसने मेरे जीन्स के बटन को खोला.. फिर मैंने भी साथ देते हुए अपनी जीन्स निकाल दी और अंडरवियर में हो गया।

मैं उसकी चूत को उसकी पैन्टी के ऊपर से रगड़ने लगा।
वो ‘आअह..’ भर रही थी उसकी मादक ‘आहाहा.. अअह्हा.. से पूरा बाथरूम गूँज रहा था।

उसने मेरे अंडरवियर को निकालने का इशारा किया, मैं झट से निकाल कर उसके सामने पूरा नंगा हो गया।

उसने हल्का सा मेरे लंड को छुआ.. फिर मैंने उसकी पैन्टी को साइड से पकड़ कर नीचे से निकालते हुए अपने घुटनों पर बैठ गया।
मैं उसकी चूत को देखने लगा और रगड़ने लगा।
आज उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था।

मैं ब्लू-फिल्म बहुत देखता था.. उसमें लड़का लड़की की चूत चाटता था। बस वही फीलिंग आई और मैंने उसकी चूत को अपने मुँह से चाट लिया।
अपनी जीभ को उसकी चूत के छेद में डाला और फिर अपनी जीभ को उसकी चूत पर रगड़ने लगा।

अंकिता की जोर से ‘अअह्हाह..’ चीख निकली।
शायद उससे नया और अजीब सा अहसास हुआ था।
सच में उस पल में बहुत मिठास थी।

उसका थोड़ा सा रस मेरे मुँह में गया.. लाजवाब स्वाद था। मैं हमेशा उसे बुरा समझता रहा कि कोई कैसे ये करता होगा।
इतनी देर में दरवाज़े पर प्राची खड़ी दिखी।

ओह.. हमने दरवाज़ा लॉक ही नहीं किया था।
वो बोली- आवाज़ धीरे निकालो.. कोई आ जाएगा तो?

आज सच में अंकिता ने तेज़ आवाज़ निकाल दी थी। मैंने अंकिता को इशारा किया कि बिस्तर पर चलो। उसकी चूत चाटने में भी दिक्कत हो रही थी। वो खड़ी थी मैं बैठा हुआ था। उसकी चूत को मजे से नहीं चाट पा रहा था।

अंकिता थोड़ा शरमाई.. पर मैंने रिक्वेस्ट की और कहा- अब तो प्राची ने हमें नंगे, ऐसी पोजीशन में देख ही लिया और उसे भी पता है कि यहाँ क्या होने वाला है.. तो क्यों ना वहाँ पूरा दिल खोल के मजा लिया जाए।

वो मान गई और वासना के अहसास में मैं अपनी शर्म को घोल के पी गया।

अब मैंने अंकिता को अपनी गोदी में उठाया और बिस्तर की तरफ ले गया, उसको बिस्तर पर लिटा कर मैं उसकी चूची को फिर से चाटने लगा, दबाने लगा और हौले-हौले से निप्पलों को काटने लगा।

प्राची सामने खड़ी देखते हुए मुस्कुरा रही थी।
वो शर्मा भी रही थी.. मुझे ये अहसास हुआ।

मेरा लंड एकदम टाइट था, बस चूत में घुसना चाहता था पर मैं अभी उससे पेलना नहीं चाहता था, मुझे जवानी के दूसरे खेल में मज़ा आ रहा था चूची चूसना, चूत चाटना वगैरह।

मैं प्राची की आँखों में देखता हुआ अंकिता की चूत के पास मुँह ले गया अपनी जुबान को बाहर निकाल एक बड़ी मुस्कराहट के साथ अंकिता की चूत को मज़े से चाटने लगा।

कभी मैं जुबान से चोदता.. तो कभी उंगली से चूत को कुरेदता। अंकिता पागलों जैसे अपने बदन को ऐंठे जा रही थी।

‘आहाह्ह्ह्स.. आह्ह्हह्ह्स..’ की आवाज़ मुझे और जोश दे रही थी।
उसकी चूत का पानी थोड़ा सा मेरे मुँह में आ गया। मैंने उसे अंकिता के पेट पर उलट दिया।

प्राची दीवार से टेक लेकर अपनी मैक्सी के ऊपर से ही अपनी चूत को रगड़ रही थी।
यह सीन मुझे और जोश दे रहा था।

मैंने अंकिता को डॉगी स्टाइल में किया और उसके पीछे से अपने लंड को उसकी चूत पर लगा दिया। फिर थोड़ा सा थूक सुपारे में लगाया और एक ही झटके में मेरा आधे से ज्यादा लंड उसकी चूत में था।

‘आह्ह.. धीरे..’
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मैंने उसकी ‘आह..’ को परमीशन मानते हुए धीरे-धीरे स्पीड को बढ़ाया और उसे धकापेल चोदता रहा।

वो ‘आहाहा.. आह्ह्ह्हा..’ किए जा रही थी।

उधर प्राची अपनी मैक्सी को चूत के पास तक उठा चुकी थी।
उसकी भी लाजवाब गुलाबी सी चूत थी.. प्राची झाँटों के बीच चूत में तेज़ी से उंगली कर रही थी।

एक पल को मुझे ऐसा अहसास हुआ कि जैसे मैं प्राची की चूत मार रहा होऊँ।

इस अहसास के चलते मुझे पता ही नहीं चला.. कि कब मेरी रफ़्तार तेज़ और तेज़ हुई.. और सारा स्पर्म अंकिता की चूत में निकल गया.. जो शायद प्राची की याद में निकला था।

अंकिता भी प्राची को देखते हुए कातिलाना मुस्कान दे रही थी।

मैं थक कर बिस्तर पर लेट गया, अंकिता भी लेट गई।

प्राची का उंगली के बाद पानी निकल गया.. वो वहीं दीवार की टेक लेकर बैठ गई।

मेरा लंड संतुष्ट हुआ.. क्यूँ न होता.. इतनी देर की चुदाई जो मजा दिया था। मैंने अपनी एक साइड जगह बनाते हुए प्राची को बोला- आओ इधर लेट जाओ।

वो आई और मेरे बगल में लेट गई। मैं अंकिता की तरफ घूमा.. उसके सर पर एक चुम्बन किया और सीधा हो कर आँखों को दो पल के लिए बंद कर लिया।

मेरे सीने पर एक हाथ आया और मेरे सीने को सहलाने लगा।
मैंने आँख खोल कर देखा.. वो प्राची का हाथ था।

मैं उसकी तरफ घूमा.. उसकी आँखों में देखा।
उसने मेरी आँखों में देखा और धीमी सी मासूमियत भरी आवाज़ में कहा- प्लीज..

मैं समझ गया कि उसे भी चुदना है।
इतने में मेरे लंड में जोश आया, मैंने प्राची की चूची पर हाथ रखा और दबाया.. उसने सिसकारी ली ‘आह्हाह…’

मेरा लंड नई चूत में जाने के लिए खड़ा हो गया।
मैंने प्राची के कपड़े को उठाया और प्राची ने तुरंत उठ कर मैक्सी को निकाल दिया और एकदम नंगी हो गई।

वाहह.. प्राची के निप्पलों का रंग एकदम भूरा सा था.. मेरे लौड़े में अजीब सी झनझनाहट हुई।
शायद नई चूत को चोदने की सनसनी थी।

मैंने अपने हाथ को प्राची की चूत पर रख दिया और एक उंगली को पूरा अन्दर पेल दिया, वो आसानी से अन्दर चली गई।
प्राची की चूत थोड़ी ढीली थी।

मैंने प्राची के एक निप्पल को चूसा.. मज़ा आया।
फिर मैंने प्राची से पूछा- मेरा लंड मुँह में लोगी?

उसने मना किया.. पर मुझे उदास होता देख कर बोली- हाँ..
पर मैंने कहा- ठीक है पर अभी नहीं..
क्योंकि मुझे फील हुआ कि उसका मन नहीं था।

मैं प्राची की तरफ घूम गया, अपने लंड को उसकी चूत पर रख कर एक ही झटके में पूरा अन्दर डाल दिया।
वो कराही- आह्ह्हा…

मैंने मुस्कान के साथ अंकिता की तरफ घूम कर देखा.. उसकी आँखें नम थीं.. वो रो रही थी।

मैंने रुक कर झट से अपने लंड को प्राची की चूत से निकाल लिया और अंकिता की तरफ घूमा, मैंने उसके दोनों गालों पर अपना हाथ रख कर पूछा- क्या हुआ?
उसने रोते हुए कहा- तुम पर मैंने ट्रस्ट किया था।

मैंने ‘सॉरी’ कहा.. वो बाथरूम में गई।
मैं भी पीछे से गया और अकेले में समझाया- यार मैं बहक गया था.. माफ़ कर दो।

उसने मुझसे उस पल से बात करना बंद कर दिया।

बोली- बाहर चले जाओ।
मैं बाथरूम से बाहर आया।

प्राची बोली- क्या हुआ?
मैंने उससे सब बताया।

अंकिता अपने कपड़े पहन कर बाहर आई, मैं और प्राची अभी भी नंगे थे, मैं ज़मीन पर बैठा हुआ था।

मैंने अंकिता के पैर पकड़ लिए ‘माफ़ कर दो यार.. आगे से नहीं होगा.. जब तक माफ़ नहीं करोगी, मैं नहीं जाऊँगा।’

देखते ही देखते इस ड्रामे में सुबह के 7 बज गए। सब उठ गए थे.. प्राची ने भी अपना कपड़े पहन लिए थे। प्राची ने अंकिता से बोला- अब ये बाहर कैसे जाएगा? कोई देख लेगा.. उजाला हो गया।

अंकिता बोली- तुम जानो..

और वो बाहर चली गई।

पीछे प्राची भी जाने को हुई। वो मुझसे बोली- तुम यहीं रुको।

मुझे डर था कि कोई मुझे देख न ले। उससे भी ज्यादा डर था कि मैं अंकिता को न खो दूँ। मैं ज़मीन में दस मिनट वैसे ही नंगा बैठा रहा।

फिर प्राची आई वो बोली- अंकिता को समझाया है.. और थोड़ा हद तक वो समझ भी गई है।

मैं गुमसुम था।

उसने फिर बोला- अब कपड़े पहन लो.. अभी हम बाहर हैं.. वरना हमारे कमरे में कोई और आ सकता है। मौका मिलते ही तुम्हें बाहर भेज देंगे।

मैं बाथरूम में गया मेरे कपड़े वहीं पड़े थे मैंने कपड़ों को उठाया और पहन कर बाहर ज़मीन पर दीवार का सहारा ले कर बैठ गया।

एक घंटे बाद वो कमरे में आई और बोली- तुम्हारा दिन में बाहर जाना पॉसिबल नहीं है।

मैं बोला- मुझे माफ़ कर दो.. आज बहुत बड़ी गलती हो गई मुझसे.. आगे से ऐसा नहीं करूँगा चाहे कुछ हो जाए।

वो मेरे पास आई.. नीचे मेरे बगल में बैठी और बोली- तुम्हें उसके साथ सेक्स करते बुरा नहीं लगा? दिल ने इजाज़त दे दी करने की?

मैं बोला- उसने मुझसे रिक्वेस्ट की थी.. उसने हमारी इतनी मदद की.. उसके सामने हमने सेक्स किया.. उसकी हालत बहुत बुरी थी.. परन्तु मुझे नहीं करना चाहिए था।

वो बोली- पुरानी बातें छोड़ो.. अभी तुम बाथरूम में जा कर बैठो। कोई भी लड़की कमरे में आ सकती है। आज उनमें से दो की क्लास नहीं है.. क्योंकि वो 11वीं में हैं.. उनकी शाम को क्लास है। वो तो कमरे में नहीं आतीं.. पर दो और लड़कियां हैं, वो आती रहती हैं। दिन में जाना तुम्हारा पॉसिबल नहीं.. तुम्हारे खाने के लिए हम कुछ रख देंगे। तुम बाहर मत जाना।

मैंने ‘हाँ’ कहा और बाथरूम में जा कर वहाँ बैठ गया। अजीब सी सिचुएशन थी मेरी.. डर भी लग रहा था और अंकिता पे प्यार भी आ रहा था।

तभी उनके कमरे में कोई आया।

ओह.. प्राची भी साथ में थी, जो उसे रोक रही थी। मुझे कमरे में न देख प्राची की जान में जान आई। उन दोनों को डर था कि लड़की बाथरूम यूज़ ना करने चली जाए।

सो झट से अंकिता उठी.. उसने तौलिया उठाया और बोली- तुम लोग भी तैयार हो जाना.. मैं नहाने जा रही हूँ।

उसने बाथरूम में अन्दर आ कर फ़ौरन दरवाज़ा बंद कर लिया। वो अन्दर आते ही फर्श पर बैठ कर लम्बी-लम्बी सांसें लेने लगी।
मैंने उसके दोनों गालों पर हाथ रख कर उससे सहलाया और उसके कान के पास अपना कान ले गया और ‘लव यू’ बोला।

उसने मुझे देख कर धीरे से मुझे गाल पर चुम्बन किया और बोली- अगली बार से प्लीज मुझे धोखा न देना।

मैंने अपना एक हाथ उसके सर पर रखा और एक अपने पर और धीरे आवाज़ में बोल उठा- प्रॉमिस..

उस पल इतनी देर बाद मैं उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान देख पाया।

फिर मैं धीरे से बोला- चलो तुम्हें आज फिर से नहलाते हैं.. तुम्हें अच्छा लगेगा।

वो इशारों में मना करने लगी.. पर मैं कहाँ मानने वाला था, मैंने तुरंत उसकी टी-शर्ट और निक्कर को निकाला, उसके पैरों को सीधा किया और निक्कर को सरकाते हुए निकाल दिया।
फिर पैन्टी को पकड़ा.. तो उसने कहा- इसे मत उतारो।

मैं अजीब सा चेहरा बनाया और रुक गया.. नीचे देखने लगा।
उसने मेरे चेहरे को अपने हाथ से ऊपर करके मेरी नज़रों से अपनी नजरों को मिलाया और इशारे में पूछा- क्या हुआ?

अब देखना ये था कि अंकिता मुझसे कितना नाराज थी।

अपने ईमेल जरूर भेजते रहिए।
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कहानी जारी है।