सौतेली मॉम की चुदाई -1

बारिश तो बंद हो गई.. लेकिन मौसम गर्मी का था.. सो उमस बहुत हो गई थी और घर में बहुत गर्मी हो रही थी। लेकिन बाहर अच्छी हवा चल रही थी तो सब लोग रात को खाने के बाद बाहर खटिया डाल कर सोने लगे।

मैं और मॉम घर के अन्दर ही सोने की तैयारी करने लगे। चूंकि मॉम घर की बहू थीं.. तो वे सबके सामने नहीं सो सकती थीं.. इसलिए वो अपने कमरे में चली गईं.. मेरी भी बाहर सोने का आदत नहीं थी.. सो मैं भी अपने कमरे में चला गया और सोने की कोशिश करने लगा।

लेकिन गर्मी के वजह से नींद नहीं आ रही थी.. तो मैं इधर-उधर डोल रहा था।
तभी मैंने देखा कि मॉम की खिड़की से मस्त हवा आ रही है और सीधे उनके बिस्तर पर हवा लग रही थी.. सो मैं जाकर मॉम के बगल में लेट गया और हवा का आनन्द लेने लगा।

डैड रोज रात को अपने पुराने दोस्तों के साथ अद्धा मारने जाते और कभी-कभी वहीं रुक जाते थे।

थोड़ी ही देर में मॉम मेरी तरफ को आ गईं और जैसे ही उनका बदन मेरे जिस्म से टच हुआ.. वो मेरे और करीब आ गईं और उन्होंने अपनी एक टांग मेरे ऊपर करके मुझे कस कर पकड़ लिया।

गर्मी की वजह से मैं सिर्फ़ पैन्ट पहनता था और वो मेरे सीने पर अपना सिर रख कर सोने लगीं। मेरे शरीर में करेंट जैसा दौड़ने लगा।
मैंने देखा मॉम सिर्फ़ पेटीकोट में हैं.. गर्मी की वजह से उन्होंने अपने सारे कपड़े खोल दिए थे.. उन्होंने पेटीकोट मम्मों के थोड़े ऊपर से बांधा हुआ था.. तो मॉम जब एक टांग मेरे ऊपर रख कर सो रही थीं.. मुझे उनकी पैन्टी दिख रही थी.. मैं अपने आप को कंट्रोल नहीं कर पाया।

मेरे दिमाग में मॉम को चोदने का ख़याल आया.. लेकिन मुझे डर था कि कहीं वे उठ ना जाएं।
थोड़ी देर में मैंने हिम्मत करके अपना पैन्ट से लंड बाहर निकाल लिया।

आप सब को बता दूँ कि मेरा लंड लंबा और मोटा है और इस वक्त मॉम के स्पर्श से लण्ड पूरा खड़ा हो गया था।

मैं लंड को सैट करके घूमने के लिए सोच रहा था.. ताकि लंड मॉम के चूत से टच हो ज़ाए.. और मैंने पूरी तैयारी से घूमते हुए मॉम को कस कर पकड़ लिया। इस वजह से मेरा लंड पूरे फोर्स के साथ जाकर उनकी चूत से टकराया.. मैं जल्दबाजी में मॉम की पैन्टी के बारे में भूल गया था.. जो लंड को अन्दर जाने से रोक रही थी।

तभी अचानक मॉम उठ गईं और धीरे से लड़खड़ाते हुए स्वर में बोलीं- आप अभी आ रहे हैं.. मैं कब से आपका इंतज़ार कर रही थी.. आपके इन्तजार में तो मैंने दो पैग तक पी लिए हैं।

मॉम ने नशे में मुझे और ज़ोर से पकड़ लिया, मुझे लग रहा था कि मॉम मुझे पापा समझ रही हैं।

मॉम फिर बोलीं- नीचे दूध रखा है पीलो.. और दरवाजा बंद कर आइए.. सामने के कमरे में बेटा सोया हुआ है।
मैं यह सुन कर समझ गया कि मॉम मुझे पापा ही समझ रही हैं।

मैं धीरे से उठा.. बाहर जाकर देखा सब गहरी नींद में सोए हुए हैं और फिर मैं वापिस आ गया।
अब मैंने कमरे को अन्दर से लॉक कर दिया।

तब मॉम बोलीं- बिस्तर के नीचे दूध का गिलास रखा है.. पी लीजिए और उसके साइड में ही कन्डोम रखा है.. मोबाइल की लाइट से देख कर पहले दूध पीलो।

कमरे में तो पहले से पूरा अंधेरा था.. दरवाजा बंद करने से और अंधेरा हो गया था। मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और पूरा नंगा हो गया। मैंने दूध और कन्डोम की कोई परवाह नहीं की और मॉम के होंठ चूसने लगा, मुझसे और बर्दाश्त नहीं हो रहा था.. इसलिए उनकी पैन्टी को ज़ोर से खींच निकाला.. पेटीकोट को भी निकाल कर फेंक डाला।

तभी मॉम नशे में धुत्त मेरे ऊपर आ गईं और पागलों की तरह मुझे किस करने लगीं।
हम दोनों एक-एक करके किस करते गए।
तभी मेरे दिमाग़ में कन्डोम का ख़याल आया.. तो मैं उठने लगा.. तभी मॉम बोली- कहाँ जा रहे हैं.. प्लीज़ कहीं ना जाइए और मुझे जल्दी चोदिए.. आपका तो खड़ा भी ठीक से नहीं होता है.. आज मैंने एक दूध में दवा डाली है.. आइए जल्दी से मुझे चोद दीजिये।

अब मैं भी बहुत कामुक हो गया था.. तो मैंने देरी ना करते हुए मॉम पर टूट पड़ा उनके मम्मों के भूरे चूचुकों को जी भर के चूसा.. उनके मस्त जिस्म के हर इंच का चुम्बन किया।

तभी मॉम चुदासी होते हुए बोलीं- अब चोदो भी प्लीज़..
उन्होंने अपनी दोनों टाँगें फैला दीं..
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मैंने लंड को चूत के मुहाने पर सैट ही किया था कि मॉम ने मुझे पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया और एक ही झटके में आधे से ज़्यादा लंड चूत के अन्दर चला गया।
मॉम अपने दर्द को सहते हुए हल्की सी सिसकारी मार रही थीं ताकि कोई सुन ना ले।
तभी मैंने अपने दोनों हाथों से मॉम के हाथ को पकड़ा और उन्हें तबियत से चोदने लगा।

मॉम- आआहह.. मर गई जी.. आज तो आपका लंड बहुत बड़ा हो गया है.. इस दवा से.. मैं सहन ही नहीं कर पा रही ही हूँ.. प्लीज़ निकाल लो..
मुझे आज जो मौका मिला था.. उसे मैं पूरी तरह इस्तेमाल करना चाहता था।
मेरा लंड अब भी मम्मी की चूत में था और मम्मी मुझे लगातार किस कर रही थीं।

मैंने मम्मी की जीभ को अपने मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगा, मम्मी भी मेरी जीभ चूसने लगीं और हम दोनों एक-दूसरे की जीभ से खेल रहे थे।

जुबानों की इस तकरार के कारण मेरे सोए हुए लंड में जान आने लगी। मुझे अब अपनी माँ के शरीर के हर अंग से प्यार करना था। मैंने उनके होंठ आज़ाद कर दिए और उनके गालों को कस कर चूसा। फिर मैंने अपने होंठ मम्मी की गर्दन पर रख दिए और उसे चूमने लगा।

मैंने अपना लौड़ा उनकी चूत से बाहर निकाल लिया क्योंकि मैं इस चुदाई का भरपूर आनन्द लेना चाहता था।

मेरा लंड अब आज़ाद हो चुका था.. मैंने गर्दन से लेकर माँ की चूचियाँ तक का रास्ता चूमते हुए तय किया। फिर उनके 36 साइज़ के बाएं चूचे को कसकर दबा दिया और सीधे चूचे के निप्पल को होंठों में भर लिया।

मैं एक चूची को दबाता.. तो दूसरी को चूसता..
ऐसे ही मैं काफ़ी देर मम्मी की चूचियों से खेलता रहा। मम्मी ने भी मुझे रोका नहीं और ‘आहें’ भरती रहीं।

मैंने फिर मम्मी के चिकने पेट पर हमला किया और उनकी नाभि के चारों ओर चाटने लगा।
मम्मी तड़प उठीं और मेरे सर को पकड़ कर दबाने लगीं। मैंने भी उनकी हालत समझी और उनकी नाभि में जीभ डाल दी और वहीं चूमने लगा।

मैं अपने हाथों से मम्मी की जांघें सहला रहा था और जल्द ही मेरे हाथों की जगह मेरे होंठ थे और उनकी चिकनी जांघों को चूम रहे थे।
मैं उनकी चूत के करीब तक जाकर लौट आता.. उनकी जांघें मेरे थूक से सन चुकी थीं और चूत से रस बहे जा रहा था।

मम्मी से जब सहन नहीं हुआ तो उन्होंने अपनी टाँगों से मेरे सर का पकड़ लिया और बोलीं- आआ… आहह.. बअसस्स.. बहुत हो गयाआअ.. जी.. अब चूत को भी चाटिए न..

उनके इतना कहते ही मैंने उनकी चूत की सेवा शुरू कर दी और उनकी मस्त चूत को चूमने, चाटने और चूसने लगा।
मम्मी की चूत को चाटने में मुझे बहुत मजा मिल रहा था। थोड़े समय बाद मैं अपनी जीभ से मम्मी की चूत को जीभ से ही चोदने लगा और उनकी चूत से निरंतर निकलते रस का पान करने लगा।
अब मम्मी की साँसें काफ़ी तेज हो गई थीं।

आप लोग से अनुरोध है कि कहानी के विषय में अपनी राय ईमेल से ज़रूर लिखना।
दूसरे पार्ट मे कहानी जारी रहेगी।
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