माँ बेटी को चोदने की इच्छा-44

अब आगे..

फिर जब कुछ देर बाद मेरी साँसें थमी तो मैं उनके ऊपर से हटा और अपना लौड़ा साफ़ करने के लिए उनकी पैन्टी खोजने लगा.. तभी मेरी नज़र उनकी चूत के नीचे की ओर चादर पर पड़ी तो मैंने पाया कि चादर इतना ज्यादा भीगी हुई थी कि लग ही नहीं रहा था कि यह चूत रस से भीगी है। मुझे लगा कि शायद इन्होंने मूत ही दिया है.. तो मैं बिना बोले उठा और अटैच्ड वाशरूम में जाकर अपने लौड़े को साफ़ करने लगा।
क्योंकि मेरे मन में बहुत अजीब सी फीलिंग आ रही थी कि क्या वाकयी में माया को होश न रहा था और उसने वहीं सुसू कर दी..

खैर.. मैंने अच्छे से अपने औजार नुमा लिंग को धोकर चमकाया और वापस बिस्तर की ओर चल दिया।

जैसे ही मैं बिस्तर के पास पहुँचा.. तो उन्होंने मेरे से पूछा- क्या हुआ.. कहाँ गए थे?
तो मैंने उन्हें बोला- लौड़ा साफ़ करने गया था।
वो बोली- यहीं कपड़े से पोंछ लेते न.. जाने की क्या जरुरत थी.. तू तो हमेशा मेरी पैन्टी से ही पोंछता है।
तो मैं बोला- हाँ पर आज आपने कुछ ऐसा कर दिया था कि मुझे न चाहते हुए भी जाना पड़ा।
उन्होंने पूछा- क्यों.. क्या हो गया था?

तो मुझसे रहा नहीं गया.. मुझे बताना पड़ा, जबकि मैं नहीं चाहता था कि उन्हें बताऊँ कि आज उन्होंने क्या किया है।

पर मुझे न चाहकर भी उनके बार-बार पूछने पर बताना पड़ा कि मैं जब उठा तो चूत के नीचे इतना गीला पाया कि जैसे अपने सुसू ही कर दी हो.. इसलिए साफ़ करने गया था।

तो उन्होंने बड़े ही प्यार से मेरे मुरझाए हुए लौड़े को सहलाते हुए बोला- ये सुसू नहीं.. बल्कि इस मथानी का कमाल है.. देखो कैसे इसने कैसे मथा है.. अभी तक बहे जा रही है।

जब मैंने ध्यान दिया तो वाकयी में चूत से बूँद-बूँद करके रस टपक रहा था।

मैंने हैरानी से देखते हुए उनसे पूछा- ऐसा क्या हो गया आज.. जो इतना बह रही है।
तो वो बोली- मैं नहीं बता सकती कि मुझे आज क्या हो गया है?

पर मेरे जोर देने पर उन्होंने बोला- यार आज न तूने मुझे जबरदस्त चुदाई का मज़ा तो दिया ही है और जिस तरह तुमने रूचि और विनोद को समझाया था न.. ऐसा लग रहा था जैसे तुम्हीं उन दोनों के बाप और मेरे पति हो। आज तो तूने मुझे पति वाला सुख भी दिया है.. जिससे मेरा रोम-रोम तुम्हारा हो गया और जिंदगी में पहली बार आज मुझे इतना अधिक स्खलन हुआ है। इससे पहले ऐसा कभी न हुआ था। मैं चाह कर भी खुद को रोक नहीं पा रही हूँ.. बस बहता ही जा रहा है। मैंने बहुत कोशिश की.. पर नहीं रोक पाई..

उनकी बात सुनकर मुझे भी उन पर प्यार आ गया और मैं उनके बगल में कुछ इस तरह से लेटा कि मेरा मुँह उनके गले के पास था।
मेरा दाहिना हाथ उनकी पैन्टी पकड़े हुए उनकी जांघ के पास था और बायां हाथ उनके सर के पास था, उनके दोनों हाथ मेरी पीठ पर थे और उनका मुँह मेरे गले के पास था। मेरा सोया हुआ लण्ड उनकी जांघों से सटा हुआ था।

अब इतना जीवंत चित्रांकन कर दिया है ताकि आप लोग ज्यादा से ज्यादा इसका मज़ा ले सकें।

खैर अब वो मेरे पीठ पर हाथ फेरते हुए मुझसे बोल रही थी- तुम्हारा ये गर्म एहसास मुझे बहुत पागल कर देता है.. मेरा खुद पर कोई कंट्रोल नहीं रहता और जब तुम मुझे इतना करीब से प्यार देते हो.. तो मेरा दिल करता है कि मैं तुम्हारे ही जिस्म में समा जाऊँ।

मैं उनके रस को उनकी जांघों से और चूत से पोंछ रहा था और बीच-बीच में उनके चूत के दाने को रगड़ भी देता था जिससे उनके बदन में ‘अह्ह्ह.. ह्ह्ह्ह..’ के साथ सिहरन सी दौड़ जाती.. जिससे उनकी अवस्था का साफ़ पता चल रहा था और वो मेरे गले को भी चूम भी लेती.. जिससे मेरे लौड़े में फिर से तनाव का बुलावा सा महसूस होने लगा था।

उनके बोलने से जो मेरी गर्दन पर उनकी गर्म साँसें पड़ रही थीं.. उससे मुझे भी सिहरन सी होने लगी थी।
मैं भी बीच-बीच में उनके सर को सहलाते हुए उनके गले को चूमते और चाटते हुए उनके कान के पास और कान के पास चूम लेता था।

मैं कभी कान के नीचे की ओर हल्का-हल्का धीरे से काट भी लेता था.. तो वो मेरी इस हरकत से मचल सा जाती थीं। जिससे उनकी टाँगे फड़कने लगतीं और वे अपने चूचों को मेरी छाती से रगड़ने लगतीं.. जो कि अब बहुत ही कठोर सी हो गई थीं।
उसके चूचों के निप्पल तो ऐसे चुभ रहे थे.. जैसे कोई रबड़ की गोली.. मेरे और उसके बदन के बीच में अटक सी गई हो।
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यह फीलिंग मुझे इतना मस्त किए जा रही थी कि अब मैं भी कुछ समझ नहीं पा रहा था। मुझे बस यही लग रहा था कि ये ऐसे ही चलता रहे।
कभी-कभी ज्यादा उत्तेज़ना मैं अपनी छाती से उसके चूचों को इतनी तेज़ से मसल देता कि उसके मुँह ‘अह्हह्ह.. श्ह्हह्हीईई..’ की आवाज़ फूट पड़ती थी।

इसी तरह कुछ देर चलता रहा और अचानक से माया दोबारा जोश में आ गई और अपने बाएं हाथ से मेरी पीठ को सहलाते हुए मेरे लौड़े को अपने दायें हाथ से सहलाते हुए बोली- जान तुम कितने अच्छे हो.. काश ये समा यही थम जाए.. और हम दोनों इसी तरह एक-दूसरे की बाँहों में रहकर प्यार करते रहें।

मैं बोला- काश.. ऐसा हो पाता.. तो ये जरूर होता.. पर सोचो तुम अगर रूचि की बेटी होती.. तो मैं तुमसे शादी करके हमेशा के लिए अपना बना लेता.. पर क्या तेरी जगह रूचि होती.. तो मेरे ये सब साथ करती?
तो वो बोली- पता नहीं..

तो मैं हँसते हुए बोला- पर सोचो अगर वो करने देती.. तो कितना मज़ा आता.. वो भी बहुत मस्त है।
ये बोलते हुए मैंने उनके गालों को चूम लिया..
उन्होंने बोला- अच्छा तो तुझे मेरी बेटी पसंद है?
तो मैं बोला- तुम पसंद की बात कर रही हो यार… वो तो मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छी लगती है।

तो वो बोली- देखो अगर तुम उससे शादी करो.. तो ही उस पर नज़र रखना.. वरना नहीं..
मैं बोला- तुम परेशान मत हो.. जो कुछ भी होगा.. तुम्हें पहले बताऊंगा.. पर अभी जब कुछ ऐसा है ही नहीं.. तो हम क्यों ये फालतू की बात करें।

इस पर वो ‘हम्म्म..’ बोलते हुए.. वो भी मेरी ही तरह मेरे गले.. गाल और कानों को चूमने लगी और मेरे लौड़े को हिलाकर उसकी मालिश सी करने लगी.. जो कि रूचि की बात सोच कर पूरे आकार में आ चुका था।

अब उसे क्या पता.. अगले दिन रूचि ही इसके निशाने पर है। मैंने उसकी सोच छोड़कर.. अब जो हो रहा था.. उस पर सोचने लगा। अब मैं इतना मस्ती में डूब चुका था कि मैं भी नहीं चाह रहा था कि अब ये खेल रुके।
मैं भी पूरी गर्मजोशी के साथ उससे लिपट कर उसे अपने प्यार का एहसास देने लगा।

माया इतनी अदा से मेरे लौड़े को मसल रही थी कि पूछो ही नहीं.. वो अपनी उँगलियों से अपने रस को लेती और मेरे लण्ड पर रस मल देती।

जब मेरा पूरा लौड़ा उसके रस से सन गया. तो वो बहुत ही हल्के हाथों से उसकी चमड़ी को ऊपर-नीचे करते हुए मसाज़ देने लगी। बीच-बीच में वो मेरे लौड़े की चमड़ी को पूरा खोल कर सुपाड़े को सहलाती.. तो कभी उसके टांके के पास सहलाती.. जिससे मेरे पूरे शरीर में हलचल के साथ-साथ मुँह से ‘श्ह्ह्ह्ह्.. ह्ह्ह्हीईई.. अह्ह्ह्ह..’ निकल जाती।

वो मुझसे बोलती- तुम्हें अच्छा लग रहा है न..
मैं ‘हाँ’ बोल कर आँखें बंद करके इस लम्हे का मज़ा लेने लगता।
तभी वो बोली- क्या तुम चाहते हो कि मैं इसी तरह इसे मसाज देते हुए इसे मुँह से भी चूसूँ?

बस मित्रों.. अब अभी के लिए इतना ही काफी है। अब बिना लौड़ा शांत किए आगे नहीं लिख सकता हूँ।
मैं आशा करता हूँ कि लौड़े वाले भी बिना शांत हुए अब कुछ और नहीं कर पाएंगे और चूत वालियाँ भी बिना ऊँगली किए रह ही नहीं सकतीं।

तो अब आप लोग भी अपने शरीर की संतुष्टि के लिए खुद कुछ करें… आगे क्या हुआ यह जानने के लिए उसके वर्णन के लिए अपने लौड़े और चूतों को थाम कर कहानी के अगले भाग का इंतज़ार कीजिएगा.. तब तक के लिए आप सभी को राहुल की ओर से गीला अभिनन्दन।
आप सभी के सुझावों का मेरे मेल बॉक्स पर स्वागत है और इसी आईडी के माध्यम से आप मुझसे फेसबुक पर भी जुड़ सकते हैं।
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