हिम्मत वाली माँ की हिम्मत वाली बेटी

मैं चुप चाप खड़ा आंटी के मम्मे और गदराई गांड देख रहा था.

लड़की के सोते ही आंटी मेरी तरफ़ मुखातिब होकर बोली ”तुम इसे नहीं लाते तो बेचारी वहीँ रोती रहती।’

मैंने कहा,’आंटी, क्यूँ नहीं लाता?’

आंटी मुस्कुराई और बोली- बैठो, तुम्हे चाय पिलाती हूँ।’

पता नहीं मेरे अन्दर कहाँ से इतनी हिम्मत आ गई कि मैं बोला ‘पिलाना है तो दूध पिलाओ।’

आंटी तुंरत समझ गई और थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए बोलीं ‘शर्म नहीं आती ऐसे कहने में।’

मैं बोला ‘आंटी शर्म करूँगा तो आप दूध कैसे पिलाओगे।’

इतना कहकर मैंने आंटी के मम्मों पर हाथ रखा और सहलाने लगा. आंटी भी शायद मुझसे चुदवाने को तैयार थीं इसीलिए कुछ नहीं बोलीं मैंने उनका गाउन उतारा और फ़िर ब्रा और पैंटी भी उतार दी. आंटी को पूरा नंगा करके मैंने अपने कपड़े उतारे और बिना देर किए अपना लंड आंटी कि चूत में डाल दिया और उनके मम्मे चूसने लगा. थोडी देर में आंटी नीचे से अपनी गांड उठा उठा कर मेरा साथ देने लगीं.

इसके बाद 12 साल तक मैं आंटी को चोदता रहा. इस बीच उनकी लड़की 18 साल की हो गयी.

एक दिन मैं आंटी को चोद रहा था कि वो आ गयी.
आंटी को लगा कि ये अंकल को बता देगी.
आंटी ने उसको अपने पास बुलाया, उसकी स्कर्ट को पकड़ कर ऊपर उठाया और उसकी पैंटी उतार दी और बोली ‘इसकी चूत पर अपना लंड रगडो इसको भी मजा दो’. मेरी तो लाटरी लग गयी, मैंने उसकी चूत पर अपना लंड रगड़ना शुरू किया तो वो मस्त होने लगी. आंटी पेशाब करने बाथरूम गयी तो मैंने अपना लंड लड़की की चूत में डाल दिया. लड़की चिल्लाने लगी तो मैंने उसके मुंह पर हाथ रख दिया, लड़की चुप हो गयी और और थोडी देर में मजा लेने लगी.

आंटी बाथरूम से आयीं और लड़की को चुदवाते देखकर बोलीं ‘पहले ही दिन पूरा ले लिया ! ये है मेरी बेटी की हिम्मत ! हिम्मतवाली माँ की हिम्मतवाली बेटी’.