मेरी चालू बीवी-77

पर मैं वैसे ही सोने का बहाना करता रहा।

फिर शायद अंकल जी आ गए थे और अमित भी चला गया था, अब मुझे भी तैयार होकर काम पर जाना था, 9 से भी ऊपर हो गए थे।

तभी सोचा कि एक बार अंकल को साड़ी पहनाते देखकर बाथरूम में चला जाऊँगा, और मैं उठकर बाहर कमरे में देखने लगा।

मैंने देखा सलोनी ने पेटीकोट और ब्लाउज पहले ही पहना हुआ है, फिर भी अंकल ने कुछ मजा लेते हुए उसको साड़ी पहनाई।

आज इतना जरूर हुआ कि सलोनी ने खुद ही पहनी और अंकल ने केवल उसको गाइड किया।

पर मैंने इतना जरूर सुना कि अंकल को पता था हम रात देर से आये और सलोनी अमित के साथ आई थी।

मगर उनकी बातें मुझे ज्यादा साफ़ साफ़ नहीं सुनाई दी… हाँ इतना भी पता चला कि विकास उसको लेने आने वाला है क्योंकि स्कूल बहुत दूर है।

तभी मुझे याद आया और मैंने अपना पेन रिकॉर्डर जो पहले ही फुल चार्ज कर लिया था, ओन करके सलोनी के पर्स में डाल दिया।

फिर मैं बाथरूम में फ्रेश होने चला गया।

बाथरूम में नहाते हुए मैं सोचने लगा कि कल का पूरा दिन बहुत ही खूबसूरत था… और रात तो उससे भी ज्यादा सेक्सी… मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैंने अपनी ज़िंदगी का सबसे खूबसूरत दिन जी लिया हो…

सबसे बड़ी बात… मेरी जान सलोनी… वो तो इतनी खुश दिख रही थी जितना मैंने आज तक नहीं देखा था, उसके चेहरे की चमक बता रही थी कि वो बहुत खुश है !

और मुझे क्या चाहिए?!!?

अगर यह सब मेरे संज्ञान के बिना होता तो शायद गलत होता मगर हम दोनों को ही ऐसा मजेदार जीवन पसंद था… हम इस सबका भरपूर मजा ले रहे थे…

सुबह अमित चला गया, वो मुझसे बिना मिले ही गया, पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था मगर अब ये सब मुझे कोई बुरा नहीं लगा, उसको अगर सलोनी पसंद है और सलोनी भी उसको पसंद करती है तो दोनों को रोमांस करने दो…

मुझे भी दूसरी लड़कियों का मजा मिल रहा है और सलोनी को इस तरह फ़्लर्ट करते देखने में भी मजा आ रहा है।

कोई दस मिनट बाद मुझे बस सलोनी की आवाज सुनाई दी- सुनो, मैं जा रही हूँ… नाश्ता आपको भाभी दे देंगी।

मैं सोच ही रहा था कि कौन भाभी और यह मधु क्यों नहीं आई?

उसने तो सुबह-शाम आने को कहा था !

मधु की मीठी मीठी यादों में नहाकर में बाहर निकला, हमेशा की तरह नंगा… मधु की कोमल चूत को याद करने से मेरा लण्ड पूरा खड़ा हो गया था, जो इस समय बहुत प्यारा लग रहा था।

बाहर आते ही एक और सरप्राइज तैयार था…

मेरे सामने नलिनी भाभी मुस्कुराते हुए खड़ी थी, उनकी नजर मेरे खड़े लण्ड पर ही थी।

एक पल के लिए मैं जरूर चौंका क्योंकि मैं उनकी बिल्कुल उम्मीद नहीं कर रहा था मगर फिर मेरे होंठों पर भी मुस्कराहट आ गई।

अब समझ आया कि सलोनी नलिनी भाभी को बोल गई होगी।

मुझे कुछ अफ़सोस भी था, मैं विकास से मिलना चाहता था, मगर वो शायद अब चले गए थे।

मैं- ओह भाभी जी, आप यहाँ? क्या बात? अंकल कहाँ चले गए?

नलिनी भाभी मुँह दबाकर मुस्कुरा रही थी- वो तो सलोनी को लेकर गए हैं.. तुमसे कुछ कहकर नहीं गई?

मैं- अरे अंकल गए हैं? …पर वो तो शायद किसी और के साथ जाने वाली थी !

नलिनी भाभी शायद कुछ शरमा सी रही थी, माना हम दोनों चुदाई कर चुके थे, मगर कवल एक बार ही की थी… वो भी उनके घर पर.. शायद इसीलिए वो शरमा रही थी।

दूसरे नलिनी भाभी ने मेरे साथ चुदाई तो कर ली थी मगर वो पूरी घरेलू औरत हैं, हाँ अब उनमें कुछ खुलापन आ रह है, अंकल के खुले व्यवहार और सलोनी के कारण !

उन्होंने इस समय आसमानी रंग का गहरे गले का गाउन पहना था जो ज्यादा पारभासक तो नहीं था मगर फिर भी उनके अंगों का पता चल रहा था।

मैं- तो भाभी जी किसलिए आई थी आप…सलोनी ने क्या कहा था?

नलिनी भाभी- बस तुम्हारा ध्यान रखने के लिए और नाश्ता देने के लिए।

मैं- तो ध्यान क्यों नहीं रख रही… करो ना सेवा… हम तो नाश्ता बाद में करेंगे, पहले इस बेचारे पप्पू को नाश्ता करा दो.. देखो कैसे अकड़ रहा है भूख के मारे !

मैंने अपने लण्ड को हाथ से पकड़ जोर से हिलाया तो अब नलिनी भाभी कुछ खुली, वो मेरे पास आई और मुस्कुराते हुए बोली- जी नहीं, ऐसा तो कुछ नहीं है, सलोनी ने तो केवल तुमको ही नाश्ते के लिए कहा था… और इसको तो… लगता है वो खूब खिला पिला कर गई होगी !

मैंने भाभी को कसकर अपनी बाँहों में जकड़ लिया- अरे मेरी प्यारी और भोली भाभी जी… अगर इसका पेट भरा होता तो ऐसे लालची होकर अपने खाने को नहीं देख रहा होता…

नलिनी भाभी- यह तो हर समय भूखा ही रहता है।

मैंने नलिनी भाभी के मांसल चूतड़ों को मसलते हुए उनको अपने से चिपका लिया, मेरे से पहले मेरे लण्ड ने उनकी चूत को ढूंढ लिया और भाभी की गद्देदार चूत से जोंक की तरह चिपक गया।

मेरे हाथों को तो लगा ही था कि उन्होंने कच्छी नहीं पहनी है जब मैंने उनके चूतड़ों को सहलाया मगर अब मेरे लण्ड ने पक्का कर दिया था कि वाकई उन्होंने कच्छी नहीं पहनी है, ऐसा लग रहा था जैसे मेरे लण्ड ने नंगी चूत को ही छू लिया हो।

नलिनी भाभी बिल्कुल भी विरोध नहीं कर रही थी, उनकी झिझक मेरे छूते ही ख़त्म हो गई थी।

नलिनी भाभी- अहाहाहा… कितना प्यारा और सख्त है तुम्हारा…

अब उन्होंने मेरे लण्ड को अपने हाथ से खुद व खुद ही पकड़ लिया… उनकी गरम हथेली में जाते ही लण्ड ने मेरे सोचने समझने की शक्ति को ख़त्म कर दिया…

मैं भूल गया कि मुझे ऑफिस भी जाना है और सलोनी अकेली अंकल के साथ गई है, या वो स्कूल में क्या क्या करेगी और मधु के बारे में भी…

अभी तो बस नलिनी भाभी और उनकी चुदी हुई ही सही मगर गद्देदार चूत ही दिख रही थी।

मैंने एक बात नोटिस की कि पीछे दिनों में मैं जितनी चुदाई कर रहा था और जितनी ज्यादा चूतें देख रहा था, मेरे चोदने की शक्ति और भी ज्यादा बढ़ती जा रही थी, और लण्ड हर समय चोदने को तैयार रहने लगा था।

नलिनी भाभी को देखते ही लण्ड फिर से चोदने को तैयार हो गया था… और नलिनी भाभी शायद यही सोचकर आई थी…

उन्होंने केवल एक बार ही मना किया था… फिर वो नीचे बैठ मेरे लण्ड को चूसने लगी…

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मेरे लण्ड भाभी के लाल होठों के बीच फंसा था… उनके चूसने का स्टाइल एक ही दिन में बहुत सेक्सी हो गया था…
अपने ही बैडरूम में भाभी के साथ अपना लण्ड चुसवाना मुझे बहुत रोमांचित कर रहा था…
मैंने एक बार दरवाजे के बारे में सोचा कि कहीं खुला तो नहीं है, मैं बोला- भाभी दरवाजा?

मैंने बस इतना ही कहा था… भाभी ने लण्ड चूसते हुए ही आँखों से बंद होने का इशारा किया…
मतलब वो पूरी योजना बनाकर आई थी।

मुझे भी ऑफिस की कोई जल्दी नहीं थी, यास्मीन सब देख ही लेती है।

मैं तसल्ली से भाभी को चोदना चाहता था, अंकल भी कम से कम दो घंटे तो नहीं आने वाले थे क्योंकि अंकल की गाड़ी की स्पीड के अनुसार उनको 40-45 मिनट तो स्कूल पहुँचने में ही लगेंगे।

फिर अभी तो उनके साथ सलोनी भी है… पता नहीं स्कूल लेकर भी जाएंगे या कहीं रास्ते में ही ‘चल छैंया चल छैंया’ करने लगें !

कहानी जारी रहेगी।