Tag: देसी चुदाई

जब मैं जवान हुआ

वैसे वो बहुत चालू थी साली! बहुत लड़कों से चूत मरवा चुकी थी, लेकिन वो बहुत सेक्सी लगती थी। लम्बाई यही कोई 5’3″, फिगर सही-सही तो नहीं बता सकता लेकिन मस्त भरा हुआ जिस्म था उसका। चूची भी देखने में अच्छी थी काफी बड़ी-2! शक्ल सूरत तो ठीक ठाक ही थी, लेकिन उसकी जो एक […]

ज़िन्दगी के अजीब रंग

खैर समय बीतता चला गया। एक दिन वो मेरे पास आई और कहने लगी कि उसको कुछ रुपयों की ज़रूरत है इसलिये मैं उसे कुछ एडवांस दे दूँ और उसके वेतन में से काट लूँ। मैंने उसे एडवांस दे दिया। अगले दिन वो ऑफ़िस नहीं आई, मैंने भी सोचा कि शायद घर में कुछ काम […]

जूनियर की बीवी-4

अब मैंने एक गहरी सांस भरी और हुमक के एक ज़ोरदार शॉट लगाया तो लंड पूरा जड़ तक चूत में जा घुसा. अलका ने एक किलकारी मारी और मज़े से बेहाल होकर अपना सिर इधर उधर हिलाने लगी. मैं भी बिना धक्का लगाए लंड ऐसे ही चूत में घुसाए चूत की गर्मी और चूत के […]

पतिव्रता बीवी की चुदाई गैर मर्द से करवाने की तमन्ना-6

मैंने तथा संजना ने अपनी नाक बंद कर ली, लेकिन संजना आँखों पे पट्टी रहने की वजह से ये गंदी परत नहीं देख पाई। वो बोली- लंड साफ नहीं किए थे क्या? मैं फिर बगल में जाकर बोला- डार्लिंग ये उस बूढ़े का लंड है.. बेचारा गरीब है साबुन शैम्पू नहीं मिलता है, उस पर […]

शादी से पहले सुहागरात की चुदाई स्टोरी-2

उसने किस करने की इजाज़त दे दी और ब्लाउज ऊपर कर मैं ब्रा के ऊपर से ही उस की पीठ को चूमने लगा. उस की मस्त पीठ को चूमते हुए मैं पूनम के पेट पर हाथ फेरने लगा. पूनम के मुँह से हल्की सिसकारी निकलने लगी और उसका भीगा बदन मेरी बाँहों में था. यूं […]

बीवी की चुदाई मोटे लंड से करवाई

यह घटना अभी 4 महीने पहले की है. मैं एक दिन अपनी बीवी को चोद रहा था, तो मैंने देखा कि मेरी वाइफ को अब सेक्स में मज़ा नहीं आ रहा है. मैंने अपनी बीवी से पूछा- क्या हुआ यार, मज़ा नहीं आ रहा क्या? वो बोली- हां यार, मजा नहीं आ रहा है चुत […]

चूत चीज़ क्या है… मेरी गांड लीजिए-1

मैंने धीरे से कविता को कंधे से पकड़ते हुए अपने पास लेटा लिया। उसके लहंगे की चुन्नी सरक गई और खूबसूरत सा चेहरा शर्म का घूंघट ओढ़े हुए मेरी आंखों के सामने था। उसके कोमल बदन को छूकर मुझमें तो हिम्मत आने लगी थी। या यूं कहें कि चुदास की आग ने धुंआ फेंकना शुरु […]

झुमरी तलैया में हनीमून-2

इधर सुधीर ने बताना शुरु किया- सर न जाने का भाड़ा लगा, न रूम का, न खाने का! सर की चिट्ठी पढ़ते पढ़ते छाबड़ा सर न जाने किन ख्यालों में खो गये थे; आँखों के कोर में आँसू छलक आये थे जिसे हम लोगों से छुपाते हुये पौंछ लिये, हाल चाल पूछा और जब मैंने […]