पड़ोसन भाभी चूत पसार कर चुदी -2

पता है दोस्तो, भाभी उस रात चुदने के बाद मुझसे और भी ज्यादा खुल कर बात करने लग गईं और अपनी हर तरह की बात शेयर करने लगीं.. साथ ही मुझसे चुदने के लिए वो उत्सुक रहतीं और मौका खोजते रहतीं कि कैसे मुझसे अपनी चूत की मालिश करवाई जाए, वो हमेशा बहाने भी ढूंढती रहतीं।

कुछ दिन ऐसे ही निकल गए.. हमारी बात तो वैसे रोज होती थी.. भाभी भी पूछती और बोलती रहती थीं- अजीत बहुत मन कर रहा है..

मैं भाभी को बोलता- भाभी वो तो ठीक है.. पर हम कैसे और कहाँ करेंगे? आपकी सासू माँ रहती हैं घर में.. उस दिन तो हमने किसी तरह दिमाग़ लगा कर चुदाई का खेल लिया था.. पर अब कैसे हो पाएगा?
उन्होंने कहा- बस तुम हाँ कहो.. मैं तो रास्ता बना ही लूँगी।
मैंने भाभी की हाँ में हाँ मिला दी।

वैसे तो ऊपर से हम तो मज़ा हमेशा ले लिया करते थे।
अब तो भाभी भी बातों-बातों में मुझे छेड़ दिया करती थीं।
जैसे कभी मैं उनके घर जाया करता था.. तो भाभी मेरा लंड छू देती थीं या कुछ काम करते-करते अपने चूचे मुझे लगा देती थीं।

आप सबको तो पता ही होगा कि अक्सर सभी इंसान घर में हाफ पैंट या खुले कपड़े ही पहनते हैं.. तो जाहिर सी बात है.. मैं भी वो ही कपड़े पहनता हूँ.. तो भाभी कभी-कभी मेरे लोवर के ऊपर से मेरा लौड़ा पकड़ लेतीं.. तो कभी झट से अन्दर हाथ डाल कर लंड सहला देतीं।

उस वक्त वो मेरे लंड को सलामी देने को मज़बूर कर देतीं.. तो मैं भी कौन सा कम था, मैं भी ठहरा पक्का चुदक्कड़.. मैं भी कभी उनके मम्मों को दबा देता तो कभी उनकी चूत सहला देता और उनको गरम करके तड़फते हुए छोड़ देता।
जैसे वो मुझे कभी-कभी गरम करके तड़पाती थीं।
इसी तरह हमारा खेल चलता रहा।

एक दिन तो मैं पूरे मूड में था उस दिन रविवार का दिन भी था, मैंने सोचा क्यों ना भाभी को उंगली की जाए और हुआ भी ऐसा ही।
मैं जब गया तो उनकी सासू माँ दूसरे कमरे में सोई हुई थीं और भाभी लंच बना रही थीं।

मैंने पूछा- और भाभी डार्लिंग, क्या कर रही हो?
भाभी ने पलट के जबाव दिया- तेरे ही लंड का इंतजार कर रही हूँ।
भाभी भी अब मुझसे बहुत बेशर्मों की तरह जबाव दे कर बात करती थीं।

मैंने कहा- क्या सच में आपकी चूत मेरे लंड का इंतजार कर रही थी?
भाभी ने कहा- हाँ.. चाहो तो इसकी हालत देख लो.. तो तुम्हें पता चल जाएगा।
मैंने थोड़ा धैर्य रखते हुए कहा- ओके देख लूँगा.. आप लंच तो बना लो पहले..

इस वक्त भाभी मैक्सी में ही थीं.. और अन्दर तो कुछ नहीं पहने हुए थीं.. ये बात मुझे बाद में पता चली।

फिर हम वहीं रसोई में बात कर रहे थे और भाभी खाना बना रही थीं। मैं बगल में ही भाभी के जिस्म से खेल रहा था। फिर भाभी ने भी अपना दाहिना हाथ मेरे पैंट में डाल दिया और मेरा लौड़ा सहलाने लगीं।

तो मैंने कहा- भाभी आप पहले खाना तो बना लो।
भाभी कुछ नहीं बोलीं.. मैं चुप था।
एक हाथ से मेरा लवड़ा मुठियाने के साथ साथ भाभी दूसरे हाथ से कढ़ाई में करछली भी चला रही थीं।

फिर उन्होंने मेरे पैन्ट से झट से हाथ निकाल कर उसी हाथ से सब्जी काटने लगीं।
तो मैं भाभी से कहा- रुको तो भाभी..
वो बोली- क्या हुआ?
मैंने कहा- भाभी आपने मेरा लंड पकड़ कर सहलाया था.. आपके हाथ में भी मेरा पानी लगा होगा..

आप सब जानते हो कि किसी का लंड खड़ा होता है.. तो कुछ गीला हो जाता है।
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तो उन्होंने कहा- ये बात के लिए तुमने मुझे रोका..? तो क्या हुआ लंड ही ना पकड़ा था.. जब हम इंसान चूत और लंड को चूस कर उसका पानी पी सकते हैं.. तो ये क्या चीज़ है.. मेरा बस चले तो तुम्हारा माल निकाल कर सब्जी में घी की जगह इस्तेमाल करके खाऊँ।

भाभी हँसते हुए उसी हाथ से सब्जी काटने लगीं।

फिर मैंने भाभी की मैक्सी पीछे से उठाई और उनकी चूत में पीछे से उंगली करने लग गया।
भाभी भी मजबूर थीं क्योंकि वो तो सब्जी काटने में बिज़ी थीं।
तो मैं मौके का फ़ायदा उठाते हुए भाभी की चूत में ज़ोर-ज़ोर से उंगली करने लगा.. और तो और मैंने उंगली निकाल कर अपना मुँह ही उनके पीछे लगा दिया और उनकी गाण्ड और चूत का रसपान करने लग गया।

भाभी भी अपनी चूत पसार कर अपने मुँह से मदहोश कर देने वाली आवाज़ें निकाल रही थीं- इसस्स्शह.. उहह.. आअहह उम.. हाँ.. आईए.. अजईइ ईईईतत्त.. जोऊर्रर.. सीईए.. शीई.. ईईए शीईएस स्सस्स.. आह्ह..
मैं अपनी जीभ से उनकी चूत को मज़े देने लगा। मैं पहले अपने पार्ट्नर को सेक्स का पूरा आनन्द देता हूँ और अन्दर तक पूरा खुश करता हूँ।

मैं अपनी जीभ से उनकी चूत को हल्का-हल्का सहला रहा था। भाभी भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं.. अपनी गाण्ड को और खोल कर अपनी पूरी चूत मुझे दे रही थीं।
मैं अब अपनी एक उंगली उनकी चूत में डाल कर अन्दर-बाहर करने के साथ.. अपनी जीभ से चूत को चाट रहा था।

क्या बोलूं दोस्तों.. भाभी भी क्या मस्त हो गई थीं और क्या-क्या गंदे शब्द बोल रही थीं- और चूसो चूत को.. मेरा पानी निकाल के पी लो.. अजीइतत्त.. आआहह.. ऊओह स्सहह.. और करो.. ज़ोर से.. अहहव स्शह.. खा जाओ मेरी चूत.. मैं तुम्हारी राण्डईइ.. अहह.. सीईईई.. तुम मुझे कुतिया की तरह चोदो.. और मेरी चूत को गुफा बना दो अजीइत..

मुझे भाभी के मुँह से ये सब बातें सुन कर और जोश आ रहा था और मैं और ज़ोर-ज़ोर से भाभी की चूत में उंगली करने लगा और साथ में उनकी चूत को चाट करके पूरा गीला कर चुका था..

मुझे तो खयाल ही नहीं रहा कि घर में उनकी सासू माँ भी हैं।
जब ख्याल आया तो मैं उठा और एक बार देख कर आया कि वो कहीं जाग तो नहीं गईं।
फिर मैं वापस आया और अभी कुछ और करता कि भाभी ने कह दिया- जल्दी से अब चोद दो ना.. नहीं तो सासू माँ जाग जाएँगी।

तो मैं बस उनको इसी स्थिति में चोदने के लिए तैयार हो गया। भाभी खाना बना रही थीं.. और मैं उनको अब खाना बनाते वक़्त चोदने वाला था।
मैंने अपना लंड अपने हाथ में पकड़ा और उनके पीछे से मैक्सी उठा कर उनकी चूत में डालने लगा।

मैंने उनकी चूत को चाट-चाट कर इतना लिसलिसा और चिकना बना दिया था कि मेरा लंड ही फिसले जा रहा था।
लंड दो से तीन बार फिसला.. पर जब मैंने जब अगली बार चूत से सटा कर लंड का धक्का दिया तो लंड घुस गया। मुझे पता था कि भाभी अभी चिल्लाएगी जरूर.. और वही हुआ भी.. उनकी दबी सी आवाज़ निकली- ओह्ह.. म्म्म्म़म मममह..

तो मैंने पहले ही भाभी का मुँह बंद कर दिया था।
जब भाभी नॉर्मल हुईं.. तो मैंने फिर दुबारा झटका मारा.. पर अभी मेरा लंड चूत में पूरा समाने में थोड़ा बाकी था.. जो कि अगले शॉट में मैंने पूरा का पूरा लंड भाभी की चूत में पेल दिया।

अब कुछ देर मैं वैसे ही रुका रहा।
थोड़ी देर में भाभी ने अपनी कमर हिलाई तो मैं समझ गया कि भाभी फील्डिंग करने के लिए तैयार हैं तो मैंने भी बैटिंग करना स्टार्ट कर दिया। फिर उनके चौके में चौके और छक्के मारना शुरू कर दिया।

भाभी के मुँह से हल्की-हल्की सेक्सी आवाजें निकल रही थीं- आहह अहहाअ.. ऑश उफ.. इसस्स्सह..
मैं उनके पीछे खड़ा होकर उन्हें चोद रहा था और भाभी थोड़ा सा झुक कर अपनी चूत की खुजली मिटवाते हुए खाना भी बना रही थीं।
मैं उनके पीछे से उनके बर्तन बजा रहा था.. आई मीन गाण्ड की तरफ से चूत चोद रहा था।

हमें जल्दी से चुदाई का कार्यक्रम खत्म भी तो करना था.. कहीं सासू माँ ना आ जाएं।
फिर भाभी की मैंने एक पैर को उठा कर अपने कंधे पर रखा और चूत की सेवा थोड़ी इस एंगल से भी की।
इसी तरह फिर हमने कुछ और तरीकों से भी चुदाई की.. अब तक 10 मिनट हो गए थे। चुदाई में भाभी एक बार पानी छोड़ चुकी थीं।

वैसे तो मैंने भाभी की चूत किस करके दो बार झाड़ चुका था। लगभग 5 मिनट और धक्के मारने के बाद मेरा भी पानी निकलने वाला था.. तो मैंने भाभी को बोला- भाभी क्या आज भी आप मुँह में लोगी?
वो बोलीं- नहीं रूको..

वे अपनी चूत को मुक्त करते हुए हटीं और वहीं से एक कटोरा लाईं और बोलीं- लो इसमें निकालो।

मैं उनकी कामुक सोच को देखता ही रह गया। मैंने फिर वैसा ही किया.. मैंने उस बर्तन में अपना पानी निकाल दिया। भाभी की भी सब्जी तैयार होने वाली थी। मैंने भी अपने कपड़े सही किए.. भाभी ने वो पानी वाला बर्तन वहीं पर रखा और सब्जी बनाने के बाद वो बर्तन ले कर मेरे पास आईं।

मैंने पूछा- आपने ऐसा क्यों करवाया?
तो उन्होंने कहा- देखते रहो..
मैं भी उनको देखता ही रह गया.. उन्होंने कुछ जलजीरा और चाट मसाले निकाले और उनको उसमें डाल कर खा गईं.. मैं तो देखता ही रह गया।

फिर हम रसोई से निकल कर बाहर आ कर बातें करने लगे।
बातों बातों में भाभी ने बताया- सासू माँ अगले हफ़्ते बाहर जा रही हैं तो घर में हमें रोकने के लिए कोई नहीं होगा।
मैंने भी खुशी से कहा- सच में..??
भाभी ने एक आँख मारी.. बोलीं- हाँ.. और तेरे लिए कुछ स्पेशल सरप्राइज़ भी है.. या बोल सकते हो कि कुछ ख़ास है।

मैं भी सोच में पड़ गया कि यार क्या हो सकता है।
मैंने बहुत पूछा.. पर भाभी ने नहीं बताया..

तो दोस्तो, आपके लिए भी अगली बार सरप्राइज़ होगा.. अभी के लिए मैं अब आज्ञा चाहता हूँ। शायद मेरी इस कहानी ने आप सभी की चूत में खुजली और लंड में तनाव कर ही दिया होगा.. तो दोस्तों इस कहानी को पढ़ कर आप अपनी राय ज़रूर मेल कीजिएगा।

आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
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