किराएदार आंटी की चूत चुदाने की चाहत

हुआ कुछ यूँ कि एक बार मेरे मम्मी-पापा कुछ दिनों के लिए गाँव गए हुए थे, मम्मी आन्टी को मेरा ध्यान रखने के लिए कह गई थीं।
रात के करीब 9 बजे मैं छत पर अपनी फोन पर गर्लफ्रेंड से बात क़र रहा था, मुझे नहीं पता था कि आंटी मुझे सुन रही हैं।

अगले दिन सुबह जब उनके पति जॉब पर चले गए, मैं अपने कपड़े धो रहा था, आंटी मेरे पास आकर सीढ़ियों पर बैठ गईं और इधर उधर की बातें करने लगीं।

अचानक वो मुझसे पूछने लगीं- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है क्या?
मैं- नहीं..
आंटी- मुझसे झूट मत बोल.. कल रात में फ़ोन पर किस से बात कर रहा था?

मैं तो डर गया कि आंटी इस बात को मेरे पेरेंट्स से न बोल दें।
मैं- जब आपको पता है तो पूछ क्यों रही हो?
आंटी- कभी उसके साथ सेक्स किए हो?

मैं थोड़ा शर्मा गया।
वो बोलीं- शर्मा मत.. मुझे दोस्त जैसा समझ।
मैं अब तक आंटी से खुल चुका था।
मैं- नहीं।
आंटी- क्यों.. तुम्हें ये सब करने का दिल नहीं करता।

‘करता तो बहुत है.. लेकिन डर भी लगता है।
वो बोलीं- डर किस चीज का.. कहीं वो पेट से न हो जाए।
‘हूँ..’
वो बोलीं- किसी औरत को गर्लफ्रेंड बना लो।
मैं बोला- कोई औरत मेरी गर्लफ्रेंड क्यों बनेगी.. उसका पति भी तो होता है उसके लिए।
वो बोलीं- मैं हूँ न.. मैं बनूँगी तुम्हारी गर्लफ्रेंड।

मेरी तो बांछें खिल गईं.. मुझे भला क्या ऐतराज होता।
मैं बोला- पहले मैं आपको चैक करूँगा।
वो बोलीं- क्या चैक करोगे?
मैं बोला- आपके प्राइवेट पार्ट्स..

अब तक मैं अपने कपड़े धो चुका था।
वो बोलीं- यहीं चैक करोगे या कमरे में चलोगे?
‘कमरे में करूँगा!’

मैं आन्टी को अपने रूम में ले गया और अन्दर से दरवाजा बंद कर दिया।
मैं बहुत खुश था.. मुझे चूत मिलने वाली थी।

हम दोनों ने एक-दूसरे को बांहों में भर कर देर तक चिपकाए रखा, मैंने उनके होंठों को बहुत देर तक चूसा, मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।
मेरा लंड खड़ा हो चुका था और उनकी चूत में घुसने को बेताब था।

मैंने उन्हें बिस्तर पर पटक दिया और उनके ब्लाउज को खोल दिया, आंटी के मम्मे बहुत अच्छे लग रहे थे।
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मैंने कुछ मिनट तक उनके चूचों को चूसा, वो मजे से सीत्कार करने लगीं।

वो ‘ऊऊ.. आआहह..’ क़र रही थी।

उनकी साड़ी उतार कर मैं उनके पेट पर किस करने लगा.. उन्हें भी मजा आ रहा था।

इसके बाद उनके पेटीकोट उतरने के बाद आंटी बिल्कुल नंगी हो गईं और फिर मैंने अपने कपड़े उतार दिए और बिल्कुल नंगा हो गया। वो मेरा लंड देख कर खुश हो गईं.. उन्होंने लपक कर मेरा लौड़ा पकड़ लिया और हिलाने लगीं।

मुझे बहुत अच्छा लग रहा था, मैं उनकी चूत में उंगली करने लगा।
उनकी चूत बहुत गद्देदार थी.. वो सिसकारियां ले रही थीं.. जिससे मुझे और जोश आ रहा था.. मजा भी आ रहा था।

वो बोलीं- दीपक, अब और बर्दाश्त नहीं होता.. चोद दो मुझे..

अब मैं भी कण्ट्रोल से बाहर हो गया था, मैंने उन्हें बिस्तर पर लिटाया और उनकी गांड के नीचे पिलो लगा दिया और लंड को चूत की फांक पर सैट करके धक्के लगाया।
आंटी की चूत चुदी-पिटी थी.. ऊपर से रस से भरी हुई थी तो ‘सटाक..’ से लौड़ा अन्दर घुस गया।

जो भी हो.. मैं खुद को जन्नत में महसूस कर रहा था। पूरे कमरे में उनकी मादक सिसकारियां गूंज रही थीं।
शायद वो कई दिनों के बाद लौड़े का मजा ले रही थीं ‘इस्स्स्…ह्ह्ह्ह्ह्.. आआअ..’

उनके मजे के कारण मेरे मुँह से भी सिसकारियां निकलने लगीं।

करीब 5 मिनट की चुदाई के बाद वो बोलीं- चल, पोजीशन बदल लेते हैं।

अब मैं बिस्तर पर लेट गया और वो मेरे लंड को चूत में फिट करके बैठ गईं और ऊपर-नीचे होने लगीं।

कुछ ही मिनट मैं वो झड़ गईं लेकिन मेरा अभी नहीं हुआ था।
मैंने उन्हें घोड़ी बना कर उनके पीछे से चूत में लंड डाल दिया और आगे-पीछे करने लगा।

चूत एकदम लबालब पानी से तर थी तो मुझे भी ऐसा लग रहा था कि दलदल में लौड़ा पेल रहा होऊँ।

कुछ देर में मैं झड़ने वाला हो गया, मैंने उन्हें बताया.. तो वो बोलीं- अन्दर ही डाल दो.. मैं दवा ले लूँगी।

बस ताबड़तोड़ धक्कों के साथ मैं चूत में ही स्खलित हो गया।

उनको दम से चोदने के बाद वहीं उनके साथ बाजू में ढेर हो गया।

मैं उनकी गांड भी मारना चाहता था, पर वो राजी नहीं हुईं, बोलीं- दर्द होता है।

उस दिन उनकी चूत को चार बार चोदा.. मुझे मजा आ गया।

इसके बाद उनके पति के जॉब पर जाने के बाद मैं उन्हें रोज चोदता था। अब वो हमारा घर छोड़ कर जा चुकी हैं।

तो दोस्तो, यह था मेरा पहला अनुभव उम्मीद है.. आप लोगों को पसंद आया होगा।
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